To see the other types of publications on this topic, follow the link: जनहित-कल्याण.

Journal articles on the topic 'जनहित-कल्याण'

Create a spot-on reference in APA, MLA, Chicago, Harvard, and other styles

Select a source type:

Consult the top 50 journal articles for your research on the topic 'जनहित-कल्याण.'

Next to every source in the list of references, there is an 'Add to bibliography' button. Press on it, and we will generate automatically the bibliographic reference to the chosen work in the citation style you need: APA, MLA, Harvard, Chicago, Vancouver, etc.

You can also download the full text of the academic publication as pdf and read online its abstract whenever available in the metadata.

Browse journal articles on a wide variety of disciplines and organise your bibliography correctly.

1

उपाध्याय, विजय प्रकाश. "प्रिंट मीडिया का व्यवसायीकरण और जनहित". Anusandhaan - Vigyaan Shodh Patrika 3, № 01 (2015): 188–89. https://doi.org/10.22445/avsp.v3i01.8610.

Full text
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
2

विश्वकर्मा, राम लाल. "‘‘संस्कृत वाङ्मय में लोक कल्याण की व्यापक भावना’’". Humanities and Development 18, № 1 (2018): 55–57. http://dx.doi.org/10.61410/had.v18i1.111.

Full text
Abstract:
संस्कृत वि‛व की प्राचीनतम भाषा है यह चिर नूतन भाषा हैं क्योंकि सर्वप्राचीन होने पर भी आज किसी भी भाषा से अधिक युवती है। भारतवर्ष का अधिकांश साहित्य संस्कृत भाषा में ही निबद्ध है। संस्कृत वाङ्मय भारतीय संस्कृति का मूल स्रोत है। इसमें मानव कल्याण की भावना कूट-कूट कर भरी है। संस्कृत-साहित्य ‘सर्वेभवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कशिचद् दुःखभाग्भवेत्।।1 तथा ‘‘वसुधैव कुटुम्बकम्’’2 का डिम-डिम घोष करते हुए समाज कल्याण की अवधारणा को स्पष्ट करता है।
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
3

श्री, निवास, та नरेश यादव. "मानव कल्याण हेतु ज्ञानयोग मार्ग की विवेचना". Anthology The Research 8, № 11 (2024): H 52 — H 58. https://doi.org/10.5281/zenodo.11243177.

Full text
Abstract:
This paper has been published in Peer-reviewed International Journal "Anthology The Research"                URL : https://www.socialresearchfoundation.com/new/publish-journal.php?editID=8669 Publisher : Social Research Foundation, Kanpur (SRF International)                  Abstract :  मानव शरीर अपना कल्याण करने के लिए मिला है। प्रत्येक मानव को अपने कल्याण से निराश नहीं होना चाहिए। हमें परमात्मा प्राप्ति का जन्म सिद्ध अधिकार है। ह
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
4

पाटील, योगिता रमेश, та डॉ. पूनम भीमराव वाघमारे. "सामाजिक कल्याण आणि शाश्वतता यात शिक्षणाचे योगदान." International Journal of Advance and Applied Research 5, № 4 (2024): 394–97. https://doi.org/10.5281/zenodo.10911111.

Full text
Abstract:
<strong>गोषवारा:</strong> &nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp; शिक्षण हे मनुष्यालाच नाही तर अखिल विश्वाला जागरूक, सक्षम, सुसंस्कृत बनविण्याचे महत्त्वाचे माध्यम आहे. शिक्षणातून समाज परिवर्तन होत असते. समाज परिवर्तन होत असताना सामाजिक हित किंवा विकास अपेक्षित असतो. हा विकास किंवा हित हे शाश्वत असावे किंवा शाश्वत व्हावे. यासाठी शिक्षणातील अनेक वैविध्यपूर्ण दृष्टिकोनांना प्रोत्साहन दिले गेले पाहिजे. यासाठी उच्च शिक्षणातील अनेक नवीन ट्रेंड उद्यास येत आहे त्यातून ही शाश्वता साधता येईल. शाश्वतता जपत असताना नीतीमूल्ये, कौशल्य यांना अबाधित ठेवणे गरजेचे आहे. त्यांना धक्का लागता कामा नये यासा
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
5

प्रा., गणेश गंभीरराव देशमुख. "अर्थशास्र सामाजिक विज्ञान (Economics as Social Science)". International Journal of Advance and Applied Research 2, № 19 (2022): 70–72. https://doi.org/10.5281/zenodo.7053735.

Full text
Abstract:
<strong>प्रस्तावना :- (Introduction)</strong> सामाजिक कल्याण (social welfare) समाजातील दुर्बल व कुमकुवत घटकांच्या राहणीमानात सुधारणा करून त्यांना आर्थिक विकासाचा लाभ मिळावा या भूमिकेतून केले जाणारे सामाजिक प्रयत्न म्हणजे सामाजिक कल्याण होय. भारतीय संविधानातील कलम ४० मधील मार्गदर्शक तत्वानुसार दुर्बल घटक विशेषतः अनुसूचित जाती-जमाती यांच्या शैक्षणिक सामाजिक व आर्थिक विकासासाठी शासन प्रयत्नशील आहे. कल्याणकारी राज्याचे स्वप्न साकार करण्यासाठी शासनमार्फत उन्नत, समाजाच्या प्रगतीबरोबर समाजातील दुर्बल घटक, अल्पसंख्यांक, मागासवर्गीय, अपंग, महिला इत्यादींच्या कल्याणासाठी प्रयत्न केले जातात. सामाजिक कल्य
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
6

चहांदे, प्रणिता. "प्रतिभाताई पाटील यांच्या सामाजिक कार्याचे अध्ययन". International Journal of Advance and Applied Research 6, № 25(D) (2025): 151–57. https://doi.org/10.5281/zenodo.15340089.

Full text
Abstract:
<strong>सारांश &ndash;</strong> प्रतिभाताई पाटील यांनी समाजकार्यापासून आपल्या कार्यकिर्दीला सुरवात केली. त्यानंतर त्या राजकरणात आल्या. संवेदनशील, शालीन स्वभावाच्या, पारदर्शी व्यक्तित्व असलेल्या, भारतीय पारंपरिक, आदर्श स्त्री, कपाळावर ठसठशीत कुंकू, आणि डोक्यावर पदर, इंग्रजी, हिंदी आणि मराठी या तिन्ही भाषांवर प्रभुत्व असलेल्या अभ्यासू वक्त्या, वकील, सामाजिक कार्यकर्त्या, कुशल संघटक, प्रभावी प्रशासक, कुटुंबवत्सल गृहिणी असे एक विविधांगी प्रगल्भ व्यक्तिमत्व, तसेच राजकारणात राहूनही साधनशुचिता जपलेली जी काही थोडी व्यक्तिमत्वे आहेत, त्यात प्रतिभाताईंचे नाव घेतले जाते. खरं पाहिलं तर, ताईंच्या संपुर्ण र
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
7

प्रा., डॉ. जायेवार जे. एल. "महात्मा गांधीजींची रचनात्मक कार्यक्रमाची संकल्पनाः एक अभ्यास". उदयगिरी - बहुभाषिक इतिहास संशोधन पत्रिका 01, № 04 (2023): 801–9. https://doi.org/10.5281/zenodo.10280093.

Full text
Abstract:
संपुर्ण जगामध्ये जी महामानवे जन्मास आली त्यांनी संपुर्ण जगाचा उध्दार घडवून आनला. त्यांच्या कार्यामुळे संपूर्ण मानव जातीचे कल्याण घडून आले. अशापैकी एक महात्मा गाधी आहेत. भारत भुमीमध्ये महात्मा एक राष्ट़्पीता, तत्वचिंतक, समाज सुधारक, राजकीय चिंतक, इतिहास तज्ञ, अर्थशास्त्रज्ञ, महामानव, शांतीचे दूत अशा विविध रूपामध्ये महात्मा गांधी यांना आपण पाहतो. महात्मा गांधी यांनी आपल्या संपूर्ण जीवनामध्ये संपूर्ण मानवासाठी अतिशय मोलाचे कार्य केलेली आहेत. त्यांनी विविध स्वरूपामध्ये जी कार्य केलेली आहेत त्यामुळे त्यांनी भारतातील नव्हे तर जगातील मानवाचे कल्याण घडवून आले आहे. प्रस्तूत शोध निबंधात महात्मा गांधीजीच
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
8

यादव, पूनम, та डॉ. स्वाति भदोरिया. "युवाओं में इंटरनेट की लत का आवृत्ति और वर्णनात्मक विश्लेषण: सामाजिक समायोजन और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव". International Journal of Advance and Applied Research 6, № 21 (2025): 103–9. https://doi.org/10.5281/zenodo.15255080.

Full text
Abstract:
<strong>सारांश:</strong> यह अध्ययन युवाओं में इंटरनेट की लत के स्तर, सामाजिक समायोजन, और मानसिक स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव का आवृत्ति और वर्णनात्मक विश्लेषण प्रस्तुत करता है। शोध में 300 प्रतिभागियों से डेटा एकत्र किया गया, जिसके आधार पर इंटरनेट की लत और उनके सामाजिक व मानसिक स्वास्थ्य के बीच संबंधों का अध्ययन किया गया। परिणामों से पता चला कि इंटरनेट की लत का उच्च स्तर सामाजिक समायोजन में कमी और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। पियर्सन सहसंबंध परीक्षण ने इन चरों के बीच एक मजबूत सकारात्मक सहसंबंध को उजागर किया, जो दर्शाता है कि जैसे-जैसे इंटरनेट की लत बढ़ती है, वैसे-वैसे सामाजिक
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
9

पाण्डेय, कनिका, та अनीता देवी*. "परिवार कल्याण के प्रति थारू जनजातीय महिलाओं की जागरूकता का समाजशास्त्रीय अध्ययन". Humanities and Development 17, № 1 (2022): 23–29. http://dx.doi.org/10.61410/had.v17i1.35.

Full text
Abstract:
स्वतन्त्रता के पश्चात् भारत में प्रशासनिक एवं आर्थिक दोनो ही व्यवस्थाओं के अन्तर्गत समाज के निर्बल एवं पिछड़े वर्गो के उन्नयन एवं उनको समुचित अधिकार प्रदान करने की नीति को स्वीकार किया गया है। जहॉ तक सामाजिक व आर्थिक रूप से पिछड़ेपन की बात है अनुसूचित जनजातियॉ समग्र भारत में पिछड़ी हुई है। वर्तमान समय में थारू जनजाति की अनेक आर्थिक समस्याओं जैसे प्रति व्यक्ति निम्न आय, रहन-सहन का निम्न स्तर, बचत व विनियोग का निम्न स्तर व ऋणग्रस्तता इत्यादि के मूल में जनसंख्या की अत्यन्त तीव्र बृद्धि ही मूल कारण है। अतः इन समूहों की सामाजिक, आर्थिक स्थिति में सुधार हेतु किसी नीतिबद्ध आयोजन हेतु यह आवश्यक है कि विस
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
10

Pathak, Tanushee, та Gayatri Kishor. "मानव जीवन के कल्याण हेतु यज्ञ - वैदिक वांग्मय के सन्दर्भ में". Interdisciplinary Journal of Yagya Research 5, № 2 (2022): 22–27. http://dx.doi.org/10.36018/ijyr.v5i2.92.

Full text
Abstract:
भारतीय परंपराओं के प्रचलन में तत्वदर्शी ऋषियो ने यज्ञ को भारतीय धर्म का पिता कहा गया है जिसमें मनुष्य जीवन का भी समग्र दर्शन समाहित है। मानव जीवन में यज्ञ की अनिवार्यता वैदिक वांग्मय का निर्देश है। मनुष्य जीवन के विविध आयाम में यज्ञ लाभ को वैदिक वांग्मय के सन्दर्भ में समझना प्रस्तुत अध्ययन का मूल उद्देश्य है। यज्ञ जीवन ही कल्याण कारक है। यह सृष्टि यज्ञ के सिद्धांतो पर चलती है। मनुष्य जीवन इसे सृष्टि है और सृष्टि की उन्नति ही मनुष्य जीवन की उन्नति है। यज्ञमय जीवन जीने वाले से सत्प्रवृत्तियाँ का संवर्धन होता रहता है और इससे देव शक्तिया संतुष्ट रहती है और उसकी सकल कामनाएं पूर्ण होती है अर्थात वह
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
11

कुमारी, रंजीता. "बिहार में मातृ-शिशु कल्याण कार्यक्रम में स्वास्थ्य सेवाओं की वर्तमान स्थिति". International Journal of Advanced Academic Studies 1, № 2 (2019): 226–28. http://dx.doi.org/10.33545/27068919.2019.v1.i2c.388.

Full text
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
12

त्रिपाठी, अभिलाषा. "आश्रम पद्धति विद्यालय, राजकीय विद्यालय और अनुदानित विद्यालयों के छात्राओं में आत्म प्रत्यय:एक तुलनात्मक अध्ययन". Humanities and Development 17, № 1 (2022): 100–104. http://dx.doi.org/10.61410/had.v17i1.53.

Full text
Abstract:
समाज कल्याण विभाग की स्थापना वर्ष 1955 में हुयी। सामाजिक-आर्थिक एवं अन्य स्तर से निर्धन दलित व अन्य वर्गो को कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से समाज की मुख्य धारा में लाने का दायित्व सरकार द्वारा इस विभाग को सौंपा गया। 1955 में अस्तित्व में आकर यह विभाग समय-समय पर परिवर्तित एवं परिवर्धित होकर वर्ष 1995-96 में समाज कल्याण के नाम से अस्तित्व में आया। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि इसका मूल उद्देश्य समाज के निर्धन वर्गो के हितार्थ कल्याणकारी योजनाओं को लाकर उन्हें लाभान्वित करना होता है जिससे वह एक सम्मानित नागरिक के रूप में अपना जीवन-यापन कर सकें। समाज को प्रगति एवं विकासोन्मुखी बनाने में शिक्षा की
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
13

डॉ., कर्मराज वर्मा. "भारत में न्यायिक सक्रियता: सैद्धांतिक एवं संवैधानिक विश्लेषण". Indian Journal of Modern Research and Reviews 3, № 5 (2025): 30–37. https://doi.org/10.5281/zenodo.15450611.

Full text
Abstract:
भारतीय लोकतंत्र में न्यायिक सक्रियता एक प्रभावशाली संवैधानिक प्रवृत्ति के रूप में उभरी है<em>,</em>जिसका उद्देश्य संविधान की मूल आत्मा की रक्षा और सामाजिक न्याय का विस्तार करना है। प्रस्तुत शोध आलेख न्यायिक सक्रियता की वैचारिक आधारशिला<em>, </em>संवैधानिक प्रावधानों तथा इससे संबंधित न्यायिक प्रवृत्तियों का विश्लेषण करता है। इस आलेख में शक्ति पृथक्करण सिद्धांत<em>, </em>न्यायिक पुनरावलोकन की भूमिका<em>, </em>जनहित याचिका जैसे उपकरणों<em> </em>और आधारभूत<em> </em>ढाँचा जैसे न्यायिक नवाचारों का विश्लेषण करते हुए यह समझने का प्रयास किया गया है कि न्यायिक सक्रियता किस सीमा तक वैध<em>, </em>आवश्यक औ
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
14

सिंह, अमूल्य कुमार, та सुमन सिंह. "बाल अपराध : समस्या एवं सामाधान". Humanities and Development 18, № 02 (2024): 99–103. https://doi.org/10.61410/had.v18i2.152.

Full text
Abstract:
वर्तमान में बाल अपराध एक गंभीर समस्या बन गई है। यह समस्या केवल भारत में हीनहीं अपितु विश्व के लिए भी चिन्ता का कारण है। बाल अपराध बालक का लड़कपन या नटखटपन हैजिसके वशीभूत वह कानून का उल्लंघन करता है अथवा जन-कल्याण में बाधा उत्पन्न करता है। बालअपराध को अपराध का मुख्य द्वार कहा गया है। हमारे देश में बाल अपराध में निरन्तर वृद्धि हो रहीहै।
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
15

त्रिवेदी, इन्द्राणी, та पंकज कुमार त्रिवेदी. "हठयौगिक ग्रंथों में कफ संबंधी दोषों को दूर करने के लिये वर्णित यौगिक विधिया : कोविड-19 महामारी के विशेष संदर्भ में". Dev Sanskriti Interdisciplinary International Journal 16 (31 липня 2020): 32–38. http://dx.doi.org/10.36018/dsiij.v16i.153.

Full text
Abstract:
योग एक प्राचीन विद्या है जिसका अभ्यास सहस्रों शताब्दियों से आत्म कल्याण हेतु किया जाता रहा है। आत्मकल्याण का सार मानव कल्याण में निहित है इन ।दोनों ही उद्देश्यों की प्राप्ति योग के द्वारा हो सकती है। वर्तमान समय में व्याप्त कोविड-19 (कोरोना वायनस डिसीज-19) रोग के संभावित समाधान के रूप में योगाभ्यास एक प्रभावी साधन सिद्ध हो सकता है। योग केवल शरीर को ही स्वस्थ नहीं बनाता अपितु मन को भी स्वस्थ करता है। योग रूप ज्ञान गंगा की विभिन्न धाराएं हैं जैसे हठयोग, राजयोग, कर्मयोग, ज्ञानयोग, भक्तियोग। इनमें से हठयोग व्यावहारिक स्तर पर किया जाने वाला एक अभ्यास है जिसका सिद्धांत है कि शरीर के माध्यम से मन और
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
16

प्रा., डॉ. वसंत कदम. "गांधी विचार एक चिंतन.." उदयगिरी - बहुभाषिक इतिहास संशोधन पत्रिका 01, № 04 (2023): 427–30. https://doi.org/10.5281/zenodo.10130789.

Full text
Abstract:
ऐतिहासिक कालखंडामध्ये या पृथ्वीतलावर जे काही महामानव, महानायक, महान क्रांतिकारक, महान योध्दे, महान विचारवंत, आणि महान संत होऊन गेले, त्यामध्ये भारतीयांचे राष्ट्रपिता महात्मा गांधीजी यांच्या नावाचा विश्वातील इतिहासामध्ये अग्रक्रमाने उल्लेख केला जातो.&nbsp; महात्मा गांधीजी नावाच्या महामानवाने भारतीलच नव्हे तर, विश्वातील सर्व मानवप्राणी मात्रांच्या हिताचा ध्यास घेऊन, नवसमाज निर्मितीचे दिव्य मानवतावादी तत्त्वज्ञान मांडण्याचे महान कार्य केले. महात्मा गांधीजींनी मांडलेले तत्वज्ञान आत्मशांती पासून ते विश्वशांती पर्यंत, गावपातळी पासून ते विश्वपातळी पर्यंत, शांती साधक अहिंसे पासून ते क्रांतिकारी अहिंसे
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
17

डॉ., रावसाहेब पिराजी इंगळे, та विजय नागोराव भोपाळे डॉ. "गांधीवाद: एक शास्वत विकासाची प्रेरणा". उदयगिरी - बहुभाषिक इतिहास संशोधन पत्रिका 01, № 04 (2023): 663–66. https://doi.org/10.5281/zenodo.10279087.

Full text
Abstract:
महात्मा, बापू, राष्ट्रपिता या संबोधनाने महात्मा गांधी यांना आज जगभर ओळखले जाते. सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह इत्यादी नैतिक मूल्यांच्या आधारावरच महात्मा गांधी यांनी भारताला ब्रिटिशांच्या गुलामगिरीतून मुक्त केले. गांधी यांनी धर्म, अर्थकारण, राजकारण अथवा एकूण जीवनाचे जे तत्त्वज्ञान मांडले, त्यात त्यांनी अर्थशास्त्र आणि नीतीशास्त्र यांना एकत्रित केले आहे. गांधी असे म्हणतात की, आर्थिक जीवनावर नीतीशास्त्राचा प्रभाव नसेल तर भौतिकवादाच्या अतिरेकामुळे राष्ट्रीय कल्याण साधता येणार नाही. असे प्रभावी विचार महात्मा गांधी यांनी मांडले. त्यांचे विचार चिरंतन, शास्वत असेच आहेत, असे म्हणता येईल.
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
18

Dr., Akhilesh Kumar Sharma Shastri. "Sant Ravidas ki manavatavadi Drishti." Sant Ravidas ki manavatavadi Drishti XIII, no. VI (2017): 42–44. https://doi.org/10.5281/zenodo.15605339.

Full text
Abstract:
भारत भूमि पर अनेक साधु-संतों ने अवतरित होकर मानवता के कल्याण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है। इन सन्तों ने अपने मन-वचन-कर्म से समाज में फैली कुरीतियों को मिटाने का स्तुत्य प्रयास किया है। ऐसे ही स्वनामधन्य सन्त हुए रविदास जी जिन्हें महान सन्त कबीरदास जी ने आदर देते हुए 'सन्तन में रविदास' कहा।&nbsp;इस शोधालेख में सन्त रविदास के मानवतावादी दृष्टि की विवेचना की गई गई है। &nbsp; &ndash;डॉ. अखिलेश कुमार शर्मा 'शास्त्री'
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
19

कनिका та प्रवीन फोजिया. "संयुक्त राष्ट्र संगठन विकास एवं उदय". RECENT RESEARCHES IN SOCIAL SCIENCES & HUMANITIES (ISSN 2348–3318) 10, № 2 (2023): 32–38. https://doi.org/10.5281/zenodo.8151592.

Full text
Abstract:
संयुक्त राष्ट्र संघ एक अंतराष्ट्रीय संगठन है, प्रथम व द्वितीय विश्व युद्ध के उपरांत बनाए गए इस संगठन का उद्देश्य विश्व शांति बनाए रखना था। इसके अतिरिक्ति यह संगठन जन-कल्याण, ऐतिहासिक धरोहर संरक्षण, पर्यावरण सुरक्षा व आतंकवाद जैसे बङे मुद्दों पर भी कार्य करता है। इस संघ का अपना चार्टर है, जिसके अनुसार यह कार्य करता है एंव इसके 6 अंग है। संयुक्त राष्ट्र संघ एक सफल अंतर्राष्ट्रीय संगठन भी कहलाता है। इसमें शामिल होने वाले देशों की संख्या 193 है, व 2011 अंतिम देश जो इसमे शामिल हुआ में दक्षिण सुडान था।
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
20

इंदिरा, रौतेला1 मंजू लता2 बी.सी.मंडल3 मयंक रावत 4. एम.वी.एससी. स्कॉलर1 4. सहायक प्रोफेसर2 प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष3. "पेरि-पार्ट्यूरिएंट अवधि में डेयरी पशुओं की देखभाल". Veterinary Today 4, № 2 (2025): 505–7. https://doi.org/10.5281/zenodo.14893894.

Full text
Abstract:
डेयरी उद्योग कृषि का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जो दूध और दुग्ध उत्पादों के माध्यम से आवश्यक पोषण प्रदान करता है और दुनियाभर में लाखों किसानों की आजीविका का समर्थन करता है। वैश्विक स्तर पर दुग्ध उत्पादों की बढ़ती मांग को देखते हुए, डेयरी पशुओं का कुशल प्रबंधन अत्यंत आवश्यक है ताकि उच्च उत्पादकता, लाभप्रदता और पशु कल्याण सुनिश्चित किया जा सके। विशेष रूप से <strong>पेरि-पार्ट्यूरिएंट अवधि</strong> जैसी महत्वपूर्ण शारीरिक अवस्थाओं के दौरान डेयरी पशुओं की उचित देखभाल उनके स्वास्थ्य और दुग्ध उत्पादन क्षमता को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
21

Mittal, Ayush. "The Concept and Relevance of the Cycle of Creation through Sacrifice in the Bhagavad Gita." Interdisciplinary Journal of Yagya Research 6, no. 2 (2023): 01–04. http://dx.doi.org/10.36018/ijyr.v6i2.113.

Full text
Abstract:
In the current era, the escalation of immoral behavior in the world can be attributed to health challenges and limited mental acuity. Individuals often engage in egregious transgressions without a moment's reflection. For contemporary humanity, personal happiness has become the essence of life. Nevertheless, it is imperative for individuals to comprehend that their ultimate self-interest is intertwined with the welfare of society. The one who orchestrates the well-being of others finds their own tribulations diminished. The conceptual framework of the creation cycle as expounded in the Bhagava
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
22

सुभ्रा, सिंह1 तथा विकास कुमार उज्जैनियां2. "सियामीज़ फाइटिंग (बेट्टा स्प्लेन्डेंस) का लघु पात्रों में पालन: जल गुणवत्ता, शरीर क्रियाविज्ञान, व्यवहार, और उत्तरजीविता पर प्रभाव". Science world a Monthly e magazine 5, № 2 (2025): 6195–98. https://doi.org/10.5281/zenodo.14855872.

Full text
Abstract:
<em>बेट्टा</em><em> </em><em>स्प्लेन्डेंस</em> (रेगैन, 1910), जिसे सामान्यतः सियामीज़ फाइटिंग फिश के नाम से जाना जाता है, एक्वैरियम व्यापार में अपनी विशिष्ट रूपात्मक विशेषताओं, विशेष रूप से विस्तारित पंखों और विविध वर्णक्रम के कारण लोकप्रिय है। हालांकि, इस लोकप्रियता के कारण लघु पात्रों में इनके पालन की प्रथा व्यापक रूप से प्रचलित है, जो कि प्रजाति की जैविक आवश्यकताओं के विपरीत है। यह समीक्षा लेख, <em>बी</em><em>. </em><em>स्प्लेन्डेंस</em> को सीमित जल मात्रा वाले पात्रों में रखने के परिणामस्वरूप जल गुणवत्ता, शरीर क्रियाविज्ञान, व्यवहार, और समग्र कल्याण पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों का वैज्
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
23

Khuntia, Janmejoy, та Reena Bajaj. "आज के युग में कौटिल्य अर्थशास्त्र की प्रासंगिकता". VEETHIKA-An International Interdisciplinary Research Journal 1, № 1 (2015): 102–6. http://dx.doi.org/10.48001/veethika.2015.01.01.015.

Full text
Abstract:
कौटिल्य का अर्थशास्त्र जिसके जनक स्वयं चाणक्य या विष्णुगुप्त या कौटिल्य है जोकि मौर्य वंश का शासक नियुक्त करने में भी अहम् भूमिका निभाते हैं। चाणक्य भारत के प्रथम महान राजनीतिज्ञ व कुशल आर्थिक नीतियों के जनक के रूप में जाने जाते हैं चाणक्य की नीतियाँ वर्तमान युग में भी अति प्रासंगिक है इस लेख में चाणक्य के राजनीतिक तथा आर्थिक सिद्धांतों का उल्लेख किया गया है जिससे देश की कुशल व्यवस्था संचालन प्रक्रिया संभव हो पाती है कौटिल्य के अर्थशास्त्र के माध्यम से हमें इस बात का बोध होता है कि देश के राजा के क्या कर्त्तव्य है तथा प्रजातंत्र को कैसे सुदृढ़ बनाकर देश की जनता का कल्याण किया जा सकता है।
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
24

डॉ, . रोहिणी अंकुश. "स्वामी दयानंद सरस्वती व महिला सबलीकरण". International Journal of Advance and Applied Research S6, № 7 (2025): 171–73. https://doi.org/10.5281/zenodo.14791672.

Full text
Abstract:
महिला सक्षमीकरणावर गेल्या दोन दशकांमध्ये सखोल चर्चा झाली आहे, ज्याचा संदर्भ महिलांना समान-अधिकार मिळवून देण्यासाठी महिलांचे सामाजिक, आर्थिक, राजकीय आणि कायदेशीर सामर्थ्य वाढवणे आणि सुधारणे आहे. वाढत्या अर्थव्यवस्थेत महिलांचा मोठा वाटा आहे. शाश्वत विकास साध्य करण्यासाठी महिला सक्षमीकरण आवश्यक आहे. उत्पादक आणि पुनरुत्पादक जीवनात स्त्री आणि पुरुष दोघांचा पूर्ण सहभाग आणि भागीदारी आवश्यक आहे. जगाच्या सर्व भागांमध्ये, कामाच्या ओझ्यामुळे आणि शक्ती आणि प्रभावाच्या कमतरतेमुळे महिलांना त्यांचे जीवन, आरोग्य आणि कल्याण धोक्यात येत आहे. महिला सशक्तीकरणाची सध्याची परिस्थिती समाजाच्या विविध भागांमध्ये अत्यंत
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
25

आचार्य मनीष जी, आचार्य मनीष जी, डॉ अभिषेक डॉ. अभिषेक ., डॉ जयंत बत्रा डॉ. जयंत बत्रा та डॉ गितिका चौधरी डॉ. गितिका चौधरी. "यकृतोत्पत्ति की अवधारणा की व्यवस्थित समीक्षा". International Journal of Physical Education & Sports Sciences 18, № 1 (2024): 7–11. http://dx.doi.org/10.29070/hjc9we22.

Full text
Abstract:
आयुर्वेद शारीर अवयव उत्पत्ती और रचनासे निगडित विभाग है.आधुनिक शास्त्र मे भ्रूण विज्ञान के रूप में भी जाना जाता है, अध्ययन का एकमात्र क्षेत्र है जो यकृत की समस्याओं के अध्ययन और निदान और उनके इलाज के सर्वोत्तम तरीके के पेशेवर निर्धारण के लिए समर्पित है। इसका लक्ष्य बीमारी में योगदान देने वाले मूलभूत तंत्र पर प्रकाश डालकर बीमारी की बेहतर रोकथाम और इलाज करना है। इसलिये यकृत निर्मिती का ज्ञान बहोत महत्व राखता हेपेटोजेनेसिस एक ऐसा क्षेत्र है जो नवीन प्रयोगात्मक, ऊतक और इमेजिंग दृष्टिकोण के उपयोग के माध्यम से यकृत स्वास्थ्य और बीमारी के कारणों की जांच करता है। यह अध्ययन उत्पत्ती के ज्ञान के साथ जिसम
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
26

वर्मा, नेहा. "‘‘पूर्व बाल्यावस्था में शिक्षा एवं खेल से बच्चों के विकास पर पड़ने वाला प्रभाव’’". Humanities and Development 18, № 02 (2024): 111–16. https://doi.org/10.61410/had.v18i2.155.

Full text
Abstract:
खेल वह क्रिया है, जिसमं े आनन्द, स्वतंत्रता एव ं आत्म-प्रेरणा तीनां े गुण मिलते हां।सभी बच्चों को अन्वेषण क े लिए हँसन े व आनन्द उठाने के लिए समय, जगह, अवसर और अकेले यादोस्तां के साथ खेलना जरूरी है। इसलिए खेल को प्रात्े साहित करना आवश्यक है, जिससे सभी बच्चांके विकास, शिक्षा और कल्याण में सहयोग कर सकते है। खेल के माध्यम से बच्चों के शारीरिककौशल को विकसित करन े एव ं स्वस्थ रहने में सहायता मिलती है। खेल बच्चां को ज्ञान बढ़ाने मेंनिर्णय लेन े में एवं मानसिक कौशल विकसित करने में सहायता करता है। खेल बच्चां में रचनात्मकताको प्रात्े साहित करता है। खेल के द्वारा बच्चे की मांसपेशियां का व्यायाम होता है,
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
27

., प्रेमवती. "कबीरः- मानवतावादी समाजसुधारक". International Journal of Science and Social Science Research 1, № 3 (2023): 217–21. https://doi.org/10.5281/zenodo.13623125.

Full text
Abstract:
जिस समय कबीरदास जी का अविर्भाव हुआ। उस समय भारत देष में भक्ति आन्दोलन की लहर प्रवल थी। हिन्दू-मुसलमानों में मतभेद चरम सीमा पर था। मुसलमानो के आगमान से हिन्दू समाज पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ा। उस समय समाज में अनेक प्रकार की बुराइयाँ व्याप्त थी। जैसे जातिगत भेदभाव हिंसा, साम्प्रदायिकता,धार्मिक पाखण्ड,छुआछुत, ऊँच-नीच रूढिवादी,अन्धविष्वास आदि। कबीरदास ने समाज में फैली इन बुराइयों को दूर करने के लिए जो मार्ग अपनाया वैसा किसी भी साधु-सन्त और भक्त ने नही अपनाया।यह कहना गलत नही होगा कि कबीर जैसा समाज सुधारक एंव मानवतावाद की स्थापना करने वाला निर्गुण भक्त कवियों में दुसरा कोई कबीर का स्थान सर्वोपरि है।
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
28

भाग्यश्री, सहस्त्रब ुद्धे. "सिन े संगीत म ें शास्त्रीय राग यमन का प्रय¨ग - एक विचार". International Journal of Research - GRANTHAALAYAH Innovation in Music & Dance, January,2015 (2017): 1–3. https://doi.org/10.5281/zenodo.886051.

Full text
Abstract:
हिन्दुस्तानी संगीत राग पर आधारित ह ै। राग की परिभाषा अलग-अलग विद्वान¨ं ने अपनी-अपनी पद्धति से दी ह ै परन्तु सबका आशय ”य¨ऽयं ध्वनिविषेषस्तु स्वर वर्ण विभूषितः रंजक¨जन चित्तानां सः रागः कथित¨ बु ेधैः“ से ही संदर्भित रहा है। अतः यह कहा जा सकता ह ै कि भारतीय संगीत की आत्मा स्वर, वर्ण से युक्त रंजकता प ैदा करने वाली राग रचना में ही बसती ह ै। स्वर¨ं क ¢ बिल्ंिडग बाॅक्स पर राग का ढाँचा खड़ा ह¨ता है। मोटे त©र पर ये माना गया है कि एक सप्तक क¢ मूल 12 स्वर सा रे रे ग ग म म प ध ध नि नि राग क ¢ निर्माण में वही काम करते ह ैं ज¨ किसी बिल्डिंग क ¢ ढाँचे क¨ तैयार करने में नींव का कार्य ह¨ता ह ै। शास्त्रकार¨ं न
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
29

Soni, Jitendra Kumar. "Concept of Sarvodaya: Gandhian Paradigm." RESEARCH HUB International Multidisciplinary Research Journal 9, no. 3 (2022): 08–16. http://dx.doi.org/10.53573/rhimrj.2022.v09i03.002.

Full text
Abstract:
The great idea of ​​Sarvodaya was in Gandhi's mind from the very beginning, which was flourishing in sync with ancient Indian philosophies like Buddha and Jain philosophy and scriptures in which Gita was main etc., but he was engaged in further refine this idea. Through this concept, Gandhi seeks the welfare of all individuals without any discrimination. It is based on the idea that the welfare of every individual can happen only when there is welfare of the entire members of the society.&#x0D; Today, when the world is sitting on a pile of atoms, which can blow up at any time with a bang. The
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
30

Khuntia, Janmejoy, and Reena Bajaj. "Bhartiya Arthvyavastha Mein Gandhiwadi Arthshastra Ki Bhumika." VEETHIKA-An International Interdisciplinary Research Journal 2, no. 1 (2016): 84–90. http://dx.doi.org/10.48001/veethika.2016.02.01.017.

Full text
Abstract:
जैसाकि हम सभी जानते हैं कि राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी ने भारत को ब्रिटिश औपनिवेशिक शक्तियों से मुक्त कराने में अत्यंत महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है जिसे कभी भी भुलाया नहीं जा सकता है। पश्चिमी अर्थशास्त्रियों ने अर्थव्यवस्था के संचालन से संबंधित मौद्रिक एवं भौतिकतावादी अर्थशास्त्र की रचना की वहीं गाँधी जी ने सभी प्राणियों के कल्याण हेतु तथा कुशल राजसंचालन से संबंधित आध्यात्मिक तथा नैतिकतापूर्ण अर्थशास्त्र की रचना की जो समस्त वर्ग के लोगों, पूँजीपतियों तथा देश की आर्थिक क्रियाओं के कुशल संचालन के लिए आज भी प्रासंगिक है। इस लेख के माध्यम से गाँधी जी के आर्थिक विचारों पर प्रकाश डाला गया है जो यह ब
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
31

पूनम, भूषण. "परम्परा एवं लोकाचार". Recent Researches in Social Sciences & Humanities (ISSN: 2348 – 3318) 9, № 2 (Apr.-May-June) (2022): 72–74. https://doi.org/10.5281/zenodo.6844227.

Full text
Abstract:
परम्परा लम्बे समय से चली आ रहे व्यवहार है। यह पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तान्तरित होने वाला व्यवहार है। परम्परा आध्यात्मिक शक्तियों में निहीत होती है। लोकाचार का प्रयोग सबसे पहले अमरीकी समाजशास्त्री समनर ने 1906 में अपनी पुस्तक Folkways में किया था। लोकाचार को स्पष्ट करते हुए समनर लिखते है लोकाचार से मेरा तात्पर्य ऐसी लोकप्रिय रीतियों और परम्पराओं से है जिनमें जनता के इस निर्णय का समावेश हो चुका है कि वे सामाजिक कल्याण में सहायक है और वह व्यक्ति पर दबाव डालती है कि वह अपना व्यवहार उनके अनुरूप रखे यद्यपि कोई सत्ता उसे बाध्य नही करती । मानव सभ्यता के सम्पूर्ण इतिहास मे ऐसा कोई समय नही मिलता जब इनका प्रभा
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
32

कुमार, प्रमोद, та सन्तोष कुमार सिंह. "कृषि महिला श्रमिकों की आर्थिक स्थिति में सरकारी एवं गैर-सरकारी प्रयासों की भूमिका". Humanities and Development 19, № 02 (2024): 49–53. https://doi.org/10.61410/had.v19i2.189.

Full text
Abstract:
भारतीय सामाजिक परिवेश में महिला कृषि श्रमिकों की सामाजिक-आर्थिक प्रस्थिति सम्पूर्ण देश के आर्थिक पक्ष का महत्वपूर्ण परिदृश्य है। भारत की अर्थ व्यवस्था में कृषि क्षेत्र महत्वपूर्ण घटक है। ग्रामीण परिवेश में सामाजिक-आर्थिक चुनौतियां जटिल स्वरूप को स्पष्ट करती हैं। ग्रामीण महिला कृषि श्रमिकों की प्रस्थिति को उच्च बनाने हेतु बहुआयामी सुधार की भी आवश्यकता है जिसमें आय सुरक्षा में वृद्धि, कार्यशील, परिस्थितियों में सुधार, सामाजिक सुरक्षा, भूमि सुधार में वृद्धि, लौगिक असमानता को समाप्त करते हुए महिला कृषि श्रमिकों के जीवन स्तर में वृद्धि, सरकारी प्रयास के माध्यम से नागरिक समाज एवं अन्य हितधारकों, समा
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
33

Talekar, P. R. "आदिवासींच्या विकास योजना – एक अभ्यास". International Journal of Advance and Applied Research 5, № 13 (2024): 88–92. https://doi.org/10.5281/zenodo.11259839.

Full text
Abstract:
महाराष्ट्र राज्यातील अनुसूचित जमातीच्या लोकांची संस्कृती व त्यांची मुल्ये यांचा आदर राखून त्यांना सक्षम बनवून त्यांचा विकास सुनिश्चित करणे. भारतीय संविधानाच्या मार्गदर्शक तत्वानुसार राज्यातील अनुसूचित जाती व अनुसूचित जमातीच्या लोकांचे शिक्षण व आर्थिक हितसंबंध जपण्यासाठी विशेष काळजी घेणे आणि त्यांचे सामाजिक अन्याय व इतर पिळवनुकीपासून संरक्षण करणे. त्या अनुषंगाने अनुसूचित जमातींचा शेक्षणिक, आर्थिक आणि सामाजिक सुधारणांच्या कार्यक्रमावर भर देण्यात आला आहे. समाज कल्याण विभागाकडून आदिवासी विभागाची निर्मिती सन १९८३ मध्ये करण्यात आली. आदिवासी जनतेच्या विकासासाठी आदिवासी विकास विभाग विविध विकास योजना र
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
34

प्रा., डॉ. एन. एस. गेडाम प्रा. डॉ. एन. एस. गेडाम. "महिलांचे अधिकार आणि महिला सबलीकरण". International Journal of Advance and Applied Research 4, № 30 (2023): 145–48. https://doi.org/10.5281/zenodo.8394773.

Full text
Abstract:
&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp; महिला सबलीकरण म्हणजे कायदे व महिला कल्याण कार्यक्रमाच्या माध्यमातून आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक व राजकीय&nbsp; सर्व क्षेत्रांमध्ये महिलांना पुरुषांच्या बरोबरीने हक्क व दर्जा प्रदान करणे होय. महिलांना विकासाची संधी उपलब्ध करून स्त्री-पुरुष असमानता नष्ट करणे होय. भारतीय संविधानात महिला-पुरुष, श्रीमंत-गरीब आणि साक्षर-निरक्षर यांना समान संरक्षण प्रदान करण्यात आले आहे. कायद्यापुढे समानतेसाठी व शोषणमुक्त समाजाच्या स्थापनेसाठी कटिबद्ध असलेल्या आपल्या संविधानाच्या निर्मात्यांनी सर्वांना सामाजिक-आर्थिक आणि राजकीय न्याय देण्याची ग्वाही देतानाच संविधानापुढे स्त्री-पुरुष
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
35

Bajpai, Neeta. "सामाजिक गतिशीलता लोकतंत्र और आतंकवाद". RESEARCH EXPRESSION 6, № 9 (2023): 29–35. https://doi.org/10.61703/re6.

Full text
Abstract:
शास्त्रीय रूप में लोकतंत्र लोगों की अभिव्यक्ति को वास्तविक रुप प्रदान करता है। किंतु समसामयिक विश्व जन पुंज समाजों का विश्व है। इसमें इस शास्त्रीय उक्ति के लिये अधिक स्थान नहीं है कि लोकतंत्र जनता का जनता के लिये जनता द्वारा शासन है। अभिजन वादियों और नव उदार वादियों ने लोकतंत्र का अधिक व्यवहारिक रुप प्रस्तुत किया है। आज का प्रजातंत्र राजनैतिक निर्णय निर्माण शक्ति को जनता के मतों द्वारा प्रतियोगिता पूर्ण तरीके से प्राप्त करने का संस्थागत प्रयास है। वस्तुतः राजनीति सत्ता के लिये संघर्ष है और लोकतंत्र की यह विशेषता है कि वह सत्तात्मक प्रतियोगिता हेतु खुला मंच प्रदान करता है एवं निर्वाचनिय बहुलतंत
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
36

Ruchi Pal та Dr. Swati Bhadhauriya. "किशोरवस्था के पुरुषों में मानसिक स्वास्थ्य पर मोटापे के प्रभाव का सामाजिक अध्ययन". Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education 21, № 3 (2024): 249–56. http://dx.doi.org/10.29070/hdagdx71.

Full text
Abstract:
इस अध्ययन का मुख्य उद्देश्य किशोरवस्था में बालक और बालिकाओं में बढ़ते मोटापे के मानसिक प्रभावों का विश्लेषण करना है। आधुनिक जीवनशैली और आहार संबंधी आदतों में परिवर्तन के कारण मोटापे की समस्या तेजी से बढ़ रही है, जिसका सीधा असर किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। इस शोध के अंतर्गत मोटापे के कारण आत्मसम्मान में कमी, अवसाद, चिंता और सामाजिक अलगाव जैसे मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं की जांच की गई है। इसके साथ ही, अध्ययन में उन कारकों का भी विश्लेषण किया गया है जो मोटापे और मानसिक स्वास्थ्य के बीच के संबंध को प्रभावित करते हैं, जैसे कि पारिवारिक वातावरण, सामाजिक समर्थन, और शारीरिक गतिविधियों की क
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
37

मानन्धर Manandhar, मदनरत्न Madanratna. "थेरवाद बुद्धधर्मका आधारभूत पक्षहरू". Journal of Buddhist Studies (T.U.) 1, № 1 (2024): 144–58. https://doi.org/10.3126/jbuddhists.v1i1.75102.

Full text
Abstract:
विश्वमा प्रचलित धर्महरूमा बुद्धधर्म एउटा प्रमुख धर्म मानिन्छ । यो धर्मको प्रभाव आज विश्वभरी विस्तार भएको छ । वर्तमान नेपालको दक्षिण पश्चिम तराईमा ई.पू. ६२३ मा जन्मिएका राजकुमार सिद्धार्थ नै बुद्धत्व ज्ञान प्राप्त गरी बुद्ध बनेका हुन् । करिब ४५ वर्षसम्म बोधिज्ञानको प्रचार प्रसार गरी ८० वर्षको उमेरमा देहत्याग गरेका उनको शिक्षाका अनुयायी भिक्षुहरू अर्थात् धर्मका अनुयायीहरू पछि विभिन्न खेमामा विभक्त भए । ती मध्ये थेरवाद परम्परालाई प्राचीनतम मानिन्छ । यस परम्परामा प्रचलित र विद्यमान जीवनोपयोगी, कल्याणकारी शिक्षा, तरिका एवं चर्याले बहुजनलाई हित, सुख र कल्याण गर्नमा मद्दत मिल्दछ भन्ने मान्यता रही आएक
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
38

तीर्थ, प्रकाश. "प्रगतिशील नये भारत के निर्माण में राममनोहर लोहिया के दर्शन की अपरिहार्यता". Recent Researches in Social Sciences & Humanities (ISSN: 2348 – 3318) 9, № 2 (Apr.-May-June) (2022): 75–78. https://doi.org/10.5281/zenodo.6844243.

Full text
Abstract:
सामाजिक विभिन्नताओं से उपजा, मानव शोषण एवं तिरस्कार का उचित समाधान हमेशा राजनीति एवं सामाजिक न्याय प्रक्रिया के केन्द्रीय विषय रहे हैं। अपने बुनियादी स्वरूप में भारतीय समाज भी अनेक प्रकार के विभेदीय व्यवहारों से ग्रसित रहा है। जिसके वैज्ञानिक समाधान के बिना न तो सामाजिक उत्थान सम्भव है और न राष्ट्रीय एकीकरण और शायद मानवीय कल्याण भी नहीं। राममनोहर लोहिया भारत के उन समाजवादी विचारकों में अग्रणी हैं, जिन्होंने भारतीय परिस्थितियों के विभेदीकरण आधारों की समाप्ति का लक्ष्य समतामूलक समाज में देखने का प्रयास किया। उनका नया समाजवाद जाति-वर्गो की समाप्ति, आर्थिक साधनों व राजनीतिक सहभागिता में विकेन्द्री
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
39

डॉ., रुपाली मोकाशी. "शिलाहार राजा दुसरा केशिदेव याचा चौधरपाडा (बापगाव) शिलालेख शक संवत ११६१ (इ.स. १२३९)". 'Journal of Research & Development' 15, № 18 (2022): 44–45. https://doi.org/10.5281/zenodo.7431749.

Full text
Abstract:
&nbsp; &nbsp;&nbsp;इसवी सनाच्या आठव्या शतकात उत्तर कोकण हे राष्ट्रकूट राज्याचा भाग होते. प्रथम कपर्दी&nbsp; हा राष्ट्रकूट राजा तिसरा गोविंद याचा मांडलिक होता. गोविंदाने उत्तर कोकणचा प्रभारी म्हणून त्याची नेमणूक केली असावी. &nbsp;इस ८०० ते १२६५ अशा साडे चार शतकांच्या प्रदीर्घ कालावधीत शिलाहार राजघराण्याने उत्तर कोकण प्रांतावर राज्य केले. श्रीस्थानक अर्थात ठाणे ही त्यांची राजधानी होती. या राजघराण्याचा इतिहास समजण्याकरिता आज फार थोडी लिखित आणि पुरातत्वीय साधने उपलबद्ध आहेत. त्यापैकी या राजांनी दिलेली ताम्रपट आणि शिलालेख स्वरूपातील दानपत्रे अतिशय मूल्यवान आहेत. शिलाहार राजे शिवभक्त होते. त्यांच्या
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
40

पवार, शेर सिंह, та नरेंद्र कुमार थापक. "बाल श्रम: प्रचलन, प्रवर्तन और सुधार के मार्गों का एक महत्वपूर्ण कानूनी विश्लेषण". Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education 21, № 2 (2024): 107–12. https://doi.org/10.29070/ezjaae11.

Full text
Abstract:
संवैधानिक गारंटी, राष्ट्रीय कानून और राज्य-विशिष्ट नियमों को मिलाकर एक व्यापक कानूनी ढाँचा बनने के बावजूद भारत में बाल श्रम जारी है। यह लेख समस्या का सैद्धांतिक और अनुभवजन्य मूल्यांकन प्रस्तुत करता है। यह सबसे पहले कानूनी ढांचे का नक्शा बनाता है - जिसमें 1986 का बाल और किशोर श्रम अधिनियम, विभिन्न राज्य नियम (संशोधित 2021) और संबद्ध कल्याण क़ानून शामिल हैं - राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना (NCLP) और 2011 की जनगणना से प्राप्त प्रचलन डेटा का विश्लेषण करने से पहले। अध्ययन में पाया गया है कि हर साल हज़ारों बच्चों को बचाया जाता है, फिर भी अनुमान है कि 2025 में भी लाखों बच्चे काम पर होंगे। सोम डिस्टिलरीज
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
41

Jainp, Sandhya. "A STUDY ON CONSCIOUSNESS TOWARDS ENVIRONMENTAL PROTECTION IN THE CHAVIDIC PERIOD." International Journal of Research -GRANTHAALAYAH 3, no. 9SE (2015): 1–3. http://dx.doi.org/10.29121/granthaalayah.v3.i9se.2015.3251.

Full text
Abstract:
The aim of the research presented is to study consciousness towards environmental protection in the Vedic period. For this, the mantras and axioms of Vedas and Upanishads etc. have been studied in relation to environmental consciousness. In the Vedas, there is a description of environmental protection, pollution and dismantling, and consciousness towards the environment, which verifies that even in the Vedic period, there was a consciousness towards the environment, which in today's context is to hold the welfare of creation and human. .&#x0D; प्रस्तुत शोध का उद्देश्य वैदिक काल में पर्यावरणीय
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
42

कुमार, दीपक. "विकासात्मक पत्रकारिता संबंधित खबरों का अवलोकन एवं अध्ययनः प्रिन्ट मीडिया के विषेष संदर्भ में". Dev Sanskriti Interdisciplinary International Journal 9 (31 січня 2017): 30–37. http://dx.doi.org/10.36018/dsiij.v9i.125.

Full text
Abstract:
विकास एक ऐसी सतत् गतिमान प्रक्रिया है, जिसका लाभ जन-जन को मिलें। प्रत्येक विकास कार्यक्रम का उद्देश्य है व्यक्तिगत, सामाजिक और राष्ट्रीय जीवन का हित व कल्याण। विकास का अर्थ है सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक, प्रौद्योगिकी विकास द्वारा सामाजिक व्यवस्था में सुधार, सामाजिक-राष्ट्रीय सुरक्षा में सुधार। समुचे देश में सुख समृद्धि में वृद्धि। हर तरह के शोषण, भेदभाव, पक्षपात, अन्यान्य, विषमता जैसी अमानवीय बुराईयों की समाप्ति। शिक्षा एवं ज्ञान का फैलाव, स्वास्थ्य एवं जीवन की आवश्यक सुविधाओं का विकास। सबको समान अवसर और लोक कल्याणकारी राज्य एवं समाज की स्थापना की सतत कोशिश। नैतिक, मानसिक, आध्यात्मि
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
43

Jaiswal, Dr (Mrs ). Anita. "Education and Human Values." International Journal of Multidisciplinary Research Configuration 2, no. 4 (2022): 64–75. http://dx.doi.org/10.52984/ijomrc2405.

Full text
Abstract:
सारांश: “मूल्य शिक्षा” समाज की आधारशिला है। समाज में जिस प्रकार की शिक्षा की व्यवस्था होगी, उसी प्रकार के समाज का निर्माण होगा। अत: इस बात का सदैव प्रयत्न किया गया है कि शिक्षा के उद्देश्य समाज के उद्देश्यों के अनुकूल हो। इसी बात को ध्यान में रखकर विभिन्न देशों के विभिन्न विचारकों ने विभिन्न कालो में मूल्य शिक्षा के विभिन्न उद्देश्यों पर बल दिया है। जैसे: प्राचीन भारत में मूल्य शिक्षा के नैतिक, सामाजिक और बौद्धिक उद्देश्यों पर बल दिया है। प्राचीन रोम में शिक्षा का उद्देश्य राज्य का कल्याण बताया गया। मध्यकालीन युरोप में शिक्षा का उद्देश्य मृत्यु के बाद के जीवन की तयारी करना था। आधुनिक यूरोप शिक
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
44

गुरागाईँ, राधिका. "ध्रुव नाटकमा त्यागसम्बन्धी दर्शन". Prajna प्रज्ञा 124, № 2 (2023): 195–204. http://dx.doi.org/10.3126/prajna.v124i2.60601.

Full text
Abstract:
प्रस्तुत अध्ययनमा वैदिक दर्शनका त्यागसम्बन्धी मान्यताका आधारमा ‘ध्रुव’ नाटकको विवेचना गरिएको छ । बालकृष्ण समको ‘ध्रुव’ पारिवारिक, सामाजिक एवं राजनीतिक विषयवस्तुलाई दार्शनिक ढङ्गले चित्रण गरिएको पौराणिक कथामा आधारित नाटक हो । वैदिक दर्शनका अनुसार मनुष्यले आफूलाई मूलतः भौतिक सुख, इन्द्रिय वासना र अङ्कारबाट मुक्त राख्नु त्याग हो । ‘ध्रुव’ नाटकको सारवस्तु, पात्र र संवादमा भोग एवं त्याग वृत्तिको प्रस्तुति छ । भौतिक वस्तु, इन्द्रिय वासना, दैहिक अहङ्कारले मनुष्यलाई पतनतिर लैजान्छ भने यसको त्यागले सुख, शान्ति र परम आनन्द प्राप्त हुन्छ, मानवताको कल्याण हुन्छ र जीवन धन्य बन्छ भन्ने दार्शनिक मान्यताका आध
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
45

रघुबर, प्रसाद सिंह, та सिंह साध्वी. "भारत में खाद्य सुरक्षा: एक अध्ययन". International Journal of Advance and Applied Research 3, № 10 (2022): 47–50. https://doi.org/10.5281/zenodo.7520295.

Full text
Abstract:
खाद्य सुरक्षा स्वाभाविक रूप से अप्राप्य है और इसे परिभाषित करना कठिन है, लेकिन यह आंतरिक और साधन दोनों तरह से महत्वपूर्ण है। मनुष्य को भोजन द्वारा आपूर्ति किए जाने वाले पोषक तत्वों की शारीरिक आवश्यकता होती है। इसलिए भोजन प्रदर्शन और कल्याण में एक महत्वपूर्ण इनपुट है। इसलिए कई विकास कार्यक्रमों, परियोजनाओं और नीतियों में खाद्य सुरक्षा उद्देश्य शामिल हैं। शारीरिक आवश्यकता के अलावा भोजन आनंद का स्रोत भी है। चूँकि भोजन के लिए जैविक ज़रूरतें और भोजन से मानसिक संतुष्टि दोनों आबादी के बीच स्पष्ट रूप से भिन्न होती हैं, इसलिए खाद्य सुरक्षा के सटीक, संचालन योग्य उपायों को निर्धारित करना मुश्किल है। इसके
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
46

सिंह, संजना, та सन्तोष कुमार सिंह. "ग्रामीण परिवेश की महिलाओं पर स्वयं सहायता समूह का प्रभाव". Humanities and Development 19, № 02 (2024): 63–66. https://doi.org/10.61410/had.v19i2.192.

Full text
Abstract:
इस देश के ग्रामीण विकास में स्वयं सहायता समूह की भूमिका अतुलनीय रहीं है। ग्रामीण परिवेश की महिलाओं को आथ्रिक रूप से सशक्त बनाने हेतु एक जन आन्दोलन भी तैयार किया है साथ ही ग्रामीण समाज में व्याप्त विभिन्न प्रकार की सामाजिक विषमताओं यथा-गरीबी, बेराजगारी, भेदभाव, भ्रष्टाचार तथा महिलाओं के साथ पारिवारिक उत्पीड़न को अपनी भागीदारी से समाप्त करने का अथक प्रयास किया है। स्वयं सहायता समूह सरकार एवं समाज को अपना निरन्तर योगदान देने के साथ महिलाओं को सामाजिक, आर्थिक रूप से सबल बनाने का प्रयास किया है जिससे वह परिवार, समाज एवं देश की प्रगति में वह अपना योगदान दे सकें।स्वयं सहायता समूह द्वारा ग्रामीण परिवेश
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
47

देवकत्ते, शिवाजी रामराव, та रावसाहेब पिराजी इंगळे डॉ. "महात्मा गांधीजी आणि अस्पृश्यता निर्मूलन एक अभ्यास". उदयगिरी - बहुभाषिक इतिहास संशोधन पत्रिका 01, № 04 (2023): 392–96. https://doi.org/10.5281/zenodo.10129733.

Full text
Abstract:
गांधीजींनी अस्पृश्यतेच्या प्रश्नांवर अनेक लेख लिहिले. धर्म, वर्ण, जात आणि अस्पृश्यता यासंबंधीचे गांधीजींचे विचार हे त्यांचे निरिक्षण, अभ्यास आणि चिंतनातून विकसित होते गेले. त्यांचा उद्देश सवर्ण हिंदुचे मतपरिवर्तन करण्याचा होता. गांधीजी एका बाजूला अस्पृश्यांच्या प्रति सवर्ण हिंदूंनी आपला दृष्टीकोन बदलला पाहिजे असे सांगत, तर दुसऱ्या बाजूला सवर्ण हिंदूंच्या दृष्टिकोनात बदल होईपर्यंत अस्पृश्यांना संयम पाळण्यास सांगत होते. गांधींनी अस्पृश्यता आणि चातुर्वर्ण्य याबाबत सांगितलेली मते यांच्याकडे जर आजच्या परिस्थितीच्या दृष्टीने पाहिले तर चातुर्वर्ण्य व्यवस्था आणि अस्पृश्यता अतार्किक आणि अवैज्ञानिक विभा
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
48

प्रा., डॉ. एन. एस. गेडाम. "महिलांचे अधिकार आणि महिला सबलीकरण". International Journal of Advance and Applied Research 4, № 30 (2023): 144–46. https://doi.org/10.5281/zenodo.8394803.

Full text
Abstract:
<strong>प्रस्तावना</strong><strong>:&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp; </strong> &nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp; महिला सबलीकरण म्हणजे कायदे व महिला कल्याण कार्यक्रमाच्या माध्यमातून आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक व राजकीय&nbsp; सर्व क्षेत्रांमध्ये महिलांना पुरुषांच्या बरोबरीने हक्क व दर्जा प्रदान करणे होय. महिलांना विकासाची संधी उपलब्ध करून स्त्री-पुरुष असमानता नष्ट करणे होय. भारतीय संविधानात महिला-पुरुष, श्रीमंत-गरीब आणि साक्षर-निरक्षर यांना समान संरक्षण प्रदान करण्यात आले आहे. कायद्यापुढे समानतेसाठी व शोषणमुक्त समाजाच्या स्थापनेसाठी कटिबद्ध असलेल्या आपल्या संविधानाच्
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
49

प्रा., डॉ. एन. एस. गेडाम. "महिलांचे अधिकार आणि महिला सबलीकरण". International Journal of Advance and Applied Research 4, № 30 (2023): 144–46. https://doi.org/10.5281/zenodo.8394835.

Full text
Abstract:
<strong>प्रस्तावना</strong><strong>:&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp; </strong> &nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp; महिला सबलीकरण म्हणजे कायदे व महिला कल्याण कार्यक्रमाच्या माध्यमातून आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक व राजकीय&nbsp; सर्व क्षेत्रांमध्ये महिलांना पुरुषांच्या बरोबरीने हक्क व दर्जा प्रदान करणे होय. महिलांना विकासाची संधी उपलब्ध करून स्त्री-पुरुष असमानता नष्ट करणे होय. भारतीय संविधानात महिला-पुरुष, श्रीमंत-गरीब आणि साक्षर-निरक्षर यांना समान संरक्षण प्रदान करण्यात आले आहे. कायद्यापुढे समानतेसाठी व शोषणमुक्त समाजाच्या स्था
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
50

प्रा., डॉ. एन. एस. गेडाम. "महिलांचे अधिकार आणि महिला सबलीकरण". International Journal of Advance and Applied Research 4, № 30 (2023): 144–46. https://doi.org/10.5281/zenodo.8394874.

Full text
Abstract:
<strong>प्रस्तावना:&nbsp; &nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;</strong> &nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp; महिला सबलीकरण म्हणजे कायदे व महिला कल्याण कार्यक्रमाच्या माध्यमातून आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक व राजकीय &nbsp;सर्व क्षेत्रांमध्ये महिलांना पुरुषांच्या बरोबरीने हक्क व दर्जा प्रदान करणे होय. महिलांना विकासाची संधी उपलब्ध करून स्त्री-पुरुष असमानता नष्ट करणे होय. भारतीय संविधानात महिला-पुरुष, श्रीमंत-गरीब आणि साक्षर-निरक्षर यांना समान संरक्षण प्रदान करण्यात आले आहे. कायद्यापुढे समानतेसाठी व शोषणमुक्त समाजाच्या स्थापनेसाठी कटिबद्ध अ
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
We offer discounts on all premium plans for authors whose works are included in thematic literature selections. Contact us to get a unique promo code!