Academic literature on the topic 'अमृतलाल'

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Journal articles on the topic "अमृतलाल"

1

डॉ., रेखा धीमान. "नर्मदामयी अमृतलाल वेगड़ का कलापक्ष". International Journal of Research - Granthaalayah 7, № 11(SE) (2019): 185–88. https://doi.org/10.5281/zenodo.3587383.

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Abstract:
अमृतलाल वेगड़ जब चलने लगते हैं तो रास्ते थक जाते हैं पर पैर नहीं; कांटे, पत्थर, चट्टानें, बीहड़, जंगल, जानवर, आदिम संस्कृति के लोक मानव, सबके सब नर्मदा का अचमन कर यदि किसी परकम्मी को प्रणाम करते हैं तो वह है सिर्फ एक परकम्मी जिसको नर्मदा ने अपने अमृतजल से नाम दिया है - अमृतलाल वेगड़।<sup>1</sup>&nbsp;&nbsp; आपका जन्म 3 अक्टूबर 1928 को जबलपुर मध्यप्रदेश में हुआ। आपके माता-पिता मूलतः कच्छ गुजरात के रहने वाले थे और बाद में मध्यप्रदेश के जबलपुर शहर में आकर बस गये। वर्तमान में तीन भाईयों का सयुंक्त परिवार है। आप सामान्य कद-काठी, इकहरा बदन, उस पर खादी का कुर्ता पजामा, उन्नत मस्तक, आँखों पर चश्मा आपके व्यक्तित्व का परिचायक है। आप मृदुभाषी, दृढ़ निश्चयी और संवेदनशील व्यक्ति है। आपकी जीवन-संगिनी कान्ता वेगड़ पति और परिवार के प्रति समर्पित सदाचारी, श्रमशील एवं सहृदयी महिला है, जो अपने पति के साथ कदम के साथ कदम मिला कर परकम्मावर्ती रही है। आपका पूरा परिवार गांधी प्रवृत्ति का है। गांधीवादी नियमों को आत्मसात कर स्वयं से संबंधित प्रत्येक कार्य स्वयं करने की आदत है।<sup>2</sup>&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;
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2

अमलपुरे, डॉ.सूर्यकांत विश्वनाथ. "अमृतलाल नागर के कहानियों का अध्ययन". International Journal of Advance and Applied Research 12, № 2 (2024): 192–95. https://doi.org/10.5281/zenodo.14644062.

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Abstract:
<strong>सारांश:-</strong> &nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp; आधुनिक काल के प्ररम्भिक साहित्यकारों में भारतेन्दु जी ,महावीर प्रसाद द्विवेदी ,आदि महानुभावों ने हिंदी साहित्य को समृद्ध करते हुए कई साहित्यकारों को प्रकाश में लाने&nbsp; का कार्य किया है। इस&nbsp; कथासाहित्य में प्रेमचंद के बाद अमृतलाल नागरजी बहुचर्चित और प्रख्यात कथा - साहित्यकार के रूप में सामने आते है। उनके साहित्य में विचारों की गहनता ,समाज का दुःख ,महानता एवं मानवता जैसे भाव का स्पष्टीकरण दिया है।&nbsp; साहित्य और समाज का अटूट सम्बन्ध होने के कारन साहित्य को समाज का दर्पण कहा जाता है।&nbsp; समाज में घटित हर एक गतिविधिओं को साहित्यकार अपनी रचनाओं के माध्यम से अभिव्यक्त करता है।&nbsp; यह अभिव्यक्ति कविता ,नाटक , कहानी ,उपन्यास जैसी अनेक विधाओं में होती है।&nbsp; इस सभी विधाओं में समाज का यथर्थ चित्रण मार्मिक और सक्षम रूप से साहित्यकार करने की कोशिश करता रहता है।&nbsp; यह कार्य हिंदी साहित्य के महान लेखक अमृतलाल नागर&nbsp; जी ने किया है।&nbsp; उनके<strong> </strong>कहानियों में आधुनिक युग की जटिलता ,समाजजीवन की व्यापकता अधिक मात्रा में दिखाई देती है।&nbsp; गहन सामाजिक मयथर्थ कभी चित्रण उनके कथासाहित्य में हुआ है।&nbsp; सामाजिक जीवन को&nbsp; समझने के लिए समाज का सूक्ष्म अध्ययन करना पड़ता है।&nbsp; समाज में स्थापित उच्च ,मध्य और निम्न वर्ग की स्थिति तथा नारी की स्थिति एवं दलित ,किसान मजदुर की स्थिति का चित्रण किया है।&nbsp; उनके साहित्य में उच्च वर्ग भले ही काम मात्रा में अभिव्यक्त हुआ हो परन्तु वह बड़ी सक्षमता से अभिव्यक्त हुआ है।&nbsp; उच्च वर्ग ही शोषण व्यवस्था का निर्माता है परन्तु वह अपने आप को मध्य वर्ग और निम्न वर्ग का रखवाला ,मसीहा और अन्नदाता मानता है।
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3

Dhiman, Rekha. "NARMADAMAYI AMRITLAL VEGAD'S AESTHETIC." International Journal of Research -GRANTHAALAYAH 7, no. 11 (2019): 185–88. http://dx.doi.org/10.29121/granthaalayah.v7.i11.2019.3733.

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Abstract:
Shri Amritlal Vegad has been adorned with Narmada love, adorned with important honors such as 'Shikhar Samman', 'Sharad Joshi Samman', 'Srishna Samman' and Mahapandit Rahul Sanskritayan. He saw Narmada-beauty in his religion, deeds and culture. During the Narmada Pad Yatra you used to have only one mantra, 'Narmada how beautiful you are' chanting it completed your Narmada revolutions. During this time you felt that moment with enthusiasm. Shri Amritlal Vegad's Kala-yatra attains perfection only after attaining the personality of the Narmada River, which flows continuously in Madhya Pradesh. In your vein, the wave of consciousness across the veins can be seen through drawings, drawings, collages that were created during your Narmada Parakamma. The purpose of your post tour has been cultural rather than religious. You saw the beauty of the environment with kindness and reverence.&#x0D; ‘शिखर सम्मान’, ‘शरद जोशी सम्मान’, ‘सृजन सम्मान’ तथा महापंडित राहुल सांस्कृत्यायन जैसे महत्वपूर्ण सम्मानों से सुशोभित श्री अमृतलाल वेगड़ नर्मदा प्रेम से ओत-प्रोत रहे हैं। उन्होंने अपने धर्म, कर्म और संस्कृति में नर्मदा- सौंदर्य को ही देखा। नर्मदा पद यात्रा के दौरान आपका एक ही मंत्र होता था, ‘नर्मदा तुम कितनी सुन्दर हो’ यही जाप करते हुए ही अपनी नर्मदा परिक्रमायें पूरी की। इस दौरान आपने उस पल को उत्साह के साथ महसूस किया। मध्यप्रदेश में अनवरत प्रवाहित होने वाली जीवनदायिनी ‘नर्मदा नदी’ का व्यक्तित्व पाकर ही श्री अमृतलाल वेगड़ की कला-यात्रा पूर्णता को पाती है। आपकी नस-नस में, संपूर्ण शिराओं में चेतना की लहर के दर्शन रेखांकनों, चित्रों, कोलाज के माध्यम से किये जा सकते हैं, जो कि आपकी नर्मदा परकम्मा के दौरान सृजित किये गये। आपकी पद यात्रा का उद्देश्य धार्मिक न होकर सांस्कृतिक रहा है। आपने पर्यावरण सौंदर्य को आत्मीय और श्रद्धा से देखा।
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4

Shalu Parik та Dr. Rajbala. "अमृता प्रीतम के उपन्यासों में नारी विमार्श". Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education 21, № 2 (2024): 51–52. http://dx.doi.org/10.29070/ha61yd76.

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Abstract:
अमृता प्रीतम को उनकी प्रेम भरी कविताओं, कहानियों और जीवन घटनाओं के लिए साहित्य जगत में प्रसिद्धि प्राप्त हुई है। अमृता प्रीतम का उपन्यास ‘पिंजर‘ नारी विमर्श के समस्त घटकों की प्रस्तुति करता है। यह महिलाओं की वास्तविक स्थिति को उजागर करने वाला उपन्यास है। अमृता प्रीतम ने महिलाओं के दृष्टिकोण से विभाजन की कहानी गढ़ने की योजना दर्शाई है। अर्थात् पिंजर उपन्यास में विभाजन के दौरान महिलाओं को जो कुछ सहना पड़ा उसका सजीव चित्रण किया है। बहुत ही सशक्त तरीके से अमृता प्रीतम ने अपना तर्क दिया कि विभाजन के दोनों पक्षों पर देश की महिलाओं का उल्लंघन उसी तरह है जैसे विभाजन ने स्वयं राष्ट्र का उल्लंघन किया था। महिलाओं के साथ होने वाला दुव्र्यहार विभाजन का प्रतिबिंब और परिणाम दोनों है। पिंजर अपने अस्तित्व के भाग्य और सामाजिक दुर्व्यवहार के खिलाफ गद्य में महिलाओं की पुकार है। अमृता प्रीतम के कथानक राजनीतिक और सामाजिक हेरफेर के परिणामस्वरूप महिलाओं की स्थिति को प्रदर्शित करते हैं यह ऐसी स्थिति है जो चिल्लाती है और नाटकीय और त्वरित बदलाव की गुहार लगाती है। नारी के लिए आजादी की रोशनी जीवन अंधकार बन कर आई है इसी का अमृता जी ने साहित्य में नारी बेहना की छाया तथा इसके विरोध को नारी विमर्श के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
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Bano, Irshad. "Overall assessment of Amritrai's personality." RESEARCH REVIEW International Journal of Multidisciplinary 8, no. 1 (2023): 195–98. http://dx.doi.org/10.31305/rrijm.2023.v08.n01.027.

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Abstract:
Amrit Rai has his own indelible identity as a strong advocate of progressive ideology in Hindi literature. He has played a special role in making progressive literature very rich. Vigilant creator Amrit Rai enriched Hindi literature by creating valuable creations in every genre of prose literature. His place is unmatched among the writers who portrayed the social reality of the era in his fiction. He was one of the pioneers of the progressive movement. As a unique creator of sarcastic expression, his creation affects not only for the Hindi world but for everyone because of its ideological concern.&#x0D; Abstract in Hindi Language:&#x0D; हिंदी साहित्य में प्रगतिशील विचारधारा के पुरजोर हिमायती रचनाकार के रूप में अमृतराय की अपनी अमिट पहचान है। उन्होंने प्रगतिवादी साहित्य को अत्यधिक समृद्ध बनाने में विशिष्ट भूमिका वहन की है। सजग रचनाकार अमृतराय ने गद्य साहित्य की प्रत्येक विधा में मूल्यवान सृजन कर हिदीं साहित्य को समृद्ध बनाया। युग के सामाजिक यर्थाथ को अपने कथा साहित्य में चित्रित करने वाले लेखकों में उनका स्थान अप्रतिम है। वे प्रगतिशील आन्दोलन के सूत्रधारों में अग्रणी रहे। व्यंग्यात्मक अभियव्यक्ति के बेजोड़ रचनाकार के रूप में उनका रचना संसार हिंदी दुनिया के लिए ही नहीं अपितु हर किसी के लिए अपने वैचारिक सरोकार के कारण प्रभावित करता है।&#x0D; Keywords: हिंदी साहित्य, अमृतराय, प्रगतिवादी साहित्य, साहित्यकार।
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6

सौरभ, श्रीवास्तव. "अमृता शेरगिल भारतीय आधुनिक कला की अग्रणी". Science world a Monthly e magazine 5, № 1 (2025): 6113–15. https://doi.org/10.5281/zenodo.14773033.

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Abstract:
भारत कला एवं साहित्य का ख़जाना हैं , भारत के कलाकारो एवं साहित्यकारो ने भारत की भारतीय संस्कृति एवं कला को पूरे विश्व में प्रकाशित किया है। इनमे से एक प्रमुख कलाकार के रूप में अमृता शेरगिल का नाम आता है। अमृता शेरगिल हंगरी में जन्मी भारतीय कलाकार है। इन्हे भारतीय आधुनिक कला का अग्रणी माना जाता है। भारत में महिला के जीवन एवं उनके कई रूपो को प्रदर्शित किया अपने चित्रो के माध्यम से वो देश&ndash;विदेश दोनों जगह पर छाई रही । हंगरी से वापस आकर भारत में अंत तक कार्य करती रही एवं 28 वर्ष की छोटी सी उम्र में निधन हो गया ।
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पोतदार, डॉ. अनुराधा विजय. "जागतिक स्तरावर महिलांचे साहित्यिक योगदान". International Journal of Advance and Applied Research 5, № 35 (2024): 4–9. https://doi.org/10.5281/zenodo.13855541.

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Abstract:
प्रस्तावना:&nbsp; &nbsp; भारत हा जगातील सर्वाधिक भाषिक वैविध्य असलेला देश व हीच &nbsp;भाषिक विविधता भारतीय संस्कृतीच्या समृद्धतेमध्ये भर घालते. भारताच्या प्रत्येक प्रदेशाला &nbsp; &nbsp;उत्कृष्ट राष्ट्रीय लेखक, कवी, साहित्यिक &nbsp;आणि काही आंतरराष्ट्रीय कीर्ती असलेली उच्च विकसित साहित्यिक परंपरा आहे. भारत सरकारने साहित्य अकादमी सारख्या संस्थांद्वारे भारतातील प्रत्येक प्रादेशिक भाषा आणि साहित्याचे जतन आणि संवर्धन करण्यासाठी स्वतःला वचनबद्ध केले आहे.&nbsp;भारतीय लेखक, कवी, समीक्षक आणि कादंबरीकारांनी रवींद्रनाथ टागोरांच्या सखोल गीतांपासून ते अरुंधतो रॉय यांनी लिहिलेल्या विचारप्रवर्तक पुस्तकांपर्यंत साहित्यिक भूभागावर चिरस्थायी वारसा सोडला आहे. भारतीय साहित्य पुरस्कारात ज्ञानपीठ पुरस्कार हा सर्वात जुना आणि सर्वोच्च भारतीय साहित्य पुरस्कार, जो लेखकाला त्यांच्या "साहित्यातील उत्कृष्ट योगदानासाठी" दरवर्षी दिला जातो. 1961 मध्ये स्थापन झालेला हा पुरस्कार फक्त भारतीय भाषांमध्ये लिहिणाऱ्या भारतीय लेखकांना दिला जातो. आठ महिला लेखिकांसह 58 लेखकांना हा पुरस्कार आता पर्यंत प्रदान करण्यात आला आहे. 1976 मध्ये, बंगाली कादंबरीकार आशापूर्णा देवी या पुरस्कार जिंकणारी पहिली महिला ठरली आणि 1965 च्या प्रथम प्रोथोम र्पोस्तीश्रुती (The First Promise) या कादंबरीसाठी त्यांना सन्मानित करण्यात आले. अमृता प्रीतम, महेश्वता देवी, अमृता देसाई, अरुंधती रॉय अशा अनेक भारतीय महिला आहेत ज्यांनी भारतीय साहित्यात अतुलनीय योगदान दिले आहे.
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सत्याल, सुदेश. "एकान्त भिड कवितासङ्ग्रहमा श्यामव्यङ्ग्य". Prajna प्रज्ञा 124, № 2 (2023): 183–94. http://dx.doi.org/10.3126/prajna.v124i2.60600.

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Abstract:
प्रस्तुत लेखमा अमृतद्वारा लिखित ‘एकान्त भिड’ कवितासङ्ग्रहमा प्रयुक्त श्यामव्यङ्ग्यको बारेमा अध्ययन गरिएको छ । समकालीन नेपाली कविता परम्परा २०४६—२०७९) मा अपनाइएका विविध विषयवस्तुमध्ये श्यामव्यङ्ग्यको विशिष्ट महत्त्व रहेको देखिन्छ । विशेषतः आख्यान र नाटकमा सशक्त बनेर देखा परेको श्यामव्यङ्ग्य पछिल्लो समय कवितामा पनि सशक्त भएर देखा परेको छ । राज्यको व्यवस्था, राजनीति, नेतृत्व वर्गमा देखिएको विचलनले गर्दा कविहृदय प्रतिरोधी चेतनाको संवाहक बन्न पुग्दछ । नाम मात्रको परिवर्तनले वाक्क भएर प्रदूषित बन्न पुगेको सामाजिक व्यवस्थाप्रति अभिव्यञ्जनात्मक ढङ्गबाट सचेतनाको शङ्खघोष गर्नु लेखकीय कर्तव्यव्यापार हो । यही परिवेशमा लेखिएका अमृतका कवितामा गालीगलोज, घोचपेचभन्दा पर पुगेर सङ्गत असङ्गत युगीन व्यङ्ग्य र स्वैरकाल्पनिक अभिव्यञ्जनाको आधारमा विश्लेषण गरी निष्कर्ष प्रस्तुत गरिएको छ ।
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शर्मा, श्री मयंक, प्रो आशीष रंजन та प्रो ज्योति शर्मा. "जनसांख्यिकीय लाभांशः आत्मनिर्भर भारत की दिशा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के दिशा निर्देश". Lokprashasan 16, № 1 (2024): 75–88. http://dx.doi.org/10.32381/lp.2024.16.01.6.

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Abstract:
भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी (12 मई, 2020) ने ‘‘आत्मनिर्भर भारत‘‘ के लिए आह्वान किया, जिसमें इसके पांच स्तंभों में से एक स्तंभ के रूप में जीवंत जनसांख्यिकी के महत्व पर जोर दिया गया। भारत वर्तमान में एक युवा आबादी से संपन्न देश है, जिसके नागरिक नवीन विचारों और उद्यमशीलता की भावना से ओत-प्रोत है। भारत अपने जनसांख्यिकीय लाभांश का लाभ उठाने के लिए आश्वस्त है। आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2022 में, 65 प्रतिशत से अधिक आबादी की आयु 35 वर्ष से कम है, और आधे से अधिक आबादी 15-59 वर्ष के कामकाजी आयु वर्ग में आते हैं। यह जनसांख्यिकीय लाभ एक बहुमूल्य कार्यबल प्रदान करता है जो भारत के आर्थिक विकास में निर्णायक भूमिका अदा कर सकता है। हालांकि, इन लाभों को अधिकतम करने हेतु, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, कौशल विकास और आलोचनात्मक सोच क्षमताओं को सुनिश्चित करने के लिए कुशल संरचनाओं और तंत्रों को स्थापित करना आवश्यक है। भारत ने अमृतकाल में कदम रखा है, जो हमारे युवाओं के लिए अपनी क्षमताओं का लाभ उठाने और भारत को विकसित राष्ट्र में बदलने का एक सुनहरा अवसर है। इसलिए, यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि हम प्रगति के रास्ते में युवाओं के सामने आने वाली सभी बाधाओं को दूर करने का प्रयास करें। अवसरों के साथ रचनात्मकता आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रयासों को तेज करने के लिए एक आदर्श मंच प्रदान करेगी।
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आज़ाद, विजय भान. "हैमलेट नाटक के अनुवादों का तुलनात्मक अध्ययन (रांगेय राघव, हरिवंशराय बच्चन तथा अमृतराय के विशेष सन्दर्भ में". International Journal of Advanced Academic Studies 4, № 4 (2022): 113–18. http://dx.doi.org/10.33545/27068919.2022.v4.i4b.899.

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