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SUMIT, GANGWAR. "बी. एड. प्रशिक्षणार्थियों में शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 के प्रति जागरूकता का अध्ययन". Scholarly Research Journal for Interdisciplinary Studies 4, № 35 (2017): 6275–81. https://doi.org/10.5281/zenodo.5558442.

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Abstract:
प्रस्तुत शोध अध्ययन का उद्देश्य उत्तर प्रदेश राज्य के महात्मा ज्योतिबा फुले रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय, बरेली से सम्बद्ध जनपद पीलीभीत के बी.एड. महाविद्यालयों में अध्ययनरत सत्र 2015-17 के बी.एड. प्रशिक्षणार्थियों में शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 के प्रति जागरूकता का अध्ययन करना था। शोध अध्ययन हेतु प्रतिदर्श के रूप में जनपद पीलीभीत में संचालित सभी तीन बी.एड. महाविद्यालयों में से 110 प्रशिक्षणार्थियों (50 छात्राध्यापक तथा 60 छात्राध्यापिकाओं) का चयन यादृच्छिक प्रतिदर्शन द्वारा किया गया प्रशिक्षणार्थियों की शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 के प्रति जागरूकता के मापन हेतु स्वनिर्मित शिक्षा का अधिकार अधिन
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डॉ. ममता та धीरेन्द्र यादव. "गोरखपुर जनपद के बी. एड. में अध्यनरत शहरी छात्र-छात्राओं के आकांक्षा स्तर एवं व्यवसायिक परिपक्वता का अध्ययन करना". International Journal of Multidisciplinary Research in Arts, Science and Technology 1, № 5 (2023): 12–21. http://dx.doi.org/10.61778/ijmrast.v1i5.26.

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Abstract:
इस अध्ययन से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के शहरी क्षेत्र में पढ़ने वाले बी.एड छात्रों-छात्राओं पर आकांक्षा स्तर और व्यावसायिक परिपक्वता के प्रभाव की पहचान की। इस अध्ययन का मुख्य उद्देश्य बी.एड. के शहरी छात्र और छात्राओं की आकांक्षा स्तर और व्यावसायिक परिपक्वता की पहचान करना था। शोधकर्ता ने दो परिकल्पनाएँ तैयार की थी जिसमें बी.एड. के शहरी छात्र और छात्राओं की आकांक्षा स्तर और व्यावसायिक परिपक्वता पर कोई सार्थक प्रभाव नहीं पड़ता। डेटा संग्रह के लिए 400 उत्तरदाताओं का चयन किया गया, 400 उत्तरदाताओं में से 200 छात्र और 200 छात्राएं थीं। डेटा विश्लेषण के लिए टी परीक्षण लागू किया गया। परिणाम से पता
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Sunil, Kumar Rahi, та Anil Kumari Dr. "ग्रामीण क्षेत्र के बी. एड. प्रशिक्षुओं एवं शिक्षकों के शिक्षण के प्रति दृष्टिकोण के दोनों प्रकार के प्रशिक्षण के प्रभाव का अध्ययन करना". International Journal of Advance Research in Multidisciplinary 1, № 2 (2023): 593–97. https://doi.org/10.5281/zenodo.15087023.

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Abstract:
वर्तमान जांच बिहार के गया में बी.एड प्रशिक्षण कॉलेज में शिक्षक प्रशिक्षण के लिए सुधारात्मक उपायों पर पर्याप्त प्रकाश डालेगी। वर्तमान अध्ययन में भावी शिक्षकों की शिक्षण क्षमता और शिक्षण के प्रति दृष्टिकोण के संबंध में शिक्षक शिक्षा की दो प्रणालियों की तुलना की गई है। इस अध्ययन में डेटा संग्रह के लिए आरसी देवा द्वारा मान्य और विश्वसनीय उपकरण यानी शिक्षक रेटिंग स्केल (टीआरएस स्केल) और एसपी अहलूवालिया द्वारा शिक्षक दृष्टिकोण सूची (टीएआई) का उपयोग किया गया है। इकाइयों के चयन के लिए व्यवस्थित नमूनाकरण तकनीक से डेटा एकत्र किया गया था। शोधकर्ता ने प्रत्येक दूरस्थ और औपचारिक संस्थान के 75 बी.एड. प्रशिक
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Sunil, Kumar Rahi, та Suresh Dr. "दूरस्थ शिक्षण पद्धति और औपचारिक शिक्षण पद्धति से प्रशिक्षित बी.एड. प्रशिक्षुओं के शिक्षण के प्रति दृष्टिकोण में कोई महत्वपूर्ण अंतर नहीं होगा". International Journal of Trends in Emerging Research and Development 2, № 4 (2024): 176–80. https://doi.org/10.5281/zenodo.15087292.

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Abstract:
अध्ययन का मुख्य उद्देश्य नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी, डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय और मगध विश्वविद्यालय क्षेत्र, गया, बिहार के बी.एड प्रशिक्षुओं की शिक्षण क्षमताओं और शिक्षण पेशे के प्रति दृष्टिकोण के संदर्भ में दूरस्थ मोड और औपचारिक मोड के माध्यम से शिक्षक प्रशिक्षण के प्रभाव की तुलना करना था। इस अध्ययन का परिणाम यह दर्शाता है कि विभिन्न तरीकों से प्रशिक्षित पुरुष और महिला प्रशिक्षुओं की शिक्षण क्षमता और शिक्षण के प्रति दृष्टिकोण का स्तर महत्वपूर्ण रूप से भिन्न नहीं है। शोधकर्ता ने प्रत्येक दूरस्थ और औपचारिक संस्थान के 75 बी.एड. प्रशिक्षुओं का एक यादृच्छिक नमूना चुना, कुल तीन सौ
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श्याम सिंह та डाॅ0 श्रवण कुमार. "सहशिक्षा तथा महिला महाविद्यालयों में अध्ययनरत् बी0एड0 प्रशिक्षुओं की संवेगात्मक बुद्धि, आध्यात्मिक बुद्धि तथा मानसिक स्वास्थ्य का तुलनात्मक अध्ययन". International Journal of Multidisciplinary Research in Arts, Science and Technology 1, № 5 (2023): 48–53. http://dx.doi.org/10.61778/ijmrast.v1i5.30.

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Abstract:
प्रस्तुत अध्ययन में सहशिक्षा तथा महिला महाविद्यालयों में अध्ययनरत् बी.एड. प्रशिक्षुओं की संवेगात्मक बुद्धि, आध्यात्मिक बुद्धि तथा मानसिक स्वास्थ्य का तुलनात्मक अध्ययन किया गया है। अध्ययन हेतु मात्रात्मक उपागम, वर्णनात्मक शोध तथा सर्वेक्षण विधि का प्रयोग किया गया। प्रतिदर्श के लिए दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय से सम्बद्ध गोरखपुर जनपद के द्विवर्षीय बी.एड. पाठ्यक्रम संचालित करने वाले सहशिक्षा तथा महिला महाविद्यालयों से क्रमशः 8 व 7 महाविद्यालयों का चयन सरल यादृच्छिक प्रतिचयन विधि द्वारा किया गया। इन चयनित सहशिक्षा तथा महिला महाविद्यालयों से क्रमशः 120 व 135 छात्रा प्रशिक्षुओं का चयन सरल
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स, ुनीता श्रीवास्तव. "बी.एड. महाविद्यालय क े विद्यार्थियों की पर्यावरणीय जागरूकता का तुलनात्मक अध्ययन". International Journal of Research - GRANTHAALAYAH 3, № 9 (Special Edition) (2017): 1–3. https://doi.org/10.5281/zenodo.883515.

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Abstract:
मानव एक सामाजिक प ्राणी ह ै । अतः उसका परिवार एव ं समाज स े घनिष्ठ संब ंध होता ह ै पर्यावरण का अर्थ है वातारण जिसमे ं संप ूर्ण प्रकृति, नदियां, जलाषय, वन, उपवन, वाटिका, झरन े, पर्वतश्रृखंलाए ें, चट ्टान े, खनिज, प ेड ़-पौधे, वायु एव ं जल का संयोग आता ह ै । मन ुष्य पर्यावरण में ही सांसे ले रहा है । अतः शुद्ध पर्यावरण की अत्यंत आवष्यकता है । प ्रकृति का क्ष ेत्र अत्यंत विस्त ृत तथा रहस्यप ूर्ण ह ै जो कि पर्यावरण के साथ ज ुड ़ा हुआ है वह प्राकृतिक घटनाओं का ज्ञान तथा उसक े कारण ढ ूढ ंता है । प्राकृतिक वन संपदा प्राकृतिक स्तर पर एक मनोहर रूप प्रस्त ुत करती है । खेत-बगीचे, झरन े, नदी, वाटिकाए ें एव
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भदाणे, एम ए. "नविन सुधारित दोन वर्षे कालावधीच्या बी. एड. अभ्यासक्रमातील अंतर्गत मुल्यमापन व परीक्षा आयोजन यात प्राध्यापकांना येणा-या अडचणींचा शोध व उपाययोजना". SCHOLARLY RESEARCH JOURNAL FOR INTERDISCIPLINARY STUDIES 9, № 66 (2021): 15304–9. http://dx.doi.org/10.21922/srjis.v9i66.6823.

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Abstract:
पुणे विद्यापीठाने जून 2015 पासून बी.एड. चा अभ्यासक्रम बदललेला आहे. एन.एस.टी.ई.च्या धोरणानुसार सदर अभ्याक्रमात पुणे विद्यापीठाला व महाराष्ट्र शासनाला तसेच इतर राज्यांनाही दोन वर्षाचा करावा लागला आहे. जून 2015 पासुन प्रथम वर्ष सुरु झालेले आहे. सदर अभ्यासक्रम एकूण 2000 गुणांचा असुन प्रथम वर्षासाठी 1000 गुण व्दीतीय वर्षासाठी 1000 गुण अशी विभागणी केली आहे. प्रथम वर्षासाठीच्या 1000 गुणांपैकी 440 गुण हे अंतर्गत कार्यासाठी व 560 गुण विद्यापीठाच्य वार्षिक परीक्षेला दिलेले आहेत. सैध्दतिक भागावरील प्रत्येक विषयाला एकूण 100 पैकी 20 गुण अंतर्गत कार्यासाठी ठेवलेले असून त्यात तीनकृति अपेक्षीत आहेत. प्रात्यक्
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जतिंदर, कौर. "बैचलर ऑफ एजुकेशन (बी.एड) प्रोग्राम में फाइन आर्ट्स को शामिल करने से भावी शिक्षकों को लाभ". International Journal of Advance and Applied Research 12, № 2 (2024): 320–25. https://doi.org/10.5281/zenodo.14744210.

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Abstract:
<em>ललित कला को बैचलर ऑफ एजुकेशन (बी.एड) कार्यक्रम में शामिल करने से महत्वपूर्ण लाभ मिलते हैं, जो भावी शिक्षकों के पेशेवर और व्यक्तिगत विकास को समृद्ध करते हैं। ललित कला शिक्षा रचनात्मकता, नवाचार और प्रभावी संचार कौशल को बढ़ावा देती है, जिससे महत्वाकांक्षी शिक्षक आकर्षक और गतिशील पाठ तैयार कर पाते हैं। यह भावनात्मक बुद्धिमत्ता और सहानुभूति को बढ़ाता है, जिससे शिक्षकों को अपने छात्रों की सामाजिक और भावनात्मक जरूरतों को बेहतर ढंग से समझने और उनका समर्थन करने में मदद मिलती है। विविध कला रूपों के संपर्क में आने से सांस्कृतिक जागरूकता बढ़ती है, जिससे शिक्षक समावेशी कक्षाओं को बढ़ावा देने के लिए तैय
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Dr.Reeta та Saroj kumar jaiswal Dr. "विशेष शिक्षा में अध्ययनरत बी.एड. प्रशिक्षुओं के शैक्षिक समायोजन में वातावरणीय कारकों का विश्लेषण". विशेष शिक्षा में अध्ययनरत बी.एड. प्रशिक्षुओं के शैक्षिक समायोजन में वातावरणीय कारकों का विश्लेषण 3, № 1 (2024): 189–95. https://doi.org/10.5281/zenodo.15610216.

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Srivastava, Sunita. "B.ED. COMPARATIVE STUDY OF ENVIRONMENTAL AWARENESS OF COLLEGE STUDENT." International Journal of Research -GRANTHAALAYAH 3, no. 9SE (2015): 1–3. http://dx.doi.org/10.29121/granthaalayah.v3.i9se.2015.3258.

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Abstract:
The study presented B.Ed. A comparative study was carried out on the environmental awareness of the college students. 40 students and 40 girl students were selected under the study. Environmental awareness of both the above groups was measured using survey method self-made questionnaire. The results obtained from the study make it clear that there is a significant difference in environmental awareness among art group and science group students.&#x0D; प्रस्तुत अध्ययन बी.एड. महाविद्यालयों के छात्र/छात्राओं की पर्यावरणीय जागरूकता पर तुलनात्मक अध्ययन किया गया । अध्ययन के अंतर्गत 40 छात्र एवं 40 छा
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राम, निवास, та ए. के नौटियाल डा. "बी‐एड‐छात्राध्यापकों की शिक्षण सक्षमता एवं सृजनात्मक शिक्षण अभिवृत्ति के मध्य सम्बन्ध का अध्ययन". International Journal of Research - Granthaalayah 5, № 7 (2017): 587–97. https://doi.org/10.5281/zenodo.841156.

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Abstract:
राष्ट्रीय विकास के लिए मानवीय संसाधन को उपयोगी बनाने में अध्यापकों की अहम् भूमिका है। कक्षागत् क्रियाकलापों के लिये अध्यापक अनेक शिक्षण युक्ति एवं विधियाँ प्रयोग करता है। वर्तमान में गुणात्मक शिक्षा उपलब्ध कराने पर अधिक बल दिया जा रहा है। शिक्षण में सृजनात्मक अभिवृत्ति छात्रों की रचनात्मकता को पोषित करती है। जिससे वे उपलब्ध भौतिक एवं मानवीय संसाधनों का समुचित प्रयोग करके संतोषजनक परिणामों को सुनिश्चित किया जा सकता है। यशपाल समिति (1992), ने शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम में छात्राध्यापकों के स्वतंत्र चिंतन व स्व-अधिगम क्षमता के विकास पर मुख्य जोर दिया। उत्तम स्तर के शिक्षण संस्थानों को स्थापित कर
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Niwas, Ram, and A. K. Nautiyal. "Study of the relation between teaching ability of B.Ed. teachers and creative teaching aptitude." International Journal of Research -GRANTHAALAYAH 5, no. 7 (2017): 587–97. http://dx.doi.org/10.29121/granthaalayah.v5.i7.2017.2166.

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Abstract:
Teachers have an important role in making human resources useful for national development. The teacher uses many teaching methods and methods for classroom activities. Presently more emphasis is being laid on providing qualitative education. Creative aptitude in teaching nurtures students' creativity. By which they can be used to ensure available physical and human resources and ensure satisfactory results. The Yashpal Committee (1992), laid the main emphasis on the development of independent thinking and self-learning capacity of the students in the teacher training program. Teaching skills c
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प्रा.डॉ.महेश, रणदिवे. "प्रा.डॉ.एन.डी पाटील यांचे सामाजिक योगदान". प्रा.डॉ.एन.डी पाटील यांचे सामाजिक योगदान 4, № 28 (2023): 32–34. https://doi.org/10.5281/zenodo.8340568.

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Abstract:
ज्येष्ठ पुरोगामी विचारवंत,समाजसुधारक,शेतकऱ्यांचे,कष्टकऱ्यांचे नेते,रयत शिक्षण संस्थेचे उपाध्यक्ष व माजी चेअरमन आदरणीय प्रा.डॉ.एन. डी पाटील साहेब यांचे निधन १७ जानेवारी २०२२ रोजी झाले.त्यांच्या सामाजिक कार्यावर प्रकाश टाकणारा हा लेख. प्रा.डॉ.एन .डी पाटील साहेब यांचा जन्म १५जुलै १९२९ रोजी सांगली जिल्ह्यातील वाळवा तालुक्यातील ढवळी या छोट्याशा गावी एका शेतकरी कुटुंबात झाला.त्यांचे प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षण ढवळी, बागणी ,आष्टा या ठिकाणी झाले.उच्च शिक्षण बी.ए राजाराम कॉलेज,कोल्हापूर या महाविद्यालयामध्ये तर एम.ए आणि एल.एल.बी पुणे विद्यापीठात पूर्ण झाले. &nbsp;
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भट्ट Bhatta, महेशप्रसाद Maheshprasad. "चार वर्षे बी.एड्. तहको नेपाली पाठ््यांशप्रति विद्यार्थीका धारणा Char Barshe B. Ed. Tahako Nepali Pathyamshaprati Biddhyarthiko Dharana". Curriculum Development Journal, № 42 (6 грудня 2020): 156–68. http://dx.doi.org/10.3126/cdj.v0i42.33244.

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Abstract:
प्रस्तुत अनुसन्धान चार वर्षे बि.एड्. तहको नेपाली पाठ््यांशप्रति विद्यार्थीका प्रतिक्रियासँग सम्बन्धित रहेको छ । यसमा त्रिवि शिक्षाशास्त्र संकाय, अन्तर्गतका विभिन्न क्यम्पसहरूमा कार्यान्वयनमा ल्याइएको पाठ््यांशप्रति विद्यार्थीहरूका रायलाई समीक्षण गरिएको छ । वस्तुतः यसको तयारीका क्रममा परिमाणात्मक अनुसन्धान ढाँचाको अनुप्रयोग गरिएको छ । यसक्रममा सामग्रीहरूलाई सर्वेक्षणात्मक विधि तथा पुस्तकालयीय स्रोतबाट सङ्कलन गरिएको छ । विद्यार्थीका प्रतिक्रिया लिँदा निर्दिष्ट पाठ््यांशका प्रत्येक स्तम्भलाई प्रतिनिधित्व हुनेगरी प्रतिमानहरू निर्माण गरिएको छ । साथै प्रतिमानहरू उच्च, मध्य तथा निम्न के कस्तो रहेको भ
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Pahadi, Dhundiraj. "स्नातक तहको पाठ्यक्रममा आधुनिक नेपाली गीतगजल Snatak Tahako Pathyakrmma Aadhunik Nepali Geetgajal". Curriculum Development Journal 29, № 43 (2021): 223–33. http://dx.doi.org/10.3126/cdj.v29i43.41091.

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Abstract:
प्रस्तुत आलेख त्रिभुवन विश्वविद्यालय मानविकी तथा सामाजिक शास्त्र सङ्कायअन्तर्गत ऐच्छिक नेपाली विषयको चार बर्से बी.ए. को पाठ्यक्रममा निर्धारित पाठ्यांश सङ्केत नेपाली ४२६(ख) मा समाविष्ठ आधुनिक नेपाली गीत तथा गजलको उपादेयतासम्बन्धी सघन विश्लेषणामा केन्द्रित छ । स्नातक तहको ऐच्छिक नेपाली विषयमा पठनपाठन हुने गरी समेटिएको उक्त आधुनिक नेपाली गीत तथा गजल विद्यार्थीहरूलाई साहित्यका लोकप्रिय विधाउपविधाहरूमा अन्तर्निहित विशिष्ट प्रकृतिको सैद्धान्तिक तथा व्यावहारिक ज्ञान दिलाउने उद्देश्यले समावेश गरिएको हो । विद्यार्थीहरूलाई काव्य वा साहित्यशिक्षणले पैदा गराउने विशिष्ट चेतना तथा ज्ञान र सिपका बारेमा अध्यय
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पाटील, अमित अशोक. "विठ्ठल रामजी शिंदे यांचे सामाजिक कार्य व तत्कालीन सामाजिक परिस्थितीबद्दल त्यांचे विचार". International Journal of Advance and Applied Research 11, № 5 (2024): 447–49. https://doi.org/10.5281/zenodo.14059300.

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Abstract:
महर्षी विठ्ठल रामजी शिंदे यांचा जन्म १९७८ साली कर्नाटक मधील जमखिंडी या गावी झाला. १८८२ साली त्यांचा बालविवाह रुक्मिणी सोबत झाला. प्राथमिक शिक्षण जमखंडी संस्थानात पूर्ण झाले. दुसरी इयत्तेमध्ये असताना प्रथम क्रमांक आल्याने मॅट्रिक पर्यंत शिष्यवृत्ती मिळाली. १८९१ साली&nbsp; वी.रा. शिंदे हे यांनी मॅट्रिक उत्तीर्ण केले. त्र्यंबकराव खंडेराव यांच्यामुळे महर्षी वी.रा. शिंदे ना जमखंडी संस्थानात नोकरी मिळाली पण पुढील शिक्षणासाठी त्यांनी फरगुशन महाविद्यालयात १८९३ साली प्रवेश मिळवला. त्यांच्या शिक्षणासाठी गंगाराम भाऊ म्हस्के यांनी आर्थिक पाठबळ दिले. १८९५ साली त्यांनी इतिहास व कायदा ही विषय घेऊन बी.ए. साठी
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डा, ॅ. सुवर्णा वाड. "स ंगीत क े पाठ्यक्रम में परिवर्तन की स ंभावित दिशाएं". International Journal of Research - GRANTHAALAYAH Innovation in Music & Dance, January,2015 (2017): 1–5. https://doi.org/10.5281/zenodo.887000.

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Abstract:
प्रस्तुत विषय की प्रस्तावना करते समय विषय के प्रत्येक बिन्दु का विश्लेषण करना आवश्यक ह ै जैसे संगीत के पाठ्यक्रम में परिवर्तन क्या ें? तथा देवी अहिल्या विश्व विद्यालय का विशेष संदर्भ क्या ें? मेरी सम्पूर्ण शिक्षा देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में होने , मैं गत 36 वर्षों से क ंठ संगीत के पाठ्यक्रम क े सम्पर्क में ह ूँ। दे.अ.वि.वि का कंठ संगीत का पाठ्यक्रम र्कइ वर्षा ें तक एक समान ही रहा परन्तु कम्प्यूटर एव ं कॉमर्स जैसे विषयों क े कन्या महाविद्यालयों मे ं पदार्प ण होने से छात्राओं की सा ेच म ें परिवर्तन आया। प ूर्व में कला संकाय में छात्राओं की संख्या काफी सराहनीय होती थी परन्तु धीरे धीरे छात्राओं
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शर्मा, रोहिणी, та नव प्रभाकर गोस्वामी. "शिक्षक शिक्षा के शिक्षा स्नातक (बी. एड.) एवं प्राथमिक शिक्षक शिक्षा (डी. एल. एड.) के प्रशिक्षणार्थियों के व्यक्तित्व एवं व्यावसायिक प्रतिबद्धता का तुलनात्मक अध्ययन". International Journal For Multidisciplinary Research 7, № 3 (2025). https://doi.org/10.36948/ijfmr.2025.v07i03.45752.

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Abstract:
यह शोध अध्ययन बी.एड. एवं डी.एल.एड. पाठ्यक्रमों में अध्ययनरत शिक्षक प्रशिक्षणार्थियों के व्यक्तित्व एवं व्यावसायिक प्रतिबद्धता के तुलनात्मक विश्लेषण पर केंद्रित है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में जहाँ गुणवत्तापूर्ण शिक्षक शिक्षा की आवश्यकता निरंतर बढ़ रही है वहाँ प्रशिक्षकों का संतुलित व्यक्तित्व और मजबूत व्यावसायिक दृष्टिकोण अत्यंत आवश्यक हो गया है। अध्ययन के अंतर्गत 400 प्रशिक्षणार्थियों (200 बी.एड. एवं 200 डी.एल.एड.) का चयन जयपुर जिले से किया गया। शोध में सर्वेक्षण विधि के अंतर्गत मीरा दीक्षित की "कार्य संतोष मापनी" तथा कोस्टा और मैकक्रे द्वारा विकसित "फाइव फैक्टर इन्वेंटरी" का उपयोग किया गया। प्र
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-, Rashmi Jadaun. "बी.एड. प्रशिक्षुओं की पारम्परिक व्यवस्थित दिनचर्या और जैविक घड़ी के बीच समायोजन". International Journal For Multidisciplinary Research 6, № 5 (2024). http://dx.doi.org/10.36948/ijfmr.2024.v06i05.24397.

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Abstract:
बी.एड. प्रशिक्षुओं की पारम्परिक व्यवस्थित दिनचर्या का बी.एड. प्रशिक्षुओं के जीवन पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ रहा है। इस व्यवस्था के अनुसार सुबह जागरण से लेकर शयन तक चैबीस घन्ट के समय को प्रातः काल, मध्यान्ह, अपरान्हन, सायंकाल, रात्रिकाल आदि मं व्यवस्थित किया गया है। पारम्परिक प्रणाली में सुबह जल्दी उठने, व्यायाम, प्राणायाम, ध्यान, सुबह की सैर करने, खान-पान पर समयानुसार नियन्त्रण रखने, स्वाध्याय, रात्रि में जल्द सोने की बात स्वीकार की गई है।
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देसले, सुनिल यशवंतराव, та जगदीश राजाराम काळे. "शिक्षणशास्त्र पदवी स्तरावरील विद्यार्थ्यांचा मुक्त शैक्षणिक संसाधनांबाबतच्या जाणीवजागृतीचा अभ्यास". Gurukul International Multidisciplinary Research Journal, 30 квітня 2025. https://doi.org/10.69758/gimrj/2504i5vxiiip0045.

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Abstract:
सारांश मुक्त शैक्षणिक संसाधनांमुळे जागतिक स्तरावर तयार होणारे शैक्षणिक स्रोत कोणालाही, कोणत्याही ठिकाणाहून उपलब्ध करून देण्याच्या प्रमाणात वाढ होत आहे. हेशैक्षणिक स्रोत विद्यार्थी, शिक्षक, संशोधक तसेच विषयाच्या इतर अभ्यासकांच्यादृष्टीनेमहत्त्वपूर्ण असतात. शिक्षणशास्त्र पदवी अभ्यासक्रमाच्याप्रशिक्षणार्थ्यांमध्येमुक्त शैक्षणिक संसाधनांबाबतच्या जाणीवजागृतीचा अभ्यास करण्यासाठी संरचित प्रश्नावलीचे विकसन केले. सावित्रीबाई फुले पुणे विद्यापीठ संलग्नित नाशिक व अहिल्यानगर जिल्ह्यातील शिक्षणशास्त्र महाविद्यालयांतील 2024-25 या शैक्षणिक वर्षात प्रवेशित60 प्रशिक्षणार्थ्यांची यादृच्छिक पद्धतीने प्रतिसादक म्
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Panwar, Shubham, та Bindu Singh. "अनुदानित तथा प्राइवेट बी0 एड0 सस्थानों में कार्यरत शिक्षकों की नौकरी की स्थिरता का तुलनात्मक अध्ययन". ShodhKosh: Journal of Visual and Performing Arts 4, № 2 (2023). https://doi.org/10.29121/shodhkosh.v4.i2.2023.5371.

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Abstract:
नौकरी की स्थिरता किसी भी शिक्षक के व्यक्तिगत, सामाजिक एवं व्यावसायिक जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करने वाला महत्वपूर्ण घटक है। यह अध्ययन यह समझने का प्रयास करता है कि दोनों प्रकार के संस्थानों में कार्यरत शिक्षकों की सेवा-शर्तों, वेतनमान, नियुक्ति प्रक्रिया, पदोन्नति की संभावनाओं एवं कार्य-संतोष में किस प्रकार का अंतर है और यह अंतर उनकी नौकरी की स्थिरता को किस सीमा तक प्रभावित करता है। अनुदानित बी.एड. संस्थानों में कार्यरत शिक्षकों को आमतौर पर सरकार द्वारा निर्धारित नियमों, वेतन आयोग की सिफारिशों, स्थायी नियुक्तियों एवं पेंशन जैसी सुविधाओं का लाभ मिलता है, जिससे उनकी नौकरी की स्थिरता अपेक्षाकृ
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नमिता त्रिपाठी्. "बी.एड. प्रशिक्षुओं के संवेगात्मक बुद्धि एवं व्यक्तित्व के संबंधों का विश्लेषणात्मक अध्ययन". International Journal of Advanced Research in Science, Communication and Technology, 11 липня 2025, 35–50. https://doi.org/10.48175/ijarsct-28304.

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Abstract:
संवेदना मानव जीवन के व्यक्तित्व का एक महत्वपूर्ण पक्ष होता है । यदि बुद्धि के विभिन्न स्वरूपों एवं उनके आयाम पर गंभीरता पूर्वक विचार किया जाए तो यह कहा जा सकता है की संवेदना व्यक्ति के बुद्धि का एक निर्धारक पक्ष होता है। मनोवैज्ञानिक भाषा में इसे संवेगात्मक बुिद्ध के रूप में भी व्यक्त किया जा सकता है। शोधकर्त्र्री ने प्रस्तुत अनुसंधान में बी.एड.प्रशिक्षुओं के संवेगात्मक पक्ष का अध्ययन करने के लिए उनकी संवेगात्मक बुद्धि को आधार माना है। शोधकर्त्र्री ने यह भी स्वीकार किया है कि व्यक्ति की संवेगात्मक बुद्धि उसके व्यक्तित्व का निर्धारक पक्ष होता है अर्थात यह कहा जा सकता है की संवेगात्मक बुद्धि एवं
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त्रिपाठी, प्रो लोकेश, та प्रेम नारायन पाण्डेय. "बी.एड. प्रशिक्षार्थियों की शिक्षण दक्षता का उनके जीवन सन्तुष्टि के सम्बन्ध में अध्ययन". Research Vidyapith International Multidisciplinary Journal 2, № 5 (2025). https://doi.org/10.70650/rvimj.2025v2i50011.

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नमिता त्रिपाठी्. "सीतापुर जनपद के बी.एड. प्रशिक्षुओं के संवेगात्मक बुद्धि एवं आत्मसम्मान का विश्लेषणात्मक अध्ययन". International Journal of Advanced Research in Science, Communication and Technology, 11 липня 2025, 17–34. https://doi.org/10.48175/ijarsct-28303.

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Abstract:
एक शिक्षक के लिए संतोषजनक कक्षागत अंर्तक्रिया के लिए यह आवश्यक है कि उनका विषय ज्ञान पर्याप्त हो एवं शिक्षण- अधिगम के मनोविज्ञान से वह पूर्ण रूप से परिचित हों। इसी क्रम में छात्र के साथ उद्देश्य पूर्ण कक्षागत अंर्तक्रिया के लिए यह भी आवश्यक है की शिक्षक संवेगात्मक रूप से परिपक्व हो एवं उसमें छात्र-छात्राओं के साथ अंतर क्रिया के दौरान संवेगात्मक दृढ़ता दिखाई देती हो। यह संवेगात्मक परिपक्वता या संवेगात्मक दृढ़ता व्यक्ति की संवेगात्मक बुद्धि का महत्वपूर्ण पक्ष है शोधकत्र्री द्वारा वर्तमान अध्ययन में शिक्षक के संवेगात्मक स्थिति के उन्नयन हेतु संवेगात्मक बुद्धि को अध्ययन का संदर्भ बनाया गया है। प्राय
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Panwar, Shubham, та Bindu Singh. "अनुदानित तथा प्राइवेट बी.एड.सस्थानों में कार्यरत शिक्षकों की जीवन सन्तुष्टि का तुलनात्मक अध्ययन". ShodhKosh: Journal of Visual and Performing Arts 5, № 1 (2024). https://doi.org/10.29121/shodhkosh.v5.i1.2024.5372.

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Abstract:
शिक्षकों की जीवन संतुष्टि न केवल उनकी व्यक्तिगत भलाई से संबंधित है, बल्कि यह उनकी पेशेवर दक्षता, शिक्षण गुणवत्ता और शिक्षार्थियों के समग्र विकास पर भी गहरा प्रभाव डालती है। प्रस्तुत शोध अध्ययन का उद्देश्य अनुदानित (सरकारी सहायता प्राप्त) एवं प्राइवेट (निजी) बी.एड. संस्थानों में कार्यरत शिक्षकों की जीवन संतुष्टि के स्तर का तुलनात्मक विश्लेषण करना है। यह अध्ययन यह स्पष्ट करता है कि शिक्षकों की जीवन संतुष्टि को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों में वेतन, नौकरी की सुरक्षा, कार्य परिवेश, सामाजिक मान्यता, कार्य-जीवन संतुलन, एवं करियर की प्रगति की संभावनाएं प्रमुख हैं। अनुदानित बी.एड. संस्थानों में का
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-, KAMAL KANT. "प्राथमिक स्तर पर कार्यरत् बी.टी.सी. एवं बी.एड. प्रशिक्षित शिक्षक एवं शिक्षिकाओं के समायोजन स्तर का तुलनात्मक अध्ययन". International Journal For Multidisciplinary Research 6, № 2 (2024). http://dx.doi.org/10.36948/ijfmr.2024.v06i02.15126.

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Abstract:
सारांश आधुनिक प्राथमिक शिक्षा का उद्देश्य बालक को भावी जीवन की परिस्थितियों का सामना करने में समर्थ बनाने के लिए शारीरिक तथा मानसिक प्रशिक्षण देकर उसका इस प्रकार से विकास करना है कि वास्तव में वह उपयोगी नागरिक बन सके।
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डॉ. विनीता та उम्मेद सिंह. "बी.एड. के विद्यार्थियों की शिक्षण अभिक्षमता एवं भाषा दक्षता का सांवेगिक बुद्धि के संदर्भ में तुलनात्मक अध्ययन (कानपुर जिले के संदर्भ में)". International Education and Research Journal 10, № 4 (2024). http://dx.doi.org/10.21276/ierj24765315124958.

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Abstract:
षिक्षा ही व्यक्ति में आत्मविष्वास, आत्म चिंतन को पैदा करती है तथा उसमें विवेकषीलता, तर्कषीलता, निर्णय शक्ति का विकास करती है। अतः समाज के प्रत्येक स्तर पर व व्यक्ति के लिए षिक्षा हासिल करने की जरूरत विकासषील देष व समाज हेतु आवष्यक मानी गई है। शिक्षा द्वारा मनुष्य के भीतर एक विस्तारित दृष्टि विकसित होता है। जिससे वह जीवन कीे समस्त घटनाओं को एक विस्तृत दृष्टिकोण से देख सकता है। शिक्षा जीवन भर चलने वाली प्रक्रिया है जिसके द्वारा बालक का मनोवैज्ञानिक, शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास संभव हो सकता है। शिक्षा का मुख्य उद्देश्य बालक के अंदर समाहित असीम संभावनाओं का विकास करना है। शिक्षा द
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मनोज कुमार श्रीवास्तव. "बीएड के शहरी एवं ग्रामीण प्रशिक्षुओं की सामाजिक बुद्धि का तुलनात्मक अध्ययन". International Journal of Advanced Research in Science, Communication and Technology, 12 лютого 2023, 541–44. http://dx.doi.org/10.48175/ijarsct-8335.

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Abstract:
प्रस्तुत शोधकार्य बीएड के ग्रामीण एवं शहरी प्रशिक्षुओं की सामाजिक बुद्धि का तुलनात्मक अध्ययन करने के उद्देश्य से किया गया था । शोधकार्य में वर्णनात्मक शोध के अंतर्गत सर्वेक्षण अनुसंधान का प्रयोग किया गया । शोधकार्य हेतु नुयादार्ष के रूप में 285 छात्राध्यापकों एवं 315 छात्राध्यापिकाओं का चयन देव प्रतिदर्श विधि द्वारा किया गया । शोधकार्य के प्रदत्तों की प्राप्ति डॉ० एन०के० चड्ढा एवं डॉ० उषा गणेशन (2020) द्वारा निर्मित एवं मानकीकृत सामाजिक बुद्धि मापनी द्वारा की गयी । अध्ययन के उपरान्त निष्कर्ष प्राप्त हुआ कि बीएड के शहरी एवं ग्रामीण प्रशिक्षुओं की सामाजिक बुद्धि के मध्य कोई सार्थक अन्तर नहीं पाय
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निघोट, अनिल नारायण, та राजमाने कस्तूर. "प्रथम व द्वितीय वर्ष बी.एड्. विद्यार्थी शिक्षकांच्या भावनिक बुद्धिमत्तेचा तुलनात्मक अभ्यास". SCHOLARLY RESEARCH JOURNAL FOR INTERDISCIPLINARY STUDIES 10, № 72 (2022). http://dx.doi.org/10.21922/srjis.v10i72.11621.

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Abstract:
स्वतःचा सर्वांगीण विकास आणि सामाजिक आवश्यकतांची पुर्ती करून जीवन सफल बनविण्यासाठी मनुष्य जीवनात भावनेस अनन्य साधारण महत्व आहे. आपले कुटुंब, मित्र आणि समाजातील सहज शिक्षण, औपचारिक आणि अनौपचारिक शिक्षणातून मनुष्य आपल्या मनातील भाव-भावना आणि विचारांच्या अभिव्यक्तीसाठी आणि द्विमार्गी संप्रेषणासाठी भाषा व भावनेस अनन्य-साधारण महत्व आहे. साल्वी व मेअर यांच्या मते आपल्या विचार व कृतींसाठी भावनांचा योग्य उपयोग करणे व तसे शिकविणे याचा संबंध भावनिक बुद्धिमत्तेशी असल्याने विद्यार्थी, शिक्षकांची भावनिक परिपक्वता, अभिव्यक्ती, भावना व्यवस्थापन व इतरांच्या भावना समजून घेण्यासाठी भावनिक बुद्धिमत्ता जाणून घेणे
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मनोज कुमार श्रीवास्तव та प्रो. संदीप कुमार श्रीवास्तव. "बीएड प्रशिक्षणार्थियों के समायोजन एवं सामाजिक बुद्धि के मध्य सहसम्बन्ध का अध्ययन". International Journal of Advanced Research in Science, Communication and Technology, 12 березня 2024, 124–31. http://dx.doi.org/10.48175/ijarsct-15725.

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Abstract:
वर्तमान समय में जीवन की जटिलताओं, व्यस्तताओं, सामाजिक सम्बन्धों में हुए संरचनात्मक परिवर्तनों एवं सामाजिक तथा व्यक्तिगत तनावपूर्ण परिस्थितियों के कारण जनित मानव जीवन शैली में समायोजन एवं सामाजिक बुद्धि की महत्ता दिन प्रतिदिन बढती जा रही है । एक शिक्षक के व्यक्तिगत जीवन, अंतर्वैयक्तिक सम्बन्धों एवं व्यावसायिक जीवन के प्रबन्धन हेतु समायोजन एवं सामाजिक बुद्धि प्रभावी जीवन कौशलों की भांति उपयोग किये जा सकते हैं । इस हेतु आवश्यक है कि व्यक्ति के समायोजन एवं सामाजिक बुद्धि के मध्य अन्तर्वलित सम्बन्धों का अध्ययन किया जाए । प्रस्तुत अध्ययन बीएड प्रशिक्षणार्थियों के समायोजन का उनकी सामाजिक बुद्धि से अं
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Dr., Rajmane Kastur &. Prof. Anil Narayan Nighot. "B.ED. VIDYARTHI SHIKSHAKANCHI BHAVANIK BUDDHIMATTA AANI SAHAKARYATMAK ADHYAYANADHISHTIT KARYAKRAMACHYA PARINAMKARAKATECHA ABHYAS." August 26, 2022. https://doi.org/10.5281/zenodo.7134854.

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Abstract:
आजच्या काळात भावननक स्थैयग व बुनिमत्ता यांचा नर्क्षक, नवद्याथी आनि र्ास्त्रीय अभ्यासाच्या दृष्टीने नवचार करता डॅननअल र्ोलमनचे ५ घटक जसे आत्मभान, स्वननयंत्रि, स्वयंप्रेरिा, सहसंवेदना आनि सामानजक कौर्ल्ये तर जॉन मेअर आनि साळवी यांनी स्वओळख, भावनांचे उपयोजन, भावना समजून घेिे व त्यांचे व्यवस्थापनास भावननक बुनिमत्तेत महत्व नदलेले नदसते. बुनिमत्तेचे सजगनर्ील, उपयोनजत, र्ैक्षनिक, सामानजक आनि भावननक असे ५ प्रकार पडतात. र्ोलमनच्या मते Emotional intelligence refers to the capacity for cognitively our own filling and those for motivating ourselves and for managing emotions well in ourselves and in our re
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Bharati, Anandrav Patil &. Prof. Dr. Chandrakant M. Borase. "NATIONAL ASSOCIATION FOR THE BLIND UNIT MAHARASHTRA YA SANSTHECHYA DRUSHTIBANDHITANCHYA PUNARVASAN KARYATIL YOGDANACHA ABHYAS." February 27, 2023. https://doi.org/10.5281/zenodo.7895815.

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Abstract:
त्यांच्या कुटुंबीयांना तसेच समाजाला एक भार िाटतो, एक ओझे िाटते, ही त्यांची मानवसकता बिलण्याची जबाबिारी नॅब सारख्या संस्थांमध्ये काम करणाऱ्या वयक्ती घेत आहेत. कारण अिा संस्था दृविबावित प्रिगाणच्या दृिीने आज एक गरज बनल्या आहेत. नॅब संस्था म्हणजे दृिीबावितांचा श्वास आहे. दृविबावित प्रिगाणचे िैक्षवणक, सामावजक, आवथणक ि कौटुंवबक पुनिणसन करून त्यांना सिक्त ि सक्षम करण्यासाठी 1 जून 1984 ला नॅिनल असोवसएिन फॉर ि ब्लाइडं यवु नट महाराष्ट्र ही राज्य िािा नाविक येथे स्थापन करण्यात आली. नॅबसारख्या संस्थांनी दृिीबावित प्रिगाणला पुनिणसन करण्यासाठी जी पािले टाकली आहेत त्याचे ज्ञान समाजाला करून िेण्याच्या होणे ग
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