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अग्रहि, रामानन्द, та अवधेश चन्द्र मिश्रा. "भारतीय समाज में मीडिया का बदलता स्वरूप". International Journal of Science and Social Science Research 1, № 1 (2023): 44–47. https://doi.org/10.5281/zenodo.13328124.

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त बह ुत ही प्रतिभावान एवं ऊर्जावान य ुवा देश है, और यहां के युवा द ेश की तरक्की मे ं या ेगदान देने क े लिए लालयित रहते हंै। जिस तरहभारत के युवा अपने ह ुनर से देश का े आगे ले जा रह े है उसी प ्रकार भारत की वर्तमान मीडिया द ेश में क्रान्ति कारी परिवर्तन ला रही है, वर्त मान मीडिया का ेयुवा मीडिया कह सकते है। जिस प ्रकार मन ुष्य का जीवन काल का विकास बाल्यावस्था से किशा ेरावस्था, किशोरावस्था से युवावस्था एवं प ्रौढ़ा, वृद्धक्रम हा ेता हैठीक इसके विपरीत मीडिया का विकास-वृद्धावस्था स े प्रौढ़ावस्था, प ्रौढ़ावस्था से युवा वस्था क्रम ह ुई जैसे की प्रिंट मीडिया से इलेक्ट्रानिक मीडिया, इलेक्ट्राॅनिकमीडिय
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नागवंशी, रवि प्रताप, та अविनाश प्रताप सिंह. "भारत में मतदान व्यवहार पर मीडिया का प्रभाव". Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education 22, № 01 (2025): 402–9. https://doi.org/10.29070/x5t99p71.

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यह शोध लेख भारत में मीडिया और मतदान व्यवहार के बीच संबंधों की जांच करता है, जिसमें मतदाता धारणाओं और चुनावी परिणामों को आकार देने में मीडिया की परिवर्तनकारी भूमिका पर ध्यान केंद्रित किया गया है। जाति, समुदाय और क्षेत्रवाद जैसे पारंपरिक प्रभाव मतदाता निर्णय लेने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालाँकि, डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के उदय और मीडिया प्रथाओं के विकास ने चुनावी परिदृश्य को नया रूप दिया है। जबकि पारंपरिक मीडिया जैसे समाचार पत्र और टेलीविज़न अभी भी महत्वपूर्ण बने हुए हैं, सोशल मीडिया के आगमन ने राजनीतिक जुड़ाव और पहुँच को बढ़ाया है, खासकर युवा मतदाताओं के बीच। गलत सूचना, मीडिया पूर्वाग्रह और
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प्रसाद, आदर्श. "सोशल मीडिया". International Journal of Advanced Academic Studies 5, № 4 (2023): 77–79. http://dx.doi.org/10.33545/27068919.2023.v5.i4a.1283.

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प्रसाद, आदर्श. "सोशल मीडिया". International Journal of Advanced Academic Studies 4, № 2 (2022): 219–21. http://dx.doi.org/10.33545/27068919.2022.v4.i2c.1281.

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डॉ., अरविंद कुमार, та देवेन्द्र कुमार पाण्डेय डॉ. "सोशल मीडिया और उसके प्रभाव को समझना". International Journal of Contemporary Research in Multidisciplinary 3, № 5 (2024): 207–9. https://doi.org/10.5281/zenodo.13997555.

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"इंटरनेट एक दोहरी धार वाली तलवार है, जो समाज को एक ओर जोड़ती है और दूसरी ओर तोड़ती भी है। यह एक ऐसा माध्यम है जहां अच्छाई और बुराई दोनों को समान रूप से प्रसारित किया जा सकता है, और जिसके परिणामस्वरूप वैश्विक स्तर पर इसके प्रभाव को देखना शुरू कर रहे हैं।"  भारत ने हाल के वर्षों में मास मीडिया और सोशल मीडिया के क्षेत्र में अभूतपूर्व वृद्धि देखी है, जिससे मीडिया की भूमिका वर्तमान परिदृश्य में अत्यधिक महत्वपूर्ण हो गई है। सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के विकास ने टेलीविजन, इंटरनेट, सोशल मीडिया और प्रिंट मीडिया जैसे कई समाचार और सूचना स्रोतों की उपलब्धता और पहुंच को बढ़ाया है । मीडिया न केवल संद
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Neeraj, Bhardwaj, та Dhirendra Singh Yadav Dr. "वर्तमान परिदृश्य में उच्च माध्यमिक स्तर पर कार्यरत शिक्षकों पर सोशल मीडिया का प्रभाव". दृष्टिकोण कला, मानविकी, एवं वाणिज्य की मानक शोध पत्रिका, ISSN 0975-119X, UGC CARE LISTED, Impact Factor 5.051 13, अंक 1 जनवरी फरवरी 2021 (2021): 3813–18. https://doi.org/10.5281/zenodo.6911774.

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21वीं सदी में कंप्यूटर एक कैसेट बन गया है तथा इंटरनेट का जाल विश्वव्यापी फैल चुका है। ऐसे में विभिन्न देशों क्षेत्रों में व्यक्तियों के बीच संवाद बनाने के लिए एक मंच के रूप में सोशल मीडिया आज सबसे महत्व भूमिका निभा रहा है, जिसमें विभिन्न मंच जैसे <strong>Facebook</strong>, <strong>Twitter</strong>, <strong>WhatsApp</strong>, <strong>LinkedIn,</strong> <strong>Instagram</strong> आदि, आज लोगों के विचारों की अभिव्यक्ति के लिए उपयोग किए जाते हैं। सोशल मीडिया का प्रयोग व महत्व लगातार बढ़ता जा रहा है। यहां तक की इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया भी इसके प्रभाव को स्वीकारने लगे हैं, कई लोग सोशल मीडिया को
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Singh, Priya. "ग्रामीण भारत में डिजिटल मीडिया का प्रभाव: एक समाजशास्त्रीय अध्ययन". International Journal of Science and Social Science Research 1, № 4 (2024): 173–76. https://doi.org/10.5281/zenodo.13367289.

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प्रस्त्ततु शोध पर में ग्रामीण भारत में डिजिटल मीडिया के प्रभाव का अध्ययन करने का प्रयास ककया गया है | इसमें द्ववतीयक स्रोतों के माध्यम से ववश्लेषण कर डिजिटल मीडिया क्या है तथा डिजिटल मीडिया का ग्रामीण पररवेश पर पड़ने वालेप्रभाव का अध्ययन करने का प्रयास ककया गया है | वततमान समाि में डिजिटल मीडिया एक महत्वपूणत माध्यम बन गया हैजिसके माध्यम से बहुत सारी सचनाओू, भावनाओं, ववचारों आदि का आिान प्रिान ककया िाता है | इस आभासी ववश्व में युवापीढ़ी अपना अधधक से अधधक समय व्यतीत करती है तथा ग्रामीण भारत में कृ वष के क्षेर में अनेक प्रकार के पररवतनत लाने में डिजिटल मीडिया का महत्वपूणत योगिान है | कृ वषक व्याप
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क्षत्रिय, दीपिका जितेंद्र. "सोशल मीडिया का प्रभाव". International Journal of Science and Social Science Research 1, № 3 (2023): 173–75. https://doi.org/10.5281/zenodo.13623077.

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आज के आधुनिक दौर में सोशल मीडिया हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है। इसके उपयोगकर्ताओं की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।लोग अपना अधिक से अधिक समय सोशल मीडिया पर व्यतीत कर रहे है। सोशल मीडिया मानव जीवन पर विशेष तौर पर युवा पीढ़ी की जीवन शैली को प्रभावित कर रही है किन्तु इसका अत्यधिक उपयोग सही है? आज प्रत्येक व्यक्ति स्वयं को प्रसिद्ध करने की होड़ में लगा हुआ है किन्तु विशेष तौर पर युवा पीढ़ी व बच्चों को समझने की आवश्यकता है कि वे देश का भविष्य है एवं मानव जीवन बेहद अनमोल है और इन झूठे दिखावों में पड़कर उन्हें अपना अमूल्य समय बर्बाद नहीं करना चाहिए। सोशल मीडिया का सीमित व आवश्यकतानुसार
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मीणा, आशुतोष. "भारतीय न्यायपालिका पर मीडिया ट्रायल का प्रभावः आलोचनात्मक विश्लेषण". Lokprashasan 16, № 1 (2024): 34–44. http://dx.doi.org/10.32381/lp.2024.16.01.3.

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निष्पक्ष न्याय के लिए न्यायपालिका की स्वतंत्रता आवश्यक है। भारतीय संविधान में स्वतंत्र न्यायपालिका का प्रावधान है। न्यायपालिका की कार्यवाही में विधायिका व कार्यपालिका का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए ताकि न्यायपालिका निष्पक्ष निर्णय कर सके। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत नागरिकों को भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। इस स्वतंत्रता के आधार पर मीडिया समाचारों की रिपोर्टिंग करता है। मीडिया द्वारा अदालतों में विचाराधीन मामलों की सनसनीखेज रिर्पोटिंग कर दी जाती है जिससे न्यायपालिका के पूर्वाग्रह से ग्रस्त होने व न्यायिक निर्णय प्रभावित होने की संभावना रहती है। हाई प्रोफाइल मामलों में मीडिय
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BAGORIA, SUNITA. "Digital Casteism : A Sociological Analysis of Ethnic Identity and Discrimination on Social Media." GYANVIVIDHA 02, no. 03 (2025): 86–94. https://doi.org/10.71037/gyanvividha.v2i3.10.

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यह शोध-पत्र “डिजिटल जातिवाद : सोशल मीडिया पर जातीय पहचान और भेदभाव का समाजशास्त्रीय विश्लेषण” भारत में इंटरनेट और सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव के संदर्भ में जाति आधारित असमानताओं के पुनरुत्पादन की पड़ताल करता है। पारंपरिक जातिगत भेदभाव अब केवल भौतिक सामाजिक संरचनाओं तक सीमित नहीं रहा, बल्कि वह डिजिटल स्पेस—विशेषकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स—पर एक नए, अधिक जटिल रूप में सामने आ रहा है। इस शोध का उद्देश्य सोशल मीडिया पर जातीय पहचान, आत्म-प्रतिपादन, ट्रोलिंग, भाषाई बहिष्करण, और डिजिटल विभाजन की प्रवृत्तियों का विश्लेषण करना है। शोध में गुणात्मक और मात्रात्मक दोनों पद्धतियों का प्रयोग किया गया है। द्व
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मौर्य, रामयज्ञ, та नितिन कुमार. "सोशल मीडिया: स्वतंत्रता बनाम स्वच्छन्दता". SCHOLARLY RESEARCH JOURNAL FOR HUMANITY SCIENCE AND ENGLISH LANGUAGE 9, № 48 (2021): 11902–6. http://dx.doi.org/10.21922/srjhsel.v9i48.8257.

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सोशल मीडिया आज एक बडा सामाजिक मंच है जहाँ हर कोई व्यक्ति अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिये स्वतंत्र है और विशेष यह कि बिना किसी नियंत्रण और हस्तक्षेप के। सोशल मीडिया पर लिखना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे महत्वपूर्ण अधिकार से जुड़ गया है। सोशल मीडिया ने प्रत्येक व्यक्ति को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रदान की है लेकिन भारतीय संविधान में यह स्वतंत्रता देश के प्रत्येक नागरिक को पूर्व में ही प्राप्त है। किंतु इससे पहले अभिव्यक्ति के पर्याप्त मंच और सुलभ साधन नहीं थे, पर्याप्त अवसर न मिलने तथा जानकारी के अभाव के कारण आम आदमी अपनी आवाज या तो उठा नहीं पाता था या उसे दबा दिया जाता था। आम तौर पर समाचार
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अभिषेक यादव та डॉ. आशुतोष वर्मा. "उच्च शिक्षा के छात्रों में डिजिटल मीडिया के उपयोग का मूल्यांकन: टेलीविजन एवं वेब मीडिया के बीच एक तुलनात्मक अध्ययन". Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education 21, № 5 (2024): 184–88. http://dx.doi.org/10.29070/x2z59j85.

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- व्यक्तियों में डिजिटल मीडिया के प्रति आकर्षण अत्यंत गहरा है विद्यार्थियों को विभिन्न स्थानों पर आते-जाते हुए डिजिटल मीडिया के विभिन्न माध्यमों को प्रयोग में लाया जा रहा विशेष तौर पर वीडियो गेम खेलने अथवा शो स्ट्रीम करते हुए देखा गया है। देश विदेश कि खबर पढ़ रहे है | डिजिटल मीडिया को सरल शब्दों में परिभाषित करना अत्यंत ही कठिन है क्योंकि यह प्रौद्योगिकी में नवाचारों के साथ-साथ तेजी से विकसित हो रहा है। जैसे-जैसे हम भविष्य में आगे बढ़ेंगे, डिजिटल मीडिया का हमारा दैनिक उपयोग बढ़ेगा, विशेष रूप से होलोग्राफिक और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) प्रौद्योगिकियों के विकसित होने और हमारे दैनिक जीवन में शामिल
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सचित्र, मिश्रा. "महाकुंभ मेला और मीडिया: सांस्कृतिक पहचान के निर्माण में एक प्रभावशाली भूमिका". INTERNATIONAL EDUCATION AND RESEARCH JOURNAL - IERJ 11, № 3 (2025): 76–80. https://doi.org/10.5281/zenodo.15583380.

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महाकुंभ मेला विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है जो परंपरा और आधुनिकता के संगम का प्रतीक है। यह केवल आध्यात्मिक आस्था और सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण तक ही सीमित नहीं है बल्कि समाजए राजनीति और अर्थव्यवस्था के व्यापक परिप्रेक्ष्य को भी दर्शाता है। इस संदर्भ में मीडिया की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि यह महाकुंभ से जुड़ी सार्वजनिक धारणाओं और सांस्कृतिक आख्यानों के निर्माण और प्रसार में सक्रिय भागीदारी निभाता है। मीडिया द्वारा महाकुंभ मेले का चित्रण केवल इसकी वृहदता और भव्यता को उजागर करने तक सीमित नहीं रहता बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक पहचान को एक नई दिशा देने और उसे वैश्विक मंच पर स
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डॉ. लखविंदर सिंह. "डिजिटल मीडिया के प्रभाव से सामाजिक व्यवहार में परिवर्तन". International Journal of Multidisciplinary Research in Arts, Science and Technology 3, № 3 (2025): 15–22. https://doi.org/10.61778/ijmrast.v3i3.117.

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डिजिटल मीडिया ने हमारे सामाजिक व्यवहार में क्रांतिकारी परिवर्तन लाया हैए जिससे समाज का प्रत्येक पहलू प्रभावित हुआ है। यह परिवर्तन दोनों ही प्रकार से हैकृसकारात्मक और नकारात्मक। एक ओरए डिजिटल मीडिया ने वैश्विक संवाद और सामाजिक जागरूकता को बढ़ावा दिया है। इससे लोग आसानी से विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर अपनी राय व्यक्त कर पा रहे हैं और वैश्विक आंदोलनों का हिस्सा बन रहे हैं। सोशल मीडिया ने जानकारी के आदान.प्रदान को त्वरित और व्यापक बनाया हैए जिससे लोगों में शिक्षाए स्वास्थ्यए और पर्यावरण जैसे मुद्दों पर जागरूकता आई है।
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देवांगन, सूर्यकांत, та माया वर्मा. "रायपुर के प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया पत्रकारों की सूचना आवष्यकता एवं खोज व्यवहार का तुलनात्मक अध्ययन". Journal of Ravishankar University (PART-A) 24, № 1 (2021): 01–06. http://dx.doi.org/10.52228/jrua.2018-24-1-1.

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प्रस्तुत अध्ययन में रायपुर शहर के प्रिंट मीडिया एवं इलेक्ट्राॅनिक मीडिया पत्रकारों की सूचना आवष्यकता एवं खोज व्यवहार का विष्लेषण करने के उद्देष्य से तुलनात्मक अध्ययन किया गया है। यह अध्ययन एक सर्वेक्षण पद्धति पर आधारित है और प्रश्नावली का उपयोग करके दैव निदर्षन पद्धति के जरिये डेटा संग्रहण का कार्य किया गया है। तथ्यों का वर्गीकरण एवं विष्लेषण में गैरेट रैंकिंग तकनीक का भी उपयोग किया गया है। अध्ययन में परिणामस्वरूप हमने पाया कि रायपुर के पत्रकारों में पुरूष वर्ग की प्रधानता है, इसमें महिलाओं का अनुपात बहुत ही कम है। इलेक्ट्राॅनिक मीडिया की अपेक्षा प्रिंट मीडिया में बहुत से पत्रकार बगैर पेषेवर श
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रविन्द्र, भाटिया शुभम, अग्रवाल शिल्पा, शर्मा सुमन та ढड़वाल युक्ति. "सोशल मीडिया पर आने वाले अप्रवासन संबंधी समाचारों का अंतर्वस्तु विश्लेषण: बीबीसी और इंडिया टुडे के फेसबुक पेज का एक अध्ययन". International Journal of Contemporary Research in Multidisciplinary 4, № 2 (2025): 176–81. https://doi.org/10.5281/zenodo.15206662.

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सोशल मीडिया वैश्विक स्तर पर समाचार प्रसार का एक महत्वपूर्ण माध्यम बन गया है, जहाँ अप्रवासन से संबंधित मुद्दे व्यापक चर्चा का विषय बने रहते हैं। यह अध्ययन बीबीसी और इंडिया टुडे के फेसबुक पेजों पर प्रकाशित अप्रवासन संबंधी समाचारों की अंतर्वस्तु का विश्लेषण करता है। शोध का उद्देश्य यह समझना है कि ये दो प्रतिष्ठित समाचार संस्थान अप्रवासन के मुद्दे को किस प्रकार प्रस्तुत करते हैं, किन नैरेटिव्स और फ्रेमिंग तकनीकों का उपयोग किया जाता है, और उनकी रिपोर्टिंग किस हद तक निष्पक्ष या पूर्वाग्रही होती है। इसके अलावा, यह अध्ययन सोशल मीडिया पर दर्शकों की सहभागिता और उनके भावनात्मक प्रतिक्रियाओं का विश्लेषण क
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विद्या. "स ंगीत क े प्रचार प्रसार में स ंचार साधना ें की भ ूमिका". International Journal of Research - GRANTHAALAYAH Innovation in Music & Dance, January,2015 (2017): 1–3. https://doi.org/10.5281/zenodo.886694.

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आज जिस प्रकार संगीत सर्व -सुलभ ह ुआ है। उसका मूल कारण संचार साधनों की भ ूमिका ह ै। आज संगीत षिक्षार्थियों का एक विषाल वर्ग संगीत क े प्रति आकर्षित ह ुआ ह ै। हर समुदाय, जाति आ ैर वर्ग क े विद्यार्थी का े संगीत का े निकटता से जानने आ ैर समझने का सुअवसर मिला है। जबकि पहले जन साधारण का े संगीत सुनने का अवसर दुर्लभ था। कुछ मीडिया, दूरदर्ष न आ ैर इलेक्ट्राॅनिक के संसाधन भी आज उपलब्ध ह ै, जिनक े कारण जनसाधारण में संगीत के प्रति जागरूकता बढ़ी ह ै। आधुनिक काल में मीडिया अपने विविध रूपों से सूचना प्रदान कर रहा ह ै ए ेसे में विद्यार्थि या ें में भी संचार क े क्षेत्र में कार्य करने का आकर्षण बढ़ा ह ै। स ं
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Rajni, Yadav. "हिंदी पत्रकारिता के परिदृश्य में महिला पत्रकारों का प्रतिनिधित्व: एक विश्लेषणात्मक अध्ययन (Hindi Patrakarita ke paridishya mein Mahila Patrakaro ka Pratinidhitva: Ek vishleshanaatmak adhyayan)". SHODH SANCHAR BULLETIN 10, № 40 (2020): 170–75. https://doi.org/10.5281/zenodo.7817236.

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विभिन्न जनसंपर्क माध्यमों जैसे- टेलीविजन, रेडियो, समाचार-पत्र, पत्रिकाएं, इंटरनेट, सोशल मीडिया, सिनेमा, फिल्म आदि द्वारा महिला-विकास, महिला-शोषण, महिला-सशक्तिकरण, महिला-आरक्षण, लैंगिक असमानता आदि विशेष मुद्दों पर परिचर्चा, लेख, समाचार आदि का प्रकाशन एवं प्रसारण समय-समय पर किया जाता है। परंतु बात करें इन मीडिया संस्थानों में महिलाओं के प्रतिनिधित्व की तो आज भी महिलाएं पुरुषों की बराबरी नहीं कर पाईं हैं। भारतीय पत्रकारिता में महिलाओं का लिंगानुपात अत्यधिक कम है। चाहे वह प्रिंट मीडिया हो या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया या फिर सोशल मीडिया हो जिन मीडिया संस्थानों में महिला पत्रकार कुछ गिनी चुनी संख्या में म
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ओम, सिंह. "स्कूली छात्रों पर सोशल मीडिया का बढ़ता प्रभाव". Recent Educational & Psychological Researches (ISSN: 2278-5949) 12, № 01 (Jan.-Feb.Mar.) (2023): 78–82. https://doi.org/10.5281/zenodo.7932280.

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सोशल मीडिया जनसंपर्क का एक महत्वपूर्ण साधन है, ये आज की भागदौड़ की जिंदगी का एक अहम् हिस्सा बनता जा रहा हैं जिसे न तो छात्रों के जीवन से ही और न अन्य लोगों के जीवन से हटाया जा सकता है। सोशल मीडिया से हम पलक झपकते ही किसी भी विषय से सम्बन्धित जानकारी हासिल कर लेते हैं लेकिन दोनों के ही अपने सकारात्मक व नकारात्मक प्रभाव हैं, जो जीवन को बना भी सकते हैं और बिगाड़ भी सकते है सोशल मीडिया एक-दूसरे से हजारों किलोमीटर दूर बैठे लोगों को ईमेल व फेसबुक के जरिये एक-दूसरे के सम्पर्क में ला सकता है, जिससे हजारों किलोमीटर दूर बैठे व्यक्ति से भी हमारा सम्पर्क बना रहता है। फेसबुक, टिव्टर, गूगल, विकीपीडिया, टेली
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डॉ., सुजाता जगन्नाथ रगडे. "भूमंडलीकरण और मीडिया का महत्व". International Journal of Advance and Applied Research 4, № 15 (2023): 19–21. https://doi.org/10.5281/zenodo.7866740.

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भूमंडलीकरण वह प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था को जग की अर्थव्यवस्था के साथ एकरूप होना है। भूमंडलीकरण वस्तुओं, व्यक्तियों, सेवाओं और सूचनाओं का राष्ट्रीय सीमाओं के बाहर अलग रूप से संचरण ही भूमंडलीकरण कहलाता है। भूमंडलीकरण का दूसरा नाम वैश्विकरण है। सन १९९१ में भारत में नई आर्थिक नीती अपनायी गई जिससे भूमंडलीकरण की शुरुवात हुई है।&nbsp; भूमंडलीकरण का मतलब विभिन्न देशों के बाजारों में बेचे जानेवाली वस्तुओं के एकीकरण के माध्यम से होता है। भूमंडलीकरण के माध्यम से पूरे देश में परस्पर सहयोग और समन्वय से बाजार के रूप में कार्य करने की शक्ति को प्रोत्साहन मिलता हुआ दिखाई देता है
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डॉ., रश्मी बी.वी. "लैंगिक समानता और सोशल मीडिया". International Journal of Advance and Applied Research 4, № 31 (2023): 18–20. https://doi.org/10.5281/zenodo.8365621.

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भारत में स्त्रीयों की स्थिति कभी भी सम्मानजनक नहीं रहीं । अपने और व्यक्तिगत प्रयासों से अवश्य किचन से बाहर भी एक दुनिया बना ली हैं, पर वहाँ भी वह स्वतंत्र नहीं हैं, क्यॊंकि हमारी मानसीकता नहीं रही । जिन महिलाओं को सोशल मीडिया का साथ मिला है वह यौनिकता और सेक्सुयलिटी से अधिक अस्मिता और अधिकार की बातें करें तो बेहतर है । क्योंकि जैसे ही हम बौद्धिक समाज में प्रवेश करके अपनी एक सम्मानित छवि का निर्माण करने में सफल हो जाते हैं । हमारी जिम्मेदारी उन महिलाओं के प्रति बढ़ जाती है&nbsp; जो आज भी सोशल मीडिया इसमें बहुत बडी़ भूमिका निभा सकता है । इस समाज को बनाए रखने के लिए पुरुषों ने जिस सामन्ती मानसिकत
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श्रीमती, वैशाली रामकृष्ण सारणीकर, та प्रा. (डॉ) मनीषा आसोरे श्रीमती. "जिल्हा परिषद शाळांतील माध्यमिक स्तरावरील शिक्षण आणि सोशल मीडियाचा वापर: संधी, समस्या आणि आव्हाने". International Journal of Advance and Applied Research S6, № 13 (2025): 221–25. https://doi.org/10.5281/zenodo.14912970.

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&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp; शिक्षण क्षेत्रात डिजिटल तंत्रज्ञानाचा वाढता वापर हा आधुनिक काळातील महत्त्वाचा बदल ठरला आहे. विशेषतः सामाजिक मीडिया हे केवळ मनोरंजनाचे साधन राहिले नसून, ते शिक्षण प्रक्रियेत देखील महत्त्वाची भूमिका बजावत आहे. शिक्षणातील आधुनिक तंत्रज्ञानामुळे विद्यार्थ्यांना नवनवीन ज्ञानस्रोत उपलब्ध होत आहेत. सोशल मीडिया हे अशा प्रकारच्या साधनांपैकी एक प्रभावी माध्यम आहे, ज्याच्या मदतीने विद्यार्थ्यांना माहिती मिळवणे, विचारांचे आदानप्रदान करणे आणि समूहात शिकण्याचा अनुभव घेता येतो.
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Usmani, Akhlak Ahmed. "अरब लहर, लोकतंत्र और न्यू मीडिया". Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education 15, № 9 (2018): 100–101. http://dx.doi.org/10.29070/15/57931.

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Dr., Vibha Pandey. "डिजिटल मार्केटिंग". International Journal of Advance and Applied Research 9, № 6 (2022): 465–69. https://doi.org/10.5281/zenodo.7071077.

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<strong>सारांश</strong> डिजिटल मार्केटिंग, मार्केटिंग का वह घटक है जो उत्पादों और सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए इंटरनेट और ऑनलाइन आधारित डिजिटल तकनीकों जैसे डेस्कटॉप कंप्यूटर, मोबाइल फोन और अन्य डिजिटल मीडिया और प्लेटफॉर्म का उपयोग करता है। 1990 और 2000 के दशक के दौरान इसके विकास ने ब्रांड और व्यवसायों के विपणन के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के तरीके को बदल दिया। जैसे-जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म तेजी से मार्केटिंग योजनाओं और रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल होते गए, और जैसे-जैसे लोग भौतिक दुकानों पर जाने के बजाय डिजिटल उपकरणों का तेजी से उपयोग करते गए, डिजिटल मार्केटिंग अभियान प्रचलित हो गए हैं, जो स
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Goyal, Sudha. "Impact of social networks in today’s scenario : A discussion." GYANVIVIDHA 02, no. 03 (2025): 67–72. https://doi.org/10.71037/gyanvividha.v2i3.08.

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नए अध्ययनों से पता चलता है कि युवा अपने दैनिक जीवन का एक बड़ा हिस्सा सोशल मीडिया के माध्यम से बातचीत करते हुए बिताते हैं। जैसे-जैसे तकनीक में सुधार और प्रगति हो रही है, सोशल नेटवर्किंग साइट्स का समाज और मानवीय रिश्तों पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह से प्रभाव बढ़ रहा है। सोशल नेटवर्किंग साइट्स किशोरों के सामाजिक विकास को प्रभावित करती हैं। इसके अलावा, किशोरों द्वारा इन साइट्स पर की जाने वाली गतिविधियों और उनके सामाजिक जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में कोई व्यापक जानकारी उपलब्ध नहीं है। स्मार्टफोन ने सोशल नेटवर्किंग के उपयोग और ऐसी साइट्स पर बिताए जाने वाले घंटों की संख्या को बढ़ाकर अ
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खीची, डॉ राजेंद्र सिंह. "सोशल मीडिया का समाज पर प्रभाव". International Journal of Arts, Humanities and Social Studies 6, № 1 (2024): 109–11. http://dx.doi.org/10.33545/26648652.2024.v6.i1b.112.

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गोयल, डॉ निशा. "कोरोना महामारी का मीडिया पर प्रभाव". International Journal of Sanskrit Research 8, № 5 (2022): 238–42. http://dx.doi.org/10.22271/23947519.2022.v8.i5d.1896.

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उपाध्याय, विजय प्रकाश. "प्रिंट मीडिया का व्यवसायीकरण और जनहित". Anusandhaan - Vigyaan Shodh Patrika 3, № 01 (2015): 188–89. https://doi.org/10.22445/avsp.v3i01.8610.

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डॉ., संजीव कुमार. "मीडिया में दलित मुद्दे : एक अध्ययन". Academic 2, № 11 (2024): 605–9. https://doi.org/10.5281/zenodo.14328652.

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डॉ0, मनोहर लाल. "पर्यावरण शिक्षा में मीडिया की भूमिका". Academic 2, № 12 (2025): 758–64. https://doi.org/10.5281/zenodo.14724391.

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ताशतेमीरोवा, शाहनाजा. "उज्बेकिस्तान और भारत : मीडिय क्षेत्र में सहयोग के नए पहलू". Oriental Renaissance: Innovative, educational, natural and social sciences 4, № 22 (2024): 70–71. https://doi.org/10.5281/zenodo.13765091.

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उन्हें मास मीडिया इसलिए कहा जाता क्योंकि वे एक साथ बहुत बड़ी संख्या में दर्शकों, श्रोताओं एवं पाठकों तक पहुँचते हैं। उन्हें कभी-कभी जनसंचार (मास कम्युनिकेशन) के साधन भी कहा जाता है। आपकी पीढ़ी के बहुत से लोगों के लिए जनसंपर्क के किसी माध्यम से विहीन दुनिया की कल्पना करना भी संभवत: कठिन होगा।डेटा की तरह मीडिया भीलैटिन से सीधे उधार लिए गए शब्द का बहुवचन रूपहै। एकवचन, माध्यम, ने शुरू में "एक हस्तक्षेप करने वाली एजेंसी, साधन या साधन" का अर्थ विकसित किया और इसे पहली बार दो शताब्दियों पहले समाचार पत्रों पर लागू किया गया था।
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Sharma, Har Sahai. "Social Media: An Effective Weapon for the Youth Generation." RESEARCH REVIEW International Journal of Multidisciplinary 9, no. 11 (2024): 110–13. https://doi.org/10.31305/rrijm.2024.v09.n11.016.

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Social media has impacted the lives of the youth in various ways. It has emerged as an effective weapon that not only strengthens social relationships but also provides a platform for the exchange of information, education, and professional networking. Young people now use social media to voice their opinions globally, which is bringing significant changes to their personal and professional lives. Through it, they share their ideologies, creativity, and thoughts on social issues. However, there are some negative aspects, such as the impact on mental health and time wastage. This research discu
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Ram Chandra. "Analysis of the Representation of News Related to Dalit/Tribal Women in Mainstream Journalism: Special Reference - Electronic Media (Aaj Tak, India TV, Zee News, Republic Bharat)." Revista Review Index Journal of Multidisciplinary 5, no. 1 (2025): 59–67. https://doi.org/10.31305/rrijm2025.v05.n01.008.

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In the mainstream of Indian society, Dalit women remain marginalized. The major reasons for this include the deeply entrenched mindsets of patriarchy, Manusmriti-based social order (Manuvad), and Brahminism. Today, the mainstream media, often referred to as the fourth pillar of democracy, also fails to adequately cover cases of exploitation and rape of Dalit women. For example, in the Hathras incident, upper-caste men brutally sexually assaulted a Dalit woman. The media's delayed coverage of the incident — almost two weeks later — and its apparent bias towards defending the accused indicate a
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Shweta, Singh. "स्वतंत्र भारत में यौन उत्पीड़न और महिला सशक्तिकरण समस्या और समाधान". Anuganga Journal Of Multidisciplinary Research 2, № 1 (2025): 1 to 4. https://doi.org/10.5281/zenodo.14744937.

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हमें उम्मीद है कि इस लेख के माध्यम से हम समाज की गंभीर समस्या के कारणों पर विस्तृत प्रकाश डालकर, इसके मूल में जाने और इस समस्या के साथ-साथ इसके समाधान पर गहन चर्चा कर सकें। हम यह समझने का प्रयास करें कि समाज में जागरूकता फैलाने के लिए क्या-क्या उपाय किए जा सकते हैं। साहित्य, प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और सोशल मीडिया को इस समस्या के खिलाफ मजबूत आवाज उठाने के लिए कैसे उपयोग किया जा सकता है। हमें आशा है कि इस समस्या के समाधान के लिए प्रभावी सुझाव सामने आएंगे।&nbsp;कानूनी प्रयास अपराध होने के बाद के उपचार जैसे हैं। हमें इस प्रकार की समस्या को रोकने के लिए कदम उठाने होंगे ताकि यह समस्या पैद
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वर्मा, डॉ अनीता. "सोशल मीडिया और नैतिकता पर एक अध्ययन". SDES-International Journal of Interdisciplinary Research 3, № 3 (2022): 429–32. http://dx.doi.org/10.47997/sdes-ijir/3.3.2022.429-432.

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मालविका, एस. कांडपाल, та लीला. "जनपद देहरादून के उच्च माध्यमिक स्तर के शासकीय विद्यालय में अध्ययनरत् किशोर विद्यार्थियों की आध्यात्मिक बुद्धि पर इंटरनेट की प्रभाविता का अध्ययन". Recent Educational & Psychological Researches (ISSN: 2278-5949) 12, № 01 (Jan.-Feb.Mar.) (2023): 65–68. https://doi.org/10.5281/zenodo.7932265.

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Streszczenie:
तकनीकी का मानव जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा है। मनुष्य तकनीक द्वारा प्रगति के शिखर तक पहुंचने में कामयाब रहा है तथा तकनीकी या इंटरनेट वर्तमान समय में मानव जीवन का एक अहम हिस्सा है जहां एक और तकनीकी इंटरनेट मानव जीवन को प्रगति के पथ पर निरंतर मददगार रहा है वहीं इसके नकारात्मक प्रभाव भी देखे गए हैं क्योंकि अत्यधिक इंटरनेट का प्रयोग मनुष्य की हर अवस्था को प्रभावित करता है। बालकों की मानसिक स्थिति हो चाहे या सामाजिक या आध्यात्मिक यह सभी पहलू प्रभावित हुए हैं क्योंकि किशोर अपना ज्यादा समय सोशल मीडिया व टेक्नोलॉजी के बीच व्यतीत कर रहा है किशोर अपने भावनाओं को स्पष्ट करने में असमर्थ महसूस कर रहा है क्यों
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कुमारी, नेहा. "भारतीय मीडिया में नारियों की दशा एवं दिशा". International Journal of Advanced Academic Studies 1, № 2 (2019): 33–34. http://dx.doi.org/10.33545/27068919.2019.v1.i2a.20.

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सिंह, आदर्श कुमार. "कोविड 19 के दौरान डिजिटल मीडिया की भूमिका". Sahitya Samhita 10, № 2 (2024): 1–15. https://doi.org/10.5281/zenodo.10884779.

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<em>कोविड-19 - दुनिया ने कभी भी ऐसे स्वास्थ्य संकट का सामना नहीं किया है जो महाद्वीपों में इतनी तेजी से बढ़ा है, जिसने जटिल स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों को प्रभावित किया है और पूरी अर्थव्यवस्था को रोक दिया है। प्रौद्योगिकी, चिकित्सा और वैश्वीकरण और जागरूकता अभियानों में प्रगति के बावजूद, जिस तरह से सरकारें महामारियों से निपटती हैं, वह इस बारे में सोचे बिना अक्षम रहती है कि जनता बड़े पैमाने पर उन पर कैसे प्रतिक्रिया करती है। इस प्रकार, इस कठिन समय में डिजिटल संचार के सबसे कुशल उपयोग को निर्धारित करने का समय आ गया है।</em>
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Dr., Jorawar Singh Ranawat. "सोशल मीडिया पर हेट स्पीच: प्रवृत्ति एवं निवृत्ति". SANGAM International Journal of Multidisciplinary Research 1, № 2 (2024): 11–23. https://doi.org/10.5281/zenodo.10939405.

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मनुष्य के जीवन में संचार का अत्यधिक महत्त्व है। संचार से ही मनुष्य स्वयं को अभिव्यक्त करता है और इस से ही मनुष्य के व्यक्तित्व का सम्पूर्ण विकास भी होता है। इसी वजह से भारतीय संविधान में मूल अधिकारों में भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को समाहित किया गया है। संचार माध्यमों के विकास के साथ मनुष्य का जीवन और संचार और भी आसान हो गया है तथा इससे मनुष्य सम्पूर्ण विश्व से बहुत ही आसानी से संवाद स्थापित कर पा रहा है। परन्तु संचार माध्यमों के विकास के साथ कुछ दुर्गुण भी विकसित हो रहे हैं जिनमें से एक सोशल मीडिया पर घृणापूर्ण भाषण है।&nbsp; &nbsp; प्रस्तुत शोध आलेख के माध्यम से वर्तमान के इस गंभीर वि
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Patel, Manoj, та Shivendra Mishra. "वेब सीरीज विषयवस्तु व मध्य प्रदेश के दर्शकों की बदलती जीवनशैली एक विश्लेषणात्मक अध्ययन". ShodhKosh: Journal of Visual and Performing Arts 3, № 2 (2022): 287–301. http://dx.doi.org/10.29121/shodhkosh.v3.i2.2022.183.

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वर्तमान में डिजिटल मीडिया मनोरंजन के प्रभावशाली माध्यम में से एक है और इसीलिए उपयोगकर्ताओं पर इसके प्रभाव की संभावना भी अधिक रहती है । इन्टरनेट की सहज उपलब्धता एवं सस्ते स्मार्ट मोबाइल फ़ोन के बाज़ार से दर्शकों में ऑनलाइन मीडिया के सभी माध्यमों जैसे सोशल मीडिया, इत्यादि का उपयोग लगातार बढ़ता जा रहा है । डिजिटल माध्यम उपयोगकर्ताओं को कई मुद्दों पर चुनाव करने और अलग-अलग निर्णय लेने के लिए प्रोत्साहित करता है, और डिजिटल माध्यम उनके जीवन शैली में बदलाव करने की भी क्षमता रखता है, प्रोद्योगिकी के विकास के साथ ही डिजिटल माध्यम में एक महत्वपूर्ण बदलाव हुआ है जिसमें एक “वेब सीरीज” का महत्वपूर्ण स्थान है ।
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Gopikishan. "दैनिक पत्र एवं साहित्यिक पत्रिकाओं में हिन्दी". RECENT RESEARCHES IN SOCIAL SCIENCES & HUMANITIES (ISSN 2348–3318) 9, № 3 (2022): 56–59. https://doi.org/10.5281/zenodo.7362789.

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विचारों से परिमार्जन, परिवर्तन एवं परिवर्द्धन होता रहता हैं। यह सब भाषा का ही परिणाम हैं। आज से लगभग 197 वर्ष पूर्व अर्थात् 1802 में, जबकि अंग्रेजी शासन का सितारा बुलंदी पर था, तत्कालीन गर्वनर जनरल लाॅर्ड वेलेजली ने यह कहा था कि भारत की राष्ट्रभाषा हिन्दी अथवा हिन्दुस्तानी होनी चाहिए। सन् 1803 में गवर्नर जनरल ने एक कानून बनाकर यह आवष्यक कर दिया था कि हिन्दी भाषी क्षेत्रों में लागू होने वाले कानूनों के हिन्दी अनुवाद सरकारी तौर पर उपलब्ध किए जाएँ। 1852 से आगरा प्राॅंत का सरकारी गजट हिंदी में प्रकाषित होने लगा था। इसके अतिरिक्त 3 जुलाई, 1805 को लाॅर्ड लेक ने मथुरा और ब्रज क्षेत्र में गोवध निषेध क
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Rani, Seema, Shivani Sharma, and Rajesh Kr Sharma. "Literacy and Media Impact of Biopic in Hindi Cinema – Medium of Public Opinion." RESEARCH REVIEW International Journal of Multidisciplinary 8, no. 10 (2023): 137–40. http://dx.doi.org/10.31305/rrijm.2023.v08.n10.015.

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In this research paper, I have described the topic “Literacy and Media Effects of Biopic in Hindi Cinema: Medium of Public Thought” as much as possible. The literacy and media influence of biopic in Hindi cinema is important from the social and cultural point of view. Biopic films present the life stories of individuals of personal and social importance on screen, allowing people to understand their struggles, successes and perspective. These films inspire the audience with a prime view of the lives and contributions of individuals who have brought about amazing changes in the society. The inf
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हेतलबेन देसाई та डो. तुलसीराम. "शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में छात्रों के शैक्षणिक और सामाजिक जीवन पर मोबाइल फोन के उपयोग का प्रभाव". International Journal of Scientific Research in Humanities and Social Sciences 2, № 4 (2025): 89–102. https://doi.org/10.32628/ijsrhss25254.

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यह अध्ययन शहरी और ग्रामीण छात्रों की तुलना करते हुए छात्रों के शैक्षणिक प्रदर्शन और सामाजिक कल्याण पर मोबाइल फोन के उपयोग के प्रभाव की पड़ताल करता है। शोध इस बात पर प्रकाश डालता है कि मोबाइल प्रौद्योगिकी तक पहुँच सीखने के अवसरों को कैसे प्रभावित करती है, शहरी छात्रों को विविध शैक्षिक सामग्री और बेहतर कनेक्टिविटी का लाभ मिलता है, जबकि ग्रामीण छात्रों को उच्च गति के इंटरनेट और मोबाइल संसाधनों तक सीमित पहुँच के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। जहाँ मोबाइल फोन शहरी क्षेत्रों में सामाजिक संपर्क को सुविधाजनक बनाते हैं, वहीं वे विशेष रूप से सोशल मीडिया के संपर्क के कारण चिंता और अवसाद जैसी मानसिक
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कुमारी, नेहा. "21वीं सदी के मीडिया में हिन्दी का बदलता स्वरूप". International Journal of Advanced Academic Studies 1, № 1 (2019): 43–45. http://dx.doi.org/10.33545/27068919.2019.v1.i1a.17.

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डॉ.रामदास, नारायण तोंडे. "शाश्वत विकास पर मँड़राता खतरा: मास मीडिया और वैश्वीकरण". International Journal of Advance and Applied Research 4, № 5 (2023): 234–36. https://doi.org/10.5281/zenodo.7740862.

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आज हमारा देश गंभीर आर्थिक, सांस्कृतिक तथा भाषा के संकट से गुजर रहा है। यह संकट अलग नही है बल्कि एक ही व्यापक संकट के अलग-अलग अंग है। वह संकट कौन-सा है ? वह संकट है साम्राज्यवाद की उदारीकरण नीति, खुली अर्थव्यवस्था तथा वैश्वीकरण की जहरीली नीति । साम्राज्यवाद पूँजीवाद का ही एक विकरालतम रूप है । उसे पूँजीवाद का अंतिम चरण भी माना जा सकता है। पिछले तीन दशकों में यह रूप अपनी पूरी भयावहता के साथ दुनिया के बड़े भाग पर छा गया है। हमारा देश भी पूरी तरह इसकी छाया आ चुका है। इसके विस्तार में मास मीडिया की अत्यंत महत्त्वपूर्ण भूमिका रही हैं। पूँजीवादी संस्कृति के वाहक तथा विस्तारक जनमाध्यम होते हैं। इसी कार
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Solanki, Husan Singh. "पत्रकारिता में स्त्री विमर्शः मुख्यधारा मीडिया और महिला आवाज़". Naveen Shodh Sansar 1, № 50 (2025): 124–26. https://doi.org/10.63574/nss.9155.

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Janak, Nandini. "सामाजिक सशक्तिकरण में इंटरनेट एवं सोशल मीडिया का योगदान". Academic 3, № 3 (2025): 1535–49. https://doi.org/10.5281/zenodo.15225445.

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नीलम, संजीव एक्का. "सोशल मीडिया: किशोरों एवं युवाओं पर नियंत्रण का सामाजिक अभिकरण". International Journal of Contemporary Research in Multidisciplinary 3, № 5 (2024): 240–41. https://doi.org/10.5281/zenodo.15065338.

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मनुष्य<strong> </strong>मूलत:एक सामाजिक प्राणी है इसलिए वह स्वाभाविक रूप से समाज में रहना पसंद करता और रहता है<strong> </strong>I संसार में मानव ने अनेक सृजन किए हैं जिनमें समाज सबसे महत्वपूर्ण मानव निर्मित तथ्य है<strong> </strong>I मानव समाज अपने सदस्यों के व्यवहारों को नियंत्रित करने अर्थात समाज स्वीकृत तौर तरीकों के अनुरूप ही सदस्यों की गतिविधियां या व्यवहार हों,इस उद्देश्य से समाज अपनी &nbsp;विभिन्न अभिकरणों,संस्थाओं के माध्यम से लोगों के व्यवहारों,गतिविधियों को निरंतर नियंत्रित करने का प्रयास करता है<strong> </strong>I पिछले दशक से सोशल मीडिया &nbsp;में लोगों की सहभागिता<strong> </strong
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सिद्दीकी, शाहेदा बानो. "सोशल मीडिया और भारत में डिजिटल सक्रियता : एक समाजशास्त्रीय अध्ययन". International Journal of Classified Research Techniques & Advances 5, № 1 (2025): 49–54. https://doi.org/10.5281/zenodo.15476084.

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यह शोध पत्र भारत में डिजिटल सक्रियता की प्रवृत्तियों का समाजशास्त्रीय विश्लेषण प्रस्तुत करता है और यह जानने का प्रयास करता है कि कैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स ने जनसंगठनों के स्वरूप, संगठन और संदेश प्रसार की विधियों को बदला है। साथ ही यह भी समझा जाएगा कि डिजिटल सक्रियता ने सामाजिक परिवर्तन में किस हद तक योगदान दिया है।
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रानी, अनीता. "वैश्विक परिदृश्य में हिन्दी भाषा एवं मीडिया का अंतः संबंध". SCHOLARLY RESEARCH JOURNAL FOR HUMANITY SCIENCE AND ENGLISH LANGUAGE 9, № 47 (2021): 11563–66. http://dx.doi.org/10.21922/srjhsel.v9i47.7697.

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14 सितम्बर 1949 को संविधान में हिन्दी को राजभाषा का दर्जा मिला। साहित्य, फिल्म, कला, संस्कृति, संचार, बाजार, शिक्षण इत्यादि सभी क्षेत्रो में हिन्दी ने अपनी महता कायम की है। यह भारत के करोड़ों लोगों द्वारा बोली व समझी जाती है। हिन्दी भारत की आत्मा है। आधुनिकीकरण और वैश्वीकरण के युग में हिन्दी का महत्त्व बढ़ा है। भारत के स्वतन्त्रता संग्राम तथा भारत के पुनर्जागरण में हिन्दी को सांस्कृतिक एकता की कड़ी माना जाता है, वर्तमान समय में भी हिन्दी पूरे विश्व के देशों में एक सांस्कृतिक कड़ी बनने का काम कर रही है। विश्व के कई छोटे, बड़े देशों में प्रवासी भारतीयों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। दुनियां के अने
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