Academic literature on the topic 'बंगाल'

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Journal articles on the topic "बंगाल"

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Ankita, Shambhawi Verma. "बंगाल के बाउलों की साधना". Sameecheen 29, Oct. -Dec., 2021 (2021): 105–11. https://doi.org/10.5281/zenodo.8126926.

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Abstract:
बाउल बंगाल के ऐसे संप्रदाय विशेष के लोग होते हैं जो किसी भी सामाजिक नियम, रीति-रिवाज़ों, शास्त्रों को नहीं मानते हैं और न ही उनके अनुरूप आचरण करते हैं। बाउल अपने साधना पद्धति को लेकर अत्यंत रहस्यवादी होते हैं, उनकी साधना पद्धति की मुख्य धुरी गुरु पर केंद्रित होती है, जिनके बिना साधना की सफलता असंभव है। बाउलों की साधना का मुख्य उद्देश्य शरीर के भीतर ही 'मोनेर मानुष' को प्राप्त करना है। उनके यहाँ चारिचंद्र साधना का विधान है जिसमें शारीरिक तत्वों और अनुशासन की अनिवार्यता होती है।
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Ankita, Shambhawi Verma. "बंगाल के निरक्षर सहज साधक बाउल". Aadhunik Sahitya 40, Oct. -Dec., 2021 (2021): 134–38. https://doi.org/10.5281/zenodo.8126915.

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Abstract:
बाउलों के संबंध में कोई स्वतंत्र ग्रंथ नहीं मिलता। मोटे तौर पर हम कह सकते हैं कि वैष्णव-सहजिया पंथ के ही ग्रंथ, तत्व और दर्शन ही बाउलों के भी तत्व और दर्शन कहलाएंगे। उपेंद्रनाथ भट्टाचार्य के अनुसार लोचनदास के 'वृहत् निगम' और पंचानन दास के संग्रह ग्रंथ बाउल संप्रदाय के संबंध में विशेष मूल्यवान सिद्ध होते हैं। इसके अलावा बाउल गीतों में इनका दर्शन और विशेष रूप से इनकी साधना पद्धति की जानकारी हमें मिलती है।
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विष्णु, शंकर तिवारी. "भारत-बांग्लादेश तीस्ता नदी जल विवाद का एक संक्षिप्त अवलोकन". International Journal of Advance and Applied Research 4, № 18 (2023): 180–82. https://doi.org/10.5281/zenodo.8052061.

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Abstract:
“जल ही जीवन है” हर जीवन का मूल आधार जल ही हैं, जिसके लिए आदि अनादि काल से धरती पर जीवन को बचाने के लिए जल की महत्ता रही है। उसी कड़ी में वर्ष 1951 में पूर्वी पाकिस्तान जो कि आज का बांग्लादेश से भारत की जल के साझाकरण पर एक चर्चा का प्रारंभ हुआ। तीस्ता नदी की बात की जाए तो इस पर भारत के पश्चिम बंगाल के उत्तर बंगाल के लगभग 6 जिले तीस्ता नदी पर ही आश्रित हैं। तथा पश्चिम बंगाल में इस नदी पर 60 मेगा वाट बिजली उत्पादन का हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट बना रखा है। नौ लाख बाइस हजार हेक्टेयर भूमि का सिंचन भी इसी नदी के जल पर निर्भर है। यदि बांग्लादेश की बात की जाए तो गंगा, ब्रह्मपुत्र और मेघना के बा
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कष्यप, प्रेमलता. "बंगाल के सुप्रसिद्ध चित्रकार - असित कुमार हाल्दार एवं क्षितीन्द्रनाथ मजूमदार - एक अध्ययन". SCHOLARLY RESEARCH JOURNAL FOR INTERDISCIPLINARY STUDIES 9, № 66 (2021): 15480–85. http://dx.doi.org/10.21922/srjis.v9i66.6844.

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Abstract:
कला सदैव से मनुश्य की सहचरी रही है, मनुष्य के सृजन की प्रक्रिया, जिसमें नवीनता का समावेष हो वही कला है। कला एक ऐसी अभिव्यक्ति है, जिसमें सुख षान्ति की प्राप्ति होती है। आत्मा के स्वरूप को समझने की जिज्ञासा और प्रवृत्ति को समझना एक मानवीय स्वभाव है। कलाकार की कृतियों के माध्यम से इस स्वरूप को आसानी से समझा जा सकता है। बगांल षैली कला के पुर्नजागरण काल का अभ्युदय माना जाता है। जिसका श्रेय श्री ई0वी0हेविल और श्री अवनीन्द्रनाथ जी को निःसन्देह जाता है। अवनीन्द्र नाथ के षिश्य असित कुमार हाल्दार और क्षितिन्द्रनाथ मजूमदार हुए जिन्होनें बगांल शैली में कार्य किया जहां क्षितीन्द्रनाथ मजूमदार जी के चित्र व
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मजूमदार, पांचाली. "ऐतिहासिक स्मारकों के संरक्षण से संबंधित नीतियाँः पश्चिम बंगाल के विशेष संदर्भ में अध्ययन". Lokprashasan 15, № 4 (2024): 94–102. http://dx.doi.org/10.32381/lp.2023.15.04.8.

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चौबे, मिथिलेश कुमार. "नक्सलवाद का उद्भव एवं विकास: एक समाजशास्त्रीय अध्ययन". Humanities and Development 17, № 1 (2022): 40–42. http://dx.doi.org/10.61410/had.v17i1.38.

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Abstract:
सामाजिक व्यवस्था केे बनाने वालों को इतना भी अन्दाजा नहीं रहा होगा कि उनकी कुचालों से भविष्य में किस तरह की समस्या खड़ी हो सकती है। अगर नक्सलवाद से सम्बन्धित समस्याओं का गम्भीरता से अध्ययन किया जाए तो यह स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है कि आजादी के साथ देश का बंटवारा होना और आजादी के 20 साल बाद नक्सलवाद हमारी व्यवस्था की ही देन है। यह देश के लिए एक ऐसा नासूर बन गया है जो उसके अस्तित्व के लिए खतरनाक होता जा रहा है। 1967 में पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी के अनाम गांव नक्सलवाड़ी से शुरू हुआ इसका सफर आज अपने लिए नित नई मंजिले तय कर रहा है।
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भण्डारी Bhandari, इन्द्रकला Indrakala. "मेचे जातिको परिचयात्मक अध्ययन {An Introductory Study of the Meche Caste}". PRAGYAN A Peer Reviewed Multidisciplinary Journal 3, № 1 (2021): 1–9. http://dx.doi.org/10.3126/pprmj.v3i1.61653.

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Abstract:
नेपालमा बसोवास गर्ने अल्पसङ्ख्यक लोपोन्मुख समुदायअन्तर्गत पर्ने आदिवासी जनजातिका रूपमा मेचे जातिलाई लिइन्छ । मेचे जातिको बसोवास विशेषतः प्रदेश नं १ को झापा जिल्लाका जलथल, भद्रपुर, लखनपुर अनारमुनी, ज्यामिरगढी, बाहुनडाँगी, शनिश्चरे, चकचकी, महेशपुर बनियानीजस्ता विभिन्न गाउँवस्तीहरूमा पाइन्छ । नेपाल बाहिर भारतको आसाम, पश्चिम बंगाल, सिक्किम तथा भुटानका केही क्षेत्रहरूमा पनि यिनीहरू बसोवास गर्दछन् । यिनीहरूका मौलिक सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक विशेषता यो आदिवासी जनजातिलाई चिनाउने प्रमुख आधार हुन् । यो लेख मेचे जातिको परिचयात्मक अध्ययनसँग सम्बन्धित छ । विश्लेषणात्मक र विवरणात्मक ढाँचामा आधारित छ । यस
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Yadav, Vishal. "RELIGION IN THE COLOR SYSTEM UNDER BADRINATH ARYA." International Journal of Research -GRANTHAALAYAH 2, no. 3SE (2014): 1. http://dx.doi.org/10.29121/granthaalayah.v2.i3se.2014.3678.

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Abstract:
Indian modern art is considered to have started from the mid-19th century. When the English ruler decided to set up art colleges in Madras, Calcutta, Mumbai, Lahore and Lucknow to train Indian artists in European art. These art colleges hired English artists who painted using natural English method. During this time, Japanese artists Hidisa and Taikan came to Calcutta who trained the Wash system first in India to Avindranath Thakur and this is how the Wash system was born in India. When it comes to the Indian wash system, first comes the atmosphere of the Bengal School, by which trained artist
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Chandra, kanta Sharma. "भारतीय मानसून: वर्तमान के संदर्भ में (INDIAN MONSOON: IN THE CONTEXT OF CURRENT)". International Journal of Research - Granthaalayah 5, № 12 (2017): 318–21. https://doi.org/10.5281/zenodo.1135028.

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Abstract:
भारत में मानसून उन ग्रीष्मकालीन हवाओं को कहते हैं जो दक्षिण एशिया में जून से सितंबर तक सक्रिय रहती हैं। ये हवाएं हिन्दमहासागर, बंगाल की खाड़ी और अरबसागर से भारतीय उपमहाद्वीप की ओर प्रवाहित होती है। इनकी दिशा दक्षिण-पश्चिम और दक्षिण-उत्तर की ओर होती है अतः मानसूनी हवाओं को दक्षिण-पश्चिम मानसूनी हवाओं के नाम से भी जाना जाता है। दक्षिण-पश्चिम मानसून देश में कुल वर्षा का 70% भाग प्रदान करता है। लेकिन इस वर्ष देश में औसत से कम वर्षा दर्ज की गई है संपूर्ण देश में 5.2% की कमी रही। देश के उत्तर – पश्चिम क्षेत्र में सबसे अधिक 10 फीसद की कमी दर्ज की गई। जून और जुलाई में अच्छे वर्षा के बाद अगस्त और
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thakur, Pappu, and Dr Narad singh. "Naxalism collapse in Bihar." International Journal of Multidisciplinary Research Configuration 1, no. 2 (2021): 09–13. http://dx.doi.org/10.52984/ijomrc1203.

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Abstract:
नक्सलीय समस्या हमारे देश के लिए बड़ा आंतरिक खतरा बन गया है। खासकर 2007 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की टिप्पणियों के बाद, यह एक चिंता का विषय बन गया है और साथ ही अकादमिक बहस का विषय भी है। इस मुद्दे को बड़े पैमाने पर और गहनता से संबोधित करने के लिए नवीन विचार और नए सिरे से योजना बनाई गई है। इस पृष्ठभूमि में, मध्य बिहार का एक मामला अध्ययन इस मुद्दे पर प्रकाश को केंद्रित करने के लिए प्रासंगिक हो जाता है। यह एक स्थापित तथ्य है कि बिहार में नक्सलवाद ने मध्य बिहार के माध्यम से अपना रास्ता बनाया था। जब काउंटरिंसर्जेंसी तंत्र ने पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश में नक्सलवाद के पहले बुलबुले को कुचल दिया, तो
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Dissertations / Theses on the topic "बंगाल"

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Pradhan, प्रधान Dil Kumar दिल कुमार. "Nepali ra bangla bhashaka aanchalik upanyasharuko tulanatmak adhyayan नेपाली र बंगला भाषाका आञ्चलिक उपन्याशहरुको तुलनात्मक अध्ययन". Thesis, University of North Bengal, 2017. http://ir.nbu.ac.in/handle/123456789/2646.

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