Academic literature on the topic 'परन'

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Journal articles on the topic "परन"

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डा, ॅ. मोनिका सिंह. "बदलती तस्वीर कथक नृत्य की". International Journal of Research - GRANTHAALAYAH Innovation in Music & Dance, January,2015 (2017): 1–3. https://doi.org/10.5281/zenodo.884974.

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Abstract:
जा े कल था, वह आज प ुराना हो गया और जो कल आनेवाला ह ै वह भी कुछ ही दिनों से अतीत की गाथा बनकर रह जाता ह ै। समय जिस गति से आगे बढ़ रहा है, उसके साथ परिवर्तन की लहर भी उतनी ही गति से प्रवहमान है। वर्तमान समय में नृत्यकला का क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं ह ै। इस क्षेत्र मे ं परिवर्तन आ ैर नवाचार ने इसे र्कइ रूपों में प ्रदर्शि त किया है। प्राचीनकाल से विद्यमान कत्थक नृत्य धर्म-अध्यात्म से परिपूर्ण नृत्य शैली थी। मंदिरों में भजन-कीर्तन के समय कथावाचकों के द्वारा अभिनय युक्त कथा कहने से कत्थक नृत्य की उत्पत्ति मानी जाती है। कथावाचन से कत्थक नृत्य श ैली क े रूप में परिवर्तन किस तरह ह ुआ ह ै इसका प ्राम
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द्विजेश, उपाध् याय, та मकुेश चन्‍द र. पन डॉ0. "तबला एवंकथक नृत्य क अन् तर्सम्‍ बन् धों का ववकार्स : एक ववश् ल षणात् मक अ्‍ ययन (तबला एवंकथक नृत्य क चननांंक ववे ष र्सन् र्भम म)". International Journal of Research - Granthaalayah 5, № 4 (2017): 339–51. https://doi.org/10.5281/zenodo.573006.

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Abstract:
तबला एवांकथक नृत्य ोनन ताल ्रधाान ैं, इस कारण इनमेंसामांजस्य ्रधततत ैनता ै। ूरवव मेंनृत्य क साथ मृो ां की स ां त ैनतत थत ककन्तुबाो म नृत्य मेंजब ्ृां ािरकता ममत्कािरकता, रांजकता आको ूैलुओांका समाव श ैुआ तन ूखावज की ांभतर, खुलत व जनरोार स ां त इन ूैलुओांस सामांजस्य नै ब।ाा ूा। सस मेंकथक नृत्य क साथ स ां कत क कलए तबला वाद्य का ्रधयन ककया या कजस मृो ां (ूखावज) का ैत ूिरष्कृत एवां कवककसत प ू माना जाता ै। तबला वाद्य की स ां त, नृत्य क ल भ सभत ूैलुओांकन सैत प ू में्रधस्तुत करन मेंस ल साकबत ैु। कथक नृत्य की स ां कत में ूररब बाज, मुख्यत लखन व बनारस ररान का मैत् वूरणव यन ोान रैा ै। कथक नृत्य की स ां कत
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अर्च, ना परमार. "पर्यावरण संरक्षण". International Journal of Research - GRANTHAALAYAH 3, № 9 (Special Edition) (2017): 1–2. https://doi.org/10.5281/zenodo.883529.

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Abstract:
मानव शरीर प ंच तत्वों- प ्रथ्वी, जल, वाय ु, अग्नि आ ैर आकाश स े ही बना ह ै। य े सभी तत्व पर्या वरण के धोतक है। प ्रकृति मे मानव को अन ेक महत्वप ूर्ण प्राकृतिक सम्पदायें भी ह ै। जिसका उपयोग मन ुष्य अपन े द ैनिक जीवन में करता आया है ज ैसे- नदियाँ, पहाड ़, मैदान, सम ुद ्र, प ेड ़-पौधे, वनस्पति इत्यादि। प्रथ्वी पर प्राकृतिक संसाथनों का दोहन करन े से प्राकृतिक संसाथनो के भण्डार तीव्र गति से घटत े जा रह े है, जिससे पर्यावरण में असन्त ुलन बढ ़ रहा है। उसके परिणाम स्वरूप जल की कमी, आ ेजा ेन परत में छेद का पाया जाना, वना ें की अत्यधिक कर्टाइ से वना ें की कमी आना, सम ुद ्रों का जल स्तर बढना, ग्लेशियरों
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Jain, Sadhana, and Gorelal Bisoriya. "Craft Side of Contemporary Poems: With Special Reference to Pawan Karan's Poems." RESEARCH HUB International Multidisciplinary Research Journal 10, no. 1 (2023): 10–14. http://dx.doi.org/10.53573/rhimrj.2023.v10n01.003.

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Abstract:
The language of Pawan Karan's poems is the language of the general public. There is no heaviness in that. Considering the language of Pawan Karan, a critic says that - "The art of telling Pawan Karan lies in the smooth address of the language, due to which the reader avoids being blinded by clever words and their brightness." At the level of language, Pawan Karan has expressed the subtle reality of the story very easily. Communicability is the specialty of Pawan Karan's poems. Their language is the language of love and also the language of relationships. He has mainly considered women. The use
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अजय, कुमार ओझा. "चुनावी राजनीति में बिगड़ती भारतीय संस्कृति". 'Journal of Research & Development' 14, № 18 (2022): 8–12. https://doi.org/10.5281/zenodo.7431441.

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Abstract:
भारतीय संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीन लोकप्रिय, अमिट, निरंतर गतिमान एवं समृद्ध संस्कृति है। इसे संसार की सभी संस्कृतियों की जननी के श्रेय से अलंकृत किया गया है, या यूं कहा जाए कि संसार की समस्त संस्कृतियों की जननी भारतीय संस्कृति ही हैं। प्राचीन काल से भारतीय संस्कृति पर कुठाराघात होता रहा है। आर्यों की समृद्ध संस्कृति यवनो यहूदियों मुस्लिमो एवं अंग्रेजों के कुठाराघात का सामना करते हुए भी अपने आप को जीवंत एवं सर्वाधिक समृद्ध कायम करने में सफल रही है। जीने की कला हो या विज्ञान और राजनीति का क्षेत्र भारतीय संस्कृति का सदैव विशेष स्थान रहा है। हमारी संस्कृति को हमारे महापुरुषों, मनीषियों, वेदों,
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Mahapatra, Dr Arvinda. "सांख्ययोगौ पृथग्बालाः प्रवदन्ति न पण्डिताः (Only Fools consider Sāmkhya and Yoga Different, Not the wise)". Kiraṇāvalī XIV, № 3&4, JULY- DECEMBER 2022 (2022): 451–59. https://doi.org/10.5281/zenodo.7930922.

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Abstract:
परमाणुवाद – शून्यवाद – अनेकान्तवाद – स्याद्वाद - विवर्त्तवाद-द्वैतवाद - अद्वैतवाद - द्वैताद्वैतवाद - परिणामवाद - सत्कार्यवादादयः पृथक् पृथक् सिद्धान्ताः प्रतिपादिताः सन्ति, भारतीयदर्शनेषु। तत्र षोडशपदार्थवादो न्यायशास्त्रसिद्धान्तः, सप्तपदार्थवादः वैशेषिकसिद्धान्त इति, प्रतितन्त्रसिद्धान्त इति वक्तुं शक्यते । समानतन्त्रे यथा- न्यायवैशेषिकौ सांख्ययोगौ। अत्र समानशब्द एक पर्यायः नैयायिकानां हि समानं तन्त्रं न्यायशास्त्रं परतन्त्रं च सांख्यादिशास्त्रम् ।  तत्र-इदं दर्शनं तत्त्वसंख्यानम् उदीर्यते (भागवत-3-35) । महाभारते तत्त्वगणनामाश्रित्येदं दर्शनं सांख्यमित्यभिधीयते ।
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प्रा., डॉ. भिंगारदेवे लीला रामचंद्र. "हिंदी आत्मकथाओं में चित्रित दलितों के जीवन के संदर्भ में". International Journal of Humanities, Social Science, Business Management & Commerce 08, № 01 (2024): 186–90. https://doi.org/10.5281/zenodo.10496991.

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Abstract:
साहित्य रचना के अर्थ में स्वानुभूति का अर्थ भोगे हुए यथार्थ से है। दलित साहित्य ही नही बल्कि स्त्री लेखन और आदिवासी लेखन में भी स्वानुभूति पर बल दिया जाता है। दलित लेखकों द्वारा लेखन किया जाना स्वानुभूति परक लेखन कहा जाता है और दलित्तेतर लेखकों द्वारा दलितों पर लिखा गया साहित्य सहानुभूति का साहित्य कहा जाता है।
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षषि, जोषी. "विस्थापन, पुनर्वा स एव ं पर्या वरण". International Journal of Research - GRANTHAALAYAH 3, № 9 (Special Edition) (2017): 1–2. https://doi.org/10.5281/zenodo.883036.

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Abstract:
मन ुष्य अपनी सुख समृद्धि, भोग एव ं महत्वकांक्षाओं की प ूर्ति हेत ु जिस तरह प्राकृतिक संसाधनों एव ं पर्या वरणीय तत्वों का अनियोजित एव ं अनियन्त्रित प्रयोग कर रहा ह ै, इस कारण पयावरणीय विघटन एव ं असंत ुलन की स्थिति उत्पन्न हो र्गइ है। जल, वायु, भूमि, वन एव ं खनिज संजीवनी का निरन्तर विघटन हो रहा है, जल स्त्रोत स ूख रहे है, वातावरण विषाक्त हा े रहा है आ ैर भूमि का क्षरण भी हो रहा है। वनो ं के विनाष से पर्यावरण ह्ास में वृद्धि ह ुई है। इन सबके के साथ ही एक अमानवीय सामाजिक समस्या उत्पन्न हुई है और वह ह ै विस्थापन और पुनर्वास की समस्या। प ्रकृति के नजदीक निवास कर रहे लोगों की व्यथा, आदिवासी जनजातिया
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डॉ., सुषमा जैन. "मराठा क्षेत्र मेंचित्रकला का चिकास". International Journal of Research - Granthaalayah 4, № 9 (2019): 198–202. https://doi.org/10.5281/zenodo.3362718.

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Abstract:
मराठा क्षेत्र में चित्रकला पर ंपरा का प्रारंभ प्रागैतिहासिक काल से होता है। मानव ने बहुत ही प्रांरभ में व्यवहार की सजगता के साथ चित्रों के उदाहरण छोड़े हैं। मध्यप्रदेश की आदिम कंदराओं में हमें उस बर्बर पर सुसंस्कृत और सुअलंकृत होने की लालसा के अनुगामी मानव के रचे अनेक रेखीय चिन्ह तथा अस्त्र शस्त्रों के सौंदर्य प्रधान रूप आज हमंे आश्चर्य चकित करते है। मराठा क्षेत्र प्रागैतिहासिक चित्रकला में अति समृद्ध हैं, यहां भोपाल, होशंगाबाद भीमबेटका, सुजानपुरा, हिंगलाजगढ़, गांधीसागर बांध, चिब्बड़ नाला, इन्द्रगढ़, मंदसौर, मोढ़ी, शिवपुरी, चोरपुरा, केदारेश्वर आदि अनेक स्थानों पर प्रागैतिहासिक शैल चित्र मिले ह
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अ, ंजना जैन. "भारत म ें प ेयजल प्रद ुषण - मानव स्वास्थ्य के लिए एक चुना ैति". International Journal of Research - GRANTHAALAYAH 3, № 9 (Special Edition) (2017): 1–5. https://doi.org/10.5281/zenodo.883525.

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Abstract:
पृथ्वी का 2/3 भू-भाग जल स े घिरा ह ुआ है। पृथ्वी पर जल की मात्रा 1.4 मिलियन क्यूबिक मीटर आंकी गई है। जिसका 97.57ः भाग महासागरों में होन े के कारण खारा जल है। लगभग 36 क्यूबिक मीटर स्वच्छ जल जा े पीन े व उपयोग म ें ल ेन े योग्य है उसम ें स े लगभग 28 मिलियन क्यूबिक मीटर जल बर्फ के रूप म ें ध्रुवों पर जमा ह ै। हमार े वास्तविक उपया ेग के लिये उपलब्ध लगभग 8 मिलियन क्यूबिक मीटर जल पर द ूनिया के लगभग 6 अरब से ज्यादा की आबादी निर्भर है।’1 पीन े योग्य जल के स्त्रोत के रूप में नदियाँ, तालाब, कुए व नलकुप उपलब्ध है। और इनके जल का उपयोग भी हम उसी स्थिति म ें कर सकत े है। जब यह जल प्रद ुषण से मुक्त हो। शुध्द
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Books on the topic "परन"

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Singh, Dr Dalip. Karyasthal Par Bhawanatmak Buddhimatta (कार्यस्थल पर ... Diamond Pocket Books, 2020.

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Rani, Rekha. Galon Par Ek Til / गालों पर एक तिल: उपन्यास. Notion Press, 2022.

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स्टारबोर्ड पर एक सूची: A List To Starboard, Hindi edition. Baagh Press, 2021.

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Langergraber, Günter, Gabriela Dotro, Jaime Nivala, Anacleto Rizzo та Otto R. Stein, ред. आर्द्रभूमि तकनीक: उपचार आर्द्रभूमि के डिजाइन और अनुप्रयोग पर व्यावहाररक जानकारी. IWA Publishing, 2021. http://dx.doi.org/10.2166/9781789062571.

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Abstract:
िुननया भर िें पानी की गुणवत्ता के िानकों को कफर से मलखा जा रहा है ताकक स्ट्वस्ट्थ पाररब्स्ट्थनतकी तंत्र को बढ़ावा दिया जा सके, सुरक्षित पीने योगय जल स्रोतों को सुननब्श्चत ककया जा सके, जैव ववववधता बढ़ाई जा सके और पाररब्स्ट्थनतक कायों को वधधरत ककया जा सके। उपचार आर्द्रभूमि को ववमभन्न प्रकार के प्रिूवषत जल के उपचार के मलए उपयोग ककया जाता है, ब्जसिें नगर अपमिष्र् जल, कृवष और िहरी अपवाह, औद्योधगक अपमिष्र्, संयुक्त िलिागर ओवरफ्लो, आदि िामिल हैं। उपचार आर्द्रभूमियााँ वविेष रूप से धारणीय जल प्रबंधन के मलए अच्छी तरह से अनुकूल हैं क्योंकक वे पररवतरनीय अन्तवारही भार का सािना कर सकती हैं, स्ट्थानीय सािधग्रय
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Bourgeois-Vance, Denise, та Damon Danielson. Sophia and Alex Play at Home: सोफिया और एलेक्स घर पर ही खेल. Advance Books LLC, 2020.

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Sabhyata 'Sadhu' Ke Thenge Par: सभ्यता 'साधू' के ठेंगे पर (कविता संग्रह अनन्त मिश्र). Shivalik Publication Delhi, 2018.

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प्रहरी, समाजवादी. समाजवादी संवाद. समाजवादी प्रहरी, 2021.

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Book chapters on the topic "परन"

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Knapczyk, Kusum, and Peter Knapczyk. "दुकान पर." In Reading Hindi: Novice to Intermediate. Routledge, 2020. http://dx.doi.org/10.4324/9780429274091-31.

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Knapczyk, Kusum, and Peter Knapczyk. "स्टेशन पर." In Reading Hindi: Novice to Intermediate. Routledge, 2020. http://dx.doi.org/10.4324/9780429274091-4.

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Knapczyk, Kusum, and Peter Knapczyk. "कमरा किराए पर है ।." In Reading Hindi: Novice to Intermediate. Routledge, 2020. http://dx.doi.org/10.4324/9780429274091-18.

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Knapczyk, Kusum, and Peter Knapczyk. "गंगा के घाट पर." In Reading Hindi: Novice to Intermediate. Routledge, 2020. http://dx.doi.org/10.4324/9780429274091-42.

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Knapczyk, Kusum, and Peter Knapczyk. "दिवाली में पटाखों पर रोक." In Reading Hindi: Novice to Intermediate. Routledge, 2020. http://dx.doi.org/10.4324/9780429274091-38.

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"Hindi Bhasha Scientific and Technological Development." In Educational Transformation in Digital ERA, edited by Suman Devi. NIILM University, 2024. https://doi.org/10.70388/niilmub/241204.

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Abstract:
आज हिंदी विश्व पटेल पर प्रथम भाषा बनने का दवा रखती है जिसका प्रमुख कारण तकनीकी विकास सूचना प्रौद्योगिकी की पत्राचार मीडिया अनुवाद वह जनसंपर्क के कारण हिंदी भाषा का बढ़ता प्रचार एवं प्रसार आज हिंदी के प्रसार व प्रचार का प्रमुख कारण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की सामर्थ व शक्तिशाली भाषा के रूप में हिंदी का विकास होता स्वरूप है आदि जननी संस्कृत भाषा निरोध श्रीत हिंदी भाषा की राजभाषा संपर्क भाषा तथा अनेक बोलियां वह अप बलियो के मध्य अंतर संबंधों के कारण समन्वय आत्मक भाषा है हिंदी साहित्य में हृदय की भाषा है कुछ वर्षों पूर्व हिंदी भाषा में परिभाषित शब्दावली वह संस्कृत के साहित्य का अभाव था परंतु कुछ स्
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Reports on the topic "परन"

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Batra, Poonam, Amir Bazaz, Anisha Shanmugam, Nihal Ranjit, Harpreet Kaur та Ruchira Das. शिक्षा, आजीविका और स्वास्थ्य पर कोविड-19 का असर. Indian Institute for Human Settlements, 2022. http://dx.doi.org/10.24943/sasca02.2022.

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Abstract:
भारत सरकार ने कोविड-19 वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए मार्च 2020 के तीसरे हफ्ते में पूरे देश में अचानक और सख्त लॉकडाउन लागू कर दिया था। इस फैसले को जिस तरह लागू किया गया, उससे भारतीय शिक्षा व्यवस्था और शहरी सामाजिक सुरक्षा तंत्र की कमियां व कमज़ोरी खुलकर सामने आ गयी हैं। लॉकडाउन के फलस्वरूप देश भर के स्कूल व उच्च शिक्षा संस्थान बंद कर दिये गये और शहरों व कस्बों की तमाम आर्थिक गतिविधियां पलक झपकते ठप पड़ गयीं। इससे विद्यार्थियों और शहरी अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में काम करने वाले करोड़ों मज़दूरों पर बहुत गहरा असर पड़ा है।
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Gupte, Jaideep, Sarath MG Babu, Debjani Ghosh, Eric Kasper, Priyanka Mehra та Asif Raza. स्मार्ट शहर एवं कोविड-19: भारत से ज्ञात तथ्यों के आधार पर डेटा ईकोसिस्टमों के लिए निहितार्थ. SSHAP, 2022. http://dx.doi.org/10.19088/sshap.2022.003.

Full text
Abstract:
सीमित संसाधन वाले नगरीय परिवेशों में किसी संकट स्थिति या आपात्कालीन प्रतिक्रिया के दौरान सर्विलांस में प्रौद्योगिकी का उपयोग, तथ्यों की जाँच और समन्वित नियंत्रण के जैसे विषयों में शामिल मूल मुद्दों पर विचार करने के उपरांत यह संक्षिप्त विवरण श्रेष्ठ डेटा प्रैक्टिस संबंधी अपनी अनुशंसाएं प्रस्तुत करता है। शहरों में कोविड-19 प्रतिक्रिया के दौरान डेटा सक्षम प्रौद्योगिकियों का किस प्रकार से उपयोग किया गया था, और साथ ही मानक कार्यांवयन की पद्धतियाँ किस प्रकार से महामारी द्वारा प्रभावित हुई थीं, इन सभी विषयों से हमने सीख हासिल की है। स्मार्ट शहरों के बुनियादी ढांचों का निर्माण करने में रोग का नियंत्रण
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Bhatt, Mihir R., Shilpi Srivastava, Megan Schmidt-Sane та Lyla Mehta. भारत की जानलेवा दूसरी कोविद-19 लहर: प्रभावों का सम्बोधन और भविष्य की लहरों के खिलाफ मुस्तैदी - एक चिंतन ! Institute of Development Studies (IDS), 2021. http://dx.doi.org/10.19088/sshap.2022.008.

Full text
Abstract:
भारत में फ़रवरी 2021 से अनगिनत जानों की हानि हुई है जिसने कोविड-19 द्वारा हुए सामाजिक और आर्थिक प्रलय को बढ़ा दिया है । देश भर में तीव्र गति से बढ़ते संक्रमित मामलों ने बुनियादी स्वास्थ्य ढाँचे को हिला दिया है, जिससे आम आदमी अस्पताल में बिस्तर, आवश्यक दवाइयों और ऑक्सिजन के लिए हाथ पांव मरने के लिए मजबूर हो गया । मई 2021 तक शहरों में संक्रमण का प्रभाव कम होना शुरू हुआ। हालाँकि गाँवों में दूसरी लहर का प्रकोप जारी है । आज़ादी के बाद देश सबसे बड़ी और बुरी मानवीय तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट का साक्षी बना है, जबकि क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर लगातार फैलते हुए कोविड-19 प्रकारों के विविध परिणाम होंगे
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Chand, Obindra, Katie Moore та Stephen Thompson. प्रमुख विचार: दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया आदि में विकलांगता-समावेशी मानवतावादी कार्रवाई और आपातकालीन गतिविधियाँ. Institute of Development Studies, 2023. http://dx.doi.org/10.19088/sshap.2023.027.

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Abstract:
विकलांग लोगों को पर्यावरणीय, सामाजिक और संरचनात्मक दिक्कतों और समस्याओं का विभिन्न जटिल संदर्भों और विविध रूपों में सामना करना पड़ता है। मानवीय और अन्य आपातकालीन प्रतिक्रियाओं के दौरान इन बाधाओं के कारण उन्हें अत्यधिक नुकसान भी उठाना पड़ता है तथा उन्हें उपेक्षित और बहिष्कृत भी किया जाता है।1–3 यह स्थिति विशेष रूप से नेपाल और अन्य दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों सहित निम्न और मध्यम आय वाले देशों (low- and middle-income countries) में सामने आई है।4 विकलांग लोगों की जरूरतों, सामाजिक सोच और दुर्गम बुनियादी ढाँचे के बारे में सीमित जागरूकता आपातकालीन स्थितियों में उनके सामने आने वाली चुनौतियों म
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