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यादव, अंजली, та एस एल गजपाल. "विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा मे शिक्षा की समस्या का एक अध्ययन: छत्तीसगढ़ राज्य के कबीरधाम जिले के विशेष सदंर्भ में". Journal of Ravishankar University (PART-A) 25, № 1 (2021): 10–14. http://dx.doi.org/10.52228/jrua.2019-25-1-2.

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प्रस्तूत शोध अध्ययन छत्तीसगढ़ राज्य के विषेष पिछड़ी जनजाति बैगा मे शिक्षा की समस्या पर आधारित है। अध्ययन कबीरधाम जिले के बोड़ला विकासखण्ड़ के 7 बैगा बाहुल्य ग्रामो पर केन्द्रित है। अध्ययन मे दैव निर्दषन के माध्यम से चयनित 277 बैगा परिवारो मे षिक्षा की समस्या को ज्ञात करने का प्रयास किया गया है। अध्ययन मे तथ्यो का संकलन हेतू साक्षात्कार अनुसूची उपकरण तथा मुख्य रूप से केन्दिªत साक्षात्कार तथा समूह साक्षात्कार प्रविधि के माध्यम से किया गया है। षोध अध्ययन से प्राप्त तथ्य यह दर्षाता है कि केन्द्र व राज्य सरकार के तमाम प्रयत्नों के बाद भी बैगा जनजाति मे शिक्षा की स्थिति चिंताजनक है । अध्ययन क्षेत्र मे ष
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डॉ., प्रीति शर्मा, та कुमार कामले मुकेश. "बैगा जनजाति महिलाओं का सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण (कबीरधाम जिले के बोड़ला ब्लॉक के अंतर्गत घुरसीपकरी ग्राम के विशेष संदर्भ में)". INTERNATIONAL EDUCATION AND RESEARCH JOURNAL - IERJ 11, № 2 (2025): 67–69. https://doi.org/10.5281/zenodo.15583714.

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प्रस्तुत शोध पत्र में शोधार्थी द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य के कबीरधाम जिले के बोड़ला जनपद पंचायत के अंतर्गत घुरसीपकरी ग्राम में निवासरत विशेष पिछड़ी जनजाति&nbsp;<strong>बैगाओं</strong>&nbsp;का सर्वेक्षण पद्धति से वैज्ञानिक अध्ययन कर उक्त गांव के&nbsp;<strong>बैगा</strong> महिलाओं के जीवन में पिछले 10 -15 वर्षों में हुऐे सामाजिक -आर्थिक बदलाव को जानने का प्रयास किया गया है । शोधार्थी द्वारा अपने अध्ययन के उद्वेष्य की पूर्ति हेतु अध्ययन प्रविधि के रूप में अवलोकन एव साक्षात्कार का प्रयोग कर साक्षात्कार अनुसूची को उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया है ।
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पौडेल, शिवराज. "सङ्गीतमा नादानुसन्धान". Journal of Fine Arts Campus 4, № 1 (2022): 37–45. http://dx.doi.org/10.3126/jfac.v4i1.51760.

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नादलाई साक्षात् ब्रह्मस्वरूप मानेको हुनाले सम्पूर्ण जगत नै नादको अधीनमा रहेको मानिन्छ । यहि नादको साधना वा माध्यमले ब्रह्म प्राप्ति अथवा अभिष्ट लक्ष्यको साक्षात्कार गर्नको लागि गरिने खोजलाई नादानुसन्धान भनिएको छ । सङ्गीतमा प्रयोग हुने ध्वनिलाई पनि नाद भनिएको छ । त्यसैले सङ्गीत सृजनाको आधार पनि नाद नै रहेको मान्न सकिन्छ । आहत र अनाहत गरी २ नादमा ब्रह्म साक्षात्कार गराउने नाद र लौकिक ख्याति प्राप्ति गराउने नादको उत्पत्ति, भेद, स्वरूप, लक्षण र महत्व लगायतका विषयमा स्पष्टता हासिल गर्नु नै यस अध्ययनको उद्देश्य रहेको छ । यसका लागि सङ्गीत एवं वैदिक वाङ्मयमा दिइएका तथ्य र प्रमाणहरूका आधारमा गुणात्मक व
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उपाध्याय, गोविन्दशरण. "वैदिक दर्शनमा आनन्द (सुख) को स्वरूप(Form of Ananda (happiness) in Vedic philosophy)". NUTA Journal 9, № 1-2 (2022): 133–38. http://dx.doi.org/10.3126/nutaj.v9i1-2.53854.

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सुख, खुसी तथा आनन्द – यी प्रचलित शब्द हुन् , सुखले भौतिक शरीरको, खुसीले मनको र आनन्दले आत्माका गुणहरूको प्रतिनिधित्व गर्छन् ः यो वैदिक बुझाइ हो । साधारण रूपमा सुन्दा र प्रयोग गर्दा पर्यायवाचीजस्ता प्रतीत भए पनि वैदिक ऋषिमुनि र आचार्यहरूले उपर्युक्त तिनै विषयवस्तुहरूलाई फरकफरक रूपमा साक्षात्कार गरेका छन् र साक्षात्कारका विधिहरू समेतको विशद चर्चापरिचर्चा गरेका छन् । उपनिषद्हरूले जीवनको प्राथमिक लक्ष्य सुखप्राप्ति, दोस्रो लक्ष्य सुख (रस) प्राप्ति र अन्तिम लक्ष्य नै आनन्द–प्राप्तिको बाटो तोकेका छन् । यो लक्ष्यलाई कसैले आनन्द, कसैले पूर्णता, कसैले मोक्ष, कसैले, मुक्ति, कसैले परमज्ञान, कसैले निर्वाण
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M', Hkqous'k dqekj. "विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा सेल फोन के माध्यम से ई-कॉमर्स के उपयोग पर: एक अध्ययन". International Journal of Advance and Applied Research 10, № 4 (2023): 462–67. https://doi.org/10.5281/zenodo.8052104.

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&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp; मोबाइल एप्लिकेशन में ई-कॉमर्स के उपयोग पैटर्न का पता लगाने के लिए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्रों के बीच एक अध्ययन किया गया था।&nbsp; अध्ययन के लिए डिज़ाइन किए गए अर्द्ध संरचित साक्षात्कार कार्यक्रम के साथ कुल 120 छात्रों का व्यक्तिगत रूप से साक्षात्कार किया गया।&nbsp; अध्ययन से पता चला कि अधिकांश उत्तरदाताओं (85%) ने एंड्रॉइड आधारित फोन को प्राथमिकता दी, जिसमें सेल फोन के माध्यम से ई-कॉमर्स ऐप्प के उपयोग का मुख्य उद्देश्य सेल फोन (78.3%) को रिचार्ज करने, टिकट
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सरिता, बोबड ़े. "बरली ग्रामीण महिला विकास संस्थान का पर्या वरण संरक्षण म ें योगदान का अध्ययन". International Journal of Research - GRANTHAALAYAH 3, № 9 (Special Edition) (2017): 1–3. https://doi.org/10.5281/zenodo.883022.

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मन ुष्य का जीवन पर्यावरण से प्रभावित होता ह ै। स्वस्थ एव ं स्वच्छ पर्यावरण मानव जीवन का आधार हैं । इसीलिए पर्यावरण का संरक्षण प ्रत्येक नागरिक का कत्र्त व्य ह ै। प्रस्त ुत एकल अध्ययन म ें एक समाजसेवी स ंस्था द्वारा अपन े महिला प्रषिक्षणार्थियों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक कर समाज में कार्य करन े के लिए प्रेरित किया जाता हैं। सौर ऊर्जा उपकरणों का निर्मा ण कर उनका घर ेलू एव ं व्यावसायिक उपयोग करना , जैविक खेती करना, एव ं पर्या वरण प ्रद ूषण का स्वाथ्य पर पडन े वाले प्रभावों से परिचित करवाकर पर्यावरण संरक्षण के प्रति संरक्षणात्मक प ्रवृति का विकास कराया जाता हैं। इस अध्ययन में उपकरण के रू
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Anjali, Prasad. "वर्तमान परिदृश्य में लैंगिक समानता एक समाजशास्त्रीय विश्लेषण". Recent Researches in Social Sciences & Humanities (ISSN: 2348 – 3318) 6, № 5 (Special Issue) (2019): 19–26. https://doi.org/10.5281/zenodo.6586118.

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भारत एक धर्म प्राण देश है जिसमें पुरुष प्रधान समाज व्यवस्था के कारण पितृसत्तात्मक व्यवस्था विद्यमान रही है और पुरुष प्रधान समाज होने के कारण सभी नियम रीति रिवाज कायदे कानून व्यवहार की विधियां आदि पुरुषों के हितों को ध्यान में रखकर बनाए जाते हैं कन्याओं का उम्र में ही विवाह कर देना और शिक्षा के मार्ग में उनके घरेलू कार्यों की उत्तरदायित्व की भावना डाल देना उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए घातक साबित होता है कम उम्र में ही विवाह हो जाने के उपरांत गर्भ धारण कर लेना और उसके उपरांत उसके स्वास्थ्य के प्रति अनभिज्ञता का प्रदर्शन हो, सहन करना पड़ता हैI महिलाओं की सुरक्षा, शिक्षा, आर्थिक सशक्तिक
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अनुष्टुप, चंसौलिया. "रघुवीर सहाय के काव्य में संवेदना की प्रासंगिकता". International Educational Applied Research Journal 09, № 05 (2025): 1–8. https://doi.org/10.5281/zenodo.15384097.

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मूल-संवेदना ही कविता की आत्मा होती है। यह उन व्यक्तिगत या समष्टिगत अनुभूतियों की अभिव्यक्ति है, जिन्हें आज के कवि महसूस करते हैं। इसका संबंध जीवन की उन यथार्थ स्थितियों से है जिनके भीतर साधारण से साधारण मनुष्य भी साँस लेता और उससे उत्पन्न समस्याओं का साक्षात्कार ही नहीं करता बल्कि उनसे जूझने के लिए विवश भी है। संवेदना का शाब्दिक अर्थ है हृदयानुभूति । अर्थात आंतरिक भाव को महसूस करना। इसी तरह मूल- संवेदना अर्थात संवेदना की गहराई को समझना उसे महसूस करते हुए अपने विचारों की अभिव्यक्ति देना । सभी कवि संवेदनशील होते हैं तभी तो वे उनकी गहराई को जानकर अपने शब्दों की अभिव्यक्ति देते हैं। उन्होंने अपने
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डा., योगेश कुमार गुप्ता. "भारत में टेलीविजन समाचार चैनलों की प्रभावशीलता (चयनित चैनलों का तुलनात्मक अध्ययन)". International Journal of Research - Granthaalayah 5, № 7 (2017): 79–91. https://doi.org/10.5281/zenodo.827210.

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भारत में आज भी समाचार चैनलों की जनता मंे विश्वसनीयता बनी हुई है। इस शोध के माध्यम से समाचार चैनलों के प्रस्तुतिकरण के अंदाज का पता चलता है। समाचार चैनलों के बीच चल रही घमासान प्रतिस्पर्धा में सबसे आगे कौनसा समाचार चैनल है, का भी पता किया गया है। यह शोध टेलीविजन मीडिया से संबंधित पहलुओं की अज्ञानता के निवारण में प्रभावी भूमिका निभा सकता है। आज टेलीविजन ही संचार का सबसे प्रभावी माध्यम है। टेलीविजन मीडिया लोगों को न्याय दिलाने में, विभिन्न अनछुए पहलुओं से पर्दा हटाने में सहायक सिद्ध हो सकता है। वहीं इस शोध की कुछ सीमाएं भी रही हैं जैसे- इस शोध में केवल जयपुर शहर को ही अध्ययन के लिए चुना गया है। ज
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श्रीवास्तव, वन्दना देवी. "कुसमायोजित वित्तविहीन माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों की समस्याएँ: कारण एवं निराकरण का एक अध्ययन". Humanities and Development 17, № 1 (2022): 109–12. http://dx.doi.org/10.61410/had.v17i1.55.

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वित्तविहीन माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों के समायोजन की समस्या का अध्ययन करने के लिए जनपद प्रतापगढ़ को लिया गया था। जनपद से मात्र 300 वित्तविहीन माध्यमिक शिक्षकों जिनमें 50% पुरूष तथा 50% महिला शिक्षिकाओं का चयन यादृच्छिक न्यादर्श प्रविधि द्वारा किया गया था। स्वनिर्मित साक्षात्कार सूची से आंकड़ों का संकलन किया और प्रतिशत मात्रा के आधार पर कुल समायोजन समस्या के 10 कारण पहचाने गए। उक्त कारण वेतन विसंगति, भौतिक सुविधाओं की कमी, कार्य के प्रति असन्तोष, हीन भावना, अभिभावकों का हस्तक्षेप, प्रशासनिक हस्तक्षेप, गृह कलह, सम्मान का अभाव, संसाधनों का अभाव, सरकारी तन्त्र की भेदभाव पूर्ण नीति थे।
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त्रिष्टुप, चंसौलिया. "शमशेर बहादुर सिंह के काव्य मे लोकोत्तर युगबोध का सामाजिक प्रभाव". International Educational Applied Research Journal 09, № 05 (2025): 18–26. https://doi.org/10.5281/zenodo.15384170.

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शमशेर बहादुर सिंह विशुद्ध सौन्दर्य के कवि हैं। शमशेर की कविताओं को किसी खास तरह की प्रवृत्तियों में बांधकर नहीं देखा जा सकता। उनकी कविता के भीतर कई प्रकार के स्वर हैं। वह शिल्प और शैली की दृष्टि से भी अनूठी हैं। उनकी कविताओं में सामाजिक चिंता के स्वर भी बहुत गहरे हैं। मानवद्रोही समाज को बदलने की तीव्र आकांक्षा भी उसमें उपस्थित है। महावीर अग्रवाल को दिए एक साक्षात्कार में उनका कहना है कि "सच्ची कविता हमारी भावनाओं का संस्कार और परिष्कार करती है। वह मानवीय संवेदना को गहरा करती है।..... कविता जीवन के सजीव संदर्भों से संयुक्त होगी। उसमें धर्म, राजनीति, दर्शन, प्रेम, क्रांति सब कुछ आ जाता है वह बदल
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ढकाल Dhakal, चूडाप्रसाद Chuda Prasad. "समकालीन सामाजिक विज्ञान अनुसन्धान विधिहरू : महत्त्व र अभ्यास". Samaj Anweshan समाज अन्वेषण 2, № 2 (2025): 161–70. https://doi.org/10.3126/anweshan.v2i2.74230.

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समकालीन सामाजिक विज्ञान अनुसन्धान विधिहरूले समाजका जटिल समस्याहरूको अध्ययन र समाधानमा महत्त्वपूर्ण भूमिका खेल्छन् । यो लेख समकालीन सामाजिक विज्ञान अनुसन्धान विधिहरूको अन्वेषण र व्याख्या गर्दै विभिन्न विधिहरूको मह महत्त्व र तिनको व्यावहारिक प्रयोगहरूको विश्लेषण गर्छ । लेखमा सर्वेक्षण, साक्षात्कार, एथ्नोग्राफी, केस स्टडी र सामग्री विश्लेषणजस्ता विधिहरूको विस्तृत विवरण प्रस्तुत गरिएको छ । साथै लेखमा नैतिक मुद्दाहरूको चर्चा, अनुसन्धानका सीमाहरू र भविष्यमा सम्भावित दिशाहरूको पनि विश्लेषण गरिएको छ । ऐतिहासिक पृष्ठभूमि र विकास, समकालीन विधिहरूको प्रयोग र तिनको महत्त्व उजागर गर्दै यस लेखले सामाजिक विज
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कान्छी महर्जन. "चेतना’ एकाङ्कीमा प्रयुक्त लोकविश्वास". Interdisciplinary Journal of Management and Social Sciences 4, № 1 (2023): 89–95. http://dx.doi.org/10.3126/ijmss.v4i1.54106.

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प्रस्तुत लेखमा जयन्ती ‘स्पन्दन’द्वारा लिखित ‘चेतना’ शीर्षकको एकाङ्कीलाई लोकविश्वास दृष्टिले विश्लेषण गरिएको छ । यस अध्ययनमा लोकविश्वासलाई अध्ययनको एउटा महत्वपूर्ण आधारका रूपमा लिइएको छ । लोकविश्वास लोकजीवनसँग जोडिएको हुन्छ । अझ भनौँ लोकविश्वास नै लोकजीवनको मियो हो । यो शब्द ‘शकुन’सँग सम्बन्धित भएकाले प्राचीन समयमा लोकविश्वासलाई शकुन पनि भनिन्थ्यो । ‘शकुन’ शब्दले लोकले विश्वास गर्ने शुभाशुभ सन्दर्भलाई सङ्केत गर्दछ तथापि सबै लोकविश्वास सकारात्मक अर्थका मात्र देखिँदैनन् । कतिपय नकारात्मक प्रकृतिका लोकविश्वास लोकजीवनमा रहेका छन् । यस्तै मानव शरीर, खाना, मानवेतर शरीर, यात्रा, व्यवहार, सपना, आदिसँग
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विश्वकर्मा, रामकिशोर. "उच्च शिक्षा में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की लड़कियों की शैक्षणिक उपलब्धि का तुलनात्मक अध्ययन". Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education 22, № 2 (2025): 111–17. https://doi.org/10.29070/nt66ma68.

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यह अध्ययन उच्च शिक्षा में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की लड़कियों की शैक्षणिक उपलब्धियों का तुलनात्मक विश्लेषण प्रस्तुत करता है। अध्ययन का मुख्य उद्देश्य दोनों वर्गों की छात्राओं के शैक्षणिक प्रदर्शन, सामाजिक-आर्थिक स्थिति और संसाधनों की उपलब्धता में अंतर को समझना है। शोध के लिए सागर (मध्यप्रदेश) क्षेत्र को चुना गया और प्रतिभागियों के रूप में डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर (मध्यप्रदेश) की 150 छात्राओं (75 अनुसूचित जाति एवं 75 अनुसूचित जनजाति) का चयन किया गया। डेटा संग्रहण के लिए प्रश्नावली, साक्षात्कार और दस्तावेज विश्लेषण का उपयोग किया गया। परिणामों से यह ज्ञात हुआ कि अनुसूचित जाति
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Upadhya, Jyoti. "Comparative Status of Women in Vedic Civilization and Buddhism वैदिक सभ्यता र बौद्ध धर्ममा नारीहरूको तुलनात्मक स्थिति". Historical Journal 13, № 1 (2022): 72–82. http://dx.doi.org/10.3126/hj.v13i1.46227.

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सिद्धार्थ गौतमले बोधिज्ञान प्राप्त गरेपछि शाक्यमुनी बुद्ध बनेर विभिन्न मार्ग विकसित गर्ने क्रममा बढ्दासम्म पनि नारीलाई धर्म देशना गर्ने मार्ग खोलेका थिएनन् । ज्ञान प्राप्ति मार्गमा रहँदा भोकै बसेर मृत्युको मुखमा पुग्ने अवस्था हुँदा पनि सफलता नपाएपछि सुजाता नामक कन्याले दिएको पायस ग्रहण गरेर उरुबेलास्थित पिपल वृक्षमुनी बसेर थालेको ध्यान क्रममा आर्य सत्यहरूको साक्षात्कार सम्भव भएर शाक्यमुनी बुद्ध बनेपछि नारीप्रतिको धारणामा क्रमिक परिवर्तन हुँगै गएको थियो । त्यसपछि विस्तारै बौद्ध संघमा स्थान पाउन थालेका भिक्षुणीहरूले पनि आफ्ना संघ बनाएर मानसिक शान्ति एवं बौद्धिक विकासका मानक बनेर भूमिका निर्वाह ग
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मनोज, कुमार साहू. "छत्तीसगढ़ रेशम उद्योग की चुनौतियों और अवसरों के बारे में शोध पत्र". International Journal of Advance and Applied Research 4, № 13 (2023): 54–60. https://doi.org/10.5281/zenodo.7820408.

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भारत के प्रमुख रेशम उत्पादक राज्यों में से छत्तीसगढ़ एक प्रमुख राज्य है, जिनका देश के रेशम उद्योग में महत्वपूर्ण योगदान&nbsp; है। छत्तीसगढ़ रेशम उद्योग को विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जो इसके विकास और स्थिरता में बाधक हैं। साथ ही,छत्तीसगढ के इस प्राचीन उद्योग की आज के नवीन परिस्थितियों में&nbsp; अवसरों के द्वार भी प्रदर्शित होते हैं। प्रस्तुत शोध अध्ययन का उद्देश्य छत्तीसगढ़ रेशम उद्योग की चुनौतियों और अवसरों की पहचान करने और इस उद्योग की वृद्धि और विकास के उपाय सुझाना है। इस अध्ययन में मिश्रित-विधि दृष्टिकोण का उपयोग करते हुए गुणात्मक और मात्रात्मक दोनों तरीके को शामिल&nbsp; किया
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पाठक, ऋचा. "संस्कृत साहित्य (वाल्मीकि रामायण) में राम कथा का मूल्यांकन". Humanities and Development 20, № 01 (2025): 56–60. https://doi.org/10.61410/had.v20i1.230.

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भारतीय वांङमय में श्री वाल्मीकीय रामायण आदि काव्य के रूप में प्रतिष्ठित है। इस महामहनीय आदि काव्य ने भारतीय वांङमय को ही नहीं अपितु सारे संसार के वांङमय को प्रभावित किया है। भारत के विविध रामायण एवं अधिकां‛ा काव्य, नाटक, चम्पू, आख्यान, आख्यायिका आदि का उपजीव्य यह रामायण है। महर्षि वाल्मीकि जी ने अपौरुषेय वेदों, उपनिषदों तथा देवर्षि नारद जी के उपदे‛ाों से श्री राम की कथावस्तु जानकर एवं समाधिजनित ऋतम्भरा प्रज्ञा से रामायण के सम्पूर्ण चरित्रों का प्रत्यक्ष साक्षात्कार कर रामायण की रचना की। वे राम के समकालीन महर्षि थे, अतः इसमें वर्णित कथावस्तु सत्य घटना के अन्तर्गत है। इसीलिए रामायण की अद्वितीय ल
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रूपेश, कुमार. "आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी और उनकी साहित्यिक मीमांसा दृष्टि". RECENT RESEARCHES IN SOCIAL SCIENCES & HUMANITIES 11, № 3 (2024): 56–62. https://doi.org/10.5281/zenodo.13997595.

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जब कभी साहित्य की अंतर्वस्तु मानवता के विरुद्ध सर उठाती है तो साहित्य में सहज ही नकारात्मक जीवन मूल्यों का आगमन प्रारंभ हो जाता है। इस अटल सत्य से द्विवेदी जी भली-भांति परिचित थे। यह भी कारण था कि वह सदैव साहित्य में ज्ञान के संचार पर बल देते थे। आचार्य ने सरस्वती के माध्यम से नवीन पाठकों, लेखकों की एक सबल जमात ही खड़ी नहीं की बल्कि जिन्हें देश की सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक, परिस्थितियों का भली-भांति ज्ञान हो ऐसे बाबूराव विष्णुपराडकर तथा गणेशशंकर विद्यार्थी आदि प्रगतिशील विचारधारा से ओतप्रोत पत्रकारों से भी समाज का साक्षात्कार करवाया। निर्दोषपूर्णता और नियमितता की दृष्टि से यह पत्रिका सर्वो
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Bobde, Sarita. "STUDY OF CONTRIBUTION TO ENVIRONMENTAL PROTECTION OF RURAL RURAL DEVELOPMENT." International Journal of Research -GRANTHAALAYAH 3, no. 9SE (2015): 1–3. http://dx.doi.org/10.29121/granthaalayah.v3.i9se.2015.3252.

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Human life is influenced by environment. Healthy and clean environment are the basis of human life. So Pryavarncasnrkshnpratyeknagrikkaktrtwy Hakprashut Preritkiyajatahanksururgaupakrnonkanirmankrunkagrelu Avanwyavsayikupyogkrna, Pratisnrkshnatmkprvritikavicaskrayajatahankis study Pricitkrwakrpryavarnsnrkshn organic Ketikrna, Avanpryavarnpradusncaswathe Prpdnewaleprbavon to Pratijagrukkrsmajmencarykrne a Smajasevisnstha Dwaraapanemahilaprsikshnarthioncopryavarnsnrkshn single study done by Rupmenbahy inspection, Sacshatkaranusuchi, Avloknanusuchikapryogkiagyakprduttoncasnklnvisyvshubisleshnvidh
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Mishra, Niraj kumar. "MITHILA'S 'FAKDE' ENCOMPASSES VARIOUS COLORS OF LIFE." International Journal of Research -GRANTHAALAYAH 8, no. 10 (2020): 323–27. http://dx.doi.org/10.29121/granthaalayah.v8.i10.2020.1617.

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English: Loktokis are particularly associated with the social life of a particular region and the language and culture of the region. Loktokis are the treasures of empirical knowledge. The facts that humans have interviewed through the ages are published through them. These are the sources of long-felt knowledge. The main objective is to publish a largely realized wisdom in a concise form. If the ideology of a caste has flowed from centuries, it is necessary to study the ethos of that caste.&#x0D; Hindi: लोकोक्तियाँ किसी क्षेत्र विषेश के सामाजिक जीवन और वहाँ की भाषा और संस्कृति से खास तौर से ज
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देवांगन, अशोक कुमार, फलेन्द्र कुमार साहु та डॉ एल एस गजपाल. "वैश्विक महामारी कोविड-19 का प्रवासी महिला श्रमिकों के सामाजिक-आर्थिक स्थित पर प्रभाव-एक समाजशास्त्रीय अध्ययन (छत्तीसगढ़ राज्य के रायपुर जिले के विशेष संदर्भ में)". Journal of Ravishankar University (PART-A) 28, № 1 (2022): 80–92. http://dx.doi.org/10.52228/jrua.2022-28-1-10.

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Streszczenie:
विश्व अर्थतंत्र के महत्वपूर्ण इकाई होने के बाद भी श्रमिकों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति बहुत खराब है। खासकर श्रम-प्रवास में प्रवासी महिला श्रमिकों के लिए यह स्थिति बेहद दयनीय है। विकासशील देश भारत में प्रवासी श्रमिकों के संबंध में विभिन्न समस्याएं एवं संकट मौजूद हैं। अनेक शोध अध्ययन यह दर्शाते है कि श्रम प्रवास में महिलाओं की स्थिति सकारात्मक कम बल्कि नकारात्मक अधिक परिणीत हुए हैं। विशेषकर वैश्विक महामारी कोविड-19 से प्रवासी श्रमिक महिलाएं अधिक प्रभावित हुई हैं। प्रस्तुत शोध-पत्र में छत्तीसगढ़ राज्य की राजधानी रायपुर जिले के प्रभावित 80 महिला प्रवासी श्रमिकों से अर्द्ध संरिचत साक्षात्कार अनुसूची उप
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यादव, अंजली, एस एल गजपाल та साधना खरे. "विशेष रूप से कमजोर जनजाति समूहों में शासन द्वारा संचालित विकास के काय्रक्रमो के प्रति जागरूकता: एक अध्ययन छत्तीसगढ़ राज्य के कबीरधाम जिले के विशेष संदर्भ में". Journal of Ravishankar University (PART-A) 27, № 1 (2021): 39–44. http://dx.doi.org/10.52228/jrua.2021-27-1-5.

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प्रस्तुत शोध अध्ययन छत्तीसगढ़ राज्य की विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा पर आधारित है। शोध अध्ययन कबीरधाम जिले के बोड़ला विकासखण्ड़ के 7 ग्रामांे पर केन्द्रित है। अध्ययनगत क्षेत्र के 277 परिवारो पर अध्ययन किया गया है। शोध अध्ययन मे तथ्य संकलन हेतू प्राथमिक तथ्य संकलन साक्षात्कार अनुसूची एंव अवलोकन प्रविधि के द्वारा किया गया है। अध्ययन के माध्यम से इस तथ्य को जानने का प्रयास किया गया है कि वैश्विक परिदृश्य में आदिम जनजाति बैगा समूहों में शासन द्वारा संचालित जनसंख्या गिरावट को रोकने हेतु किये गये सरकारी व गैर सरकारी प्रयासो के प्रति जागरूकता के प्रति चेतना को जानने का प्रयास किया गया है। अध्ययन सें यह ज्
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Dadhich, Reena, та Lokesh Sharma. "राजस्थानी सिनेमा समस्याएँ सम्भावनाएँ एवं समाधान". ShodhKosh: Journal of Visual and Performing Arts 5, ICETDA24 (2024): 402–9. http://dx.doi.org/10.29121/shodhkosh.v5.iicetda24.2024.1414.

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रंग बिरंगी संस्कृति, सभ्यता, पहनावा, खान-पान जैसी विशेषताओं से युक्त राजस्थान जिसका हर शहर सांस्तिक विरासत को अपने आप में समेटे हुए हैं, वो राजस्थान जिसने पर्यटन से लेकर सिनेमा सबको अपनी ओर आकर्षित किया उसने अपने क्षेत्रिय सिनेमा को अनदेखा क्यों कर दिया ये विचारणीय प्रश्न हैं। जिस भारत में हर साल सभी भाषाओं को मिलाकर 1500 से 2000 फिल्मों का उत्पादन होता हैं, उस भारत में क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़े राज्य राजस्थान में उँगलियों पर गिनी जा सके उतनी क्षेत्रीय फिल्मों का निर्माण होना एक प्रश्न है। उन कुछ फिल्मों का फायदा होना तो दूर, लागत भी न मिल पाना एक प्रश्न है। इन्ही प्रश्नों की तलाश में रा
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यादव, अंजली, та एस एल गजपाल. "विशेष रूप से कमजोर जनजाति समूहों में शासन द्वारा संचालित विकास के काय्रक्रमो के प्रति जागरूकता: एक अध्ययन छत्तीसगढ़ राज्य के कबीरधाम जिले के विशेष संदर्भ में". Journal of Ravishankar University (PART-A) 30, № 2 (2024): 75–81. http://dx.doi.org/10.52228/jrua.2024-30-2-8.

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प्रस्तुत शोध अध्ययन छत्तीसगढ़ राज्य की विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा पर आधारित है। शोध अध्ययन कबीरधाम जिले के बोड़ला विकासखण्ड़ के 7 ग्रामांे पर केन्द्रित है। अध्ययनगत क्षेत्र के 277 परिवारो पर अध्ययन किया गया है। शोध अध्ययन मे तथ्य संकलन हेतू प्राथमिक तथ्य संकलन साक्षात्कार अनुसूची एंव अवलोकन प्रविधि के द्वारा किया गया है। अध्ययन के माध्यम से इस तथ्य को जानने का प्रयास किया गया है कि वैश्विक परिदृश्य में आदिम जनजाति बैगा समूहों में शासन द्वारा संचालित जनसंख्या गिरावट को रोकने हेतु किये गये सरकारी व गैर सरकारी प्रयासो के प्रति जागरूकता के प्रति चेतना को जानने का प्रयास किया गया है। अध्ययन सें यह ज्ञात
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Kumar Gupta, Yogesh. "Effectiveness of television news channels in India (comparative study of selected channels)." International Journal of Research -GRANTHAALAYAH 5, no. 7 (2017): 79–91. http://dx.doi.org/10.29121/granthaalayah.v5.i7.2017.2109.

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Even today, news channels in India remain credible to the public. Through this research, the style of presentation of news channels is revealed. Which news channel is at the forefront of the fierce competition between news channels, has also been explored. This research can play an effective role in the prevention of ignorance of aspects related to television media. Today, television is the most effective medium of communication. Television media can help people in getting justice, removing the veil from various untouched aspects. At the same time, there have been some limitations of this rese
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सिंह, इंद्र, दीपा मेहरा रावत та चन्द्रप्रकाश फुलोरिया. "उत्तराखंड के जननायक: सोबन सिंह जीना के जीवन एवं योगदान पर आधारित भगत सिंह कोश्यारी (पूर्व राज्यपाल, महाराष्ट्र) के साक्षात्कार पर आधारित शोधपत्र". International Journal of Political Science and Governance 7, № 7 (2025): 112–14. https://doi.org/10.33545/26646021.2025.v7.i7b.595.

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Dhakal, Wenkatesh. "नेपालमा संगीत विषयका उच्च शैक्षिक जनशक्तिको वर्तमान अवस्था : एक परिचय {Current Status of Higher Educational Manpower in Music in Nepal: An Introduction}". Journal of Fine Arts Campus 3, № 1 (2021): 56–61. http://dx.doi.org/10.3126/jfac.v3i1.42523.

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नेपालमा संगीतको प्रचलन विभिन्न बंशहरूको शासन काल हुँदै प्रथम प्रजातन्त्र पछि संस्थागत हुन पुगेको हो । विद्यावारिधिकोलागि भारतकै विश्वविद्यालयहरू एक मात्र विकल्प थियो । वर्तमानमा नेपालमै संगीत विषयमा स्नातक, स्नातकोत्तर एवं विद्यावारिधिसम्मको अध्ययन अध्यापन हुन थालेको छ । त्यस समयमा मन्चमा हुने प्रदर्शनलाई नै परीक्षा मान्ने चलन थियो । संगीतमा क्रियात्मकपक्षलाई मात्र जोड दिइएका कारण धेरै विद्वानहरूको कुनै प्रकारको अभिलेख नपाइएको अवस्था रहेको छ । पुराना पुस्ता क्रियात्मक पक्षमा मात्र कार्य गर्नुहुने भएकाले अनुसन्धानात्मक लेखन कार्यको कमि भएको मान्न सकिन्छ । यस लेखले विभिन्न विश्वविद्यालयबाट संगीत
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प्रकाश, दिव्य, та कुमारी सुमन. "भारत में गुरुकुल और आधुनिक शिक्षा प्रणाली: एक अध्ययन". Universal Research Reports 11, № 1 (2024): 53–57. http://dx.doi.org/10.36676/urr.v11.i1.01.

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प्राचीन काल में शिक्षा के लिए गुरुकुल प्रणाली मौजूद थी जहाँ छात्र गुरु के स्थान पर निवास करते थे और वह सब कुछ सीखते थे जिससे बाद में वास्तविक जीवन की समस्याओं से निपटा जा सकता है। शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया का अभ्यास करने से पहले गुरु और शिष्य के बीच भावनात्मक संबंध होना चाहिए। गुरु द्वारा धर्म, संस्कृत, शास्त्र, चिकित्सा, दर्शन, साहित्य, युद्ध, राज्य कला, ज्योतिष, इतिहास और कई अन्य चीजों का ज्ञान प्रदान किया जाता था। सीखना केवल किताबों को पढ़ना नहीं था बल्कि इसे प्रकृति और जीवन के साथ जोड़ना था। यह कुछ तथ्यों और आंकड़ों को रटना और परीक्षाओं में उत्तर लिखना नहीं था। शिक्षा वेदों, बलिदान के नियमों, व्
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Budha, Man Bahadur. "नेपाली भाषा शिक्षणमा सम्प्रेषणात्मक भाषा शिक्षण पद्धतिको औचित्य". AMC Multidisciplinary Research Journal 4, № 1 (2025): 157–63. https://doi.org/10.3126/amrj.v4i1.78692.

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यो अध्ययनले नेपालका शैक्षिक सन्दर्भमा सम्प्रेषणात्मक भाषा शिक्षण विधिको प्रभावकारिता र चुनौतीहरूको विश्लेषण गरेको छ। अनुसन्धानले मुख्य रूपमा सम्प्रेषणात्मक भाषा शिक्षण विधिले विद्यार्थीहरूको भाषाशिक्षण प्रक्रियामा, शिक्षकहरूको अनुभवमा र कक्षा कक्षको वातावरणमा के कस्तो प्रभाव पार्दछ भन्ने कुरामा केन्द्रित छ। सम्प्रेषणात्मक भाषा शिक्षण एक आधुनिक शिक्षण विधि, संवाद र विद्यार्थी केन्द्रित शिक्षणमा जोड दिन्छ, जुन परम्परागत व्याकरण अनुवाद विधिको तुलनामा धेरै भिन्न छ, जुन नेपालका शैक्षिक प्रणालीमा प्रचलित छ। यस अध्ययनमा गुणात्मक अनुसन्धान विधिहरू, जस्तै शिक्षक र विद्यार्थीहरूको साक्षात्कार र कक्षा अव
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BAGORIA, SUNITA. "Digital Casteism : A Sociological Analysis of Ethnic Identity and Discrimination on Social Media." GYANVIVIDHA 02, no. 03 (2025): 86–94. https://doi.org/10.71037/gyanvividha.v2i3.10.

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यह शोध-पत्र “डिजिटल जातिवाद : सोशल मीडिया पर जातीय पहचान और भेदभाव का समाजशास्त्रीय विश्लेषण” भारत में इंटरनेट और सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव के संदर्भ में जाति आधारित असमानताओं के पुनरुत्पादन की पड़ताल करता है। पारंपरिक जातिगत भेदभाव अब केवल भौतिक सामाजिक संरचनाओं तक सीमित नहीं रहा, बल्कि वह डिजिटल स्पेस—विशेषकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स—पर एक नए, अधिक जटिल रूप में सामने आ रहा है। इस शोध का उद्देश्य सोशल मीडिया पर जातीय पहचान, आत्म-प्रतिपादन, ट्रोलिंग, भाषाई बहिष्करण, और डिजिटल विभाजन की प्रवृत्तियों का विश्लेषण करना है। शोध में गुणात्मक और मात्रात्मक दोनों पद्धतियों का प्रयोग किया गया है। द्व
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बहादुर, शिवेंद्र. "दुर्ग - भिलाई नगरों की कार्यशील महिलाओं की व्यावसायिक संरचना: एक भौगोलिक अध्ययन". Journal of Ravishankar University (PART-A) 28, № 1 (2022): 36–43. http://dx.doi.org/10.52228/jrua.2022-28-1-4.

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प्रस्तुत अध्ययन का मुख्य उद्देश्य, छत्तीसगढ़ राज्य के दुर्ग - भिलाई नगरों की कार्यशील महिलाओं की व्यावसायिक संरचना का भौगोलिक अध्ययन करना है। इन नगरांे की कार्यशील महिलाओं के विस्तृत अध्ययन हेतु उद्देश्य पूर्ण दैव निदर्शन विधि के आधार पर विभिन्न कार्यों में संलग्न कार्यशील महिलाआंे से संबंधित जानकारियाँ साक्षात्कार एव ंअनुसूची के माध्यम से प्राप्त की गई। कार्यशील महिलाओ से संबंधित जानकारी उसके कार्यस्थल यथा- शासकीय एवं अशासकीय कार्यालय, शिक्षण संस्थानों, अस्पताल, दुकानांे, निर्माण स्थलों, गंदी बस्तियों में जा कर प्राप्त की गई। इस प्रकार दोनों नगरांे से कुल 1202 कार्यशील महिलाओं से जानकारी प्राप
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अनिल, कुमार सिंह. "रोहतास जिला में कृषि विकास की समस्याएं एवं समाधान का सिंहावलोकन". 'Journal of Research & Development' 14, № 18 (2022): 13–17. https://doi.org/10.5281/zenodo.7431455.

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हमारा भारत देश कृषि प्रधान देश है जहां की लगभग 80% आबादी गांव में निवास करती हैं एवं कृषि कार्यों से ही अपने जीविकोपार्जन का साधन तैयार करती है बिहार राज्य का रोहतास जिला कृषि के युग में चावल के कटोरे से संबोधित किया जाता बिहार कृषि विश्वविद्यालय में पराली प्रबंधन के रोहतास मॉडल को पूरे राज्य में लागू करने का निर्णय लिया कृषि विज्ञान केंद्र रोहतास के इस पराली प्रबंधन मॉडल को मई 2021 में एग्रीकल्चर अवार्ड 2021 से सम्मानित किया गया है वैसे जिले में भी कृषि के विकास में समस्याएं उत्पन्न होना कहीं न कहीं हमारे राज्य व्यवस्था की लापरवाही को इंगित करता है जिसकी प्रभावी नीतियों का अभाव दृष्टिगोचर होत
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Nakarmi, Suresh. "अनात्मलक्षण सूत्रमा पञ्चस्कन्धको अनात्म भाव". Historical Journal 16, № 1 (2025): 194–201. https://doi.org/10.3126/hj.v16i1.76383.

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पूर्वीय दर्शनमा आस्तिकता र नास्तिकताका अवधारणा विद्यमान छन् । आस्तिकहरू आत्माको अस्तित्वमा विश्वास गर्छन्, आत्माको नित्यतालाई स्वीकार गर्छन् भने नास्तिकहरू त्यसबाट अलग छन् । ईश्वर, आत्मा, परमात्मालाई स्वीकार नगर्ने पूर्वीय तीन नास्तिक दर्शनहरूमध्ये बौद्ध दर्शन अनात्मवादी मानिन्छ । बुद्धद्वारा देशना गरिएको अनात्मसँग सम्बन्धित दोस्रो उपदेश अनात्मलक्षण सूत्र हो । यस सूत्रको श्रवण पश्चात् ती पाँचै जना श्रोतापन्न भिक्षुहरू अर्हत् अर्थात् निर्वाणको अन्तिम मार्गमा पुगेका थिए । यस सूत्रले ‘म’ र ‘मेरो’ भन्ने मानसिकताले ग्रसित मनोभावको अनित्यता, दुःख र अनात्मलाई उजागर गरेको छ । हाम्रो शरीरलाई नामरूपधारी
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सरिता, शर्मा, and श्रीमती रंजना दीक्षित डाॅ. "SAHARIYA JANJATI KE CHAATRAON PAR SHASAKIY SHAIKSHANIK YOJANAON KA PRABHAV (M.P. KE SHEOPUR JILE KE VISHESH SANDARBH MEIN)." International Educational Scientific Research Journal 10, no. 5 (2024): 61–63. https://doi.org/10.5281/zenodo.11317554.

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सहरिया जनजाति मध्यप्रदेष की सबसे पिछड़ी जनजाति है। यह मध्यप्रदेष के उत्तर-पष्चिम भाग में ष्योपुर, मुरैना, ग्वालियर, भिण्ड, षिवपुरी, दतिया, विदिषा जिलों में बाहुल्यता में पाई जाती है। प्रस्तुत षोध में ष्योपुर जिले की सहरिया जनजाति का अध्ययन किया गया है। प्रस्तुत षोध में उद्देष्यपूर्ण निदर्षन विधि का प्रयोग किया गया है। षोध का प्रमुख उद्देष्य विभिन्न षासकीय षैक्षणिक योजनाओं का सहरिया जनजाति की छात्राओं पर प्रभाव की जाँच करना रहा। यह अध्ययन प्राथमिक एवं द्वितीयक आँकड़ों पर आधारित है। षोधार्थी ने षोध क्षेत्र में जाकर साक्षात्कार अनुसूची एवं अवलोकन के माध्यम से प्राथमिक आँकड़ों का संकलन किया। द्वित
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रूबी, कुमारी, та सिंह अजीत. "महिला अधिकारों के सशक्तिकरण में पंचायती राज संस्थाओं की भूमिका: हरिद्वार जनपद का संदर्भ". RECENT RESEARCHES IN SOCIAL SCIENCES & HUMANITIES 12, № 1 (2025): 151–55. https://doi.org/10.5281/zenodo.15290607.

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महिला अधिकारों के सशक्तिकरण में पंचायती राज संस्थाओं का महत्वपूर्ण योगदान है, जो महिलाओं को राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के अवसर प्रदान करती हैं। भारत में 73वें संविधान संशोधन के बाद, पंचायतों में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण लागू किया गया, जिससे महिलाओं को पंचायतों में नेतृत्व की भूमिका निभाने का अवसर मिला। इस शोध का उद्देश्य हरिद्वार जनपद में पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से महिला अधिकारों के सशक्तिकरण की प्रक्रिया का विश्लेषण करना है। इस अध्ययन दोनों प्रकार के आंकड़ों (प्राथमिक और द्वितीयक) का उपयोग किया गया है, जिसमें प्राथमिक आंकड़े साक्षात्कार और सर्वेक्षण से प्राप्त किए
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Richa, Kushwah Jayshri Diwedi. "ग्राम पंचायत निर्वाचन में मतदान व्यवहार मुरैना जिले के पंचायत आम निर्वाचन 2015 एवं 2022 के विशेष संदर्भ में एक अध्ययन". International Educational Applied Research Journal 09, № 05 (2025): 179–85. https://doi.org/10.5281/zenodo.15567989.

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यह शोधपत्र मुरैना जिले के 2015 और 2022 के ग्राम पंचायत आम निर्वाचन में | मतदाताओं के व्यवहार का तुलनात्मक विश्लेषण प्रस्तुत करता है। भारत के लोकतंत्र में ग्राम पंचायत चुनावों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये जमीनी स्तर पर जनभागीदारी और सशक्तिकरण सुनिश्चित करते हैं। मुरैना जिले की जातीय, सामाजिक और राजनीतिक संरचना ने इन चुनावों को प्रभावित किया है। अध्ययन में पाया गया कि जाति, वर्ग, लिंग और धर्म मतदान व्यवहार को तय करने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। महिलाओं और युवाओं की भागीदारी बढ़ी है, परंतु निर्णय अब भी पारिवारिक और सामाजिक प्रभावों से जुड़ा है । प्रचार में माइकिंग, सोशल मीडिया औ
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Ghimire, Kul Prasad. "“श्रद्धासुमन” कथा संग्रहका कथामा आञ्चलिकता". Okhaldhunga Journal 1, № 2 (2024): 59–73. http://dx.doi.org/10.3126/oj.v1i2.69567.

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निश्चित भौगोलिक स्थान र समुदाय विशेषको पहिचान देखिने विषयवस्तुमा आधारित कथाले आञ्चलिकताकोसिर्जना गर्दछ । यसले समाजमा देखिएका विकृति, विसङ्क्ति, र सामाजिक भेदभावजन्य व्यवहारलाई उपयुक्त पात्र मार्फत प्रस्तुत गर्दछ । यस्ता कथाले उक्त क्षेत्रका विशिष्ट अवस्था, स्थिति, आचार, व्यवहार, भेषभूषा आदिको वैशिष्ट्य रुपलाई पनि जनाउँछ । यस्ता विषयवस्तुलाई जनाउन त्यहींका पात्रहरूले प्रयोग गर्ने खालको भाषा प्रयोग गरिएको हुन्छ। यसरी विशिष्ट विषय वस्तु र फरक भाषाको प्रयोग हुनुलाई साहित्यमा आञ्चलिकता भनिन्छ। यस लेखले आञ्चलिकतालाई जनाउने लोक संस्कृति, लोक जीवन, सामाजिक अवस्था, स्थान विशेषका जनजीवन इत्यादिलाई प्रस्
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Saini, Naresh Singh. "Importance of the teachings of Shri Krishna in Bhishma Parva of Sanskrit literature Mahabharata." RESEARCH HUB International Multidisciplinary Research Journal 11, no. 2 (2024): 36–39. http://dx.doi.org/10.53573/rhimrj.2024.v11n2.006.

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This study examines the significance of Shri Krishna's teachings in the Bhishma Parva of the Mahabharata within Sanskrit literature. It focuses on the Bhagavad Gita, where Krishna imparts essential spiritual and philosophical wisdom to Arjuna. These teachings, addressing concepts of duty, righteousness, and the nature of reality, are crucial for understanding the ethical and moral foundations of the epic. By analyzing Krishna's discourse, the research highlights how these lessons guide characters and readers towards self-realization and dharma. This study underscores the enduring relevance of
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मिश्रा, आन ंद म. ुति र्, та शारदा द ेवा ंगन. "भतरा जनजाति क े पर ंपरागत चिकित्सा पद्धति एव ं स्वास्थ्य का मानवशास्त्रीय अध्ययन". Mind and Society 8, № 01-02 (2019): 79–86. http://dx.doi.org/10.56011/mind-mri-81-2-201913.

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परम्परागत चिकित्सा प्रणाली मानव के ज्ञान द्वारा अर्जित चिकित्सा की ऐसी विधि है जो कई पीढि ़यों से चली आ रही है। जिसके प्रयोग से मन ुष्य कई प्रकार के असाध्य रोगों का उपचार करन े में समर्थ रहा है। आदिवासियों का जीवन मुख्यतः जंगलों पर आश्रित रहा है। मन ुष्य शुरूआत से ही अपन े भोजन, आश्रय और चिकित्सा के लिए प्रकृति पर ही निर्भर रहा है। वत र्मान में चिकित्सा प्रणाली में अंतर होने के उपरांत भी चिकित्सा पद्धंतियो का आधारभूत उद ेश्य मन ुष्य के स्वास्थ्य तथा कल्याण की कामना ही हैं। समाज में स्वास्थ्य व्यक्ति उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता है, तथा रोग मुक्ति की लालसा करता है । जनजातीय समापन में आज भी चिक
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Srivastawa, Yogesh Kumar, та Rajesh Kumar Tripathi. "शिक्षकों के दृष्टिकोण को प्रभावित करने वाले कारकों की पहचान: एक बहुआयामी अध्ययन". Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education 19, № 4 (2022): 810–16. https://doi.org/10.29070/sya3xr10.

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शिक्षकों के दृष्टिकोण को प्रभावित करने वाले कारकों की पहचान करना एक जटिल और बहुआयामी प्रक्रिया है, जो शिक्षण और सीखने के परिणामों को गहराई से प्रभावित करती है। यह अध्ययन शिक्षकों के दृष्टिकोण पर प्रभाव डालने वाले सामाजिक, मनोवैज्ञानिक, पेशेवर, और संस्थागत कारकों का गहन विश्लेषण प्रस्तुत करता है। प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों से प्राप्त डेटा का उपयोग करते हुए, शोध में प्रश्नावली, साक्षात्कार, और अवलोकन जैसी विविध विधियों के माध्यम से जानकारी एकत्रित की गई। निष्कर्षों से पता चलता है कि शिक्षकों का दृष्टिकोण मुख्यतः उनके कार्य वातावरण, पेशेवर विकास के अवसर, समाज से मिलने वाली मान्यत
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महाजन, अश्विनी. "मुस्लिम महिलाओं में तीन तलाक के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण". RESEARCH EXPRESSION 6, № 9 (2023): 10–18. https://doi.org/10.61703/re4.

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प्रस्तुत शोध पत्र ‘‘मुस्लिम महिलाओं में तीन तलाक के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण’’ पर आधारित है एवं अध्ययन हेतु छत्तीसगढ़ राज्य के दुर्ग जिले के दुर्ग एवं भिलाई शहरी क्षेत्र में निवासरत मुस्लिम परिवारों का चयन किया गया है। प्रस्तुत शोध के अध्ययन के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए प्राथमिक एवं द्वितीयक आंकड़ों का प्रयोग किया गया है जिसमें क्षेत्र के मुस्मिल परिवारों से 18 से अधिक आयु वर्ग के तलाक़शुदा 120 महिलाओं का चयन कर साक्षात्कार अनुसूची द्वारा तथ्यों को संकलित किया गया है, जिसके अंतर्गत दुर्ग-भिलाई शहरी क्षेत्र में संकेन्द्रित रूप में निवास करने वाले परिवारों के महिलाओं का चयन किया गया है जो तीन तल
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मनोज, कुमार साहू. "छत्तीसगढ़ में कोयला उद्योग के आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभावों का अध्ययन". 'Journal of Research & Development' 15, № 8 (2023): 67–74. https://doi.org/10.5281/zenodo.7813057.

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राज्य में कोयले के विपुल भंडार के साथ, छत्तीसगढ़ &nbsp;भारत में प्रमुख कोयला उत्पादक राज्यों में से एक है। कोयला उद्योग ने छत्तीसगढ़ राज्य के आर्थिक विकास, रोजगार सृजन और राजस्व में योगदान देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यद्यपि, कोयला उद्योग का भी राज्य पर महत्वपूर्ण सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभाव पड़ा है । &nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp; इस शोध पत्र का उद्देश्य छत्तीसगढ़ में कोयला उद्योग के आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभावों का अध्ययन करना है। अध्ययन में एक मिश्रित-विधि दृष्टिकोण का उपयोग किया गया है। इसमें कोयला उद्योग के हितधारकों के साथ साक्षात्कार के साथ, द्वितीयक समंकों
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चौधरी, अशोक कुमार, та दिनेश व्यास. "बिहार के थारू जनजाति की वर्तमान सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति का अध्ययन". Anthology The Research 9, № 1 (2024): H1 — H 14. https://doi.org/10.5281/zenodo.11112934.

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This paper has been published in Peer-reviewed International Journal "Anthology The Research"&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp; URL : https://www.socialresearchfoundation.com/new/publish-journal.php?editID=8914 Publisher : Social Research Foundation, Kanpur (SRF International)&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp; Abstract : &nbsp;बिहार की थारू जनजाति की वर्तमान सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति का अध्ययन है। बिहार की थारू जनजाति सभ्य समाज से दूर पश्चिम चंपारण में प्रचुर मात्रा में प
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कुमार, धनपत, आनंद सुगंधे та राजकुमार नागवंशी. "ग्रामीण महिला सशक्तिकरण में स्वयं सहायता समूहों की भूमिका का एक आर्थिक अध्ययन: मध्यप्रदेश के अनूपपुर जिले के विशेष सन्दर्भ में". Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education 22, № 3 (2025): 165–77. https://doi.org/10.29070/ejddbr42.

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किसी भी राष्ट्र के समावेशी और सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए महिला सशक्तिकरण आवश्यक है। भारत में, स्वयं सहायता समूहों को न केवल महिला सशक्तिकरण के लिए बल्कि गरीबी से निपटने के लिए एक प्रभावी रणनीति के रूप में कार्य कर रही है। प्रस्तुत अध्ययन का मुख्य उद्देश्य उन कारकों का आकलन करना है जो स्वयं सहायता समूहों में महिलाओं की भागीदारी को प्रभावित करने वाले कारक एवं सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण पर इसके प्रभाव का आंकलन किया गया हैं। यह अध्ययन स्वयं सहायता समूह के महिला लाभार्थियों के साक्षात्कार के माध्यम से मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले के दो विकासखण्ड जैतहरी एवं अनूपपुर के 50 समूहों के कुल 120 महिला
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Singh, Jitendra. "Contemporary perception of Narendra Kohli in the context of Ram Katha and Krishna Katha: General Analysis." RESEARCH REVIEW International Journal of Multidisciplinary 7, no. 3 (2022): 97–100. http://dx.doi.org/10.31305/rrijm.2022.v07.i03.016.

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The existence of the creator is attracted, repelled or influenced in many dimensions by the triangles of character, time and country and as a result the 'self-conscious' sensibility of the creator has to face the shocks or pressures of ambushes and is filled with reactions of the individual. . He tries to recognize his time, place or country or the characters due to which his senses are shaken in the true sense, so he suffers internal and external suffocation on many levels. It is expected from the contemporary work that it should not deny the demands of Yugbodh, but should ruthlessly analyze
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Parmar, Ramswroop, та Bhawna Arora. "भोपाल संभाग में सामाजिक परिवर्तन एवं विकास में गैर सरकारी संगठनों की भूमिका : एक विश्लेषणात्मक अध्ययन". Open Access Journal of Multidisciplinary Research 1, № 3 (2025): 9–18. https://doi.org/10.47760/oajmr.2025.v01i03.002.

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यह विश्लेषणात्मक अध्ययन मध्य प्रदेश के भोपाल संभाग में सामाजिक परिवर्तन और विकास में गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) की भूमिका की जांच करता है। इस शोध का उद्देश्य यह समझना है कि एनजीओ क्षेत्र में सामाजिक परिवर्तन और समग्र विकास की प्रक्रिया में किस प्रकार योगदान दे रहे हैं। अध्ययन में एनजीओ की संरचना, कार्य क्षेत्र, चुनौतियाँ, उपलब्धियाँ और दीर्घकालिक सामाजिक प्रभावों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। शोध में वर्णनात्मक और विश्लेषणात्मक दोनों दृष्टिकोणों का उपयोग किया गया है, जिसमें प्राथमिक आंकड़े एनजीओ प्रतिनिधियों, लाभार्थियों और समुदाय के सदस्यों से साक्षात्कार के माध्यम से तथा द्वितीयक आंकड़े एनजी
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Rani, Radha. "Shruti and Swara." RESEARCH REVIEW International Journal of Multidisciplinary 8, no. 4 (2023): 60–65. http://dx.doi.org/10.31305/rrijm.2023.v08.n04.007.

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The subtlest sounds are of great importance in the formation of each swara. It is necessary to have shruti for the echo or reverberation of the vowels. Shruti itself is not a pigment, but helps in making the tone pigment. Shruti is liquid, swaras are stable, while ascending in some ragas, some swaras are heard rising from their original place and descending in avaroh. It refers to the fluidity of the shruti of those swaras. This fluidity becomes evident in activities like gamak and vocal accompaniment, fluidity is clearly visible in musical instruments as compared to singing. In ragas like Bhi
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सिंह, करनजीत. "थारू जनजाति में सामाजिक आर्थिक परिवर्तन एवं समस्यायें जनपद लखीमपुर खेरी का एक भूगोलिक अध्ययन". Innovation The Research Concept 9, № 2 (2024): H41—H54. https://doi.org/10.5281/zenodo.10964923.

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This paper has been published in Peer-reviewed International Journal "Innovation The Research Concept"&nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp; URL : https://www.socialresearchfoundation.com/new/publish-journal.php?editID=8854 Publisher : Social Research Foundation, Kanpur (SRF International)&nbsp; Abstract:इस&nbsp;लेख&nbsp;में&nbsp;थारू&nbsp;जनजाति&nbsp;के&nbsp;लोगों&nbsp;के&nbsp;सामने&nbsp;आने&nbsp;वाली&nbsp;समस्याओं&nbsp;पर&nbsp;चर्चा&nbsp;की&nbsp;गई&nbsp;है&nbsp;इसके&nbsp;साथ&nbsp;आने&nbsp;वाली&nbsp;विभिन्न&nbsp;प्रकार&nbsp;की&nbsp;समस्याओं,&nbsp;चुनौतियो
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Dhakal, Wenkatesh. "सङ्गीतमा घराना सम्बन्धी अवधारणा : एक विश्लेषण (The Concept of Gharana in Music: An Analysis)". Journal of Fine Arts Campus 3, № 2 (2021): 75–84. http://dx.doi.org/10.3126/jfac.v3i2.48238.

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घराना वा घरानेदार भन्ने शब्दले शास्त्रीय सङ्गीतको क्षेत्रमा विशेष स्थान वा विशिष्टता बुझिने गर्दछ । दक्षिण एसियाली शास्त्रीय सङ्गीत अन्तर्गत घरानेदार एवं संस्थागत दुई प्रकारबाट सङ्गीत सिक्ने प्रचलन रहीआएको छ । घरानेदार शिक्षा विशेष गुण एवं प्रतिभा भएका विद्यार्थीहरूलाई मात्र प्रदान गरिने प्रचलन रहेको छ । परम्परा एवं घरानामा तात्विक भिन्नता हुने हुँदा कुनै विशेष परम्परालाई घरानाको मान्यता प्राप्त हुनका लागि नितान्त आवश्यकता पर्ने अवयव के के हुन् ? भारत वर्षीय शास्त्रीय सङ्गीतमा कुन–कुन घराना हाल विद्यमान रहेका छन् ? शास्त्रीय सङ्गीत सिक्ने सिकाउने प्रक्रियामा गण्डा बन्धन के हो र यसको महत्व किन
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Singh, Shishu Kumar. "Presentation style of folk tale Pandwani." RESEARCH REVIEW International Journal of Multidisciplinary 8, no. 6 (2023): 34–36. http://dx.doi.org/10.31305/rrijm.2023.v08.n06.005.

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In the presented research paper, a survey study has been done in the perspective of the presentation style of Pandwani, the folklore of Chhattisgarh. How the folk tale Pandwani is presented standing or sitting or kneeling. Among the auxiliary instruments used in the presentation, the use of tambourine is prominent, which along with the instrument is used as a hand-held material in the presentation. Question and answer are also used in between to keep the audience engaged. Expression and movement are used to attract the audience. Along with its stage presentation, its narrative presentation has
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