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Artykuły w czasopismach na temat "मीडिया"

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अग्रहि, रामानन्द, та अवधेश चन्द्र मिश्रा. "भारतीय समाज में मीडिया का बदलता स्वरूप". International Journal of Science and Social Science Research 1, № 1 (2023): 44–47. https://doi.org/10.5281/zenodo.13328124.

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त बह ुत ही प्रतिभावान एवं ऊर्जावान य ुवा देश है, और यहां के युवा द ेश की तरक्की मे ं या ेगदान देने क े लिए लालयित रहते हंै। जिस तरहभारत के युवा अपने ह ुनर से देश का े आगे ले जा रह े है उसी प ्रकार भारत की वर्तमान मीडिया द ेश में क्रान्ति कारी परिवर्तन ला रही है, वर्त मान मीडिया का ेयुवा मीडिया कह सकते है। जिस प ्रकार मन ुष्य का जीवन काल का विकास बाल्यावस्था से किशा ेरावस्था, किशोरावस्था से युवावस्था एवं प ्रौढ़ा, वृद्धक्रम हा ेता हैठीक इसके विपरीत मीडिया का विकास-वृद्धावस्था स े प्रौढ़ावस्था, प ्रौढ़ावस्था से युवा वस्था क्रम ह ुई जैसे की प्रिंट मीडिया से इलेक्ट्रानिक मीडिया, इलेक्ट्राॅनिकमीडिय
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नागवंशी, रवि प्रताप, та अविनाश प्रताप सिंह. "भारत में मतदान व्यवहार पर मीडिया का प्रभाव". Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education 22, № 01 (2025): 402–9. https://doi.org/10.29070/x5t99p71.

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यह शोध लेख भारत में मीडिया और मतदान व्यवहार के बीच संबंधों की जांच करता है, जिसमें मतदाता धारणाओं और चुनावी परिणामों को आकार देने में मीडिया की परिवर्तनकारी भूमिका पर ध्यान केंद्रित किया गया है। जाति, समुदाय और क्षेत्रवाद जैसे पारंपरिक प्रभाव मतदाता निर्णय लेने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालाँकि, डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के उदय और मीडिया प्रथाओं के विकास ने चुनावी परिदृश्य को नया रूप दिया है। जबकि पारंपरिक मीडिया जैसे समाचार पत्र और टेलीविज़न अभी भी महत्वपूर्ण बने हुए हैं, सोशल मीडिया के आगमन ने राजनीतिक जुड़ाव और पहुँच को बढ़ाया है, खासकर युवा मतदाताओं के बीच। गलत सूचना, मीडिया पूर्वाग्रह और
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प्रसाद, आदर्श. "सोशल मीडिया". International Journal of Advanced Academic Studies 5, № 4 (2023): 77–79. http://dx.doi.org/10.33545/27068919.2023.v5.i4a.1283.

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प्रसाद, आदर्श. "सोशल मीडिया". International Journal of Advanced Academic Studies 4, № 2 (2022): 219–21. http://dx.doi.org/10.33545/27068919.2022.v4.i2c.1281.

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5

डॉ., अरविंद कुमार, та देवेन्द्र कुमार पाण्डेय डॉ. "सोशल मीडिया और उसके प्रभाव को समझना". International Journal of Contemporary Research in Multidisciplinary 3, № 5 (2024): 207–9. https://doi.org/10.5281/zenodo.13997555.

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"इंटरनेट एक दोहरी धार वाली तलवार है, जो समाज को एक ओर जोड़ती है और दूसरी ओर तोड़ती भी है। यह एक ऐसा माध्यम है जहां अच्छाई और बुराई दोनों को समान रूप से प्रसारित किया जा सकता है, और जिसके परिणामस्वरूप वैश्विक स्तर पर इसके प्रभाव को देखना शुरू कर रहे हैं।"  भारत ने हाल के वर्षों में मास मीडिया और सोशल मीडिया के क्षेत्र में अभूतपूर्व वृद्धि देखी है, जिससे मीडिया की भूमिका वर्तमान परिदृश्य में अत्यधिक महत्वपूर्ण हो गई है। सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के विकास ने टेलीविजन, इंटरनेट, सोशल मीडिया और प्रिंट मीडिया जैसे कई समाचार और सूचना स्रोतों की उपलब्धता और पहुंच को बढ़ाया है । मीडिया न केवल संद
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Neeraj, Bhardwaj, та Dhirendra Singh Yadav Dr. "वर्तमान परिदृश्य में उच्च माध्यमिक स्तर पर कार्यरत शिक्षकों पर सोशल मीडिया का प्रभाव". दृष्टिकोण कला, मानविकी, एवं वाणिज्य की मानक शोध पत्रिका, ISSN 0975-119X, UGC CARE LISTED, Impact Factor 5.051 13, अंक 1 जनवरी फरवरी 2021 (2021): 3813–18. https://doi.org/10.5281/zenodo.6911774.

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21वीं सदी में कंप्यूटर एक कैसेट बन गया है तथा इंटरनेट का जाल विश्वव्यापी फैल चुका है। ऐसे में विभिन्न देशों क्षेत्रों में व्यक्तियों के बीच संवाद बनाने के लिए एक मंच के रूप में सोशल मीडिया आज सबसे महत्व भूमिका निभा रहा है, जिसमें विभिन्न मंच जैसे <strong>Facebook</strong>, <strong>Twitter</strong>, <strong>WhatsApp</strong>, <strong>LinkedIn,</strong> <strong>Instagram</strong> आदि, आज लोगों के विचारों की अभिव्यक्ति के लिए उपयोग किए जाते हैं। सोशल मीडिया का प्रयोग व महत्व लगातार बढ़ता जा रहा है। यहां तक की इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया भी इसके प्रभाव को स्वीकारने लगे हैं, कई लोग सोशल मीडिया को
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Singh, Priya. "ग्रामीण भारत में डिजिटल मीडिया का प्रभाव: एक समाजशास्त्रीय अध्ययन". International Journal of Science and Social Science Research 1, № 4 (2024): 173–76. https://doi.org/10.5281/zenodo.13367289.

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प्रस्त्ततु शोध पर में ग्रामीण भारत में डिजिटल मीडिया के प्रभाव का अध्ययन करने का प्रयास ककया गया है | इसमें द्ववतीयक स्रोतों के माध्यम से ववश्लेषण कर डिजिटल मीडिया क्या है तथा डिजिटल मीडिया का ग्रामीण पररवेश पर पड़ने वालेप्रभाव का अध्ययन करने का प्रयास ककया गया है | वततमान समाि में डिजिटल मीडिया एक महत्वपूणत माध्यम बन गया हैजिसके माध्यम से बहुत सारी सचनाओू, भावनाओं, ववचारों आदि का आिान प्रिान ककया िाता है | इस आभासी ववश्व में युवापीढ़ी अपना अधधक से अधधक समय व्यतीत करती है तथा ग्रामीण भारत में कृ वष के क्षेर में अनेक प्रकार के पररवतनत लाने में डिजिटल मीडिया का महत्वपूणत योगिान है | कृ वषक व्याप
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क्षत्रिय, दीपिका जितेंद्र. "सोशल मीडिया का प्रभाव". International Journal of Science and Social Science Research 1, № 3 (2023): 173–75. https://doi.org/10.5281/zenodo.13623077.

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आज के आधुनिक दौर में सोशल मीडिया हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है। इसके उपयोगकर्ताओं की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।लोग अपना अधिक से अधिक समय सोशल मीडिया पर व्यतीत कर रहे है। सोशल मीडिया मानव जीवन पर विशेष तौर पर युवा पीढ़ी की जीवन शैली को प्रभावित कर रही है किन्तु इसका अत्यधिक उपयोग सही है? आज प्रत्येक व्यक्ति स्वयं को प्रसिद्ध करने की होड़ में लगा हुआ है किन्तु विशेष तौर पर युवा पीढ़ी व बच्चों को समझने की आवश्यकता है कि वे देश का भविष्य है एवं मानव जीवन बेहद अनमोल है और इन झूठे दिखावों में पड़कर उन्हें अपना अमूल्य समय बर्बाद नहीं करना चाहिए। सोशल मीडिया का सीमित व आवश्यकतानुसार
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मीणा, आशुतोष. "भारतीय न्यायपालिका पर मीडिया ट्रायल का प्रभावः आलोचनात्मक विश्लेषण". Lokprashasan 16, № 1 (2024): 34–44. http://dx.doi.org/10.32381/lp.2024.16.01.3.

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निष्पक्ष न्याय के लिए न्यायपालिका की स्वतंत्रता आवश्यक है। भारतीय संविधान में स्वतंत्र न्यायपालिका का प्रावधान है। न्यायपालिका की कार्यवाही में विधायिका व कार्यपालिका का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए ताकि न्यायपालिका निष्पक्ष निर्णय कर सके। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत नागरिकों को भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। इस स्वतंत्रता के आधार पर मीडिया समाचारों की रिपोर्टिंग करता है। मीडिया द्वारा अदालतों में विचाराधीन मामलों की सनसनीखेज रिर्पोटिंग कर दी जाती है जिससे न्यायपालिका के पूर्वाग्रह से ग्रस्त होने व न्यायिक निर्णय प्रभावित होने की संभावना रहती है। हाई प्रोफाइल मामलों में मीडिय
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BAGORIA, SUNITA. "Digital Casteism : A Sociological Analysis of Ethnic Identity and Discrimination on Social Media." GYANVIVIDHA 02, no. 03 (2025): 86–94. https://doi.org/10.71037/gyanvividha.v2i3.10.

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यह शोध-पत्र “डिजिटल जातिवाद : सोशल मीडिया पर जातीय पहचान और भेदभाव का समाजशास्त्रीय विश्लेषण” भारत में इंटरनेट और सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव के संदर्भ में जाति आधारित असमानताओं के पुनरुत्पादन की पड़ताल करता है। पारंपरिक जातिगत भेदभाव अब केवल भौतिक सामाजिक संरचनाओं तक सीमित नहीं रहा, बल्कि वह डिजिटल स्पेस—विशेषकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स—पर एक नए, अधिक जटिल रूप में सामने आ रहा है। इस शोध का उद्देश्य सोशल मीडिया पर जातीय पहचान, आत्म-प्रतिपादन, ट्रोलिंग, भाषाई बहिष्करण, और डिजिटल विभाजन की प्रवृत्तियों का विश्लेषण करना है। शोध में गुणात्मक और मात्रात्मक दोनों पद्धतियों का प्रयोग किया गया है। द्व
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Więcej źródeł

Książki na temat "मीडिया"

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Venkatraman, Shriram. दक्षिण भारत में सामाजिक मीडिया - Social Media in South India. UCL Press, 2019.

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Miller, Daniel. दुनिया ने जैसे सामाजिक मीडिया को बदल दिया - How the World Changed Social Media (Hindi). UCL Press, 2019.

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3

दुनिया ने जैसे सामाजिक मीडिया को बदल दिया. UCL Press, 2019. http://dx.doi.org/10.14324/111.9781787354937.

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Części książek na temat "मीडिया"

1

"Hindi Bhasha Scientific and Technological Development." In Educational Transformation in Digital ERA, edited by Suman Devi. NIILM University, 2024. https://doi.org/10.70388/niilmub/241204.

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आज हिंदी विश्व पटेल पर प्रथम भाषा बनने का दवा रखती है जिसका प्रमुख कारण तकनीकी विकास सूचना प्रौद्योगिकी की पत्राचार मीडिया अनुवाद वह जनसंपर्क के कारण हिंदी भाषा का बढ़ता प्रचार एवं प्रसार आज हिंदी के प्रसार व प्रचार का प्रमुख कारण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की सामर्थ व शक्तिशाली भाषा के रूप में हिंदी का विकास होता स्वरूप है आदि जननी संस्कृत भाषा निरोध श्रीत हिंदी भाषा की राजभाषा संपर्क भाषा तथा अनेक बोलियां वह अप बलियो के मध्य अंतर संबंधों के कारण समन्वय आत्मक भाषा है हिंदी साहित्य में हृदय की भाषा है कुछ वर्षों पूर्व हिंदी भाषा में परिभाषित शब्दावली वह संस्कृत के साहित्य का अभाव था परंतु कुछ स्
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