Academic literature on the topic 'नैतिकता'

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Journal articles on the topic "नैतिकता"

1

सीरवी, सरोज. "भारतीय राजनीति में नैतिक अवमूल्यन: कारण व सुझाव". International Journal of Education, Modern Management, Applied Science & Social Science 07, № 01(I) (2025): 33–38. https://doi.org/10.62823/ijemmasss/7.1(i).7139.

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Abstract:
भारतीय लोकतंत्र की आधारशिला नैतिकता, ईमानदारी और जनसेवा के सिद्धान्तों पर रखी गयी थी। लेकिन समय के साथ राजनीति में नैतिक मूल्यों का ह्रास होता जा रहा है। नैतिकता का अर्थ सत्य, ईमानदारी और जिम्मेदारी के साथ कर्तव्यों का पालन करना। आज के दौर में राजनीतिक नैतिकता की स्थिति चिंताजनक है, जहां सत्ता, धन और व्यक्तिगत लाभ के लिए नैतिक सिद्धांतों को दरकिनार किया जा रहा है। आज दुख इस बात का है कि मूल्यों, आदर्शों, विश्वास, नियम, आचार संहिता और संविधान आदि को टेढ़ी निगाह से देखा जा रहा है। मनुष्य अपनी जड़ों से उखड़ चुका है। वर्तमान में भारतीय राजनीतिक, आर्थिक एवं समाजिक व्यवस्था को खोखला करने में सबसे अधिक
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2

कुमार, संदीप, कटियार विनोदनी डॉ., कटियार देवेश डॉ. та निशान्त कुमार शर्मा. ""बिल्डिंग बैक बेटर" के संदर्भ में भारतीय उच्च शिक्षा में प्रौद्योगिकी, ए.आई. और नैतिकता का अवलोकन". International Researcher's Journal Volume-XII, ISSUE-3 (2025): 10–17. https://doi.org/10.5281/zenodo.15209600.

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Abstract:
सार संक्षेपः भारतीय उच्च शिक्षा प्रौद्योगिकी का उपयोग करके अधिक समावेषी, टिकाऊ शिक्षण वातावरण बनाने के लिए बदल रही है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (ए.आई.) इस परिवर्तन में एक प्रमुख खिलाड़ी है, जो बेहतर शिक्षण अनुभव और शैक्षिक अनुसंधान को आगे बढ़ाने में योगदान देता है। हालाँकि, नैतिक विचार महत्वपूर्ण हैं, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की नैतिकता पर यूनेस्को की सिफारिष और स्वायत्त और बुद्धिमान प्रणालियों की नैतिकता पर आई.ई.ई.ई. ग्लोबल इनिषिएटिव जैसे ढाँचों द्वारा निर्देषित हैं। ये ढाँचे सुनिश्चित करते हैं कि ए.आई. सिस्टम मानव अधिकारों और सम्मान का सम्मान करें, जबकि ए.आई. सिस्टम के विकास और उपयोग में नैति
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3

HORA, DR SHRUTI. "आध्यात्म, मनोविज्ञान और नैतिकता". Swar Sindhu 4, № 2 (2016): 52–56. http://dx.doi.org/10.33913/ss.v04i02a09.

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4

खतिवडा Khatiwada, विश्वराज Bishwaraj. "प्रायश्चित्त कथामा आत्महत्याको सामाजिकता Prayashchitta Kathama Aatmahatyako Samajikata". Tribhuvan University Journal 33, № 2 (2019): 155–70. http://dx.doi.org/10.3126/tuj.v33i2.33642.

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Abstract:
प्रस्तुत लेख गुरुप्रसाद मैनालीको प्रायश्चित्त (१९९३) कथामा पाइने आत्महत्याकोसामाजिकताको अध्ययनसँग सम्बद्ध छ । आत्महत्याको सामजिकता फ्रेञ्च समाजशास्त्रीइमाइल दुर्खिमले प्रतिपादन गरेका हुन् । आत्महत्या सामाजिक कारणले हुन्छ भन्ने मान्यताप्रस्तुत गर्ने उनी पहिलो समाजशास्त्री हुन् । उनको अध्ययनपूर्व मानिसले आत्महत्या गर्नुपर्नेकारणमा उसको वंशानुगत प्रवृत्ति वा मानसिक असङ्गतिलाई लिइन्थ्यो । उनले पूर्ववर्ती उक्तधारणालाई खण्डन गर्दै मानिसले आत्महत्या गर्नुका नेपथ्यमा सामाजिक कारण रहेको तथ्यप्रस्तुत गरे ।उनका अनुसार मानिसलाई आत्महत्या गर्न प्रेरित गर्ने कुरा उसको वंशानुगतवा मानसिक स्थिति नभई धर्म, नैति
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5

कुसुम, लता. "आधुनिक राजनीति में सत्याग्रह: अतीत से सबक, भविष्य के लिए परिप्रेक्ष्य". RECENT RESEARCHES IN SOCIAL SCIENCES & HUMANITIES 12, № 1 (2025): 92–97. https://doi.org/10.5281/zenodo.15289477.

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Abstract:
आधुनिक राजनीति के उथल-पुथल भरे परिदृश्य में, सत्याग्रह महात्मा गांधी की कालातीत शिक्षाओं के रूप में नैतिकता, सत्य और अहिंसा के मूल्यों को पुनर्स्थापित करने का मार्ग दिखाता है। "हिंद स्वराज" में निहित उनके विचार आज भी शासन, सामाजिक न्याय, पर्यावरणीय स्थिरता और वैश्विक सहयोग की चुनौतियों के समाधान हेतु प्रेरणास्रोत हैं। सत्याग्रह केवल सत्ता का प्रतिरोध नहीं, बल्कि एक सक्रिय नैतिक आंदोलन है जो सत्य के लिए आग्रह, आत्मबलिदान, अहिंसा, सविनय अवज्ञा और व्यक्तिगत परिवर्तन पर आधारित है। यह दर्शन विभिन्न वैश्विक आंदोलनों—जैसे नागरिक अधिकार संघर्ष, जलवायु न्याय, और डिजिटल नैतिकता—में स्पष्ट रू
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6

प्रा., डॉ. देविदास ग्यानुजी नरवडे. "भारतीय लोकशाही आणि संविधानिक नैतिकता". 'Journal of Research & Development' 14, № 23 (2022): 35–38. https://doi.org/10.5281/zenodo.7524381.

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Abstract:
स्वातंत्र्य प्राप्तीनंतर 26 जाने.1950&nbsp; साली भारताने आपली स्वत:ची राज्यघटना अंमलात आणण्यास सुरुवात केली. तेव्हापासून आजतागायत आपण संसदिय लोकशाही हे प्रतिमान राबवत आहोत. धर्मपिरपेक्ष प्रजाकसत्ताक, उदारमतवादी, समाजवादी लोकशाहीचे प्रारुप आपण स्वीकारले आहे. लोकांनी, लोकांकडून, लोकांसाठी असलेली लोकशाही आपण संविधानाच्या माध्यमातून स्वत: प्रत अर्पण केली आहे. यात लोककल्याणाचा कल्याणकारी राज्य स्थापन करण्याचा संकल्प आहे. लोकशाही ही केवळ एक राजकीय प्रणाली नसून सामाजिक जीवनाची प्रक्रिया आहे<sup>1</sup>. &nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp; भारतीय सामाजिक व्यवस्था ही वर्ण
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7

रितेश, कुमार. "योग चिकित्सक की नैतिकता एवं उत्तरदायित्व". Recent Researches in Social Sciences & Humanities (ISSN: 2348 – 3318) 10, № 01 (Jan.-Feb.Mar.) (2023): 71–75. https://doi.org/10.5281/zenodo.7952094.

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Abstract:
कालान्तर में लगभग 200 वर्ष पूर्व हठयोग का उदय हुआ, जिसका मुख्य उद्देश्य मोक्ष प्राप्ति के समय को कम करना था। जिसके लिए हठयोग में शारीरिक शोधन एवं सबलता हेतु विभिन्न अभ्यास दिए गये है। स्वामी कुवल्यानंद जी ने कैवल्यधाम योग शोध केन्द्र की स्थापना की और योग के विभिन्न अंगों पर वैज्ञानिक शाोध कार्य किए।किसी भी चिकित्सा में नैतिकता केवल चिकित्सक के लिए ही काफी नहीं होती है बल्कि यह तीन स्तर पर बंटी हुई होती है जिसमें सर्वप्रथम चिकित्सक, दूसरे स्थान पर रोगी एवं तीसरे स्थान पर रोगी की देखभाल करने वाला व्यक्ति होता है।बहुतायत मंे यह देखने में आया है कि वह रोगी जो आधुनिक मेडिकल साइंस, आयुर्वेद, होम्योप
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पाटील., प्रा. डॉ. मनोज उत्तमराव. "भारतातील पर्यावरणीय नैतिकता आणि शिक्षकांची भूमिका". International Journal of Advance and Applied Research 6, № 25(D) (2025): 128–31. https://doi.org/10.5281/zenodo.15332820.

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Abstract:
<strong>गोषगोषवारा :- </strong> &nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp; अमूर्त पर्यावरण म्हणजे आपल्या सभोवतालचे सर्व काही दिसत आहे ते सर्व होय.&nbsp; पर्यावरण हे ज्या परिस्थितीत एखादी व्यक्ती, प्राणी किंवा वनस्पती एकमेकांशी सुसंवाद साधून जगते त्या परिस्थितीचा तो संदर्भ देतो. जीवनाच्या सर्व क्षेत्रांमध्ये नैतिकतेला महत्त्वाचे स्थान आहे आणि&nbsp; ही नैतिकता जे एखाद्या व्यक्तीच्या वर्तनावर नियंत्रण ठेवत असते. &lsquo;पर्यावरणीय नीतिशास्त्र&rsquo; ही पर्यावरणीय तत्त्वज्ञानाची एक शाखा आहे. नितीशास्त्राची ही शाखा प
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गावडे, श्री. पंकज रामचंद्र. "संत तुकाराम महाराजांचा मूल्य विचार". International Journal of Advance and Applied Research 6, № 21 (2025): 73–81. https://doi.org/10.5281/zenodo.15254893.

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Abstract:
<strong>सारांश:</strong> संत तुकाराम महाराज हे महाराष्ट्रातील वारकरी संप्रदायाचे महान संत, कवी आणि समाजसुधारक होते. त्यांचे अभंग हे केवळ भक्तिरसयुक्त नसून त्यामध्ये उच्चतम नैतिक, सामाजिक, आध्यात्मिक आणि व्यवहारातील मूल्यांचे दर्शन होते. त्यांनी आपल्या साहित्याच्या माध्यमातून समाजातील विविध समस्यांवर प्रकाश टाकला आणि जीवन जगण्यासाठी आवश्यक मूल्यांचा उपदेश दिला. संत तुकाराम महाराजांचे मूल्य विचार हे केवळ धार्मिक किंवा आध्यात्मिक मर्यादेत न राहता समाजाच्या सर्व अंगांना स्पर्श करतात. त्यांनी आपल्या अभंगांमधून सत्य, अहिंसा, परोपकार, समानता, निःस्वार्थी सेवा, प्रामाणिकता आणि सदाचार यांसारख्या मूलभूत
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वर्मा, डॉ अनीता. "सोशल मीडिया और नैतिकता पर एक अध्ययन". SDES-International Journal of Interdisciplinary Research 3, № 3 (2022): 429–32. http://dx.doi.org/10.47997/sdes-ijir/3.3.2022.429-432.

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