Добірка наукової літератури з теми "प्रेरणा"

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Статті в журналах з теми "प्रेरणा"

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सिंह, मृदुल कुमार. "प्राथमिक विद्यालयों के सन्दर्भ में ‘शिक्षा का अधिकार’ अधिनियम (2009) में चिन्हित आधारभूत शैक्षिक संरचना का अध्ययन". SCHOLARLY RESEARCH JOURNAL FOR INTERDISCIPLINARY STUDIES 10, № 73 (2022): 17548–54. http://dx.doi.org/10.21922/srjis.v10i73.11654.

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Анотація:
भारतीय परम्पराओं के अनुसार परिवार प्राथमिक शिक्षा के केन्द्र होते हैं। माता बालक की सर्वप्रथम गुरू मानी जाती हैं जो बालक को शुभ संस्कारों की प्रेरणा देकर उसके व्यवहार को सामाजिकता प्रदान करती हैं। पिता भी माता के पश्चात् गुरु का कार्य करता हैं जो उसे शुभ कार्य की प्रेरणा देकर सदाचार के लिए प्रेरित करता हैं, यही से बालक की औपचारिक शिक्षा प्रारम्भ होती है।
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डॉ., रावसाहेब पिराजी इंगळे, та विजय नागोराव भोपाळे डॉ. "गांधीवाद: एक शास्वत विकासाची प्रेरणा". उदयगिरी - बहुभाषिक इतिहास संशोधन पत्रिका 01, № 04 (2023): 663–66. https://doi.org/10.5281/zenodo.10279087.

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महात्मा, बापू, राष्ट्रपिता या संबोधनाने महात्मा गांधी यांना आज जगभर ओळखले जाते. सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह इत्यादी नैतिक मूल्यांच्या आधारावरच महात्मा गांधी यांनी भारताला ब्रिटिशांच्या गुलामगिरीतून मुक्त केले. गांधी यांनी धर्म, अर्थकारण, राजकारण अथवा एकूण जीवनाचे जे तत्त्वज्ञान मांडले, त्यात त्यांनी अर्थशास्त्र आणि नीतीशास्त्र यांना एकत्रित केले आहे. गांधी असे म्हणतात की, आर्थिक जीवनावर नीतीशास्त्राचा प्रभाव नसेल तर भौतिकवादाच्या अतिरेकामुळे राष्ट्रीय कल्याण साधता येणार नाही. असे प्रभावी विचार महात्मा गांधी यांनी मांडले. त्यांचे विचार चिरंतन, शास्वत असेच आहेत, असे म्हणता येईल.
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शर्मा Sharma, मुकुन्द Mukunda. "रूपन्देही जिल्लाका थारू समुदायमा प्रचलित सीताविवाह {Sitavivah practiced in the Tharu community of Rupandehi district}". Cognition 7, № 1 (2025): 230–41. https://doi.org/10.3126/cognition.v7i1.74799.

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Анотація:
प्रस्तुत आलेख रूपन्देही जिल्लाका थारू समुदायमा प्रचलित सीताविवाह लोकनाटकको प्रचलन, प्रेरणा, प्रभाव र कथास्रोत तथा प्रस्तुति विधानका बारेको अध्ययनमा केन्द्रित छ । नेपालका विभिन्न समुदायमध्ये हालको बसाइँसराइको अवस्थाबाहेक तराई र भित्री मधेश भूभागमा बसोबास गर्नेमा थारू समुदाय मुख्य पर्दछ जसको आफ्नै भाषा, संस्कृति, रीतिरिवाज, परम्परा, साहित्य र लोकसाहित्य छ । रूपन्देही जिल्लामा पनि यस समुदायको बसोबास रहेको छ । लोकसाहित्यिक विधामा सम्पन्न मानिने यस समुदायमा लोकसाहित्यका लोकगीत, गाथा, कथा, उखान, टुक्का, पहेली आदि रहे जस्तै लोकनाट्य विधा पनि प्रचलित देखिन्छ । यस्ता नाटकका विषय ऐतिहासिक, पौराणिक र लोक
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बिटाळ, श्री. लक्ष्मण बाजीराव. "आत्मपर साहित्य संकल्पना व स्वरूप". International Journal of Advance and Applied Research 11, № 1 (2023): 320–23. https://doi.org/10.5281/zenodo.10250354.

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<strong>प्रास्ताविक :</strong>मराठी भाषेमध्ये कथा, कादंबरी, चरित्र आणि आत्मचरित्र हे कथनात्मक वाड्मयप्रकार आहेत. कथा, कादंबरीच्या लेखनासाठी कल्पित कथानक तयार करावे लागते. आत्मपर लेखनात मात्र कल्पकतेला वाव नसतो. लेखक स्वतः आयुष्यभर जे जगला, त्याने जे दुःख अनुभवले, जो संघर्ष केला, जे कर्तृत्त्व संपादीत केले ते सांगण्यासाठी तो आत्मपर लेखनाची निवड करतो. आत्मचरित्रपर लेखनामागे आत्माविष्काराची प्रेरणा, आत्मजीवनाच्या अर्थपूर्णतेची अभिज्ञा, स्वानुभवातील निवडीची दृष्टी आणि लेखनशैली विषयक भान अशा गोष्टी प्रेरक असतात. तसेच ऐतिहासिक साहित्यकृती प्रमाणे विशिष्टतेकडून सामान्यत्वाकडे जाण्याची क्षमता त्यात अस
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Talekar, P. R. "सत्यशोधक समाजसुधारक कै. आत्माराम मुकुंद महाजन". International Journal of Advance and Applied Research 5, № 18 (2024): 80–83. https://doi.org/10.5281/zenodo.11655659.

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Анотація:
&nbsp;महाराष्ट्र संत, महात्मे आणि समजसुधारकांची भूमी आहे. प्रामुख्याने महात्मा ज्योतिराव फुले यांची प्रेरणा घेऊन, आधुनिक विचारांनी भारावलेल्या तरुणांनी ब्रिटिशांच्या अन्यायी राजवटी विरुद्ध, तसेच समाजातील अन्याय व अनिष्ठ चालीरीती विरुद्ध वाचा वाचा फोडण्यासाठी 20 व्या शतकाच्या सुरुवातीपासूनच संघटना स्थापन करून सामाजिक समस्यांना वाचा फोडण्यास सुरुवात केली. या पासून महाराष्ट्रातील चंद्रपूर जिल्हादेखील अलिप्त राहू शकला नाही. आत्माराम मुकुंद महाजन यांनी चंद्रपूर जिल्ह्यातील परीसरात महात्मा ज्योतिराव फुले यांची प्रेरणा घेऊन समजसुधारणेचे महान कार्य केले आहे. त्यांच्या या कार्यामुळे चंद्रपूर जिल्ह्यात
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ठाकुर, डॉ संगीता वेदप्रताप सिंह. "साहित्य और सामाजिक परिवर्तन के लिए नवाचार". International Journal of Advance and Applied Research 6, № 25(D) (2025): 46–48. https://doi.org/10.5281/zenodo.15332384.

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<strong>सारांश</strong> "आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है।" मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है समाज में रहकर ही वह अपना विकास करता है l इसलिए मनुष्य समाज का एक अभिन्न अंग है, समाज के बिना मनुष्य का कोई अस्तित्व नहीं है ,इसीलिए उसे सामाजिक प्राणी कहा जाता है l उसकी संपूर्ण विकास समाज में ही संभव है&nbsp; l सामाजिक मुद्दों को सुलझाना हमेशा से ही वैज्ञानिक प्रगति के पीछे की प्रेरणा रही है। वह सब कुछ जो हमें मानव बनाता है - हमारी करुणा, जिज्ञासा और बुद्धिमत्ता - हमें अपने समुदायों को मजबूत करने के लिए प्रेरित करती है। पिछली शताब्दी में, हमारे जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने वाले तकनीकी नवाचारों का विकास त
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Kamlesh Kumar та Dr. Yaspal Singh. "छात्र प्रेरणा तथा आत्मसम्मान पर माता-पिता की भागीदारी: एक विश्लेषणात्मक समीक्षा". International Journal of Multidisciplinary Research in Arts, Science and Technology 3, № 4 (2025): 26–30. https://doi.org/10.61778/ijmrast.v3i4.132.

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यह समीक्षा पत्र छात्र प्रेरणा तथा आत्मसम्मान पर माता-पिता की भागीदारी के प्रभावों का विश्लेषणात्मक अध्ययन प्रस्तुत करता है। शोध से यह स्पष्ट हुआ है कि अभिभावकों द्वारा अपनाई गई सक्रिय और सहायक भूमिका न केवल बच्चों की शैक्षणिक उपलब्धियों में सुधार करती है, बल्कि उनके आत्मसम्मान, मानसिक दृढ़ता एवं समग्र प्रेरणा में भी सकारात्मक परिवर्तन लाती है। विभिन्न सैद्धांतिक ढाँचों, शोध मॉडल और क्षेत्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय अध्ययनों के आधार पर यह पत्र यह दर्शाता है कि माता-पिता की सहभागिता, चाहे वह विद्यालय में हो या घर पर, छात्र की आंतरिक प्रेरणा को उजागर करने तथा आत्मसम्मान को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भू
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डॉ.लोखंडे, बी.बी. "स्वामी दयानंद सरस्वतीयांचे राजकीय विचार". International Journal of Advance and Applied Research S6, № 7 (2025): 84–88. https://doi.org/10.5281/zenodo.14784492.

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महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती हे 'आर्य समाजा' चे संस्थापक या नात्याने सर्वपरिचित असले तरी एक थोर मानवतावादी समाजसुधारक म्हणून ही त्यांचे श्रेष्ठत्व सर्वमान्य आहे. त्यांनी भारतीयांचा आत्म-सन्मान वाढविला. परकीयांच्या वैभवाने दिपून गेलेल्या भारतीयांच्या मनात त्यानी नवीन चेतना जागविली. परकीय साम्राज्यवादाच्या कालखंडात निष्प्रभ बनलेल्या भारतीयांना त्यांनी देशाच्या प्राचीन परंपरेची ओळख करून दिली. एकोणिसाव्या शतकातील सामाजिक आणि धार्मिक सुधारणा चळवळीमध्ये दयानंद सरस्वती आणि त्याचा आर्यसमाज हा एक लढाऊ आणि महत्त्वाचा टप्पा मानावा लागेल. मात्र त्यांच्या सुधारणांच्या प्रेरणा पाश्चिमात्य नव्हत्या. त्यांच्य
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Deepa Khare та Dr. Ramavtar. "शैक्षिक संस्थानों की ऑनलाइन शिक्षण विधियों की प्रभावकारिता पर छात्रों की राय". Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education 19, № 4 (2022): 748–53. https://doi.org/10.29070/46pjav58.

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शिक्षार्थी दृढ़ता से महसूस नहीं करते हैं कि ऑनलाइन सीखने से अकादमिक कार्यों को पूरा करने की उनकी क्षमता में सुधार होता है। आवश्यक आईसीटी कौशल प्राप्त करने पर ध्यान केंद्रित करने के शीर्ष पर, यह अनुशंसा की जाती है कि ऑनलाइन सीखने का उपयोग करने के लिए प्रेरणा के रूप में कार्य करने के लिए व्यक्ति की आत्म-प्रभावकारिता के स्तर को बढ़ाने के लिए उपयुक्त रणनीतियों को विकसित करने की आवश्यकता है। ई-लर्निंग सिस्टम का उपयोग जारी रखने के लिए, शिक्षार्थियों को एक अलग तर्क और मजबूत प्रेरणा की आवश्यकता होती है। ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह के समर्थन की तैनाती, ई-लर्निंग मैनुअल की शुरूआत से आत्म-प्रभावकारिता को
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लाल, मोहन. "अधिगम प्रक्रिया में विद्यार्थियों की उपलब्धि को प्रभावित करने में उपलब्धि अभिप्रेरणा की उपयोगिता का अध्ययन". INTERNATIONAL JOURNAL OF SCIENTIFIC RESEARCH IN ENGINEERING AND MANAGEMENT 09, № 07 (2025): 1–9. https://doi.org/10.55041/ijsrem51538.

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शिक्षण की प्रक्रिया शिक्षण अधिगम के द्वारा पूर्ण होती है। शिक्षक द्वारा जो शिक्षण प्रक्रिया अपनाई जाती है और छात्र उसके प्रति जो अनुक्रिया करते हैं उससे शिक्षण अधिगम की प्रक्रिया संपूर्ण होती है। उपलब्धि अभिप्रेरणा का आधारभूत लक्ष्य उपलब्धि होता है। जब व्यक्ति उपलब्धि के लिए कोई कार्य करता है तो उसे उपलब्धि अभिप्रेरणा द्वारा प्रेरित माना जाता है। उपलब्धि अभिप्रेरणा से तात्पर्य एक ऐसे अभिप्रेरक से होता है जिससे प्रेरित होकर व्यक्ति अपने कार्य को इस प्रकार करता है कि उसे अधिक से अधिक सफलता मिल सके। प्रत्येक व्यक्ति उपलब्धि प्राप्त करने की भावना से प्रेरित होता है तथा कुछ न कुछ प्राप्त करने की इच
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Книги з теми "प्रेरणा"

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प्रहरी, समाजवादी. समाजवादी संवाद. समाजवादी प्रहरी, 2021.

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