Academic literature on the topic 'आदिम'

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Journal articles on the topic "आदिम"

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भण्डारी Bhandari, मुक्तिप्रसाद Mukti Prasad. "माधवी उपन्यासमा मिथकीय बिम्ब {Mythical Imagery in the Novel Madhavi}". Cognition 7, № 1 (2025): 242–55. https://doi.org/10.3126/cognition.v7i1.74800.

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Abstract:
प्रस्तुत लेख मदनमणि दीक्षितद्वारा लिखित माधवी उपन्यासको मिथकीय अध्ययनमा केन्द्रित छ । शब्दका माध्यमबाट मस्तिष्कमा पर्ने कुनै पनि वस्तुको छायाँ वा चित्र बिम्ब हो भने त्यस्ता चित्रात्मक गुण भएका बिम्बहरूको निर्माण प्रक्रिया नै बिम्बविधान हो । मिथकीय समालोचनाले कृतिमा प्रयुक्त मिथकको मूल रूपको खोजी, परिवर्तित प्रसङ्ग, आद्यरूपीय चरित्र, मिथकीय परिवेश, मिथकीय बिम्बविधान, मिथकीय सान्दर्भिकता आदिजस्ता पक्षहरूको अध्ययन गर्ने भए तापनि यो लेख मिथकीय बिम्बमा केन्द्रित छ । पुस्तकालयीय अध्ययनबाट प्राप्त प्राथमिक तथा द्वितीयक सामग्रीलाई सघन पाठ विश्लेषण तथा आगमनात्मक तर्कपद्धतिको उपयोगद्वारा विश्लेषण गरी नि
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डॉ., सुषमा जैन. "आदिवासी अंग आरेखन कला - गुदना". International Journal of Research - Granthaalayah 7, № 11(SE) (2019): 10–13. https://doi.org/10.5281/zenodo.3585003.

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Abstract:
वन्य जाति या जनजाति को आदिम, आदिवासी, वनवासी गिरिजन अनुसूचित जनजाति के नामों से जाना जाता है, इन्हें हम आदिम या आदिवासी इसलिए कहते हैं, क्योंकि ये भारत के सबसे प्राचीनतम निवासी माने जाते हैं । भारत में द्रविडों के आगमन से पूर्व यहाँ ये ही लोग निवास करते थे। आदिम संस्कृति आखिर है क्या ? आदिम संस्कृति को जानने, समझने का प्रयत्न संपूर्ण विश्व में हो रहा है, जितने पहलु हमने आदिम समूहों के बारे में जान लिए हैं, उतने ही और भी जानने के लिए शेष बचे हैं । भले ही हम आज कितने ही सभ्य और आधुनिक कहलाने लगे हैं, लेकिन यह सत्य है कि, हमारे समाज में आज भी आदिवासियों की संख्या दो तिहाई है<sup>1</sup> । अपनी नि
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Jain, Sushma. "TRIBAL ORGAN DRAWING ART - TATTOO." International Journal of Research -GRANTHAALAYAH 7, no. 11 (2019): 10–13. http://dx.doi.org/10.29121/granthaalayah.v7.i11.2019.900.

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Abstract:
English : The wild race or tribe is known by the name of primitive, tribal, Vanvasi Girijan Scheduled Tribe, these are called primitive or tribal because they are considered to be the oldest inhabitants of India. These people used to live here before the arrival of the Dravidians in India. What is primitive culture after all? Efforts are being made to know, understand the primitive culture all over the world, the more we have learned about the primitive groups, the more are left to learn more. Regardless of how civilized and modern we have become today, but it is true that even today the numbe
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रेग्मी Regmi, अमृता Amrita. "नारायण वत्सको वैदिककालीन नारीको परिचयमा नारीको स्वरूप र सामाजिक भूमिका". Samaj Anweshan समाज अन्वेषण 1, № 2 (2023): 64–72. http://dx.doi.org/10.3126/anweshan.v1i2.65458.

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Abstract:
प्रस्तुत लेखमा नारायण वत्सको वैदिककालीन नारीको परिचय (२०८०) पुस्तकको आधारशिलामा वैदिककालीन नारीहरूका कथामार्फत त्यस समाजमा नारीको सामाजिक अवस्था र भूमिकाको निरूपण गरिएको छ । यसमा वैदिककालीन नारीको सामाजिक स्थान र भूमिकाको मूल्याङ्कन गर्न मानवशास्त्री मोर्गनका मान्यता अनुसरण गर्दै एङ्गेल्सले प्रस्तुत गरेको समाज विकासको चरण र यी चरणमा नारीको सामाजिक स्थान र भूमिका सम्बन्धी मान्यतालाई सैद्धान्तिक मान्यताका रूपमा अनुसरण गरिएको छ । कृतिमा रहेका तथ्यहरूको विश्लेषण र मूल्याङ्कनमा आधारित यो अध्ययन गुणात्मक प्रकृतिको छ । यस पुस्तकले मानवसमाजको आदिम युगमा सृष्टिको निर्माणकर्ताका साथै बुद्धि प्रदायक, ऐश्
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डॉ., सुषमा जैन. "मराठा क्षेत्र में चित्रकला का विकास". International Journal of Research - Granthaalayah 4, № 9 (2016): 198–202. https://doi.org/10.5281/zenodo.580060.

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Abstract:
मराठा क्षेत्र में चित्रकला परंपरा का प्रारंभ प्रागैतिहासिक काल से होता है। मानव ने बहुत ही प्रांरभ में व्यवहार की सजगता के साथ चित्रों के उदाहरण छोड़े हैं। मध्यप्रदेश की आदिम कंदराओं में हमें उस बर्बर पर सुसंस्कृत और सुअलंकृत होने की लालसा के अनुगामी मानव के रचे अनेक रेखीय चिन्ह तथा अस्त्र शस्त्रों के सौंदर्य प्रधान रूप आज हमंें आश्चर्य चकित करते है।1 मराठा क्षेत्र प्रागैतिहासिक चित्रकला में अति समृद्ध हैं, यहां भोपाल, होशंगाबाद भीमबेटका, सुजानपुरा, हिंगलाजगढ़, गांधीसागर बांध, चिब्बड़ नाला, इन्द्रगढ़, मंदसौर, मोढ़ी, शिवपुरी, चोरपुरा, केदारेश्वर आदि अनेक स्थानों पर प्रागैतिहासिक शैल चित्र मिले
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डॉ., सुषमा जैन. "मराठा क्षेत्र मेंचित्रकला का चिकास". International Journal of Research - Granthaalayah 4, № 9 (2019): 198–202. https://doi.org/10.5281/zenodo.3362718.

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Abstract:
मराठा क्षेत्र में चित्रकला पर ंपरा का प्रारंभ प्रागैतिहासिक काल से होता है। मानव ने बहुत ही प्रांरभ में व्यवहार की सजगता के साथ चित्रों के उदाहरण छोड़े हैं। मध्यप्रदेश की आदिम कंदराओं में हमें उस बर्बर पर सुसंस्कृत और सुअलंकृत होने की लालसा के अनुगामी मानव के रचे अनेक रेखीय चिन्ह तथा अस्त्र शस्त्रों के सौंदर्य प्रधान रूप आज हमंे आश्चर्य चकित करते है। मराठा क्षेत्र प्रागैतिहासिक चित्रकला में अति समृद्ध हैं, यहां भोपाल, होशंगाबाद भीमबेटका, सुजानपुरा, हिंगलाजगढ़, गांधीसागर बांध, चिब्बड़ नाला, इन्द्रगढ़, मंदसौर, मोढ़ी, शिवपुरी, चोरपुरा, केदारेश्वर आदि अनेक स्थानों पर प्रागैतिहासिक शैल चित्र मिले ह
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प, ्रो. सुनीता जैन. "चित्रकला म ें र ंग - प्रागैतिहासिक काल मध्यप्रद ेश के विश ेष संदर्भ में". International Journal of Research - GRANTHAALAYAH Composition of Colours, December,2014 (2017): 1–2. https://doi.org/10.5281/zenodo.889223.

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Abstract:
चित्रकला का े अभिव्यक्तिगत सार्म थ्य प ्रदान करने वाले तत्वों में रंग प ्रमुख ह ै। चित्रकला में रंग की अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका है। चित्रकार जिस आधारभूत सतह पर चित्रा ंकन करता है उसमें रंग उसकी पर्या प्त सहायता करते हैं इन्हीं क े आधार पर कलाकृति मानसिक सन्तुष्टि प्रदान करती ह ै। रंग का आधार पाकर बर्नाइ र्गइ रचना अपने अभिष्ट को पाने में समर्थ हा ेती है। रंग के माध्यम से चित्रकार अपनी कृति का े कोमल बनाता ह ै। चित्रकार का बिम्ब-विधान चित्र सुलभ संव ेदनशीलता बह ुत कुछ रंग पर निर्भर करती है। रंग का प ्रया ेग जितना संगीत पूर्ण , उचित आ ैर सन्तुलित होगा मानव के मानस पटल पर उसका प ्रभाव उतना ही गहर
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सापकोटा Sapkota, ढाकाराम Dhakaram. "चेपाङ जाति र यिनका सांस्कृतिक परम्पराहरू". HISAN: Journal of History Association of Nepal 9, № 1 (2023): 71–80. http://dx.doi.org/10.3126/hisan.v9i1.64034.

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Abstract:
नेपालमा रहेका विभिन्न जातजातिहरूमध्ये चेपाङ जाति पनि एक हो । लेखमा नेपालका केही निश्चित क्षेत्रमा बसोबास गर्ने सिमान्तकृत समूहअन्तर्गत रहेको चेपाङ जातिको सांस्कृतिक अवस्थाका बारेमा अध्ययन गरिएको छ । यो जाति निकै लामो समयसम्म राजनीतिक, शैक्षिक, आर्थिकलगायतका विभिन्न स्वरुपमा पिछडिएको अवस्थामा रहेको थियो । प्रकृतिपूजन दृष्टि, संयुक्त परिवारको सामाजिक संरचना, आदिम प्रकारको चालचलन आदि यस जातिका मुख्य विशेषता हुन्। वर्तमान समयमा भने चेपाङ जातिको यस मौलिक पहिचानमा धेरै परिवर्तन आएको छ । समयक्रमसँगै अन्य जाति र समुदायसँगको सम्पर्कले कति कुरा उनीहरूबाट सिक्दै आएका भए तापनि सांस्कृतिक परम्पराहरु सम्पन्
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देवी, सुनीता, та योगेन्द्रप्रसाद त्रिपाठी*. "अनुसूचित जनजातियों में सामाजिक-शैक्षिक परिवर्तन के नए आयाम (उत्तर प्रदेश के संदर्भ में)". Humanities and Development 17, № 1 (2022): 66–70. http://dx.doi.org/10.61410/had.v17i1.45.

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Abstract:
भारत में जनजातियों का समुचित विस्तार देखने को मिलता है। इनको क्षेत्रीय विषमताओं तथा सांस्कृतिक विलक्षणताओं के कारण अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे- जनजाति, आदिम जाति, वन्य जाति, जंगली जाति आदि। डॉ0 घुरिये ने तो इन्हें ‘पिछड़े हिन्दू’ कहा है। जब कुछ विशेष जनजातियों को संविधान की अनुसूचि में शामिल कर दिया गया तो उन्हें ‘अनुसूचित जनजाति’ के नाम से जाना जाने लगा। भारत में अनुसूचित जनजातियों की जनसंख्या वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार 104545716 है जो कुल जनसंख्या का 8.6 प्रतिशत है। जबकि उत्तर प्रदेश की कुल जनसंख्या में से 1134273 अनुसूचित जनजातियाँ है जो कुल जनसंख्या का 0.6 प्रतिशत ही है। उ0प्र0 क
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कु., सुनिता शं. खेकाळे. "तकनीकी और हिंदी बालसाहित्य". International Journal of Advance and Applied Research 4, № 15 (2023): 16–18. https://doi.org/10.5281/zenodo.7866714.

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Abstract:
आज के बच्चे अपनी अभिलाषाओं को इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के माध्यम से नए आयाम देना चाहते है। उन्हें दशकों से आ रही परी कथा, जादूटोना, पशु-पक्षी, पर्यावरण आदिम हरकते आकर्षित नहीं करती। इसलिए कुछ-कुछ बालसाहित्यकारों ने आधुनिकता को ध्यान में रखते हुए नए युग की &nbsp;संभावनाओं को देखते हूए अंतरिक्ष और एलियन के सहारे बालसाहित्&zwj;य में रोचकता पैदा करने का प्रयत्न किया है। आज का पौधा कल का वृक्ष है ठीक उसी तरह आज का बालक कल के देश का भविष्य है। शिक्षित संस्कारवान, जागरूक बालक ही कल की युवा पीढ़ी है और कल ये देश का नाम रोशन करती है। आज के तकनीकी दौर में बालक को इससे रूबरू करने की जरूरत बालसाहित्य के माध्य
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More sources

Books on the topic "आदिम"

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Deore, Dr Sudhir Rajaram. Aadim Talna Sangeet / आदिम तालनं संगीत: Ahirani Bhashetla Kavita Sangrah. Notion Press, 2022.

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Tripathi, Yogesh. Adi Shankaracharya आदि शंकराचार्य. Tingle Books, 2021.

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Langergraber, Günter, Gabriela Dotro, Jaime Nivala, Anacleto Rizzo та Otto R. Stein, ред. आर्द्रभूमि तकनीक: उपचार आर्द्रभूमि के डिजाइन और अनुप्रयोग पर व्यावहाररक जानकारी. IWA Publishing, 2021. http://dx.doi.org/10.2166/9781789062571.

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Abstract:
िुननया भर िें पानी की गुणवत्ता के िानकों को कफर से मलखा जा रहा है ताकक स्ट्वस्ट्थ पाररब्स्ट्थनतकी तंत्र को बढ़ावा दिया जा सके, सुरक्षित पीने योगय जल स्रोतों को सुननब्श्चत ककया जा सके, जैव ववववधता बढ़ाई जा सके और पाररब्स्ट्थनतक कायों को वधधरत ककया जा सके। उपचार आर्द्रभूमि को ववमभन्न प्रकार के प्रिूवषत जल के उपचार के मलए उपयोग ककया जाता है, ब्जसिें नगर अपमिष्र् जल, कृवष और िहरी अपवाह, औद्योधगक अपमिष्र्, संयुक्त िलिागर ओवरफ्लो, आदि िामिल हैं। उपचार आर्द्रभूमियााँ वविेष रूप से धारणीय जल प्रबंधन के मलए अच्छी तरह से अनुकूल हैं क्योंकक वे पररवतरनीय अन्तवारही भार का सािना कर सकती हैं, स्ट्थानीय सािधग्रय
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Book chapters on the topic "आदिम"

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"Hindi Bhasha Scientific and Technological Development." In Educational Transformation in Digital ERA, edited by Suman Devi. NIILM University, 2024. https://doi.org/10.70388/niilmub/241204.

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Abstract:
आज हिंदी विश्व पटेल पर प्रथम भाषा बनने का दवा रखती है जिसका प्रमुख कारण तकनीकी विकास सूचना प्रौद्योगिकी की पत्राचार मीडिया अनुवाद वह जनसंपर्क के कारण हिंदी भाषा का बढ़ता प्रचार एवं प्रसार आज हिंदी के प्रसार व प्रचार का प्रमुख कारण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की सामर्थ व शक्तिशाली भाषा के रूप में हिंदी का विकास होता स्वरूप है आदि जननी संस्कृत भाषा निरोध श्रीत हिंदी भाषा की राजभाषा संपर्क भाषा तथा अनेक बोलियां वह अप बलियो के मध्य अंतर संबंधों के कारण समन्वय आत्मक भाषा है हिंदी साहित्य में हृदय की भाषा है कुछ वर्षों पूर्व हिंदी भाषा में परिभाषित शब्दावली वह संस्कृत के साहित्य का अभाव था परंतु कुछ स्
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Reports on the topic "आदिम"

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Chand, Obindra, Katie Moore та Stephen Thompson. प्रमुख विचार: दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया आदि में विकलांगता-समावेशी मानवतावादी कार्रवाई और आपातकालीन गतिविधियाँ. Institute of Development Studies, 2023. http://dx.doi.org/10.19088/sshap.2023.027.

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Abstract:
विकलांग लोगों को पर्यावरणीय, सामाजिक और संरचनात्मक दिक्कतों और समस्याओं का विभिन्न जटिल संदर्भों और विविध रूपों में सामना करना पड़ता है। मानवीय और अन्य आपातकालीन प्रतिक्रियाओं के दौरान इन बाधाओं के कारण उन्हें अत्यधिक नुकसान भी उठाना पड़ता है तथा उन्हें उपेक्षित और बहिष्कृत भी किया जाता है।1–3 यह स्थिति विशेष रूप से नेपाल और अन्य दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों सहित निम्न और मध्यम आय वाले देशों (low- and middle-income countries) में सामने आई है।4 विकलांग लोगों की जरूरतों, सामाजिक सोच और दुर्गम बुनियादी ढाँचे के बारे में सीमित जागरूकता आपातकालीन स्थितियों में उनके सामने आने वाली चुनौतियों म
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Hrynick, Tabitha. दक्षि􀂳ण और दक्षि􀂳ण पूूर्वव एशि􀀺याा आदि मेंं विकलांं􀀆गताा-समाावेेशीी माानवताावाादीी काार्ररवा ाई और आपाातका ालीीन प्रतिक्रि􀃾याा. SSHAP, 2024. http://dx.doi.org/10.19088/sshap.2023.028.

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