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Journal articles on the topic 'अनुवाद'

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डॉ., मनोतोष माजि. "सारबंगाली जीवन में कृतिवासी रामायण का प्रभाव". Journal of Research & Development' 14, № 7 (2022): 57–58. https://doi.org/10.5281/zenodo.6988296.

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Abstract:
<strong>सार</strong> भारत के राष्ट्रीय जीवन में लिखे गए दो महाकाव्यों में से एक बाल्मीकि द्वारा रचित रामायण है। रामायण का अनुवाद भारत की क्षेत्रीय भाषाओं सहित दुनिया की अन्य भाषाओं में किया गया है। बंगाली में अनुवादित सबसे लोकप्रिय रामायण कृतिबास की &lsquo;श्रीराम पांचाली&rsquo; है। हम चर्चा करेंगे कि कैसे कृतिवासी रामायण ने बंगाली जीवन को प्रतिबिंबित और प्रभावित किया। कृतिवासी रामायण मध्यकालीन बंगाली भाषा और साहित्य के उदाहरणों में से एक है। कृतिबास ओझा उत्तर भारत में रामायण के पहले अनुवादक थे। उनकी अनुवादित पुस्तक का नाम &#39;श्रीराम पांचाली&#39; है। कृतिबास की रामायण का प्रकाशन श्रीरामपुर क
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डॉ., मनोतोष माजि. "सारबंगाली जीवन में कृतिवासी रामायण का प्रभाव". Journal of Research & Development' 14, № 8 (2022): 57–58. https://doi.org/10.5281/zenodo.6988596.

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Abstract:
<strong>सार</strong> भारत के राष्ट्रीय जीवन में लिखे गए दो महाकाव्यों में से एक बाल्मीकि द्वारा रचित रामायण है। रामायण का अनुवाद भारत की क्षेत्रीय भाषाओं सहित दुनिया की अन्य भाषाओं में किया गया है। बंगाली में अनुवादित सबसे लोकप्रिय रामायण कृतिबास की &lsquo;श्रीराम पांचाली&rsquo; है। हम चर्चा करेंगे कि कैसे कृतिवासी रामायण ने बंगाली जीवन को प्रतिबिंबित और प्रभावित किया। कृतिवासी रामायण मध्यकालीन बंगाली भाषा और साहित्य के उदाहरणों में से एक है। कृतिबास ओझा उत्तर भारत में रामायण के पहले अनुवादक थे। उनकी अनुवादित पुस्तक का नाम &#39;श्रीराम पांचाली&#39; है। कृतिबास की रामायण का प्रकाशन श्रीरामपुर क
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Talekar, P. R. "अनुवाद संकल्पना और व्याप्ती". International Journal of Advance and Applied Research 5, № 13 (2024): 116–19. https://doi.org/10.5281/zenodo.11260571.

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Abstract:
प्रस्तूत शोध पत्र मूलत: अनुवाद की बुनयादी संकल्पना और अनुवाद की व्याप्ती इसका सैद्धांतिक स्वरूप स्पष्ट करने वाला हैं।वर्तमान जगत में अनुवाद यह एक स्वतंत्र विद्याशाखा बन चूँकि हैं। अनुवाद के क्षेत्र में आज विविध स्तरीय विकास होते हुए हमे दिखाई दे रहा हैं। भारत जैसें विविधस्तरीय देश में आज अनुवाद की वाणिज्यिक अवसरता दिखाई दे पडरही हैं। आज विश्व की मूलत: प्रमुख भाषांएँ अनुवाद की स्तर पर आ चुकीं है। इसिलीएँ इस शोधपत्र में अनुवाद का बुनियादी ढाँचा और अनुवाद की जो मूल संकल्पना हैं और आज विश्वस्तरीय बाजारव्यवस्था में अनुवाद कौनसे स्तर पर हैं इसकी मूलभूत चर्चा ईस शोध पत्र में करने का प्रयास किया हैं।
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पौड्याल Poudyal, नवीन Nabin. "तमिलबाट नेपालीमा अनुवाद – तिरुक्कुरल". Prajnik Bimarsha प्राज्ञिक विमर्श 6, № 11 (2024): 78–86. http://dx.doi.org/10.3126/pb.v6i11.66011.

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Abstract:
नेपाली साहित्य अनुवादको माध्यमबाट पनि धेरै समुन्नत भएको छ । अनवुादको माध्यमबाट नै नेपाली साहित्य अन्यभाषीर अन्य अन्यभाषाका पुस्तक नेपाली पाठकले पढ्न पाउँछन् । तमिल साहित्यको एक महत्वपूर्ण शास्त्रीय प्राचीन ग्रन्थ तिरूक्कुरललाई सुनिता दाहालले तमिलबाट नेपालीमा अनुवाद गरेकी छन् । यसमा तीन खण्ड, तेह्र वटा उपखण्ड र पैतीस वटा शीर्षकीय परिच्छेदहरू र जम्मा १३३० वटा श्लोकहरू रहेका छन् । नेपाली अनुवाद ग्रन्थमा भूमिका, मूलपाठ र अनुक्रमणिका आदि सबै मिलाएर ५८३ + ३८ गरी जम्मा ६२१ पृष्ठहरू रहेका छन् । यसमा मूल तमिल दुई पंक्तिको एकेक श्लोकलाई तमिल लिपिसँगै देवनागरी लिपिमा लिप्यान्तरण गरिएको छ भने त्यसको नेपाल
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फतखुतदीनोवा, इरोडा. "अनुवाद में समतुल्यता की समस्याएं।". Oriental Renaissance: Innovative, educational, natural and social sciences 4, № 22 (2024): 123–25. https://doi.org/10.5281/zenodo.13765702.

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Abstract:
समकक्षता डिग्री, समकक्षता बढ़ाने पर डिग्री का स्थान, आवेदन की विधि अनुवाद में प्रासंगिक मुद्दे माने जाते हैं। इसका उद्देश्य समतुल्यता द्वारा उठाए गए मुद्दों की समस्याओं की पहचान करना, समतुल्यता का मूल्य निर्धारित करना, मूल पाठ और अनुवाद के बीच अर्थों की समानता की तुलना करना है। उद्देश्य: अनुवाद में तुल्यता की डिग्री निर्धारित करना, संचार के लक्ष्य को बनाए रखते हुए वाक्यांशों का अध्ययन करना, तुलना और विशेष शब्दों में समकक्ष अर्थ निर्धारित करना। हमारे शोध का उद्देश्य अनुवाद के पाठ में परिवर्तित मूल पाठ की तुलना और वाक्यांशों का रूप है; और अनूदित पाठ में समकक्ष रूप शोध का विषय है। अध्ययन में तुलन
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प्रा।, नविन चव्हाण. "हिन्दी साहित्य में अनुवाद और बौद्धिक संपदा अधिकार: नैतिक एवं कानूनी पहलू". International Journal of Advance and Applied Research S6, № 12A (2025): 120–24. https://doi.org/10.5281/zenodo.14905152.

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Abstract:
<em>हिन्दी साहित्य में अनुवाद एक महत्वपूर्ण विधा है, जो विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों को जोड़ने का कार्य करती है। अनुवाद के माध्यम से ज्ञान का विस्तार होता है, लेकिन यह बौद्धिक संपदा अधिकार (</em><em>IPR) से भी जुड़ा हुआ है। यह शोध पत्र हिन्दी साहित्य में अनुवाद के नैतिक एवं कानूनी पहलुओं का विश्लेषण करता है, जिसमें कॉपीराइट कानून, अनुवादकों के अधिकार, और डिजिटल युग में उभरती चुनौतियों पर चर्चा की गई है।</em> <em>भारत का <strong>कॉपीराइट अधिनियम, 1957</strong> यह स्पष्ट करता है कि किसी भी साहित्यिक कृति का अनुवाद करने के लिए मूल लेखक या कॉपीराइट धारक की अनुमति आवश्यक है। बिना अनुमति के किया गय
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Gaikwad, Siddheshwar. "English translation of 'Barrister': Dialectics and Balance." RESEARCH HUB International Multidisciplinary Research Journal 9, no. 2 (2022): 10–13. http://dx.doi.org/10.53573/rhimrj.2022.v09i02.002.

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Abstract:
Barrister is a famous Marathi play written by Jaywant Dalvi. Dalvi ji is recognized as a fine writer in the Marathi theater field. Barrister is a dramatization published in 1977. Three years after the original was published, Dr. Vijay Bapat translated it into Hindi in 1980 and placed it in front of the theater-loving readers of the Hindi region. The play deals with social themes, in which the pathetic condition of widows has been clarified. Dr. Vijay Bapat has translated it into Hindi as this topic is new for Hindi theatrical lovers. It is not possible to discuss the entire dramatization here
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Rameshwor Shrestha. "विदेशया यात्रा, स्वदेशया लुमन्ति पर्यावरणया चिन्तन". Nepalbhasha 4, № 2-3 (2025): 107–13. https://doi.org/10.3126/nepalbhasha.v4i2-3.82527.

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Abstract:
छगू थासं मेगु थासय् वनीगु ज्या यात्रा खः । यात्रा याना: थःम्हं खंगु दृष्य, भोगय्‌ याःगु अनुभव, अनुभूति संयोजन याना: रागात्मक भाषां सृजना याइगु गद्य च्वसु नियात्रा साहित्य खः । प्रताप मल्लया प्रतापपुरया शिलालेखय् उल्लेख जूगु महामञ्जुश्रीया नेपाल यात्रा वर्णन नेपालभाषाया नियात्रा साहित्यया विजारोपण खः । धर्मलोक स्थविरया महाचीनयात्रा (ने.सं. १०७०) न्हापांगु नियात्रा साहित्य खः । जिगु विदेशया यात्रा स्वदेशया लुमन्तिइ पर्यावरणया चिन्तन नियात्रा सफू घनश्याम राजकर्णिकारया थीथी नियात्रा सफूती दुथ्याःगु १० पु नियात्रा छथाय् मुनाः नेपालभाषां अनुवाद यानातःगु खः । थ्व सफूती दुथ्याःगु पर्यावरणया अध्ययन थ्व
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शाह, गुणवंती, та डॉ0 शुद्धात्मप्रकाश जैन. "डॉ0 हुकमचन्द भारिल्ल विरचित 'वैराग्य' महाकाव्य में धार्मिक तत्त्वो की समीक्षा". International Researchers Journal Volume-XII, Issue-3 (2025): 1–9. https://doi.org/10.5281/zenodo.14788620.

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Abstract:
डॉ0 हुकमचन्द भारिल्ल वर्तमान शती के आध्यात्मिक महापुरुष हैं। उनका सम्पूर्ण जीवन धर्ममय और अध्यात्म से परिपूर्ण था। अतः उनकी समस्त रचनाओं में धार्मिक चेतना अत्यन्त कूट-कूट कर भरी हुई है। न केवल उनके साहित्य में, अपितु उनके व्याख्यानों में भी धार्मिकता का भरपूर जोर रहता&nbsp; था।&nbsp; डॉ0 भारिल्ल न केवल एक गद्यकार थे, अपितु पद्य के क्षेत्र में भी वे सिद्धहस्त थे। वे एक अनुवादक थे, उन्होंने समयसार, प्रवचनसार आदि जैन ग्रन्थों के हिन्दी में पद्यानुवाद करके एक बेजोड़ कार्य किया है, जो युगों-युगों तक याद किया जायेगा। क्योंकि उनका अनुवाद सहज और सरल होने से आम आदमी के द्वारा बोधगम्य बन पड़ा है।&nbsp;
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पाटिल, विजय. "उज़्बेकिस्तान में हिंदी : दशा और दिशा". Oriental Renaissance: Innovative, educational, natural and social sciences 4, № 22 (2024): 57–61. https://doi.org/10.5281/zenodo.13765056.

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Abstract:
उज्बेकिस्तान में 1940 से 1960 के मध्य हिंदी साहित्यकार प्रेमचंद कृष्णचंद्र,मोहम्मद इकबाल,मिर्ज़ा ग़ालिब अली सरदार, जाफरी अमृता प्रीतम की रचनाएं प्रकाशित की गई ।वर्ष 1960 से 1980 के मध्य 25 भारतीय लेखको की रचनाओं का अनुवाद उज्बेकी में किया जा चुका था। प्रसिद्ध उज़्बेक कवि गफूर गुलाम हमीद गुलाम,असद मुख्तार,हामिद अलीम जान,मिर्तेमीर, शाहिद जूनूनोवा, जैसे कई साहित्यकारों ने भारत के साहित्य पर कविता लेख निबंध रेखाचित्र लिखे। गफूर गुलाम ने रविंद्र नाथ टैगोर, प्रेमचंद, कृष्ण चंद्रर पर निबंध उनकी कविता का अनुवाद किया।उज्बेकिस्तान में हिंदी साहित्य का अध्ययन का प्रारंभ 1947 से माना जाता है। हिंदी साहित्
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मधु, बहुगुणा. "आधुनिक समय में शिल्पग्रन्थों की खोज, अनुवाद, प्रकाशन तथा अध्ययन सम्बन्धी विवरण". RECENT RESEARCHES IN SOCIAL SCIENCES & HUMANITIES (ISSN 2348–3318) 10, № 3 (2023): 37–40. https://doi.org/10.5281/zenodo.8396531.

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Abstract:
प्राचीन भारतीय शिल्पग्रन्थों के सम्बन्ध में आज तक जितना ज्ञान प्राप्त को सका है तथा इस दिशा में जो प्रयास अभी जारी है यह सब बीसवीं सदी की उपलब्धि है] बीसवीं सदी के पहले तक समस्त शिल्पशास्त्र विस्मृति के अंधकारपूर्ण गर्भ में खोए हुए थेA भारतीय बुद्धिजीवियों राष्ट्रीयवादी इतिहासकारों तथा विचारकों के निकट कला के सैधांतिक सैद्धांतिक पक्ष तथा कला व्याकरण पर प्राचीन काल में कोई विचार नहीं किये गये जैसे पूर्व धारणाओं को खंडित करने में सक्षम रही तथा इस विषय पर व्यापक चिंतन] शोधकार्य तथा निबंध लेखन जैसे कार्यों के लिए मार्गदर्शक साबित हुईA अग्रिम कड़ियों में अभिलाषीतार्थ चिंतामणि तथा मानोसल्लास] शिल्पर
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Khaniya, Budda Raj. "गुरुङ – नेपाली शैक्षणिक शब्दकोश Gurung-Nepali Shaishyanik Shabdakosh". Curriculum Development Journal 29, № 43 (2021): 235–47. http://dx.doi.org/10.3126/cdj.v29i43.41056.

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Abstract:
गुरुङ – नेपाली शैक्षणिक शब्दकोशको नमुना प्रस्तुत गर्ने उद्देश्यले तयार गरिएको यो लेख लमजुङ र कास्की जिल्लामा प्रयोग गरिने गुरुङ भाषामा आधारित छ । यसमा प्राथमिक र द्वितीयक दुबै स्रोतबाट तथ्यहरू सङ्कलन गरिएको थियो । प्राथमिक तथ्य सङ्कलनका लागि लमजुङ र कास्की जिल्लाबाट १५–१५ जनाका दरले जम्मा ३० जना गुरुङ मातृभाषी वक्ताहरू उद्देश्यमूलक तरिकाबाट छनोट गरियो । निर्धारित गुरुङ मातृभाषी सूचकहरूसँग प्रत्यक्ष सम्पर्क गरेर तयार गरिएका विभिन्न विषय क्षेत्रसँग सम्बन्धित नेपाली भाषाका आधारभूत शब्दसूची अनुवाद गर्न लगाई प्राथमिक तथ्यहरू सङ्कलन गरियो भने गुरुङ भाषामा प्रकाशित पाठ्य सामग्री, कोश, व्याकरण जस्ता स
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Shrestha, Rabin. "पुनर्जागरणकालय् नेपालभाषा साहित्यया विधागत विकास". Historical Journal 15, № 2 (2024): 130–40. http://dx.doi.org/10.3126/hj.v15i2.70680.

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Abstract:
पुनर्जागरणयात पुनर्जन्म (च्भदष्चतज) नं धाइ अर्थात पुनर्जागरणया शाब्दिक अर्थ हाकनं दनेगु खः । प्राचीनकाल (ने.सं.६२५–९६७)य् च्वन्ह्याय्धुंकूगु नेपालभाषा साहित्य माध्यमिककाल (पुनर्जागरण न्हयःया ई ने.सं.९६७–१०२९ य् वयाः झन थुकिया अस्तित्व न्हनावनीगु अवस्थाय् थ्यन । थुगु अवस्थाय् थ्यंगुया छगू हुनि उगु ईया राणा शासकतय्गु नेपालभाषा प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण खःसा मेगु नेपालभाषा साहित्य ईकथंया ह्यूपाःलिसें न्ह्याःवनेमफुगुलिं नं खः । उबलेया ल्याय्म्हतसें न्ह्यलं चाय्काः नेपालभाषा साहित्य विकासया लागि जागरण हल । नेपालभाषा साहित्यया पुनर्जागरण ईया घटना विधागतकथं व्याख्या जूगु मदु । थ्व च्वसूया उद्देश्य ने
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मानन्धर Manandhar, मदनरत्न Madanratna. "थेरवाद बुद्धधर्मका आधारभूत पक्षहरू". Journal of Buddhist Studies (T.U.) 1, № 1 (2024): 144–58. https://doi.org/10.3126/jbuddhists.v1i1.75102.

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Abstract:
विश्वमा प्रचलित धर्महरूमा बुद्धधर्म एउटा प्रमुख धर्म मानिन्छ । यो धर्मको प्रभाव आज विश्वभरी विस्तार भएको छ । वर्तमान नेपालको दक्षिण पश्चिम तराईमा ई.पू. ६२३ मा जन्मिएका राजकुमार सिद्धार्थ नै बुद्धत्व ज्ञान प्राप्त गरी बुद्ध बनेका हुन् । करिब ४५ वर्षसम्म बोधिज्ञानको प्रचार प्रसार गरी ८० वर्षको उमेरमा देहत्याग गरेका उनको शिक्षाका अनुयायी भिक्षुहरू अर्थात् धर्मका अनुयायीहरू पछि विभिन्न खेमामा विभक्त भए । ती मध्ये थेरवाद परम्परालाई प्राचीनतम मानिन्छ । यस परम्परामा प्रचलित र विद्यमान जीवनोपयोगी, कल्याणकारी शिक्षा, तरिका एवं चर्याले बहुजनलाई हित, सुख र कल्याण गर्नमा मद्दत मिल्दछ भन्ने मान्यता रही आएक
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शाही, खडकबहादुर. "भाषिक पृष्ठभूमिका दृष्टिकोणले बहुभाषिक कक्षा व्यवस्थापन". Innovative Research Journal 3, № 1 (2024): 101–15. https://doi.org/10.3126/irj.v3i1.71034.

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Abstract:
प्रस्तुत भाषिक पृष्ठभूमिका दृष्टिकोणले बहुभाषिक कक्षा व्यवस्थापन शीर्षकको लेख कक्षाकोठा व्यवस्थापनको अध्ययनमा केन्द्रित छ । बहुभाषिक कक्षा व्यवस्थापनसम्बन्धी यस लेखमा गुणात्मक अनुसन्धानअन्तर्गत परिघटनामूलक ९एजभलयmभलयल० ढाँचाको प्रयोग गरिएको छ । यसमा असम्भावनायुक्त नमुना छनोट पद्धतिअन्तर्गत उद्देश्यपूर्ण छनोट विधिको प्रयोग गरी कालीकोट जिल्लाअन्तर्गत शुभकालिका गाउँपालिकाको खस, मगर खाम तथा नेपाली मातृभाषी विद्यार्थी भएका विद्यालयलाई छनोट गरिएको छ । छनोट गरिएका विद्यालयबाट कक्षा दुईमा अध्यापनरत शिक्षक अन्तर्वार्ता तथा कक्षा अवलोकनबाट तथ्य संकलन गरिएको छ । संकलित तथ्यलाई लिप्यान्तरण गरी कोडीकरण गरि
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प, ्रदीप राजा ैरिया(शा ेधार्थी). "र ंगा ें का मना ेवैज्ञानिक प्रभाव व रंग चिकित्सा". International Journal of Research – Granthaalayah Composition of Colours, December,2014 (2017): 1–2. https://doi.org/10.5281/zenodo.891956.

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Abstract:
रंग मना ेवैज्ञानिक ़रुप से हमारे जीवन के पथ क े साथ गहर्राइ से जुड़ा ह ुआ ह ै या दुसरे शब्दों में कह ें तो यह हमारे जीवन का एक सच्चा साहचर्य है। एक ए ेसा साहचर्य जिसक े बगैर जीवन अधूरा सा प्रतीत हा ेता ह ै। इसका हमारे मना ेमस्तिष्क पर नित्य विविध प ्रभाव पड़ता है। यह प्रभाव कभी-कभी साकारात्मक होता है तो कभी-कभी नाकारात्मक भी। इसलिए रंगा ें के चयन व इसके संसर्ग क े प्रति हमें सचेत व सजग रहना चाहिए। रंग हमारे मना ेमस्तिष्क पर अच्छा प ्रभाव डाल सके इसक े लिए हमें रंगा ें क े प ्रति अपनी समझ व संवेदनशीलता को विकसित व परिपक्व करना होगा। हमें यह निश्चित रुप से जानना होगा कि किन रंगा ें का प ्रयोग कि
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Srivastava, Kinshuk. "NEED TO CHANGE THE SYLLABUS OF MUSIC INSTITUTIONS AT THE PRESENT TIME." International Journal of Research -GRANTHAALAYAH 3, no. 1SE (2015): 1–3. http://dx.doi.org/10.29121/granthaalayah.v3.i1se.2015.3402.

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Abstract:
The word education is derived from the Sanskrit ‘Shasa’ metal which means to teach, to instruct, to command. Education is a process that is enlightened with practice and experience through which the widows of a qualified or unqualified person can be refined. In fact, education means learning of a student.Swami Vivekananda is of the opinion that "education is to express the inherent perfection of man."The English translation of education is mkanbanjpavad. This word is from the Latin language, which means to develop or remove.&#x0D; शिक्षा शब्द संस्कृत के ‘शास’ धातु से बना है जिसका अर्थ है शिक्ष
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मुखेडकर, प्रा. डॉ. प्रेमला. "लिव्हिंग हिस्ट्री : हिलरी रॉडहॅम क्लिन्टन". International Journal of Advance and Applied Research 5, № 35 (2024): 24–27. https://doi.org/10.5281/zenodo.13855966.

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Abstract:
सारांश&nbsp;अमेरिकेचे माजी राष्ट्राध्यक्ष बिल क्लिन्टन यांच्या पत्नी हिलरी क्लिन्टन यांची लिव्हिंग हिस्ट्री हे आत्मचरित्र. या आत्मचरित्राचा मराठीत अनुवाद सुप्रिया वकील यांनी केलेला आहे. मेहता पब्लिशिंग हाऊस, पुणे यांनी तो प्रकाशित केलेला आहे. जगातील एका कर्तृत्ववान महिलेचे हे आत्मचरित्र आहे. ते सर्व महिलांसाठी प्रेरणा देणारे दिशादर्शक दीपस्तंभ आहे. या आत्मचरित्राला आत्मकथन म्हणता येईल कारण या आत्मचरित्राच्या प्रसिद्धीनंतरही हिलरी क्लिन्टन यांचे कार्य अविरत सुरू आहे. परंतु या पुस्तकात आत्मचरित्र असा पुन्हा पुन्हा उल्लेख आलेला असल्यामुळे या लेखातही तसा उल्लेख केलेला आहे. हे आत्मचरित्र म्हणजे त्य
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Tamang, Sunita. "भाषानीतिको अवधारणा र भाषानीति निर्माणमा राज्यले निर्वाह गर्नुपर्ने भूमिका". Innovative Research Journal 4, № 1 (2025): 198–210. https://doi.org/10.3126/irj.v4i1.79647.

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Abstract:
भाषानीति कुनै राष्ट्र, राज्य वा संस्थाले अपनाउने भाषासम्बन्धी निर्णय, नियम र कार्यप्रणालीको प्रक्रिया हो । जसले भाषिक विविधताको संरक्षण, प्रवर्धन र व्यवस्थापन गर्छ । प्रस्तुत लेख भाषानीतिको अवधारणा र भाषानीति निर्माणमा राज्यले निर्वाह गर्नुपर्ने भूमिकाको विश्लेषणमा केन्द्रित छ । प्रस्तुत अध्ययनको प्रमुख उद्देश्यहरूमा भाषानीतिका अवधारणाको समीक्षा गर्नु र भाषानीति निर्माणमा राज्यले निर्वाह गर्नुपर्ने भूमिकाको पहिचान गर्नु रहेको छ । यो अध्ययन गुणात्मक विधिमा आधारित रही, वर्णात्मक तथा विश्लेषणात्मक ढाँचामा लेखिएको छ । प्रस्तुत अध्ययनमा भाषानीतिको अवधारणाअन्तर्गत भाषानीतिको ऐतिहासिक एवम् सैद्धान्ति
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मिश्रा, आशा. "पुरातन में निहित नवीनता: भारतीय ज्ञान परंपरा का सामाजिक और शैक्षिक योगदान". Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education 22, № 01 (2025): 477–83. https://doi.org/10.29070/adcd6897.

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Abstract:
भारतीय ज्ञान वेदों, उपनिषदों, स्मृतियों, लोककथाओं और पारंपरिक प्रथाओं से समृद्ध है, जो शासन, नैतिकता, पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक संरचना और आध्यात्मिक ज्ञान सहित विभिन्न विषयों को समाहित करती है। ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद न केवल धार्मिक ग्रंथ हैं, बल्कि इनमें विज्ञान, गणित, चिकित्सा, खगोलशास्त्र और दर्शन के गहरे बीज भी निहित हैं। महाभारत, रामायण, मनुस्मृति, कौटिल्य का अर्थशास्त्र, चरक और सुश्रुत संहिता जैसे ग्रंथों ने राजनीति, समाजशास्त्र, अर्थव्यवस्था और चिकित्सा विज्ञान में अद्वितीय योगदान दिया। इन ग्रंथों में पुरातन में ही नवीनता निहित है। भारत की सामाजिक संरचना — वर्ण, आश्रम, जाति
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K.P., Ushakumari. "PSYCHOLOGY IN YASHPAL'S NOVELS." International Journal of Research -GRANTHAALAYAH 8, no. 12 (2021): 225–27. http://dx.doi.org/10.29121/granthaalayah.v8.i12.2020.2769.

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Abstract:
English: Yashpal's literature is an expression of revolutionary sentiments and ideas. His literature is placed on the ground of reality, in which the struggle of generations and the interruption of social life is highlighted. Being a true Marxist litterateur, he is an advocate of the "Art for Life". He successfully ran his pen in all the disciplines of literature such as story, novel, montage, travelogue, translation, essay. Yashpal is the second revolutionary novelist after Premchand. His major novels are 'Dada Comrade', 'Deshadrohi', 'Divya', 'Party Comrade', 'Man's Form', 'Anita', 'Jhutha-S
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Budha, Man Bahadur. "नेपाली भाषा शिक्षणमा सम्प्रेषणात्मक भाषा शिक्षण पद्धतिको औचित्य". AMC Multidisciplinary Research Journal 4, № 1 (2025): 157–63. https://doi.org/10.3126/amrj.v4i1.78692.

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Abstract:
यो अध्ययनले नेपालका शैक्षिक सन्दर्भमा सम्प्रेषणात्मक भाषा शिक्षण विधिको प्रभावकारिता र चुनौतीहरूको विश्लेषण गरेको छ। अनुसन्धानले मुख्य रूपमा सम्प्रेषणात्मक भाषा शिक्षण विधिले विद्यार्थीहरूको भाषाशिक्षण प्रक्रियामा, शिक्षकहरूको अनुभवमा र कक्षा कक्षको वातावरणमा के कस्तो प्रभाव पार्दछ भन्ने कुरामा केन्द्रित छ। सम्प्रेषणात्मक भाषा शिक्षण एक आधुनिक शिक्षण विधि, संवाद र विद्यार्थी केन्द्रित शिक्षणमा जोड दिन्छ, जुन परम्परागत व्याकरण अनुवाद विधिको तुलनामा धेरै भिन्न छ, जुन नेपालका शैक्षिक प्रणालीमा प्रचलित छ। यस अध्ययनमा गुणात्मक अनुसन्धान विधिहरू, जस्तै शिक्षक र विद्यार्थीहरूको साक्षात्कार र कक्षा अव
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डॉ., संजय पाडुरंग चौधरी. "उन्हाच्या कटाविरुद्ध व्दंव्द पुकारणारी नागराज मंजुळे यांची कविता". International Journal of Advance and Applied Research 2, № 21 (2022): 60–63. https://doi.org/10.5281/zenodo.7052540.

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Abstract:
<strong>प्रस्तावना :-</strong> &lsquo;पिस्तुल्या&rsquo;, &lsquo;फॅन्ड्री&rsquo;, &lsquo;सैराट&rsquo;, &lsquo;पावसाचा निबंध&rsquo;, &lsquo;झुंड&rsquo;, &lsquo;वैकुंठ&rsquo; या बहुचर्चित व प्रथितयश चित्रपट व लघुचित्रपटामुळे नागराज मंजुळे याचे नाव गेल्या दशकभरात देश-विदेशात चर्चेत आहे. &lsquo;फॅन्ड्री&rsquo; या पहिल्या लघुपटापासूनच आपल्या प्रत्येक कलाकृतीवर राष्ट्रीय-आंतरराष्ट्रीय पुरस्कारांची मोहर उमटविणाऱ्या या दिग्दर्शकाने पदार्पणातच आशय आणि अभिव्यक्तीच्या बाबतीत आपले वेगळेपण सिद्ध केले आहे. नागराज मंजुळे यांची प्रत्येक चित्रकृती ही रुपेरी पडद्यावर साकारली गेलेली एक कविताच असते असाही अभिप्राय
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Rajanlal Joshi. "पंग:या दथुइ ब्वलंगु नेपालभाषा शिक्षा". Nepalbhasha 4, № 2-3 (2025): 90–98. https://doi.org/10.3126/nepalbhasha.v4i2-3.82525.

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Abstract:
मांया मुलय् च्वनाः सय्‌कीगु भाषा मेकथं सय्‌कीगु भाय्‌सिबें विशिष्ट व आत्मविश्वास बल्लाकी । मांभाय् दुने सम्वन्धित भाषिया सलंस: दँ न्हेवनिसेंया परम्परा, मूल्यमान्यता अले ज्ञान सुलाच्वनी । मध्यकालय् युरोपय् मांभासं हे शिक्षाया लिसें पुर्नजागरणकालय् भर्नाकुलरया व्यवस्था याना: मांभासं ब्वंकेमा:गु वकालत या:गु खनेदु । अमेरिकाया मार्टिन लुथर किंगं शिक्षाया स्तर थकाय्‌त व धर्मया महत्व केनेत मांभासं हे शिक्षा बीमा: धका: ब: ब्यूगु खनेदु । नेपालय्‌ मध्यकालतक थनया शिक्षाया आधार मांभाय् जूगु खँ थीथी अभिलेखय्‌ खनेदु । नेपालसंवत्‌ २८ या औषधविज्ञानयात ध्वाथुइकेत लंकावतार ग्रन्थ अनुवाद जूगु खनेदु । थ्व ल्याखं
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प्रा., शैलजा पांडुरंग टिळे. "असगर वजाहत के 'मैं हिंदू हूँ' में चित्रित हाशिए का समाज". International Journal of Humanities, Social Science, Business Management & Commerce 08, № 01 (2024): 221–25. https://doi.org/10.5281/zenodo.10500885.

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Abstract:
समकालीन यथार्थ को वाणी देने वाले साहित्यकार असगर वजाहत इक्कीसवीं सदी के विशेष रचनाकार के रूप में सामने आते हैं। उन्होंने लगभग सभी विधाओं में कलम आजमाई है। कहानी, उपन्यास, नाटक, यात्रासाहित्य, निबंध, समीक्षा, अनुवाद, पत्रकारिता आदि बहुविध विधाओं में लेखन किया है। विषय की विविधता, प्रासंगिकता, बहु आयामी कथ्य, भाषा एवं शिल्प का सार्थक प्रयोग, प्रतिबद्धता आपके लेखन की मौलिक विशेषताएं हैं। भारत जैसे बहुभाषिक, बहुसांस्कृतिक देश की आबादी का बड़ा हिस्सा आज भी विकास से कोसों दूर है। शैक्षिक, सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक तथा अपने स्वायत्त अधिकारों से वंचित हैं। एक ओर मुट्ठी भर लोगों के हाथ में देश की धनसंपद
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प्रा., डॉ. वनिता त्र्यंबक पवार निकम. "हिंदी मे अनुदित सर्जनात्मक मराठी पौराणिक उपन्यास'ययाति' एक अध्ययन". Journal of Research & Development' 14, № 12 (2022): 3–7. https://doi.org/10.5281/zenodo.7053410.

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Abstract:
<strong>सारांश</strong><strong>-&nbsp; </strong>&lsquo;ययाति&rsquo; वि.स.खांडेकर रचित मूल मराठी उपन्यास है। जिसका हिंदी अनुवाद मोरेश्वर तपस्वी ने किया है। यह एक रचनात्मक, सर्जनात्मक मराठी पौराणिक उपन्यास है। यह उपन्यास ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित है। यह&nbsp; उपन्यास ययाति की कामकथा है, देवयानी की संस्कार कथा है, शर्मिष्ठा की प्रेम कथा है और कच की अलग-अलग भक्तीगाथा है। इन चार प्रमुख पात्रों के आगे पीछे चलने वाली, फिसलने वाली, हल होती और व्यापक बनती ययाति की कथा में मनुष्य के अंतर मन के राग, द्वेष, लोभ और मोह आदि किसी भी प्रकार के आवरण बिना वर्णित कथा है। मूल रूपसे ययाति की कथा वेध व्यास रचित
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ढकाल, बोधराज. "लेखनाथ पौड्याल र उनको ‘पिँजराको सुगा’ कवितामा अभिव्यञ्जित भाव". Journal of Interdisciplinary Studies 13, № 1 (2024): 212–19. https://doi.org/10.3126/jis.v13i1.73354.

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Abstract:
लेखनाथ पौड्याल र उनको पिँजराको सुगा कवितामा अभिव्यञ्जित भावको विश्लेषण गर्ने उद्देश्यमा यस अनुसन्धानात्मक लेख आधारित छ । यस लेखको अध्ययनको प्रमुख क्षेत्र लेखनाथ पौड्याल र पिँजराको सुगा कविता रहेको छ । यस अध्ययनको समस्याका रूपमा लेखनाथ पौड्यालको कवि व्यक्तित्व र पिँजराको सुगा कवितामा अभिव्यञ्जित भावको स्वरूपलाई लिइएको छ । लेखनाथको कवि व्यक्तित्व र कविता यात्रा एवम् पिँजराको सुगा कवितामा अभिव्यञ्जित भाव कस्तो रहेको छ यस जिज्ञासालाई यस अध्ययनमा निरूपण गरिएको छ । लेखनाथले माध्यमिककालीन श्रृङ्गारिक प्रकृति र अनुवाद रूपान्तरणको परम्पराबाट फुत्कँदै परिष्कारवादी धाराका माध्यमबाट नेपाली कवितालाई आधुनिक
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सौरभ, श्रीवास्तव. "भीमबेटका चित्रकला तकनीक एवं इतिहास". Science world a Monthly e magazine 5, № 1 (2025): 6116–18. https://doi.org/10.5281/zenodo.14773218.

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Abstract:
भारत के हृदय एवं मध्य क्षेत्र के रूप में जाना जाने वाला राज्य मध्य प्रदेश जो अपनी कई कला एवं गुफा कला के रूप में विख्यात है, उनही में से एक स्थान मध्य प्रदेश में बसे भोपाल के भीमबैठिका का भी है । भीमबेटका मध्यप्रदेश के भोपाल से करीब 44से 50 किमी की दूरी पर स्थित है । कई शीलश्रयों के झुंडो के रूप मे विख्यात यह स्थल अपने गुफा चित्र के लिए एवं मानव विकास के इतिहास को दर्शाने के लिए विख्यात है । <strong>चित्र 1-</strong> <strong>भीमबेटका</strong><strong> प्रवेशद्वार शीला</strong>&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp; <strong>चित्र 2</strong>- <strong>भीमबेटक
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प, ्रो. कि ंशुक श्रीवास्तव. "वर्तमान समयानुसार संगीत संस्थाआ ें के पाठ्यक्रम में बदलाव की आवश्यकता". International Journal of Research – Granthaalayah Innovation in Music & Dance, January,2015 (2017): 1–3. https://doi.org/10.5281/zenodo.884618.

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Abstract:
शिक्षा शब्द संस्कृत के ‘शास’ धातु से बना है जिसका अर्थ है शिक्षा देना, निर्देश द ेना, आज्ञा देना। शिक्षा एक ऐसी प्रक्रिया है जो ज्ञान विद्या अभ्यास व अनुभव से युक्त है जिसक े माध्यम से या ेग्य या अया ेग्य व्यक्ति की वृŸिायों का परिष्कार किया जा सकता है। वास्तव म ें शिक्षा का अर्थ ह ै किसी विद्यार्थी के सीखने की क्रिया। स्वामी विव ेकानन्द का मत है ‘‘मनुष्य की अन्तर्निहित पूर्णता को अभिव्यक्त करना ही शिक्षा है। शिक्षा का अंग्र ेजी अनुवाद म्कनबंजपवद है यह शब्द लैटिन भाषा से है, जिसका अर्थ है- विकसित करना अथवा निकालना। ‘‘शिक्ष्यते उपदिश्यत े यत्र सा शिक्षा’’ अर्थात ् जिस माध्यम अथवा प्रणाली के द्व
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Gopikishan. "दैनिक पत्र एवं साहित्यिक पत्रिकाओं में हिन्दी". RECENT RESEARCHES IN SOCIAL SCIENCES & HUMANITIES (ISSN 2348–3318) 9, № 3 (2022): 56–59. https://doi.org/10.5281/zenodo.7362789.

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Abstract:
विचारों से परिमार्जन, परिवर्तन एवं परिवर्द्धन होता रहता हैं। यह सब भाषा का ही परिणाम हैं। आज से लगभग 197 वर्ष पूर्व अर्थात् 1802 में, जबकि अंग्रेजी शासन का सितारा बुलंदी पर था, तत्कालीन गर्वनर जनरल लाॅर्ड वेलेजली ने यह कहा था कि भारत की राष्ट्रभाषा हिन्दी अथवा हिन्दुस्तानी होनी चाहिए। सन् 1803 में गवर्नर जनरल ने एक कानून बनाकर यह आवष्यक कर दिया था कि हिन्दी भाषी क्षेत्रों में लागू होने वाले कानूनों के हिन्दी अनुवाद सरकारी तौर पर उपलब्ध किए जाएँ। 1852 से आगरा प्राॅंत का सरकारी गजट हिंदी में प्रकाषित होने लगा था। इसके अतिरिक्त 3 जुलाई, 1805 को लाॅर्ड लेक ने मथुरा और ब्रज क्षेत्र में गोवध निषेध क
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[Yadav Raj Upadhyay], यादवराज उपाध्याय. "भाषा र पारिभाषिक शब्दावलीको कोशीय प्रारूपः एक विश्लेषण [Lexical Structures of Language and Linguistic Semantics: An Analysis]". Prithvi Journal of Research and Innovation 3, № 1 (2021): 94–111. http://dx.doi.org/10.3126/pjri.v3i1.37438.

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Abstract:
यस शोधन आलेखमा भाषा, भाषा विज्ञानको परिचय तथा शाखाहरूबारे चिनारी प्रस्तुत गर्दै पारिभाषिक शब्दावली र कोशीय प्रारूपबारे खोज विश्लेषण गरिएको छ । भावाभिव्यक्तिको संस्कृति विचार विनिमयको आधार भाषाका बारेमा वैज्ञानिक ढङ्गले अध्ययन गर्ने ज्ञानको शाखा नै भाषा विज्ञान हो । व्याकरण, भाषाशास्त्र हुँदै विकसित भाषा विज्ञानको संरचक पक्षका आधारमा ध्वनि विज्ञान, वणर् विज्ञान, व्याकरण (रूप, रूप सन्धि र वाक्य) र अर्थ विज्ञान प्रमुख शाखाहरू हुन् । अध्ययन विश्लेषणको पद्धतिका आधारमा भाषा विज्ञानका ऐतिहासिक, तुलनात्मक र वणर्नात्मक प्रमुख तिन शाखाहरू छन् । सिद्धान्तकेन्द्री र प्रयोगकेन्द्री आधारमा भाषा विज्ञान सैद्
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निरौला Niraula, टंक प्रसाद Tanka Prasad. "रससामग्रीका सन्दर्भमा अनुभावको सैद्धान्तिक सन्दर्भ {A theoretical context of experience in the context of rasamagrai}". Innovative Research Journal 1, № 1 (2023): 243–48. http://dx.doi.org/10.3126/irj.v1i1.52527.

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Abstract:
प्रस्तुत लेख रस सामग्री अन्तर्गत अनुभावको परिचय, प्रकार र स्थायीअनुसार अनुभावका प्रकारको विभाजनमा केन्द्रित छ । यस लेखलाई विषय परिचय, लेखसार, उद्देश्य, पारिभाषिक शब्दावली, अनुभाव परिचय, प्रकार र स्थायी अनुसार अनुभावका प्रकार, निष्कर्ष र सन्दर्भग्रन्थसूची जस्ता शीर्षक उपशीर्षकमा विभाजन गरेर अध्ययन गरिएको छ । यो लेख व्याख्या विश्लेषणत्मक विधि अपनाएर लेखिएको छ । यसका साथै यस लेखका लागि आचार्य भरतको कृति नाट्यशस्त्र अनि विश्वनाथप्रणीत कृति साहित्य दर्पणलाई प्राथमिक स्रोत र अन्य ग्रन्थलाई द्वितीय स्रोतका रुपमा ग्रहण गरिएको छ l
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Awasthi, Anuradha. "भारतीय परंपरागत लोक कलाओं का इंटीरियर डिजाईनिंग में उपयोग". ShodhShreejan: Journal of Creative Research Insights 1, № 1 (2024): 7–10. https://doi.org/10.29121/shodhshreejan.v1.i1.2024.4.

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Abstract:
डिजाइनिंग का तात्पर्य कला के तत्वों को डिजाइनिंग के सिद्धान्तों के अनुसार उपयोग में लाते हुए किसी वस्तु अपना स्थान के विभिन्न अंगों का संयोजन करने की प्रक्रिया से होता है । सभी मूर्त कलाऐं रंग, रेखा स्‍वरूप पोत, नमूना प्रकाश, तथा खाली स्थान का उपयोग करके डिजाइनिंग के सिद्धान्तों अर्थात् अनुपात, संतुलन, बल एवं लय के अनुसार सुन्दर संयोजन उत्पन्न करने की प्रक्रिया होती है, जिससे किसी वस्तु या स्थान को उपयोगी और आकर्षक बनाया जा सकता है।भारत विश्‍व भर में अपनी लोक कलाओं के लिये प्रसिद्ध है, इन्हीं लोक कलाओं के माध्यम से भारत में विविधता में एकता के दर्शन होते हैं । भारत की लोक कलाऐं परंपरागत कलाऐं
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शेर्पा Sherpa, दावा Dawa. "दोस्रो भाषाका रूपमा नेपाली शिक्षण {Teaching Nepali as a Second Language}". Sotang, Yearly Peer Reviewed Journal 1, № 1 (2019): 26–31. http://dx.doi.org/10.3126/sotang.v1i1.45837.

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Abstract:
मातृभाषापछि बालकले सिकेको जुनसुकै भाषा भएता पनि त्यो दोस्रो भाषा हो । पहिलो भाषा स्वतः प्राप्त हुन्छभने दोस्रो भाषा सिकिन्छ । नेपालमा दोस्रो भाषाका रूपमा नेपाली मातृभाषी बाहेकका अन्य सम्पूर्ण १२२भाषाभाषी बालकहरूले नेपाली भाषालाई दोस्रो भाषाका रूपमा सिक्नुपर्ने अवस्था रहेको छ । नेपाली भाषासरकारी कामकाजको भाषा र शिक्षाको माध्यम भाषा भएकोले यो सबै नेपालीले अनिवार्य रूपमा सिक्नुपर्दछ । दोस्रो भाषा शिक्षणमा नेपाली शुद्धसँग लेख्न र बोल्नका लागि सुनाइ, बोलाइ, पढाइ र लेखाइमा सक्षमबनाउनु हो । दोस्रो भाषा शिक्षण त्रुटिरहति र स्तरीय नेपाली भाषाका दृष्टिले हुने उच्चारण, वाक्यगठन,शब्दभण्डार, लिखित रचना र व
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डा, ॅ. गीताली स. ेनगुप्ता. "र ंगा े का मना ेवैज्ञानिक प्रभाव". International Journal of Research - GRANTHAALAYAH Composition of Colours, December,2014 (2017): 1–4. https://doi.org/10.5281/zenodo.889241.

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Abstract:
रंगा ें क े प ्रति मानव का अनुराग आज से नहीं बल्कि सदिया ें से रहा ह ै। रंग प ्रकृति एव ं ईष्वर की सबसे बह ुमूल्य देन ह ै। रंग क े बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। प ्रकृति द्वारा रचित अनगिनत वस्तुओं क े विविध रंग प ्र ेरणा क े स्त्रा ेत रह े ह ै ं। इन्ह ें देखकर मनुष्य ने उसे चित्रकलाओं, मूर्तिकलाओं, नाट्य एवं साहित्य में उकेरा है। रंगा ें से हमें निरन्तर ऊर्जा एवं चैतन्य शक्ति प ्राप्त होती है, निष्चित ही रंगविहीन जीवन नीरस, उदासीन एवं एकसार होता है। मनुष्य स्वभाव से सुन्दरता प ्रेमी है। अतः रंगा ें स े उसका घनिष्ठ सम्बन्ध रहा है। पहले प्रकृति से फिर धीरे-धीरे व ैज्ञानिक अनुभवा ें
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श्रीमती, आरती शर्मा डॉ. जितेन्द्र शर्मा. "चंदेरी के प्रतिहार शासक और उनका शासन प्रबंध". International Educational Applied Research Journal 09, № 05 (2025): 200–206. https://doi.org/10.5281/zenodo.15571000.

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Abstract:
Abstractचंदेरी क्षेत्र के पुरातात्विक सर्वेक्षणों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस क्षेत्र की प्राचीनता पाषाण काल तक जाती हैं। श्री टीबीजी शास्त्री एवं सीबी त्रिवेदी ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अंतर्गत किये शोध कार्यों से इस क्षेत्र की प्राचीनता के विषय में जानकारी मिलती है। किन्तु राजनैतिक इतिहास सम्बंधी जाकारी का अभाव देखने को मिलता है। इतिहासकारों ने प्राचीन 18 जनपदों में वर्णित चेदि जनपद को चंदेरी कहने का प्रयास किया है। ऋग्वेद में वर्णित है कि चेति देश के निवासियों एवं यहाँ के राजा कसुचेद्य ने ब्रह्मतिथि नामक ऋषि को 100 ऊँट एवं सहस्त्र गाय देने का उल्लेख है। जबकि प्रो. रैप्सन के अनुसार
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कुमार, कनपाल. "श्रीमद्रामायणम् : अनुवादाः रूपान्तरणानि च". International Journal of Sanskrit Research 10, № 4 (2024): 326–32. https://doi.org/10.22271/23947519.2024.v10.i4e.2696.

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श्रेष्ठ Shrestha, प्रकाश कुमार Prakash Kumar. "नेपालमा मौद्रिक नीतिको व्यवस्थापन". Prashasan: Nepalese Journal of Public Administration 53, № 1 (2022): 50–59. http://dx.doi.org/10.3126/prashasan.v53i1.46314.

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Abstract:
मौद्रिक नीति महत्त्वपूर्ण सार्वजनिक नीति हो । समष्टिगत आर्थिक स्थायित्व कायम गर्न तरलता व्यवस्थापन गर्दै कर्जा प्रवाह र ब्याजदरलाई प्रवाहित गर्ने काम मौद्रिक नीतिले गर्दछ । यस लेखमा नेपालमा मौद्रिक नीतिको सुरुवात, हालको तर्जुमा र कार्यान्वयन प्रक्रिया एवम् संस्थागत व्यवस्था, यसका उपकरणहरू र यसको व्यवस्थापनमा असर पार्ने कारक तत्त्वहरूबारे चर्चा गरिएको छ । हाल नेपाल राष्ट्र बैंकले अप्रत्यक्ष उपकरणहरूमार्फत मौद्रिक नीति कार्यान्वयन गर्दछ। नेपाल राष्ट्र बैंक ऐन, २०५८ अनुसार मूल्य र बाह्य स्थायित्व कायम गर्ने उद्देश्य मौद्रिक नीतिको रहेको हुन्छ । बैंक दर, अनिवार्य नगद अनुपात र खुला बजार सञ्‍चालनमार
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कोइराला Koirala, महाराज Maharaj. "कर नीतिको कार्यान्वयन अवस्था, चुनौती र सम्भावनाहरू". Prashasan: Nepalese Journal of Public Administration 53, № 1 (2022): 60–79. http://dx.doi.org/10.3126/prashasan.v53i1.46316.

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Abstract:
सरकारले सार्वजनिक वित्त नीतिमार्फत अर्थतन्त्रमा सार्वजनिक स्रोतको विनियोजन आय र सम्पत्तिको वितरण र पुनःवितरण तथा समष्टिगत आर्थिक स्थायित्व कायम गर्दछ। सार्वजनिक खर्च, सार्वजनिक लगानी, करारोपण, सार्वजनिक ऋण तथा वैदेशिक अनुदान र सहयोगमार्फत यसको प्रयोग गरिन्छ। प्रस्तुत लेखमा करारोपणको विषयमा अध्ययन र विश्लेषण गरिएको छ। राजस्व असुलीको निरपेक्ष र सापेक्षित वृद्धिदर, कर प्रशासनले गरेको प्रयास र कुल गार्हस्थ उत्पादनसँगको अन्तरसम्बन्ध र अनुपात, Tax Buoyancy तथा प्रतिव्यक्ति कर राजस्व र कुल राजस्वका आँकडाहरूले कर नीतिको कार्यान्वयन पक्ष निराशाजनक रहेको छैन, अपितु राजस्व परिचालनका संभावनाहरूलाई उपलब्धि
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श्रवण, कुमार. "प्रबंध वक्रता की दृष्टि से मानस की काव्य भाषा का निर्वचनात्मक विश्लेषण". RESEARCH REVIEW International Journal of Multidisciplinary 05, № 03 (2020): 100–103. https://doi.org/10.5281/zenodo.3818365.

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Abstract:
&lsquo;ध्वनि सिद्धान्त&rsquo; में निहित व्यंजना ही विश्व के सम्पूर्ण महाकाव्य का मूल है। धनंजय ने 10वीं सदी में इसे &lsquo;तात्पर्य&rsquo; अर्थ में व्यंजित किया। कुन्तक ने इन्हें वक्रोक्ति अर्थ में, महिमभट्ट ने इन्हें अनुमान में, मम्मट एवं जयदेव ने महाकाव्य के प्रबन्ध का आधार ध्वनि ही माना। किन्तु जयदेव ने अलंकार के रूप में ध्वनि का प्रतिस्थापित किया। विश्वनाथ ने इस के अर्थ में ध्वनि को ही भेद मानकर महाकाव्य की रचनाधर्मिता को जीवित रखा। प्लेटो के अनुसार, &lsquo;कवि विक्षिप्त प्राणी है और उसका काव्य विक्षिप्त क्षणों की वाणी है। उसका &lsquo;विक्षिप्त&rsquo; शब्द निस्सन्देह निन्दनीय अर्थ का द्योत
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गुप्ता, बरखा रानी, та योगिनी उपाध्याय. "विवाह और तलाक के बारे में सामान्य और कानूनी जागरूकता". Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education 22, № 01 (2025): 410–19. https://doi.org/10.29070/8fcf2v52.

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Abstract:
भारत में तलाक और अलगाव को असामान्य घटना माना जाता है। भारत में वैवाहिक स्थिरता के विभिन्न तत्वों को विभिन्न विषयों से कवर करने वाला साहित्य प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है, लेकिन मात्रात्मक डेटा का अभाव है। यह लेख इन स्रोतों का उपयोग करके विवाह को उसके उचित ऐतिहासिक और सामाजिक परिप्रेक्ष्य में रखता है, और उन तरीकों पर प्रकाश डालता है जिनसे भारत का कानूनी और सांस्कृतिक ढांचा वैवाहिक साझेदारी की दीर्घायु को प्रभावित करता है। यह पत्र तलाक और अलगाव की आवृत्ति, पैटर्न और भिन्नताओं का अनुमान प्रदान करने के लिए एक बड़े राष्ट्रीय प्रतिनिधि सर्वेक्षण के डेटा का उपयोग करता है। तलाक और अलगाव की दरें बढ़ रही
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मौर्या, प्रेमलता, та डॉ रवि कुमार चौरसिया. "प्रमुख काव्य शास्त्रियों के अनुसार काव्य प्रयोजन". Humanities and Development 18, № 1 (2018): 58–62. http://dx.doi.org/10.61410/had.v18i1.112.

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Abstract:
काव्य सोद्देश्य होता है क्योंकि कोई भी मनुष्य किसी का र्य में तभी प्रवृत्त होता है जब उसे उसम इष्टसाधनता और कृतिसाध्यता का ज्ञान हो। ‘इदम्मदिष्टसाधनम्’ यह काम मेरे लिए इष्ट का साधन है, अतएव इसके करने में मेरे मनोरथ की सिद्धि होगी अथवा इस कार्य की कृतिसाध्यता भी है, मैं इसे भलह-भांति कर सकता हूँ। इस प्रकार का उभयविब ज्ञान होने पर ही मनुष्य किसी कार्य में प्रवृत्त होता है।
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शर्मा, शशिकांत निशांत. "हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार के उपाय". Sahitya Samhita 10, № 7 (2024): 6–11. https://doi.org/10.5281/zenodo.13190382.

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Abstract:
<em>यह </em><em>लेख </em><em>हिंदी </em><em>भाषा </em><em>के </em><em>प्रचार-</em><em>प्रसार </em><em>के </em><em>लिए </em><em>विभिन्न </em><em>उपायों </em><em>का </em><em>विश्लेषण </em><em>करता </em><em>है, </em><em>जिसे </em><em>भारत </em><em>में </em><em>सांस्कृतिक </em><em>और </em><em>आधिकारिक </em><em>दर्जा </em><em>प्राप्त </em><em>है। </em><em>वैश्वीकरण </em><em>और </em><em>तकनीकी </em><em>प्रगति </em><em>के </em><em>प्रभाव </em><em>के </em><em>साथ, </em><em>हिंदी </em><em>भाषा </em><em>का </em><em>संरक्षण </em><em>और </em><em>प्रोत्साहन </em><em>आवश्यक </em><em>हो </em><em>गया </em><em
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शादाब, आबी. "डॉ. ए.पी.जे.अब्दुल कलाम के अनुसार शिक्षा के विचार". Humanities and Development 17, № 1 (2022): 85–87. http://dx.doi.org/10.61410/had.v17i1.50.

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Abstract:
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को मद्रास राज्य (वर्तमान तमिलनाडू) के दनुष कोटि ग्राम में हुआ। इनका पूरा नाम डॉ. अवुल पकीर जेनुलाब्दीन अब्दुल कलाम था। इनकी प्राम्भिक शिक्षा श्वाटर्प हाईस्कूल रोमन नाथ्पुरम में हुई। सन 1950 में बी. एस-सी. की परीक्षा सेंट जोसेफ कालेज तिरुचिरापल्ली से उत्तीर्ण की। सन 1955-57 में मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी से एयरोनाटिकल इंजीनियरिंग में डिग्री प्राप्त की। 1958 में वरिष्ठ वैज्ञानिक सहयक के रूप में डी.टी.पी. दिल्ली में नियुक्त हुए। इसी तरह अन्य महत्वपूर्ण पदों पर कार्य करते हुए 25 जुलाई 2002 को राष्ट्रपति पद ग्रहण किया।
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Kandangba, Chalan Chandra. "आठराई गाउँपालिकाभित्रको सामुदायिक विद्यालयमा सञ्चालित मातृभाषाको पठनपाठन". Pranayan प्रणयन 25, № 7 (2025): 24–32. https://doi.org/10.3126/pranayan.v25i7.78142.

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Abstract:
प्रस्तुत लेख नेपालका सामुदायिक विद्यालय विशेष गरेर तेह्रथुम जिल्ला आठराई गाउ“पालिका भित्रका विद्यालयहरुमा मातृभाषा शिक्षाको पठनपाठनको अवस्थामा केन्द्रित रहेको छ । वि.सं.२०७८ सालको जनगणना अनुसार नेपालमा १२४ भाषाहरु अस्तित्वमा रहेका छन् । मातृभाषा शिक्षा सम्बन्धमा रहेका कानुनी तथा नीतिगत व्यवस्था, विभिन्न राष्ट्रिय तथा अन्तर्राष्ट्रिय सन्धि महासन्धिले पारित गरेका घोषणापत्रहरु एवं प्रतिवद्धताहरुको समेत यो लेखमा चर्चा गरिएको छ । आठराई गाउ“पालिकाभित्र मातृभाषा सञ्चालनमा रहेका विद्यालयहरु, भाषा र शिक्षकका नाम, बोलिने भाषाहरुको अवस्था, मातृभाषा शिक्षणको उद्देश्य, देखा परेका समस्याहरु, मातृभाषा शिक्षा
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Prajapati, Srijana. "नालाको मध्यकालीन नेवाः बस्ती संरचना". Nepalese Culture 18 (7 травня 2025): 109–21. https://doi.org/10.3126/nc.v18i1.78293.

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Abstract:
नाला बनेपा नगरपालिकाअन्तर्गत पर्ने महत्वपूर्ण ऐतिहासिक एवम् सांस्कृतिक नगरी हो । को ३ र ४ वडाअन्तर्गत पर्दछ । लिच्छविकालमा यसको नाम नालाङ्गग्राम थियो । यहाँ लिच्छवि तथा मध्यकालदेखिका मूर्त तथा अमूर्त सांस्कृतिक सम्पदाहरू मनग्य पाइन्छन् । मल्लकालमा राखिएका अभिलेख यस क्षेत्रमा पाइन्छन् । तापनि परिसरमा रहेका लिच्छविकालीन अभिलेख र थुप्रै उत्तर लिच्छवि र पूर्व मध्यकालीन मूर्तिहरूले यो क्षेत्र प्राचीन हुनसक्ने अनुमान गर्न सकिन्छ । नाला करुणामय अर्थात् सृष्टिकान्तलोकेश्वरको स्थापनाको इतिहास पाइँदैन । तर वि.सं. २०३५ को तस्बिरमा यो परम्परागत मल्लकालीन शैलीको बनावट देखिन्थ्यो । हाल पुनःनिर्माण भइसकेकोले
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Bansal, Jyotsnaa G. "विश्व शांति, स‌द्भाव और सामंजस्य: भगवद् गीता के अनुसार". International Journal of Applied Research 10, № 3 (2024): 196–200. http://dx.doi.org/10.22271/allresearch.2024.v10.i3c.11764.

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कुमारी, सपना. "आधुनिक समाज के विकास में महिलाओं का घटता अनुपात". International Journal of Advanced Academic Studies 3, № 4 (2021): 131–34. http://dx.doi.org/10.33545/27068919.2021.v3.i4b.764.

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पाण्डेय, जीतेन्द्र कुमार. "भारतीय ज्ञान परंपरा के अनुसार पुराणों में उपलब्ध ऐतिहासिक तथ्यों का अध्ययन". Journal of Research & Development 17, № 4 (2025): 165–72. https://doi.org/10.5281/zenodo.15553193.

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Abstract:
<strong><em>सारांश :-</em></strong> <strong><em>&nbsp;</em></strong><em>भारतीय ज्ञान परंपरा में पुराण केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं हैं, बल्कि ये इतिहास, भूगोल, समाज, संस्कृति और राजनीति का समृद्ध दस्तावेज भी हैं। विष्णु, भागवत, वायु और मत्स्य पुराणों में सूर्यवंश, चंद्रवंश, चोल-पांड्य राजाओं, आर्यावर्त, द्वीपों और नदियों का सुस्पष्ट वर्णन मिलता है, जो ऐतिहासिक शोध के लिए उपयोगी हैं। सामाजिक दृष्टि से वर्ण और आश्रम व्यवस्था, धार्मिक रूप से धर्म, यज्ञ, मोक्ष और कर्म के सिद्धांत का भी विवरण मिलता है। आर्थिक दृष्टि से कृषि, व्यापार और दान-कर व्यवस्था का उल्लेख होता है। इस प्रकार पुराणों में उपलब्ध श्लो
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तिवारी, प्रेमप्रसाद. "‘सहिद’कथामा करुण रस". Butwal Campus Journal 5, № 1 (2022): 234–47. http://dx.doi.org/10.3126/bcj.v5i1.50204.

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Abstract:
विश्लेष्य लेखमा गुरुप्रसाद मैनालीको ‘सहिद’कथालाई पूर्वीय काव्यशास्त्रीय परम्पराको रस सिद्धान्तका आधारमा विश्लेषण गरिएको छ । प्रस्तुत लेखमा करुण रसको सिद्धान्तका आधारमा ‘सहिद’ कथा के कस्तो रहेको छ भन्ने समस्यासँग सम्बन्धित भई अध्ययनलाई अगाडि बढाइएको छ । लेखको मुख्य समस्या समाधानका लागि विभाव, अनुभाव, व्यभिचारीभाव र स्थायीभावको पहिचान गरी रस निष्पत्तिको अवस्था निरूपण गरिएको छ । यस लेखमा सोद्देश्यमूलक नमुना छनोट विधिका आधारमा ‘सहिद’ कथा छनोट गरी पुस्तकालयीय कार्यबाट सामग्री सङ्कलन गरेर रस सिद्धान्तका आधारमा सामग्रीको विश्लेषण गरिएको छ । प्रस्तुत लेखमा वीरबहादुर, देवता बाबु, म पात्र, धने, राम, डल्
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