Academic literature on the topic 'राजस्थान'

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Journal articles on the topic "राजस्थान"

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Dadhich, Reena, та Lokesh Sharma. "राजस्थानी सिनेमा समस्याएँ सम्भावनाएँ एवं समाधान". ShodhKosh: Journal of Visual and Performing Arts 5, ICETDA24 (2024): 402–9. http://dx.doi.org/10.29121/shodhkosh.v5.iicetda24.2024.1414.

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Abstract:
रंग बिरंगी संस्कृति, सभ्यता, पहनावा, खान-पान जैसी विशेषताओं से युक्त राजस्थान जिसका हर शहर सांस्तिक विरासत को अपने आप में समेटे हुए हैं, वो राजस्थान जिसने पर्यटन से लेकर सिनेमा सबको अपनी ओर आकर्षित किया उसने अपने क्षेत्रिय सिनेमा को अनदेखा क्यों कर दिया ये विचारणीय प्रश्न हैं। जिस भारत में हर साल सभी भाषाओं को मिलाकर 1500 से 2000 फिल्मों का उत्पादन होता हैं, उस भारत में क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़े राज्य राजस्थान में उँगलियों पर गिनी जा सके उतनी क्षेत्रीय फिल्मों का निर्माण होना एक प्रश्न है। उन कुछ फिल्मों का फायदा होना तो दूर, लागत भी न मिल पाना एक प्रश्न है। इन्ही प्रश्नों की तलाश में रा
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2

Kumar, Manoj. "Cultural identity in Rajasthani folk songs: A study of regional variations." Gyanvividh 02, no. 01 (2025): 58–65. https://doi.org/10.71037/gyanvividha.v2i1.04.

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Abstract:
राजस्थान के लोक गीत राज्य की जीवंत परंपराओं, सांस्कृतिक समृद्धि और ऐतिहासिक गहराई का प्रतीक हैं। ये कहानी कहने, भावनात्मक अभिव्यक्ति और सामुदायिक पहचान का एक प्रभावी माध्यम हैं। सरल संगीत रचनाओं से परे, ये गीत वीरता, भक्ति, प्रेम और सामाजिक गतिशीलता की कथाएँ बुनते हैं, जो राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत का अभिन्न हिस्सा हैं। यह लेख राजस्थानी लोक गीतों और सांस्कृतिक पहचान के बीच जटिल संबंध का अध्ययन करता है, क्षेत्रीय विविधताओं, विषयगत समृद्धि और वाद्य विशेषताओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए। विद्वतापूर्ण स्रोतों के माध्यम से, यह दर्शाता है कि मेवाड़, मारवाड़, शेखावाटी, हाड़ौती और धुंधर की लोक परंपर
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3

डा, ॅ. निषा ज. ैन. "राजस्थानी ला ेक संगीत का समाज पर प्रभाव". International Journal of Research - GRANTHAALAYAH Innovation in Music & Dance, January,2015 (2017): 1–2. https://doi.org/10.5281/zenodo.886822.

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Abstract:
भारत के प ्रदेषा ें में राजस्थान अपनी सभ्यता एव ं संस्कृति की मौलिकता क े कारण सर्वदा से पर्यटक, संगीतकार, षिल्पकार आदि के लिए का ैतूहल का विषय रहा ह ै। राजस्थान की संस्कृति खान-पान, वेषभूषा, नृत्य, संगीत एवं लोक गीतों क े लिए प ्रत्येक समय में विषिष्ट बनी र्ह ुइ ह ै। राजस्थान में पल्लवित लोक संस्कृति में क्षेत्रीय रहन-सहन, खान-पान व लोकगीतों का खजाना छिपा ह ुआ ह ै। यहाँ के रीति-रिवाज रहन-सहन, वेषभूषा, चटकीले रंग, तीज त्या ैहार, मेले, पर्व में पहनावा तथा सिर पर साफे ब ंध े हुए प ुरूष एवं घ ेरदार लहँगे में महिला षहरवासिया ें क े आकर्ष ण का केन्द्र हा ेती ह ै। राजस्थानी लोक संगीत सभी विषिष्ट अवस
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Jain, Nisha. "RAJASTHANI FOLK MUSIC IMPACT ON SOCIETY." International Journal of Research -GRANTHAALAYAH 3, no. 1SE (2015): 1–2. http://dx.doi.org/10.29121/granthaalayah.v3.i1se.2015.3464.

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Abstract:
Rajasthan has always been a subject of curiosity for tourists, musicians, craftspeople etc. due to the originality of its civilization and culture in the states of India. The culture of Rajasthan is unique at all times for food, clothing, dance, music and folk songs. The treasury of regional living, food and folk songs is hidden in the cultural culture flourishing in Rajasthan. The rituals here are the center of attraction for women living in the way of living, dress, bright colors, Teej festivals, fairs, festivals, and the men and sarongs that are tied on the head. Rajasthani folk music is su
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Bhupendra, Singh. "विजयसिंह पथिकः एक राष्ट्रीय पत्राकार". Drishtikon 02, № 13 (2021): 1976–83. https://doi.org/10.5281/zenodo.15304092.

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Abstract:
विजयसिंह पथिक द्वारा सम्पादित समाचार पत्रों यथा राजस्थान केसरी, नवीन राजस्थान, तरुण राजस्थान, राजस्थान संदेश, नव-संदेश में राष्ट्र प्रेम, राष्ट्रीयता, राष्ट्रीय आन्दोलन, देशी रियासतों के रियासतदारों और राजाओं द्वारा उत्पीड़न, किसान आन्दोलन, अंग्रेजों की दमनकारी नीतियाँ, अन्याय, अत्याचार, शोषण,भ्रष्टाचार आदि को उजागर करते थे। इन पत्रों का प्रमुख उद्देश्य सरकार की अन्यायपूर्ण नीतियों को जनता तक प्रेषित करना और जनता के मन में अन्याय के खिलापफ आक्रोश और असन्तोष उत्पन्न करना था। स्वाधीनता  के प्रति अनुराग, पराधीनता  से मुक्ति  और स्वाधीनता  भारत की कल्पना इन्हीं लक्ष्यों को लेकर
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डाॅ0, सरस्वती चतुर्वेदी. "राजस्थान की संस्कृति व उनमें निहित लोकसंगीत". International Journal of Research - Granthaalayah 6, № 2 (2018): 197–201. https://doi.org/10.5281/zenodo.1189297.

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Abstract:
’राजस्थान राज्य जैसा कि नाम से ही प्रतीत होता है कि यह राज्य कई रंगों से भरा हुआ राज्य हैं, इस प्रदेश का खान-पान, पहनावा यहाँ की लोकसंस्कृति, लोकवाद्य, लोकगीत, लोकनृत्य तथा लोकनाट्य जनसमुदाय में अत्यन्त रूप से समाहित दिखाई देते है।  लोक शब्द से तात्पर्य ’लोक’ शब्द एक बहुत प्राचीन शब्द है ’लोक’ शब्द का अर्थ उस जन समाज से लगाया जा सकता है जो गहराई से पृथ्वी पर फैला रहता है। ’लोक’ शब्द  एक महत्वपूर्ण जन समुदाय की ओर संकेत करता है। राजस्थान की लोकसंस्कृति में प्रयुक्त लोकगीत इन लोकगीतों में हमें राजस्थान की लोक संस्कृति के दर्शन होते हैं उनका निम
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Kishor, Kumar. "विजयसिंह पथिक की भारतीय क्रान्तिकारी आन्दोलन में भूमिका". Dristikon 05, № 12 (2020): 2023–27. https://doi.org/10.5281/zenodo.15304263.

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Abstract:
राजस्थान में बिजौलिया किसान आन्दोलन के सपफल प्रणेता और रियासती राज्यों के कृषकों और मजदूरों की समस्याओं को राष्ट्रीय फलक पर ले जाने में विजय सिंह पथिक की विशिष्ट भूमिका थी। पथिक का बचपन का नाम भूप सिंह राठी गुर्जर था। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में उनका प्रवेश एक क्रान्तिकारी के रूप में हुआ था। विजय सिंह पथिक विचार, कार्यान्वयन और नेतृत्व गुणों से सम्पन्न थे। उनका क्रांतिकारी जीवन शचीन्द्रनाथ सान्याल और रास बिहारी बोस के नेतृत्व में आरम्भ हुआ। उन्होंने अनुशीलन समिति के सदस्य के रूप में विधिवत रूप से क्रांतिकारी जीवन की शुरुआत की। शचीन्द्रनाथ सान्याल के अखिल  भारतीय स्तर पर एक साथ
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भाद्विया, मोनिका. "दक्षिणी राजस्थान की आदिवासी जनजातियों के धार्मिक संस्कारों का वैज्ञानिक दृष्टिकोण". Anthology The Research 8, № 11 (2024): H 76 — H 81. https://doi.org/10.5281/zenodo.10890145.

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Abstract:
This paper has been published in Peer-reviewed International Journal "Anthology The Research"                URL : https://www.socialresearchfoundation.com/new/publish-journal.php?editID=8745 Publisher : Social Research Foundation, Kanpur (SRF International)                  Abstract :  प्रस्तुत शोध कार्य का मुख्य उद्धेश्य दक्षिणी राजस्थान की आदिवासी जनजातियों के धार्मिक संस्कारों का वैज्ञानिक दृष्टिकोण ज्ञात करना है। प्रस्तुत शोध
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मनीषा, मीना, та कपिल मीना डॉ. "राजस्थान के आर्थिक विकास पर पर्यटन का प्रभाव". INTERNATIONAL JOURNAL OF INNOVATIVE RESEARCH AND CREATIVE TECHNOLOGY 11, № 2 (2025): 1–4. https://doi.org/10.5281/zenodo.14990363.

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Abstract:
राजस्थान का पर्यटन उद्योग राज्य की आर्थिक स्थिति में एक अहम बदलाव का कारण बन चुका है। राज्य में पर्यटन का विकास न केवल सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण में सहायक है, बल्कि यह राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में विकास और समृद्धि का स्रोत भी बना है। इस समीक्षा पत्र का उद्देश्य यह अध्ययन करना है कि पर्यटन ने राजस्थान की अर्थव्यवस्था में किस प्रकार योगदान दिया है, और यह किस प्रकार राज्य के सामाजिक और आर्थिक संरचना पर प्रभाव डालता है.इस अध्ययन में विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जैसे पर्यटन के द्वारा रोजगार के अवसरों की सृजन, स्थानीय व्यवसायों का विकास, और राज्य की बुनियादी ढांचे में सुधार। इसक
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शर्मा, आर एन, та देवी लाल जाट. "पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना: एक वरदान". International Journal of Geography, Geology and Environment 5, № 2 (2023): 68–70. http://dx.doi.org/10.22271/27067483.2023.v5.i2a.196.

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