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Journal articles on the topic 'प्रभावशीलता'

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रेखा, रानी, та कौशल शर्मा डॉ. "माध्यमिक विद्यालय के शिक्षकों की उनकी शिक्षण योग्यता के संबंध में शिक्षक प्रभावशीलता". International Journal of Contemporary Research In Multidisciplinary 3, № 4 (2024): 55–57. https://doi.org/10.5281/zenodo.13118009.

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Abstract:
शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षक सबसे आवश्यक है और वह स्कूली शिक्षा के विकास में सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ है। शिक्षण और सीखने की प्रगति में शिक्षक की शिक्षण योग्यता एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। अध्ययन का उद्देश्य शिक्षक प्रभावशीलता और शिक्षकों की शिक्षण योग्यता के बीच संबंध का पता लगाना था। नमूने में उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले का धामपुर शहर के माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत चार सौ माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक शामिल थे, जिन्हें सरल यादृच्छिक नमूनाकरण तकनीक द्वारा चयन किया गया था। तैयार की गई परिकल्पनाओं की जांच के लिए ‘टी‘ परीक्षण सांख्यिकीय प्रक्रियाएं लागू की गईं। सहसंबंध परिणाम माध्यमिक वि
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Deepa Khare та Dr. Ramavtar. "शिक्षण संस्थानों की ऑनलाइन शिक्षण विधियों की प्रभावशीलता पर छात्रों के दृष्टिकोण का अध्ययन". Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education 18, № 4 (2021): 1471–76. http://dx.doi.org/10.29070/tnwk2252.

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Abstract:
ऑनलाइन सीखने में आईसीटी कारकों (आईसीटी कौशल, आईसीटी समर्थन और आईसीटी इंफ्रास्ट्रक्चर) के महत्व की पुष्टि की गई। इस अध्ययन द्वारा विकसित अनुसंधान मॉडल को उस सेटिंग में ऑनलाइन सीखने की प्रभावशीलता को प्रभावित करने वाले कारकों को समझने के लिए पूरी तरह से ऑनलाइन या सम्मिश्रण शिक्षण में किसी भी सर्वेक्षण के लिए लागू और परीक्षण किया जा सकता है। अनुसंधान मॉडल के निष्पादन से नीति निर्माता, संस्थागत नेतृत्व, सिस्टम डिजाइनर और प्रशिक्षक ऑनलाइन सीखने की प्रभावशीलता के प्रति शिक्षार्थियों की धारणा को समझ सकते हैं। इस अध्ययन के व्यावहारिक निहितार्थ यह हैं कि प्रशिक्षकों और पाठ्यक्रम डिजाइनरों दोनों को सामग
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गुर्जर, संदीप कुमार. "राजस्थान में देवनारायण योजना की प्रभावशीलता का अध्ययन". International Journal of Sociology and Humanities 5, № 1 (2023): 56–60. http://dx.doi.org/10.33545/26648679.2023.v5.i1a.45.

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विश्वकर्मा, जागृति, та दिनेश कुमार मौर्य. "सरकारी तथा गैर सरकारी उच्च प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों की शिक्षण प्रभावशीलता तथा कार्य संतुष्टि पर लेख". SCHOLARLY RESEARCH JOURNAL FOR HUMANITY SCIENCE AND ENGLISH LANGUAGE 9, № 46 (2021): 11296–301. http://dx.doi.org/10.21922/srjhsel.v9i46.1537.

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Abstract:
शिक्षा मनुष्य व समाज का दर्पण है। शिक्षा के द्वारा ही समाज अपनी सभ्यता एवं संस्कृति की रक्षा करता है और शिक्षा सभ्यता के रूप में इस संसार की उन्नति करने में सहायता करती है। शिक्षा का प्रथम पायदान प्राथमिक स्तर व द्वितीय पायदान उच्च प्राथमिक स्तर है। बालक प्राथमिक स्तर पर आधारभूत ज्ञान प्राप्त करके उच्च प्राथमिक स्तर में प्रवेश करता है। यह स्तर बालक के शिक्षा की नींव है, इसके उपरांत ही शिक्षा रूपी दृढ़ स्थाई भवन का निर्माण हो पाता है। शिक्षण प्रभावशीलता तथा कार्य संतुष्टि उन शिक्षण संस्थाओं में अच्छा है जहां अध्यापकों की सेवा शर्तें सुरक्षित हैं। एक व्यक्ति के अध्यापक बनने के बाद उससे अपेक्षा की
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राजकुमार, साहू, та कुमार डॉ.संजीव. "फ़र्रूख़ाबाद जनपद में ग्रामीण स्वरोजगार योजनाओं की प्रभावशीलता का मूल्यांकन: एक सामाजिक-आर्थिक विश्लेषण". International Journal of Advance and Applied Research 12, № 5 (2025): 7–18. https://doi.org/10.5281/zenodo.15488846.

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Abstract:
<em>ग्रामीण भारत की आर्थिक संरचना को सुदृढ़ बनाने हेतु सरकार द्वारा अनेक स्वरोजगार योजनाएँ चलाई जा रही हैं</em><em>, जिनका उद्देश्य ग्रामीण बेरोजगारी को कम करना, आय में वृद्धि लाना, तथा समाज के वंचित वर्गों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है। प्रस्तुत शोध का उद्देश्य फ़र्रूख़ाबाद जनपद के ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित प्रमुख स्वरोजगार योजनाओं&mdash;जैसे प्रधानमंत्री रोजगार योजना, मनरेगा, मुद्रा योजना, और स्वयं सहायता समूह आधारित कार्यक्रमों&mdash;की प्रभावशीलता का सामाजिक-आर्थिक स्तर पर मूल्यांकन करना है। इस अध्ययन में मात्रात्मक अनुसंधान पद्धति का प्रयोग करते हुए 200 ग्रामीण लाभार्थियों से एकत्रि
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., धर्मपाल. "शेरशाह सूरी के प्रशासनिक सुधार और उनकी दीर्घकालिक प्रभावशीलता का अध्ययन". International Journal of Research in Special Education 5, № 1 (2025): 215–17. https://doi.org/10.22271/27103862.2025.v5.i1c.123.

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विश्वकर्मा, रामकिशोर. "प्राथमिक शिक्षा के संबंध में अनुसूचित जाति के बच्चों की वर्तमान स्थिति का अध्ययन". Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education 22, № 01 (2025): 393–401. https://doi.org/10.29070/qhk07866.

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Abstract:
यह अध्ययन प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में अनुसूचित जाति के बच्चों की वर्तमान स्थिति का विश्लेषण करने का प्रयास करता है। भारतीय समाज में शिक्षा को सामाजिक सशक्तिकरण और आर्थिक उन्नति का प्रमुख साधन माना जाता है, परंतु अनुसूचित जातियों के बच्चों को आज भी शिक्षा प्राप्ति में कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इस शोध में प्रमुख रूप से नामांकन दर, उपस्थिति, ड्रॉपआउट दर, शैक्षणिक उपलब्धि और सरकारी योजनाओं की प्रभावशीलता का अध्ययन किया गया है। शोध के दौरान पाया गया कि यद्यपि प्राथमिक स्तर पर नामांकन दर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, फिर भी गुणवत्ता, नियमित उपस्थिति तथा पाठ्यक्रम की उपलब्धता ज
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डा., योगेश कुमार गुप्ता. "भारत में टेलीविजन समाचार चैनलों की प्रभावशीलता (चयनित चैनलों का तुलनात्मक अध्ययन)". International Journal of Research - Granthaalayah 5, № 7 (2017): 79–91. https://doi.org/10.5281/zenodo.827210.

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Abstract:
भारत में आज भी समाचार चैनलों की जनता मंे विश्वसनीयता बनी हुई है। इस शोध के माध्यम से समाचार चैनलों के प्रस्तुतिकरण के अंदाज का पता चलता है। समाचार चैनलों के बीच चल रही घमासान प्रतिस्पर्धा में सबसे आगे कौनसा समाचार चैनल है, का भी पता किया गया है। यह शोध टेलीविजन मीडिया से संबंधित पहलुओं की अज्ञानता के निवारण में प्रभावी भूमिका निभा सकता है। आज टेलीविजन ही संचार का सबसे प्रभावी माध्यम है। टेलीविजन मीडिया लोगों को न्याय दिलाने में, विभिन्न अनछुए पहलुओं से पर्दा हटाने में सहायक सिद्ध हो सकता है। वहीं इस शोध की कुछ सीमाएं भी रही हैं जैसे- इस शोध में केवल जयपुर शहर को ही अध्ययन के लिए चुना गया है। ज
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चौहान, नीरू, та आशुतोष राय. "प्रतिस्पर्धात्मक खेलों में मानसिक कौशल और चिंता प्रबंधन की प्रभावशीलता: एक सैद्धांतिक और अनुप्रयुक्त समीक्षा". International Journal of Physical Education & Sports Sciences 18, № 2 (2023): 47–52. https://doi.org/10.29070/19fz1678.

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Abstract:
यह समीक्षा लेख खेल मनोविज्ञान के क्षेत्र में मानसिक कौशल और प्रतिस्पर्धी चिंता प्रबंधन पर केंद्रित प्रमुख सैद्धांतिक अवधारणाओं और अनुसंधानों का विश्लेषण प्रस्तुत करता है। इसमें यह बताया गया है कि कैसे खिलाड़ी मानसिक प्रशिक्षण तकनीकों—जैसे विज़ुअलाइज़ेशन, आत्म-संवाद, विश्राम तकनीकें—के माध्यम से तनाव और चिंता को नियंत्रित कर सकते हैं। समीक्षा में विभिन्न शोधों की तुलना की गई है ताकि मानसिक कौशल के प्रभाव को बेहतर ढंग से समझा जा सके। यह लेख प्रशिक्षकों, खिलाड़ियों और खेल मनोवैज्ञानिकों के लिए व्यावहारिक दिशानिर्देश प्रदान करता है।
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अर्चना, पांडे. "मिश्रित शिक्षा प्रणाली: एक अध्ययन". RECENT EDUCATIONAL & PSYCHOLOGICAL RESEARCHES (ISSN: 2278-5949) 12, № 1 (Jan.-Feb.-March) (2023): 69–73. https://doi.org/10.5281/zenodo.7930533.

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Abstract:
पारंपरिक कक्षा शिक्षण मूल रूप से औद्योगिक युग के दौरान भविष्य के श्रमिकों को कठोर कार्य भूमिकाओं के लिए निर्देशों का पालन करने के लिए प्रशिक्षण देने के संदर्भ में विकसित हुआ। सूचना युग में, कार्य की प्रकृति और सफल होने के लिए आवश्यक कौशल स्पष्ट रूप से भिन्न हैं। अब शिक्षार्थियों को एक पूछताछ-आधारित, स्व-निर्देशित सीखने के संदर्भ में अत्यधिक विशिष्ट जानकारी प्राप्त करने में सक्षम होना चाहिए। शिक्षार्थियों को आमने-सामने और ऑनलाइन दोनों तरह से अल्पकालिक सहयोगी समस्या-समाधान परियोजनाओं के आसपास प्रभावी ढंग से सहयोग करना सीखना चाहिए। कई उभरते हुए नए इंटरनेट संचार माध्यमों के लिए मल्टीमीडिया प्रारूप
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यादव, अजय. "छत्रपति शिवाजी के शासनकाल में मराठा साम्राज्य की प्रशासनिक संरचना का अध्ययन". International Journal of Advance and Applied Research 12, № 2 (2024): 310–13. https://doi.org/10.5281/zenodo.14671526.

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Abstract:
<strong>सारांश :</strong> &nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp; आधुनिक भारतीय इतिहास में छत्रपति शिवाजी के शासनकाल का प्रशासनिक और रणनीतिक दृष्टिकोण से विशेष महत्व है। मराठा साम्राज्य की स्थापना के साथ छत्रपति शिवाजी महाराज ने एक कुशल, सुसंगठित और पारदर्शी प्रशासनिक व्यवस्था भी स्थापित की। मराठा प्रशासनिक संरचना में मुख्य रुप से आठ घटक हैं जिन्हें &lsquo;अष्ट-प्रधान&rsquo; कहा जाता है। शिवाजी के शासनकाल में विकसित इस प्रशासनिक प्रणाली ने न केवल उनके समय में बल्कि उनके उत्तराधिकारियों के शासनकाल में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आधुनिक प्रशासन में मराठा प्रशासनिक प्रणाली की प्रासंगिकता और प्रभावशी
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Sarita, Kumari. "बिहार के मध्य विद्यालय शिक्षकों में शिक्षक प्रभावशीलता को प्रभावित करने वाले कारकों का बहुआयामी अध्ययन". International Journal of Advanced Academic Studies 7, № 7 (2025): 90–95. https://doi.org/10.33545/27068919.2025.v7.i7b.1576.

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Bajpai, Neeta. "सामाजिक गतिशीलता लोकतंत्र और आतंकवाद". RESEARCH EXPRESSION 6, № 9 (2023): 29–35. https://doi.org/10.61703/re6.

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Abstract:
शास्त्रीय रूप में लोकतंत्र लोगों की अभिव्यक्ति को वास्तविक रुप प्रदान करता है। किंतु समसामयिक विश्व जन पुंज समाजों का विश्व है। इसमें इस शास्त्रीय उक्ति के लिये अधिक स्थान नहीं है कि लोकतंत्र जनता का जनता के लिये जनता द्वारा शासन है। अभिजन वादियों और नव उदार वादियों ने लोकतंत्र का अधिक व्यवहारिक रुप प्रस्तुत किया है। आज का प्रजातंत्र राजनैतिक निर्णय निर्माण शक्ति को जनता के मतों द्वारा प्रतियोगिता पूर्ण तरीके से प्राप्त करने का संस्थागत प्रयास है। वस्तुतः राजनीति सत्ता के लिये संघर्ष है और लोकतंत्र की यह विशेषता है कि वह सत्तात्मक प्रतियोगिता हेतु खुला मंच प्रदान करता है एवं निर्वाचनिय बहुलतंत
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Dr. Triloki Yadav та Umesh Kumar Yadav. "शारीरिक शिक्षा के अंतर्गत योगासनों का महाविद्यालयीन स्तरीय खिलाडियों की एकाग्रता पर प्रभाव का अध्यन". International Journal of Physical Education & Sports Sciences 19, № 1 (2024): 55–57. http://dx.doi.org/10.29070/wg934x89.

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Abstract:
इस अध्यन का उद्दयेश्य खिलाडियों की एकाग्रता पर योग की भूमिका का अध्यन करना है इस में एकाग्रता के स्तर के मापन हेतु परीक्षण किया गया, अध्यन के दौरान 60 पुरुष और महिला खिलाडियों का उपचार समूह रखा गया और उन्हें शामिल किया गया जो उत्तर प्रदेश के महाविद्यालयों में पढ़ने वाले 18 से 25 वर्ष उम्र के थे जिन्होंने किसी न किसी महाविद्यालयीन स्तरीय प्रतियोगिता में भाग लिया हो, उन्हें 14 सप्ताह तक, सप्ताह में ५ दिन योगाभ्यास के माध्यम से प्रशिक्षण दिया गया, इस प्रयोग में कुमार और टेल्स (2009) के द्वारा लैटर कैंसलेशन कार्य का उपयोग किया गया, तत्पश्चात पूर्व और बाद लिए गए टेस्ट के माद्यम से प्रशिक्षण कार्य की
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पवार, शेर सिंह, та नरेंद्र कुमार थापक. "बाल श्रम की सामाजिक-कानूनी समस्याएँ: आयामों का एक अध्ययन". Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education 20, № 4 (2023): 825–30. https://doi.org/10.29070/6vqr9503.

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Abstract:
यह अध्ययन सार्वजनिक सेवा वितरण प्रणाली में कार्यरत सेवा प्रदाताओं की धारणाओं की भूमिका का विश्लेषण करता है। विशेष रूप से स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षा क्षेत्रों में कार्यरत अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं जैसे आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, आशा कार्यकर्ता, और सरकारी शिक्षक की दृष्टिकोण, अनुभव और व्यवहार को समझा गया है। यह पाया गया कि सेवा की प्रभावशीलता केवल संरचनात्मक या नीतिगत व्यवस्थाओं पर निर्भर नहीं करती, बल्कि यह भी उतनी ही महत्वपूर्ण है कि सेवा प्रदाता अपने कार्य को किस रूप में देखते हैं कर्तव्य, बोझ, या सामाजिक योगदान के रूप में। शोध से यह भी स्पष्ट हुआ कि यदि सेवा प्रदाताओं को उचित संसाधन, प्रशिक्षण
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Dr. Triloki Yadav та Umesh Kumar Yadav. "शारीरिक शिक्षा के अंतर्गत योगासनों का महाविद्यालयीन स्तरीय खिलाडियों के शारीरिक लचीलेपन पर प्रभाव का अध्यन". International Journal of Physical Education & Sports Sciences 18, № 2 (2024): 18–21. http://dx.doi.org/10.29070/dchpj048.

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Abstract:
इस अध्यन का उद्दयेश्य महाविद्यालयीन स्तरीय खिलाडियों की शारीरिक लचीलेपन पर योग की भूमिका का अध्यन करना है इस में शारीरिक लचीलेपन के मापन हेतु परीक्षण किया गया, अध्यन के दौरान 60 पुरुष और महिला खिलाडियों का केवल एक उपचार समूह शामिल किया गया जो उत्तर प्रदेश के महाविद्यालयों में पढ़ने वाले 18 से 25 वर्ष उम्र के थे जिन्होंने किसी न किसी महाविद्यालयीन स्तरीय प्रतियोगिता में भाग लिया हो, उन्हें 14 सप्ताह तक, सप्ताह में 5 दिन योगाभ्यास के माध्यम से प्रशिक्षण दिया गया, इस प्रयोग में लचीलेपन को सिट एंड रीच टेस्ट के माध्यम से मापा गया, इस शोध कार्य में पूर्व और बाद लिए गए टेस्ट के माध्यम से प्रशिक्षण कार
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सिंकू, कुमार सिंह, та पाटिल डॉ.सुनीता. "राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में परिणाम-आधारित शिक्षा की प्रासंगिकता". International Journal of Advance and Applied Research 4, № 31 (2023): 33–35. https://doi.org/10.5281/zenodo.8365665.

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Abstract:
<strong>सार </strong> परिणाम-आधारित शिक्षा एक शैक्षिक प्रक्रिया है जो नौसिखियों की नियत प्रदर्शन क्षमताओं में माहिर होती है और उन्हें सिखाए जाने के बाद उनके परिणामों को पूरा करने के लिए ज्ञान को लागू करती है। परिणाम-आधारित शिक्षा में सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों में से एक शक्तिशाली पाठ्यक्रम डिजाइन है जो किसी भी पाठ्यक्रम की प्रभावशीलता के अनुभवात्मक ज्ञान को पकड़ता है जिसे कोचिंग की प्रक्रिया के माध्यम से मापा जा सकता है - छात्रों को वास्तव में क्या सिखाया जा सकता है, यह जानने और मूल्यांकन करने के बाद, परिणाम-आधारित शिक्षा समाज के तात्कालिक सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक वातावरण के लिए विशेष रूप से
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Bimla та Gupta Sakshi. "शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्यः एक अध्ययन". RECENT EDUCATIONAL AND PSYCHOLOGICAL RESEARCHES 13, № 2 (2024): 62–65. https://doi.org/10.5281/zenodo.13336589.

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Abstract:
आधुनिक समय में बच्चे को शिक्षित करने पर जोर देने के साथ शिक्षा के समग्र दृष्टिकोण के रूप में परिलक्षित होता है। दूसरा प्रभाव मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं सहित पुरानी बीमारियों की महामारी विज्ञान के लिए जीवन पाठ्यक्रम दृष्टिकोण से आता है। शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देना व्यक्तिगत, सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। बच्चों और युवाओं के जीवन में उनकी केंद्रीय भूमिका के कारण, स्कूलों को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए प्रभावी समर्थन और हस्तक्षेप के स्थानों के रूप में व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त है। स्वास्थ्य परिणामों को बेहतर बनाने में एचपीएस और सीएसएच कार्यक्रमों की प्रभाव
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विक्रम, मोबारसा. "डिजिटल संरक्षण और सूचना साक्षरता निर्देश की चुनौतियां". International Journal of Innovative Research and Creative Technology 10, № 3 (2024): 1–3. https://doi.org/10.5281/zenodo.12514003.

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Abstract:
अमूर्तडिजिटल संरक्षण और सूचना साक्षरता वर्तमान युग में अत्यंत महत्वपूर्ण हो गए हैं। सूचना साक्षरता का उद्देश्य लोगों को सूचना का सही उपयोग और विश्लेषण करने में सक्षम बनाना है, जबकि डिजिटल संरक्षण का मतलब है डिजिटल संसाधनों और सूचनाओं की सुरक्षा और उनका दीर्घकालिक संरक्षण। इस लेख में डिजिटल संरक्षण और सूचना साक्षरता के क्षेत्र में सामने आने वाली चुनौतियों का विश्लेषण किया गया है। डिजिटल संरक्षण की मुख्य चुनौतियों में डेटा सुरक्षा, गोपनीयता, और डिजिटल सामग्री का दीर्घकालिक संरक्षण शामिल हैं। वहीं, सूचना साक्षरता के क्षेत्र में प्रमुख चुनौतियाँ डिजिटल विभाजन, डिजिटल साक्षरता कार्यक्रमों की प्रभाव
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चन्द्र, सुरेष, та यष पाल सिंह. "सर्व षिक्षा अभियान की प्रभावषीलता के प्रति अध्यापकों का दृष्टिकोण". SCHOLARLY RESEARCH JOURNAL FOR INTERDISCIPLINARY STUDIES 9, № 68 (2021): 16287–98. http://dx.doi.org/10.21922/srjis.v9i68.10026.

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Abstract:
प्रस्तुत षोध अध्ययन का उद्देश्य सर्व षिक्षा अभियान की प्रभावशीलता के प्रति अध्यापकों के दृष्टिकोण का लक्ष्य-प्राप्ति एवं प्रबन्धन के सन्दर्भ में अध्ययन करना था। प्रस्तुत षोध अध्ययन वर्णात्मक सर्वेक्षण षोध विधि पर आधारित है। न्यादर्ष के रूप में षोध कर्ता द्वारा उत्तर प्रदेष राज्य के बरेली मण्डल के चार जनपद (बदायूं, बरेली, षाहजहांपुर एवं पीलीभीत) में से दो जनपद बरेली व पीलीभीत के पाँच विकास खण्ड व दो नगर क्षेत्र के 200 अध्यापकों का चयन साधारण यादृच्छिक न्यादर्षन प्रविधि के द्वारा किया गया। आंकड़ों के संकलन हेतु षोध कर्ता द्वारा डॉ. के. आर. षर्मा एवं डॉ. डी. के. षर्मा द्वारा निर्मित प्रमापीकृत माप
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शुक्ला, डाॅ विधान कुमार. "प्रयागराज जनपद में आरटीई एक्ट-2009 के क्रियान्वयन के संदर्भ में सतत् एवं समग्र मूल्यांकन पद्धति की प्रभावशीलता का अध्ययन". International Journal of Advanced Academic Studies 4, № 4 (2022): 97–100. http://dx.doi.org/10.33545/27068919.2022.v4.i4b.875.

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कुलदीप та अरोरा सारिका. "स्त्री शिक्षा के विकास एवं विभिन्न आयोगों एवं समितियों द्वारा समस्याओं के समाधान सुझाव". RECENT EDUCATIONAL & PSYCHOLOGICAL RESEARCHES 13, № 1 (2024): 72–76. https://doi.org/10.5281/zenodo.11003424.

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Abstract:
अन्य व्यवसायां े के विपरीत, एक छात्र के समग्र विकास की जिम्मेदारी परू ी तरह से शिक्षक के कंधांे पर हाते ी है। नतीजतन, स्कूलांे को प्रशिक्षकांे को सुव्यवस्थित और व्यवस्थित प्रशिक्षण प्रदान करना चाहिए ताकि वे अपन े छात्रांे के समग्र विकास मंे सार्थक और संपूर्ण तरीके से योगदान द े सकंे। भारत मंे शिक्षक शिक्षा मंे बहुत कम निवेश हुआ है, इस तथ्य के बावजूद कि यह छात्रां े की उपलब्धि को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करता है। राष्ट्र की समृद्धि के लक्षित स्तर को प्राप्त करने के लिए शिक्षक शिक्षा मे ं पण्ूर् ा सुधार अत्यतं महत्वपण्ूर् ा है। हम लगातार विकासात्मक गतिविधियों में लगे हुए हं,ै और हमारी राष्ट्री
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चंद्रकांत, कोठे, та गजानन गुल्हाने . "ऑनलाइन शैक्षिक तकनीकी संसाधन आधारित हिंदी शिक्षण विधि की माध्यमिक स्तर के हिंदीतर भाषा-भाषी विद्यार्थियों की शैक्षिक उपलब्धि पर प्रभावशीलता". Scholarly Research Journal for Humanity Science & English Language, 11, № 57 (2023): 199–208. https://doi.org/10.5281/zenodo.8068851.

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विजन, अंजना. "डिजिटल युग में शिक्षा के बदलते आयाम". International Journal of Advance and Applied Research 6, № 25(D) (2025): 10–11. https://doi.org/10.5281/zenodo.15332043.

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Abstract:
<strong>सारांश:</strong> डिजिटल युग में शिक्षा के क्षेत्र में इंटरनेट, स्मार्टफोन, और अन्य डिजिटल तकनीकों के प्रभाव से क्रांतिकारी परिवर्तन हुए हैं। डिजिटल उपकरण ऐसे उत्प्रेरक के रूप में कार्य कर रहे हैं जो नवीन शैक्षिक प्रतिमानों की शुरुआत करते हैं, जहां सीखने की बाधाएं समाप्त हो रही हैं, ज्ञान सार्वभौमिक रूप से सुलभ हो रहा है और विद्यार्थियों के लिए सीखने के नए मार्ग भी खुल रहे हैं। डिजिटल युग में परंपरागत शिक्षा में आमूल-चूल परिवर्तन हो रहे हैं । अब शिक्षार्थी आसानी से और बेहतर तरीके से बिना किसी कठिनाई के किसी भी उम्र में शिक्षा अर्जित कर रहे हैं। इस युग ने न केवल सीखने के अनुभवों को समृद्
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साक्षी. "शिशु विकास और आँगनबाड़ी: एक बहुआयामी दृष्टिकोण". INTERNATIONAL EDUCATION AND RESEARCH JOURNAL - IERJ 11, № 1 (2025): 28–32. https://doi.org/10.5281/zenodo.15592201.

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Abstract:
शिशु विकास जीवन के प्रारंभिक वर्षों में तेजी से घटित होने वाली प्रक्रिया है, जिसमें शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक पहलुओं का समग्र समावेश होता है। इस महत्वपूर्ण अवधि में बच्चों को उपयुक्त पोषण, शिक्षा और देखभाल प्रदान करना अत्यधिक आवश्यक है। आँगनबाड़ी केंद्रों की भूमिका शिशु विकास में महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये केंद्र शिशुओं के लिए शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के साथ-साथ उनके सामाजिक कौशल और व्यक्तित्व के निर्माण में भी सहायक होते हैं। आँगनबाड़ी सेवाओं के तहत बच्चों को सही पोषण, नियमित टीकाकरण, स्वास्थ्य जाँच, और मानसिक विकास के लिए शिक्षा प्रदान की जाती है। आँगनबाड़ी केंद्
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गोस्वामी, सरिता, та नीलम श्योराण. "उत्तर प्रदेश में आरक्षित श्रेणी के विद्यार्थियों के लिए शैक्षिक अवसरों और दशमोत्तर छात्रवृत्ति की उपलब्धता पर एक अध्ययन". International Scientific Journal of Engineering and Management 04, № 07 (2025): 1–9. https://doi.org/10.55041/isjem04852.

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Abstract:
यह अध्ययन उत्तर प्रदेश में आरक्षित श्रेणी के विद्यार्थियों के लिए शैक्षिक अवसरों की पहुँच और दशमोत्तर छात्रवृत्ति की उपलब्धता की जाँच करता है। केंद्र और राज्य सरकार की छात्रवृत्ति योजनाओं के होते हुए भी पिछड़े वर्गों के कई छात्र सामाजिक-आर्थिक और प्रशासकीय बाधाओं के कारण इन कार्यक्रमों से अनजान हैं या इनका लाभ उठाने में असमर्थ हैं। इस शोधपत्र का प्राथमिक उद्देश्य वर्तमान छात्रवृत्ति प्रावधानों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन करना, नीति कार्यान्वयन में अंतराल की पहचान करना और आरक्षित श्रेणी के छात्रों की शैक्षिक निरंतरता को प्रभावित करने वाले कारकों को समझना है। इस शोध का निष्कर्ष बताता है कि दशमोत
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दृष्टि, राज, та अग्रवाल महावीर. "श्रीमद्भगवद्गीता में प्रबंधन का प्रमुख स्रोतः एक विवेचनात्मक अध्ययन". RECENT RESEARCHES IN SOCIAL SCIENCES & HUMANITIES (ISSN 2348–3318) 10, № 2 (2023): 39–42. https://doi.org/10.5281/zenodo.8151596.

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Abstract:
श्रीमद्भगवद्गीता &rsquo;वेदों, पुराणों तथा उपनिषदों जैसे आवश्यक प्राचीन भारतीय ग्रंथों में से एक है, जिसे प्राथमिक दिव्य रहस्योद्घाटनों में से एक माना जाता है। श्रीमद्भगवद्गीता विभिन्न आध्यात्मिक मार्ग दिखाकर हमारा मार्गदर्शन करती है, जिसके माध्यम से हम आत्म-ज्ञान के साथ-साथ आंतरिक शांति भी प्राप्त कर सकते हैं। पवित्र शास्त्र के रूप में श्रीमद्भगवद्गीता की शिक्षाएँ एक तरफ आज के प्रबंधकों को उत्कृष्टता के लिए प्रयास करने के लिए तैयार करती हैं और दूसरी ओर आज की कारोबारी दुनिया में मानवीय स्पर्श के महत्व पर बल देती है। भगवद्गीता में मन का प्रबंधन, कर्तव्य का प्रबंधन तथा आत्म प्रबंधन इन तीनों सिद्
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भारती, दीपा. "ग्रामीण महिलाओं और बच्चों में कुपोषण की समस्या और उसके समाधान". Journal of Research & Development 17, № 1 (2025): 245–51. https://doi.org/10.5281/zenodo.14965093.

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Abstract:
<strong><em>सारांश:</em></strong> <em>ग्रामीण महिलाओं और बच्चों के बीच कुपोषण एक व्यापक चुनौती बनी हुई है</em>, <em>जो उनके स्वास्थ्य</em>, <em>विकास और समग्र कल्याण को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर रही है। सामाजिक-आर्थिक असमानताओं</em>, <em>जागरूकता की कमी</em>, <em>स्वास्थ्य सेवा तक सीमित पहुँच और अपर्याप्त पोषण में निहित</em>, <em>कुपोषण बौनापन</em>, <em>कमज़ोरी</em>, <em>एनीमिया और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी जैसे रूपों में प्रकट होता है। प्राथमिक देखभाल करने वाली ग्रामीण महिलाओं को लैंगिक असमानता और सीमित निर्णय लेने की शक्ति के कारण जटिल चुनौतियों का सामना करना पड़ता है</em>, <em>जिससे कु
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जतिंदर, कौर. "बैचलर ऑफ एजुकेशन (बी.एड) प्रोग्राम में फाइन आर्ट्स को शामिल करने से भावी शिक्षकों को लाभ". International Journal of Advance and Applied Research 12, № 2 (2024): 320–25. https://doi.org/10.5281/zenodo.14744210.

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Abstract:
<em>ललित कला को बैचलर ऑफ एजुकेशन (बी.एड) कार्यक्रम में शामिल करने से महत्वपूर्ण लाभ मिलते हैं, जो भावी शिक्षकों के पेशेवर और व्यक्तिगत विकास को समृद्ध करते हैं। ललित कला शिक्षा रचनात्मकता, नवाचार और प्रभावी संचार कौशल को बढ़ावा देती है, जिससे महत्वाकांक्षी शिक्षक आकर्षक और गतिशील पाठ तैयार कर पाते हैं। यह भावनात्मक बुद्धिमत्ता और सहानुभूति को बढ़ाता है, जिससे शिक्षकों को अपने छात्रों की सामाजिक और भावनात्मक जरूरतों को बेहतर ढंग से समझने और उनका समर्थन करने में मदद मिलती है। विविध कला रूपों के संपर्क में आने से सांस्कृतिक जागरूकता बढ़ती है, जिससे शिक्षक समावेशी कक्षाओं को बढ़ावा देने के लिए तैय
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सचित्र, मिश्रा. "महाकुंभ मेला और मीडिया: सांस्कृतिक पहचान के निर्माण में एक प्रभावशाली भूमिका". INTERNATIONAL EDUCATION AND RESEARCH JOURNAL - IERJ 11, № 3 (2025): 76–80. https://doi.org/10.5281/zenodo.15583380.

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Abstract:
महाकुंभ मेला विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है जो परंपरा और आधुनिकता के संगम का प्रतीक है। यह केवल आध्यात्मिक आस्था और सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण तक ही सीमित नहीं है बल्कि समाजए राजनीति और अर्थव्यवस्था के व्यापक परिप्रेक्ष्य को भी दर्शाता है। इस संदर्भ में मीडिया की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि यह महाकुंभ से जुड़ी सार्वजनिक धारणाओं और सांस्कृतिक आख्यानों के निर्माण और प्रसार में सक्रिय भागीदारी निभाता है। मीडिया द्वारा महाकुंभ मेले का चित्रण केवल इसकी वृहदता और भव्यता को उजागर करने तक सीमित नहीं रहता बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक पहचान को एक नई दिशा देने और उसे वैश्विक मंच पर स
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Bankar, Sujata, Md Azim Ansari, Manjulata Sharma, Upasana Meshram, and Gulab Pathak. "Artificial Intelligence (AI): A Catalytic Base for Learning and Teaching." GYANVIVIDHA 02, no. 02 (2025): 51–58. https://doi.org/10.71037/gyanvividha.v2i2.02.

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Abstract:
आजीवन शिक्षा वर्तमान नीति का केंद्रबिंदु है, और आजीवन शिक्षा को इसका अभ्यास करने के एक महत्वपूर्ण तरीके के रूप में प्रेरित किया जा सकता है। आजीवन शिक्षा को किसी व्यक्ति के जीवन भर की घटनाओं के संग्रह के रूप में समझा जा सकता है, जिसके आधार पर व्यक्ति के जीवन में नई प्रथाओं को एकीकृत किया जाता है। इसका उपयोग किसी व्यक्ति द्वारा अपने जीवन भर किसी विशेष क्षेत्र में अपने ज्ञान, कौशल और क्षमता को बेहतर बनाने के लिए की जाने वाली गतिविधियों को शामिल करने के लिए किया जाता है, जिसमें आजीवन सीखने की आवश्यकता वाली AI तकनीकें शामिल हैं और ऐसी नीतियाँ महत्वपूर्ण और तकनीकी रूप से निर्धारक हैं। आजीवन शिक्षा ज
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Ajit. "A study on India’s permanent Seat in UNSC: Prospects and Challenges." RESEARCH REVIEW International Journal of Multidisciplinary 7, no. 9 (2022): 81–86. http://dx.doi.org/10.31305/rrijm.2022.v07.i09.012.

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Abstract:
In 1945, the United Nations founded the Security Council to ensure global stability, protect civilians, and foster goodwill among nations. After 76 years, the original 51 member nations of the UNSC have been joined by 193. The UNSC does not adequately reflect the developing countries and its demands, hence reforms are urgently needed in light of the shifting global dynamics. Due to the current veto power that is shared among the five permanent members of the UN Security Council (China, the United States, the United Kingdom, Russia, and France), the council is prejudiced and unrepresentative in
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शिवानी, कुमारी, та विश्वनाथ झा डॉ०. "किशोरावस्था में नशाखोरी के कारण मनोदैहिक विचलन का सामाजिक प्रभाव". 'Journal of Research & Development' 14, № 15 (2022): 55–58. https://doi.org/10.5281/zenodo.7309557.

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Abstract:
<strong>सारांश:- </strong>आजकल युवाओं द्वारा नशा करने के लिए व्यापक रूप से नशीली दवा का प्रयोग किया जाता हैं। नशीली दवाओं के दुरुपयोग और नशीली दवाओं का खतरा सीमित संख्या में पदार्थों का अवैध, गैर-चिकित्सा उपयोग है, जिनमें से अधिकांश में किसी व्यक्ति की मानसिक स्थिति को बदलने के गुण होते हैं जिन्हें सामाजिक मानदंडों द्वारा माना जाता है और क़ानून द्वारा अनुपयुक्त होने के लिए परिभाषित किया जाता है। शराब, हेरोइन, कोकीन, अफीम और मारिजुआना नशीली दवाओं का दुरुपयोग अवांछित, हानिकारक और उपयोगकर्ता के जीवन और बड़े पैमाने पर समाज के लिए खतरा है। आमतौर पर, युवा इस नशीली दवा के खतरे और इसके दुरुपयोग का निश
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Joshi, Shobhana, and Kirti Khandwe. ""THERAPY WITH FLOWERS OF VARIOUS COLORS: A STUDY." International Journal of Research -GRANTHAALAYAH 2, no. 3SE (2014): 1–3. http://dx.doi.org/10.29121/granthaalayah.v2.i3se.2014.3618.

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Abstract:
The priceless gift given by God to human lovers is included in the beautiful flowers of nature. The flower itself is a poem in itself. Flowers are rich in many mineral salts. Flowers vary from season to season. Flowers are the softest product of nature. The flower is the carrier of emotions. The flower is a symbol of love with its beauty, aroma, tenderness. Is also the communicator of love. The flower is vibrant. The basis of expression of depth of emotions is the flower itself. Flower is the bridge between the devotee and God. Vandana is the medium. Flowers are the main ingredient of devotion
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Gupta, Govind. "Development of Primary and Secondary Healthcare Services in Rajasthan: A Review Study." RESEARCH HUB International Multidisciplinary Research Journal 12, no. 1 (2025): 04–13. https://doi.org/10.53573/rhimrj.2025.v12n1.002.

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Abstract:
The development of healthcare services in Rajasthan is crucial for the state's social and economic structure, particularly in the context of primary and secondary healthcare services. This research paper presents a review study based on the development of primary and secondary healthcare services in Rajasthan. The objective of the study is to examine the current state of the healthcare sector in Rajasthan, government policies, programs, and their effectiveness. This review discusses the role of Primary Health Centres (PHCs) and Community Health Centres (CHCs), the impact of government schemes
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Pareek, Mamta. "The Concept of One Nation, One Election in Indian Democracy: A Study of Benefits, Challenges, and Feasibility." Research Review Journal of Social Science 4, no. 2 (2024): 13–24. https://doi.org/10.31305/rrjss.2024.v04.n02.003.

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Abstract:
This study highlights that the concept of "One Nation, One Election" (simultaneous elections) in India aims to conduct Lok Sabha and Assembly elections together. This idea is regarded as a significant effort to enhance efficiency and conserve resources in Indian democracy. In the current system, the frequent conduct of elections disrupts governance repeatedly and leads to excessive expenditure of economic resources. The research presents a comprehensive analysis of the potential benefits, challenges, and feasibility of "One Nation, One Election." The potential benefits include economic savings
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Bhardwaj, Vinod. "Study of India-China economic relations during the period of NDA-II government: Major challenges and impacts." RESEARCH REVIEW International Journal of Multidisciplinary 8, no. 10 (2023): 148–55. http://dx.doi.org/10.31305/rrijm.2023.v08.n10.017.

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Abstract:
Economic relations between India and China have attracted significant attention in recent years, especially during the tenure of India's NDA-II government. The objective of this study is to analyze the major challenges and impacts faced by India-China economic relations during this period. Through a comprehensive review of the historical context, economic policies and bilateral agreements, this research provides insights into the evolution of India-China economic relations and the specific policies implemented by the NDA-II government. Key challenges such as trade imbalances, border disputes a
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Choudhary, Khem Raj. "Advancements in Water Management for Agriculture: Innovative Strategies for Efficient Irrigation Systems - with Reference to Sirohi District." RESEARCH REVIEW International Journal of Multidisciplinary 9, no. 11 (2024): 62–70. https://doi.org/10.31305/rrijm.2024.v09.n11.011.

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Abstract:
In light of global climate variability and the increasing water scarcity, sustainable food production in agriculture depends on effective water management. This literary collection of research presents a detailed analysis of advanced methods and tools designed to increase irrigation efficiency and optimize water consumption in agricultural practices. The first section of the research literature highlights traditional irrigation techniques such as sprinkler, surface/drainage, and flood irrigation, pointing out their shortcomings and challenges related to soil erosion, water wastage, and energy
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ओमपाल, सिंह, та हेम ेन्द्र सिंह डा॰. "बौद्धिक सम्पदा और बच्चा ें की शिक्षा से सम्बन्धित समस्याएँ". International Journal of Research - Granthaalayah 6, № 9 (2018): 332–39. https://doi.org/10.5281/zenodo.1443513.

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Abstract:
शिक्षा मानव जीवन का श्रं ृगार है । शिक्षा के माध्यम से ही व्यक्ति एक विशिष्ट व्यक्तित्व को प्राप्त करन े में सक्षम हो सकता है । अन ेक बार अशिक्षित व्यक्ति भी प्रभावशील होता है; परन्त ु, शिक्षा क े अभाव म ें वह मुख्य रूप से अपन े परिवेश से ही अधिकतम ज ुड़ा हुआ रहता है जिस क े कारण वह अपनी उन विशिष्टताओं का े व्यापक रूप प्रदान करन े में प्रायः अक्षम रहता है जिन से कि वह सम्पूर्ण भारतीय और विदेशी नागरिकों को लाभ पहुँचा सक े । वर्तमान वैश्विक परिदृश्य यह संकेत करता है कि वह देश वैश्विक धरातल पर टिका नहीं रह सकता जिस के नागरिक शिक्षा से वंचित हैं । भारतीय परिप्रेक्ष्य में बच्चों की शिक्षा से सम्बन्
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Singh, Ompal, and Hamendra Singh. "Problems related to intellectual property and children's education." International Journal of Research -GRANTHAALAYAH 6, no. 9 (2018): 332–39. http://dx.doi.org/10.29121/granthaalayah.v6.i9.2018.1238.

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Abstract:
Education is the cornerstone of human life. Only through education can a person be able to achieve a specific personality. Sometimes illiterate person is also effective; However, due to lack of education, he is mainly attached to his environment, due to which he is often unable to give wide range of his specialties so that he can benefit the entire Indian and foreign citizens. The current global scenario indicates that a country whose citizens are deprived of education cannot sustain on the global plane. In the Indian perspective, many problems related to children's education are becoming visi
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-, दीपा शुक्ला, та वन्दना चतुर्वेदी -. "सर्वेक्षण माध्यमिक विद्यालय के अध्यापकों का आई. सी. टी. प्रति जागरूकता एवं शिक्षण में प्रभावशीलता का अध्ययन". International Journal For Multidisciplinary Research 6, № 2 (2024). http://dx.doi.org/10.36948/ijfmr.2024.v06i02.15278.

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Abstract:
यह शोध पत्र माध्यमिक विद्यालय के शिक्षकों में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) जागरूकता और शिक्षण प्रभावशीलता पर इसके प्रभाव की जांच करता है। अध्ययन निम्नलिखित शोध प्रश्नों द्वारा निर्देशित है: माध्यमिक स्तर के शिक्षकों में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के बारे में जागरूकता का स्तर क्या है? शिक्षकों के बीच शिक्षण प्रभावशीलता का स्तर क्या है? आईसीटी के बारे में जागरूकता के विभिन्न स्तरों वाले शिक्षकों के बीच शिक्षण प्रभावशीलता में क्या अंतर मौजूद हैं? समस्या कथन माध्यमिक विद्यालय के शिक्षकों में आईसीटी जागरूकता और शिक्षण प्रभावशीलता का पता लगाने की आवश्यकता को रेखांकित करता है। उद्देश्यों में शि
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घीसालाल, लोधा व. डॉ मूलचंद मीना. "नवीन शिक्षण उपागमों की प्रभावशीलता का अध्ययन I". TTMA TRACKS 01 ISSN - 23942908, № 50JANUARY 2019 (2022). https://doi.org/10.5281/zenodo.7109717.

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-, अमित कुमार, та मीनाक्षी शर्मा -. "अधिकारों के रूप में नागरिक चार्टर की प्रभावशीलता". International Journal on Science and Technology 16, № 1 (2025). https://doi.org/10.71097/ijsat.v16.i1.1754.

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Abstract:
सहभागी शासन आधुनिक लोकतांत्रिक समाजों का एक महत्वपूर्ण घटक है, जो यह सुनिश्चित करता है कि नागरिकों को निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में अपनी आवाज़ रखने का अवसर मिले। नागरिक चार्टर ऐसे ढांचे के रूप में कार्य करते हैं जो नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों को परिभाषित करते हैं, साथ ही शासन में पारदर्शिता, जवाबदेही और समावेशिता को बढ़ावा देते हैं। यह शोध पत्र भारत में सहभागी शासन को मजबूत करने में नागरिक चार्टर्स की भूमिका, उनके लोकतांत्रिक संस्थानों पर प्रभाव और उनके कार्यान्वयन से जुड़ी चुनौतियों की जांच करता है। विभिन्न भारतीय राज्यों से अध्ययन प्रस्तुत करते हुए, यह पत्र नागरिक सहभागिता को बढ़ाने क
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Vijayvargiya, Sanjay, та Sandeep Kumar Srivastava. "जनसंपर्क विभाग के उपक्रम 'मध्यप्रदेश माध्यम' द्वारा निर्मित स्वास्थ्य संबंधी फिल्मों के प्रभाव का अध्ययन-एक मात्रात्मक शोध". ShodhKosh: Journal of Visual and Performing Arts 5, № 6 (2024). https://doi.org/10.29121/shodhkosh.v5.i6.2024.4721.

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Abstract:
यह मात्रात्मक शोध पत्र 'मध्यप्रदेश माध्यम' द्वारा निर्मित स्वास्थ्य संबंधी फिल्मों के प्रभाव का विश्लेषण करता है, जो कि मध्यप्रदेश सरकार के जनसंपर्क विभाग के सामाजिक परिवर्तन का सूत्रधार है। इस अध्ययन का मुख्य उद्देश्य इन फिल्मों की प्रभावशीलता का आकलन करना है, विशेष रूप से स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ाने, व्यवहारगत परिवर्तन लाने और स्वास्थ्य जानकारी के प्रसार में जनसंपर्क मीडिया की भूमिका को समझने के लिए। भोपाल के 200 उत्तरदाताओं (100 पुरुष और 100 महिलाएं) से संरचित प्रश्नावली और साक्षात्कार के माध्यम से तथ्य एकत्र किया गया। SPSS और एक्सेल जैसे सांख्यिकीय उपकरणों का उपयोग करके किए गए विश्लेषण में य
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Choudhary, Rekha, та Ritu Chandra. "लखनऊ, उत्तर प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में मध्याह्न भोजन योजना का अन्वेषणात्मक विश्लेषण". ShodhKosh: Journal of Visual and Performing Arts 5, № 6 (2024). https://doi.org/10.29121/shodhkosh.v5.i6.2024.4952.

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Abstract:
यह शोधपत्र माध्यमिक डेटा का उपयोग करते हुए लखनऊ, उत्तर प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में मध्याह्न भोजन योजना (एम.डी.एम.एस) का अन्वेषणात्मक विश्लेषण प्रदान करता है। यह योजना के उद्देश्यों, हाल के विकास, सार्वजनिक-निजी भागीदारी और बच्चों के पोषण संबंधी कल्याण और शैक्षिक परिणामों पर इसके प्रभाव की जांच करता है। लखनऊ के भीतर अद्वितीय चुनौतियों और सफलताओं पर ध्यान केंद्रित करके, इस शोधपत्र का उद्देश्य स्थानीय स्तर पर एम.डी.एम.एस के संचालन के तरीके को बेहतर ढंग से समझने में योगदान देना और इसकी प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए मार्ग सुझाना है।
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Verma, Madhu, та Mahendra Prasad Pandey. "मिडिल स्तर के विद्याथियों की शैक्षिक उपलब्धि एवं भावनात्मक विकास पर शिक्षकों पर शिक्षक प्रभावोत्पादकता के प्रभाव का अध्ययन". ShodhKosh: Journal of Visual and Performing Arts 5, № 6 (2024). https://doi.org/10.29121/shodhkosh.v5.i6.2024.2983.

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Abstract:
विद्यार्थी और शिक्षा का एक दूसरे से बड़ा ही गहरा सबंध है। शिक्षा अनुत्व के लिए खान-पान से अधिक आवश्यक है। प्रस्तुत शोध पत्र ‘‘मिडिल स्तर के विद्यार्थियों के भावनात्मक विकास पर शिक्षकों की शिक्षक प्रभावोत्दकता के प्रभाव के अध्ययन पर किया गया है। जहाँ बालक विद्यालयी शिक्षा का केन्द्र होते हैं, बालकों में ज्ञानर्जन सुनिश्चित करने ‘‘मैं सबसे महत्वपूर्ण भूमिका एक शिक्षक की होती है। किसी भी समाज के सामाजिक आर्थिक स्तर को शिक्षा व्यापक रूप से प्रभावित करती है। शिक्षक-शिक्षण प्रक्रिया प्रभावशीलता, शिक्षक की संवेगात्मक बुद्धि का भावनात्मक विकास आदि को प्रभावित करते हैं।
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-, HIMANSHOO JAISWAL. "शिक्षकों में विद्यालय के संगठनात्मक माहौल और नौकरी (व्यवसाय) के प्रति संतुष्टि का शैक्षिक अध्ययन।". International Journal For Multidisciplinary Research 6, № 4 (2024). http://dx.doi.org/10.36948/ijfmr.2024.v06i04.24675.

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Abstract:
शिक्षक को राष्ट्र निर्माता कहा गया है। किसी भी शैक्षणिक संगठन की सफलता काफी हद तक उसके शिक्षकों की प्रभावशीलता पर निर्भर करती है, जिन्हें ज्ञान स्थानांतरित करने, विद्यार्थियों की निगरानी करने और शिक्षा के स्तर को बढ़ाने का काम सौंपा जाता है। शिक्षकों की कार्य संतुष्टि का उनके द्वारा पढ़ाए जाने वाले विद्यार्थियों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है क्योंकि वे सीधे विद्यार्थियों को ज्ञान हस्तांतरित करने में शामिल होते हैं। संक्षेप में, चाहे कोई भी देश हो, अत्यधिक संतुष्ट शिक्षक अपने विद्यार्थियों की सफलता के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ देते हैं, न केवल ज्ञान प्रदान करके बल्कि प्रत्येक विद्यार्थियों की बेहतर
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Verma, Madhu, та Mahendra Prasad Pandey. "मिडिल स्तर के विद्याथियों की शैक्षिक उपलब्धि एवं भावनात्मक विकास पर शिक्षकों की संवेगात्मक बुद्धि के प्रभाव का अध्ययन". ShodhKosh: Journal of Visual and Performing Arts 5, № 1 (2024). https://doi.org/10.29121/shodhkosh.v5.i1.2024.2982.

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Abstract:
शिक्षा जीवन भर चलने वाली प्रक्रिया है जिससे प्राणी अपने व्यवहार में उत्तरोत्तर परिवर्तन करता है। शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षक को जगदगुरु की उपाधि से विभूशित किया गया है। शिक्षक, शिक्षार्थी व पाठ्यक्रम में तीनों शिक्षण के स्तम्भ है, जिन पर शिक्षा व्यवस्था रूपी भवन अवस्थित है। प्रस्तुत शोध अध्ययन पत्र मिडिल स्तर के विद्यार्थियों की शैक्षिक उपलब्धि पर शिक्षको की संवेगात्मक बुद्धि तथा शिक्षक प्रभावोत्दकता के प्रभाव का अध्ययन किया गया है। यदि कोई शिक्षक अपने समय और संसाधनों का प्रभावी ढंग से उपयोग कर रहा है तो वे कक्षा में बेहतर प्रदर्शन करने की अधिक संभावना रखते है। एक शिक्षक की प्रभावशीलता का सीध
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SUMIT, GANGWAR. "जीव विज्ञान विषय की शैक्षिक उपलब्धि पर 5Es निर्माणवादी शिक्षण उपागम की प्रभावशीलता का अध्ययन". 1 грудня 2018. https://doi.org/10.5281/zenodo.5558455.

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Abstract:
प्रस्तुत शोध के माध्यम से माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों की जीव विज्ञान विषय की शैक्षिक उपलब्धि पर 5Es निर्माणवादी शिक्षण उपागम की प्रभावशीलता का अध्ययन किया गया है। प्रस्तुत शोध कार्य में मिश्रित शोध विधि (Sequential Exploratory Mixed Method) का उपयोग किया गया है। गुणात्मक शोध विधि के रूप में सर्वेक्षण विधि तथा मात्रात्मक शोध विधि के रूप में प्रयोगात्मक शोध विधि (Pre-test Post-test Single Group Design) का उपयोग किया गया है। शोध अध्ययन हेतु प्रतिदर्श के रूप में उत्तर प्रदेश राज्य के जनपद- पीलीभीत में संचालित तथा माध्यमिक शिक्षा परिषद, उत्तर प्रदेश से सम्बद्ध एक माध्यमिक विद्यालय का चयन साधारण
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-, Mahendra Kumar Singh, та Chandramauli Pandey -. "आधार और वित्तीय समावेशन: लोक कल्याण कार्यक्रमों के साथ संबंधों की जांच". International Journal For Multidisciplinary Research 6, № 5 (2024). http://dx.doi.org/10.36948/ijfmr.2024.v06i05.27123.

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Abstract:
यह शोध पत्र आधार, भारत की बायोमेट्रिक पहचान प्रणाली और वित्तीय समावेशन के बीच संबंधों की खोज करता है, जो लोक कल्याण कार्यक्रमों पर इसके प्रभाव पर ध्यान केंद्रित करता है। 2009 में शुरू किए गए आधार का उद्देश्य भारत के सभी निवासियों को एक विशिष्ट पहचान संख्या प्रदान करना था, जिससे सरकारी सेवाओं और सब्सिडी के कुशल वितरण की सुविधा मिलती है। यह शोध पत्र इस बात की जांच करता है कि बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच बढ़ाकर और कल्याण लाभों के वितरण में सुधार कर आधार ने किस हद तक वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दिया है। मौजूदा साहित्य और अनुभवजन्य साक्ष्य के विश्लेषण के माध्यम से, यह पत्र अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने
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