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Journal articles on the topic 'राष्ट्र'

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शर्मा Sharma, झमक Jhamak प्रसाद Prasad. "नेपालको सन्दर्भमा राष्ट्रियता र राष्ट्रिय एकता Nepalko Sandharbhama Rashtriyata ra Rashtriya Ekata". Unity Journal 1 (2 лютого 2020): 171–78. http://dx.doi.org/10.3126/unityj.v1i0.35996.

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Abstract:
राज्यका लागि निश्चित भूभाग, जनसंख्या, सार्वभौमसत्तार सरकार अनिवार्य तŒव हुन् । राष्ट्र चाहि“ मानिसहरुका बीच भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक र आध्यात्मिक रुपमा स्थापित सामाजिक, सा“स्कृतिक, राजनैतिक समुदायभएको हु“दा यसमा मानिसहरु स्वअनुशासित रहेकाहुन्छन् र उनीहरुबीच एकात्मकताको भावना रहेसम्मराष्ट्रको अस्तित्व कायम रहन्छ । राष्ट्र–राज्यले एउटा राज्यको राजनीतिक अस्तित्वलाई राष्ट्रको सांस्कृतिकअस्तित्वस“ग समाहित गर्दछ, जसको उद्देश्य शासनकालागि राजनीतिक वैधता निर्देशित गर्ने हो र योसार्वभौमसत्तासम्पन्न हुन्छ । देशभक्ति देशलाई गरिने प्रेम हो भने, व्यक्तिले आºनो राष्ट्रबाट प्राप्त गरेका नैसर्गिकगुणहरु अनि उसक
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Talekar, Publisher: P. R. "वैश्विक परिदृश्य में भारत के चरम मौसम की स्थिति का विश्लेषण". International Journal of Advance and Applied Research 5, № 14 (2024): 83–85. https://doi.org/10.5281/zenodo.11178108.

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Abstract:
<strong>Abstract:</strong> विश्व के सभी राष्ट्रों के लिए विकास परियोजनाओं को अपनाना जरूरी है लेकिन उतना ही अधिक जरूरी वर्तमान पर्यावरण और मौसम को भी अक्षुण्ण बनाए रखना भी है जिससे संबंधित भूभाग में राष्ट्र के सभी जीवधारियों को असहज स्थिति का सामना नहीं करना पड़े!विश्व में हो रहे सर्वांगीण विकास का अनुकरण करना कहीं से भी किसी राष्ट्र के लिए गलत नहीं बल्कि प्रशंसनीय है तथा इसके साथ ही राष्ट्र अपने भौगोलिक परिस्थिति में स्थापित पर्यावरण और मौसम को बेहत्तर नहीं बना सके तो कम से कम उसमें ह्रास का उत्तरदायी भी नहीं बने। ऐसा कहने के पीछे विगत &ldquo;कोरोना पैंडेमिक&rdquo; के पहले और उसके बाद के समय ह
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डॉ., आशा कुमारी. "भारतीय साहित्य के आधुनिक काल में राष्ट्रीय चेतना". International Journal of Advance and Applied Research 3, № 7 (2022): 4–6. https://doi.org/10.5281/zenodo.7426201.

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Abstract:
<strong>प्रस्तावना :</strong> वैदिक काल से ही भारतीय साहित्य में &lsquo;राष्ट्र&rsquo; जैसे विशिष्ट शब्द का प्रयोग होता रहा है | जिस प्रकार साहित्य का मानव जीवन से गहरा नाता है ठीक उसी तरह राष्ट्र से समाज का गहन सम्बन्ध है | &ldquo;देश भक्ति का उद्वेलन कभी समर्पण तो कभी आंदोलन का रूप धारण कर लेता है,&nbsp;जिससे व्यक्ति के स्वत्व से लेकर राष्ट्र तथा देश की स्वतंत्रता और समानता की सुरक्षा के लिए सर्वस्व समर्पण तक के भाव समाविष्ट होते हैं।&quot;[i]&nbsp;राष्ट्र को आधुनिक संकल्पना में नहीं रखा जा सकता क्योंकि राष्ट्र का सम्बन्ध प्राचीनतम है | हम कह सकते हैं कि राष्ट्र हमारी सांस्कृतिक विरासत है |
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डॉ., आशा कुमारी. "भारतीय साहित्य के आधुनिक काल में राष्ट्रीय चेतना". International Journal of Advance and Applied Research 3, № 6 (2022): 4–6. https://doi.org/10.5281/zenodo.7404580.

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Abstract:
वैदिक काल से ही भारतीय साहित्य में &lsquo;राष्ट्र&rsquo; जैसे विशिष्ट शब्द का प्रयोग होता रहा है | जिस प्रकार साहित्य का मानव जीवन से गहरा नाता है ठीक उसी तरह राष्ट्र से समाज का गहन सम्बन्ध है | &ldquo;देश भक्ति का उद्वेलन कभी समर्पण तो कभी आंदोलन का रूप धारण कर लेता है,&nbsp;जिससे व्यक्ति के स्वत्व से लेकर राष्ट्र तथा देश की स्वतंत्रता और समानता की सुरक्षा के लिए सर्वस्व समर्पण तक के भाव समाविष्ट होते हैं।&quot;[i]&nbsp;राष्ट्र को आधुनिक संकल्पना में नहीं रखा जा सकता क्योंकि राष्ट्र का सम्बन्ध प्राचीनतम है | हम कह सकते हैं कि राष्ट्र हमारी सांस्कृतिक विरासत है | यह हमारी संस्कृति का एक अभिन्न
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प्रीति, कुमारी. ""औपनिवेशिक हिंदी साहित्य में प्रतिरोध की प्रतिश्रुतियां एवं राष्ट्रीय चेतना"". Journal of Research & Development 15, № 2 (2023): 31–34. https://doi.org/10.5281/zenodo.7631538.

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Abstract:
जिस जन समुदाय में एकता की एक सहज लहर हो उसे राष्ट्र कहते हैं तथा राष्ट्रीय चेतना व्यक्ति को अपने राष्ट्र के लिए उच्च कोटि के शौर्य तथा बलिदान के लिए प्रेरणा देने वाली सामूहिक भावना की उच्चतम अभिव्यक्ति है। किसी भी देश का साहित्य वहां के राजनीतिक, सामाजिक ,आर्थिक ,धार्मिक आदि परिस्थितियों के परिणामस्वरुप बनता बदलता है। &nbsp;साहित्य सामुदायिक विकास में सहायक होता है तथा सामुदायिक भावना भी राष्ट्रीय चेतना का अंग है राष्ट्रीय संचेतना से अनुप्राणित साहित्य जनमानस को आंदोलित करने तथा मूल्यों को स्थापित करने का साहस भरता है। साहित्य के अंतर्गत राष्ट्रीयता एक ऐसी प्रवृत्ति है जिसमें राष्ट्र जन को निर
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पाण्डे, विष्णु प्रसाद. "राष्ट्रियता र सामरिक महत्व: एक अन्तरघोलित सम्बन्ध (Nationality and strategic importance: an interconnected relationship)". Unity Journal 3, № 01 (2022): 350–63. http://dx.doi.org/10.3126/unityj.v3i01.43337.

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Abstract:
राष्ट्रको इतिहाससँग राष्ट्रियताको मर्म र भावना गाँसिएको हुन्छ भने राष्ट्रियताभित्र मानिसको इतिहासले निर्माण गरेको आत्मसम्मानसमेत जोडिएको हुन्छ । नागरिकको आत्मसम्मान र स्वाभिमानका साथ राष्ट्रको जन्म, विकास र अन्त्यसमेत हुने गर्दछ । राष्ट्रियता त्यस देशका नागरिकहरूको गौरवपूर्ण इतिहासको प्रतीक पनि हो । इतिहासका कुनै पनि कालखण्डमा पराधीन बन्न नपरेको हाम्रो स्वतन्त्र अस्तित्व नै हाम्रो राष्ट्रियता हो । राज्य एकीकरणको समयदेखि नै दुई ढुङ्गाबिचको तरुलको रूपमा रहेको मान्यता र सोचमा आज परिवर्तन आएको छ । उदयोन्मुख शक्ति राष्ट्रहरू भारत र चीनबिच भूराजनीतिक र सामरिक दृष्टिले अत्यन्त महत्त्वपूर्ण अवस्थितिका
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रेनू, जायसवाल. "राष्ट्रवाद और कला का आयाम". RECENT RESEARCHES IN SOCIAL SCIENCES & HUMANITIES 11, № 3 (2024): 63–68. https://doi.org/10.5281/zenodo.13997603.

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Abstract:
राष्ट्रवाद के आधार पर बना राष्ट्र कल्पना में तब तक बना रहता है, जब तक कि वह राष्ट्र-राज्य में तब्दील नहीं हो जाता । दुनिया में कोई भी ऐसा देश नहीं है जो इस कसौटी पर खरा उतरता हो मगर दुनिया का नक्शा लिया जाए तो पृथ्वी पर हर इंच राष्ट्र की सीमाओं के भीतर विभाजित हो जाएगा।&nbsp; फ्रांसीसी क्रान्ति और नेपोलियन युद्धों के बाद पूरे यूरोप में कलाकारों ने तेजी से अपना ध्यान राष्ट्रीय पहचान को परिभाषित करने की ओर लगाया। हालांकि नेपोलियन से पहले कला और संस्कृति ने यह कार्य किया थाए अठारहवीं सदी के अन्त और उन्नीसवीं सदी की शुरूआत की घटनाओं ने कला में राष्ट्रवाद पर नए सिरे से ध्यान केन्द्रित किया और रूस इ
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अधिकारी Adhikari, सुजन Sujan. "राष्ट्रिय सुरक्षा र विकासः आधार तथा दृष्टिकोणहरू Rashtriya Surakshya ra Bikas: Aadhar tatha Drishtikonharu". Unity Journal 1 (2 лютого 2020): 227–32. http://dx.doi.org/10.3126/unityj.v1i0.36119.

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Abstract:
मानव सभ्यताका विभिन्न चरणहरूस“गैै सम्पूर्ण विश्वखण्डीकरण हु“दै एउटा निश्चित सिमाना र सँ“धमासमेटिन पुग्यो । परिणामस्वरुप वर्तमानमा फरक–फरकराष्ट्र र राज्यहरू खडा भए । विश्वको इतिहासमाविभिन्न कालखण्डमा राष्ट्र–राष्ट्रबिचमा भएका युद्घकाघटनाहरूबाट राष्ट्र बन्ने र भत्कने शृङ्खलाका रुपबाट हेर्दा पनि राष्ट्रहरू निर्माण भएको मान्नसकिन्छ । पूर्वीय तथा पाश्चात्य जगत्का धर्मग्रन्थतथा प्राचीन दस्तावेजहरूले राष्ट्र निर्माणका क्रममाअनेकौं घटनाहरू घटेको कुराको वर्णन पाइन्छ । पूर्वीय सभ्यताको सबैभन्दा प्राचीन मानिने हिन्दू धर्मग्रन्थकाविभिन्न घटनाहरूमध्ये महाभारतमा राष्ट्रभित्रकागतिविधि र राज्य सञ्चालनका क्रमम
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अर्याल Aryal, रमेश Ramesh. "राष्ट्र निर्माणमा नेपाली सेना Rashtra Nirmanma Nepali Sena". Unity Journal 1 (2 лютого 2020): 214–19. http://dx.doi.org/10.3126/unityj.v1i0.36080.

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Abstract:
लामो गौरवमय इतिहास भएको नेपाली सेना आमनेपाली जनताको साझा राष्ट्रिय सेनाका रुपमा रहेकोछ । संविधान एवम् कानुनप्रदत्त दायित्वहरु निर्वाह गर्नेक्रममा नेपाली सेनाले राष्ट्रिय हित, सुरक्षा, प्रतिरक्षा,विपद् व्यवस्थापन, विकास–निर्माण, पर्यावरण संरक्षण,सम्पदा संरक्षण, पर्यटन प्रवद्र्धन, खेलकुद विकास,कल्याणकारी काम, विश्व शान्ति स्थापना लगायतकाकार्य पूर्ण जिम्मेवारी र कुशलतापूर्वक सम्पादनगर्दै आएको छ । नेपाली सेनाले राष्ट्र निर्माणका हरेकपक्षहरुमा महŒवपूर्ण भूमिका खेली नेपाल सरकारले लिएको “समृद्ध नेपाल, सुखी नेपाली” भन्ने दीर्घकालीनसोच सहितको विकासका लक्ष्यलाई पूरा गर्न प्रतिबद्धभएर लागेको छ । राष्ट्र–
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कोईराला Koirala, लक्ष्मी laxmi विलास Bilas. "नेपालको राष्ट्रियता, अखण्डता र राष्ट्रिय एकता Nepalko Rashtriyata, Akhandata". Unity Journal 1 (2 лютого 2020): 220–26. http://dx.doi.org/10.3126/unityj.v1i0.36082.

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Abstract:
“नेपाली हामी रहौला, कहा नेपालै नरहे, उचाइ हाम्रो चुलिन्छ, कहा हिमालै नरहे” राष्ट्रकवि माधव घिमिरेकोमर्मस्पर्शी राष्ट्रभावयुक्त गीतले राष्ट्र राज्य, राष्ट्रियता,राष्ट्रिय एकता र भौगोलिक अखण्डता देश र जनताकोराष्ट्रिय अस्तित्वस“ग गा“सिएको सत्य प्रस्ट गरेको छ । यी सबैको छुट्टाछुट्टै अर्थ र परिभाषा भए पनि यीएकआपसमा घनीभूत रुपमा जोडिएका हुन्छन् । एउटाले अर्कोलाई सवल र एउटामाथिको आपतले सबैलाईप्रभावित बनाइरहेको हुन्छ । राष्ट्रराज्यको निर्माण तथा राष्ट्रियता, राष्ट्रिय एकता र भौगोलिक अखण्डताकोमहवानुभूतिले मात्र राष्ट्रिय अस्तित्व जीवन्त रहन्छ । यसकारण लेखलाई राष्ट्र राज्य, राष्ट्रियता, राष्ट्रियएकता, भ
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जैन, डॉ0 शुद्धात्मप्रकाश. "भारतीय ज्ञान परम्परा के संदर्भ में जैनधर्म की राष्ट्रीय चेतना". Journal of Humanities and Applied Sciences Volume-XIV, Issue-4 (2025): 1–9. https://doi.org/10.5281/zenodo.14531675.

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Abstract:
जैनधर्म न केवल अध्यात्मप्रधान दर्शन है, अपितु इसका राष्ट्र के निर्माण एवं देशहित में भी बहुत योगदान है। जैनधर्म न केवल आत्मकल्याण की बात करता है, अपितु जगतकल्याण की भी बात करता है। राष्ट्रीयता के विविध पहलुओं में जैनधर्म की अद्भुत देन है, जिसका विवेचन प्रस्तुत आलेख में किया जा रहा है।&nbsp;जैनधर्म राष्ट्रीय भावना की प्रेरणा भी भरपूर देता है। जैनसाहित्य में राष्ट्र की शान्ति की कामना के लिए शान्तिपाठ पाये जाते हैं और उनका उच्चारण प्रातःकालीन जिनाभिषेक के अवसर पर किया भी जाता है। उदाहरणार्थ यहां काव्य प्रस्तुत किये जा रहे है-संपूजकों को प्रतिपालकों को, यतिन को यति नायकों को।राजा प्रजा राष्ट्र सु
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प्रा., डॉ. विनोदकुमार विलासराव वायचळ. "महर्षि दयानंद सरस्वती जी का राष्ट्रवाद और स्वराज्य की अवधारणा". International Journal of Advance and Applied Research S6, № 7 (2025): 271–76. https://doi.org/10.5281/zenodo.14792677.

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Abstract:
ओ३म् आ ब्रह्मन् ब्राह्मणो ब्रह्मवर्चसी जायताम्। आ राष्ट्रे राजन्यः शूर इषव्योऽतिव्याधी महारथो जायताम् । दोग्ध्री धेनुर्वोढानड्वानाशुः सप्तिः पुरन्धिर्योषा । जिष्णू रथेष्ठाः सभेयो युवास्य यजमानस्य वीरो जायताम् । निकामे निकामे नः पर्जन्यो वर्षतु फलवत्यो न ओषधयः पच्यन्ताम् । योगक्षेमो नः कल्पताम् ।।&nbsp; <sup>१</sup> अर्थात् - हे महतो महान् परमेश्वर ! हमारे राष्ट्र में ब्राह्मण ब्रह्मतेज से युक्त हों, वे ज्ञान-दीप्ति से दीप्त हों। ब्राह्मण कौन है? ब्राह्मण के घर में उत्पन्न होने वाले को ब्राह्मण नहीं कह सकते। ब्राह्मण बनता है साधना से। ब्राह्मण नाम है उन ऋषियों, मुनियों और मेधावियों का जो राष्ट्
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वैष्णव, विश्वामित्र. "समसामयिक परिप्रेक्ष्य में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् को लोकतान्त्रिक बनाने की आवश्यकता". Innovation The Research Concept 9, № 4 (2024): H1—H6. https://doi.org/10.5281/zenodo.12703183.

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Abstract:
This paper has been published in Peer-reviewed International Journal "Innovation The Research Concept"&nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp; URL : https://www.socialresearchfoundation.com/new/publish-journal.php?editID=8056 Publisher : Social Research Foundation, Kanpur (SRF International)&nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp; Abstract : &nbsp;पं0 जवाहरलाल नेहरू के अनुसार, &ldquo;संयुक्त राष्ट्र ने कई बार हमारे उत्पन्न होने वाले संकटों को युद्ध में परिणित होने से बचाया है,&nbsp;इसके बिना हम आधुनिक विश्व की कल्पना नहीं कर सकते हैं।&ldquo;&nbsp;उपर्युक्त
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राई Rai, तीर्थराज Tirtha Raj. "नेपालको आर्थिक विकासको रोडम्याप: वर्तमान अवस्था र भावी दिशा {Nepal's Economic Development Roadmap: Current Status and Future Directions}". Prashasan: The Nepalese Journal of Public Administration 56, № 1 (2024): 45–64. http://dx.doi.org/10.3126/prashasan.v56i1.67329.

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Abstract:
राष्ट्रको उत्पादन, राष्ट्रिय आय, प्रतिव्यक्ति आम्दानी, लगानीको मात्रामा वृद्धि, रोजगारीमा वृद्धिका साथै नागरिकका आधारभूत आवश्यकता, जीवनस्तर, मानव विकास सूचकांक आदिजस्ता परिसूचकहरुमा सुधार आउनुलाई आर्थिक विकास भएको मानिन्छ। आ.व. २०८३ सम्ममा नेपाललाई विकासशील राष्ट्र बनाई वि.स. २०८७ सम्म मुलुकको निरपेक्ष र बहुआयामिक गरिबीको प्रतिशत घटाउने, मध्यम आय स्तर भएको मुलुकमा स्तरोन्नति गर्ने र दिगो विकासका लक्ष्यहरु हासिल गर्दै वि. सं. २१०० सम्ममा समुन्नत राष्ट्रको स्तरमा पुर्याउने सोच छ। यही सोंचसहितको मार्गलाई आर्थिक विकासको रोडम्यापका रुपमा चित्रण गर्न सकिन्छ। आर्थिक विकासको बाधकका रुपमा कृषि क्षेत्रम
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प्रा., डॉ. जितेंद्र बनसोडे. "21 वी सदी के हिंदी उपन्यास में राष्ट्रीय भावना". International Journal of Advance and Applied Research 10, № 1 (2022): 1046 to 1050. https://doi.org/10.5281/zenodo.7314946.

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Abstract:
<em>देशवासीयों के अंदर राष्ट्रीय भावना को बनाये रखना आज एक चुनौतीभरा कार्य बन गया है क्योंकी आज के राजनैतिक समाज की सबसे बड़ी त्रासदी यही है कि यहाँ पर नैतिकता का कोई मूल्य नहीं रह गया है, ईमानदारी भी अपना चेहरा बदल चुकी है | मूल्यों का पठन अब इस तरह होने लगता है तो समाज, राज्य या राष्ट्र को अराजकता, संत्रास और क्रूरता से बचाना मुश्किल हो जाता है। आवश्यकता है ऐसे रचनात्मक की जो इन परिस्थितियों से मनुष्य को निकाल सके और जो निर्दोष है, ईमादार हैं, सच्चे है, संघर्षशील हैं, प्रतिबद्ध है उन्हें अपने रास्ते पर चलने की स्वतंत्र और समर्थन मिल सके। हमारे राष्ट्र के प्रति राष्ट्रीय भावना को बनायें रखने
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सिंह, विकास, та अरुण कुमार मिश्र. "पंडित दीनदयाल उपाध्याय एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ". Humanities and Development 18, № 02 (2024): 49–52. https://doi.org/10.61410/had.v18i2.143.

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Abstract:
प.ं दीनदयाल उपाध्याय भारतीय जनसंघ एव ं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के महान कार्यकर्ता केरूप में थे। वह एक प्रखर विचारक, संगठनकर्ता के रूप में अपनी ख्याति अर्जित की थी। वह एक एसे ेनेता थे, जिन्हांने े आजीवन अपनी ईमानदारी एवं सत्यनिष्ठा को महत्त्व दिया था। वह मार्गदर्शक एव ंप्रेरणास्राते के रूप में आज भी याद किय े जात े हैं। पं. दीनदयाल एक राष्ट्र नायक के रूप मे ं आज भीहमारे बीच हमारा मागदर्शन करते हैं कि कैसे अपने राष्ट्र के प्रति आप योगदान कर सकते हैं। वहभारतीय संस्कृति का प्रतीक, अजातशत्रु एवं इतिहासपुरुष बनना था, अन्यथा भावनात्मक अनुभूतियों मेंही उलझ कर रह जाते। बड़ी ही ईमानदारी के साथ दीनदयाल जी
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Talekar, P. R. "डॉ. बाबासाहेब आंबेडकरांचे भारतीय राष्ट्रवादा सबंधी विचार". International Journal of Advance and Applied Research 5, № 17 (2024): 261–66. https://doi.org/10.5281/zenodo.12198716.

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Abstract:
19 व्या शतकापासून यरोप आणि आशिया खंडाला नवी दिशा देणारी एक प्रमख प्रेरणा महणून राष्ट्रवादाचा निर्देश करता येतो एक राजकीय विचार प्रणाली या अर्थाने राष्ट्रवाद महणजे राष्ट्राचे स्वातंत्य आणि एकता कायम राखणे राष्ट्रवाद ही स्वयंसिद्ध नैतिक तिक भूमिका या नात्याने स्वातत्र्याच्या हक्काचा परस्कार करते राष्ट्रवाद या संकल्पनेचे मूक जर्मन तत्त्वज्ञ काण्ट पर्यत नेता येते 'कोणत्याही स्वतंत्र राष्ट्रात तेव्हा व्यक्तिस्वातंत्र्याची योग्य पाठराखण होऊ लागते तेव्हाच ते राष्ट्र खज्या अर्थाने स्वतत्र बनते' असे अठराव्या शतकातील जर्मन तत्त्ववेत्ते इमॅन्युएल काण्ट यांनी म्हटले होते त्यांच्या मते, नैतिक अर्थाने प्रत्
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बराल Baral, ठाकुर Thakur प्रसाद Prasad. "राष्ट्रिय एकताका प्रतीक पृथ्वीनारायण शाह Rashtriya Ekataka Pratik Prithivi Narayan Shaha". Unity Journal 1 (2 лютого 2020): 179–84. http://dx.doi.org/10.3126/unityj.v1i0.35999.

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Abstract:
राष्ट्र शरीर हो भने त्यस देशका नागरिक प्राण हुन्र राष्ट्रियता भावनात्मक शक्ति र आस्था हो, जसकोउद्भव र विकास ती मानिसहरुमा हुन्छ, जो एउटाभूखण्डमा बस्ने एउटै जातिका हुन्छन्, जसको भाषा,धर्म, परम्परा, संस्कृति र स्वार्थहरु एकै प्रकारकाहुन्छन् र जसको राजनीतिक आदर्श पनि एउटै हुन्छ । राष्ट्रियता एउटा खास भूखण्डमा सुन्दर फूलको मालाझैं मालाकार रुपमा उपचयित भई बसेका मानिसहरुकोअनुरागात्मक ऊर्जा र संवेग पनि हो । यसका माध्यमबाट व्यक्तिले आफूलाई आफ्नो राष्ट्रको हृदयस“ंग साक्षात्कारगरी आफ्नो राष्ट्रप्रति श्रद्धा, स्नेह र प्रेमभाव प्रस्फुटित गरेको हुन्छ र आफ्नो पहिचानको अनुभूति समेतगर्दछ । यो एक प्रकारले आस्थ
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संजीव, कुमार सिंह, та सद्गुरु पुष्पम्2 डॉ०. "भारत-पाकिस्तान संबंध और कश्मीर समस्या: दक्षिण एशिया का नया शीत युद्ध". 'Journal of Research & Development' 15, № 10 (2023): 27–32. https://doi.org/10.5281/zenodo.7943835.

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Abstract:
भारत और पाकिस्तान दक्षिण एशिया के जो प्रमुख राष्ट्र हैं, विभाजन पूर्व दोनों राष्ट्र एक ही अखंड भारत का हिस्सा थे। दोनों राष्ट्र एक समान इतिहास और संस्कृति का अंग रहे हैं तथा ब्रिटिश उपनिवेश के विरुद्ध दोनों ने मिलकर स्वतंत्रता प्राप्त की हेतु संघर्ष किया था। अखंड भारत से पृथक निर्मित पाकिस्तान निर्माण का प्रमुख कारण मुस्लिम लीग की मुस्लिम बहुल जनसंख्या वाले राष्ट्र था पाकिस्तान की मांग थी। भारत और पाकिस्तान के मध्य आजादी के बाद से लेकर आज तक कई विवादित मुददे रहे हैं, जिसको लेकर दोनों राष्ट्रों के मध्य अब तक कई बार संघर्ष देखने को मिले हैं। भारत-पाकिस्तान के मध्य प्रमुख विवाद जम्मू कश्मीर को ले
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डॉ., अतुल हणमंत कदम. "पर्यावरण आणि हरित राजकारण". International Journal of Advance and Applied Research 4, № 12 (2023): 127–30. https://doi.org/10.5281/zenodo.7824593.

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Abstract:
<strong>21</strong> व्या शतकात मानव जातीला भेडसावणारी समस्या कोणती असेल तर ती पर्यावरणाच्या प्रदूषणाची आहे. ज्ञान, विज्ञान, तंत्रज्ञान या क्षेत्रातील विकासामुळे जगातील सर्वच राष्ट्रे एकमेकांपेक्षा सरस ठरू पहात आहेत. अर्थकारण, राजकारण, समाजकारण, व्यापार, कृषी, व्यवसाय, राष्ट्रांचे व व्यक्तींचे सार्वभौमत्व, संशोधन व आरोग्य या सर्वच क्षेत्रात जगातील प्रत्येक राष्ट्र प्रगती साधण्यासाठी जीव घेणी स्पर्धा करत आहे. अशा वेळी निसर्गाकडे दूर्लक्ष होत आहे. प्रगतीच्या शिड्या चढणारी राष्ट्रे मागास, विकसनशील राष्ट्रांच्या पर्यावरणाकडे दूर्लक्ष करत आहेत. विकसित राष्ट्रे हरित राजकारण करत आहेत. मागास, विकसनशील
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अमोल, भा. सातपुते. "राष्ट्रीय एकात्मतेसमोरील आव्हाने व राज्याची भूमिका". International Journal of Advance and Applied Research 2, № 21 (2022): 24–28. https://doi.org/10.5281/zenodo.7052464.

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Abstract:
<strong>गोषवारा:</strong> आपला देश विविध संस्कृतींचा देश आहे आणि म्हणूनच संपूर्ण जगभरात त्याच्या स्वतःची विशिष्ट ओळख आहे. भाषिक, सांस्कृतिक आणि प्रादेशिक विविधता असूनही, भारतीय लोक राष्ट्रीय एकता व सचोटी राखण्यात यशस्वी ठरले आहेत. भारत विविध संस्कृती, धर्म आणि समाज यांचे संगम आहे आणि हे सर्व धर्म आणि संप्रदायाचे समान दर्जा देते. या कारणास्तव, विविधता असूनही, शतकानुशतके देशाच्या नागरिकांच्यात एकीची भावना आहे. आम्ही नेहमीच एक उदार दृष्टीकोन स्वीकारला आहे आणि आम्ही सत्य आणि अहिंसा यांचा आदर करतो. भारतातील बहुसांस्कृतिक आणि बहु-जातीय वास्तववादी संस्कृती त्याच्या जातीय, सांस्कृतिक आणि धार्मिक विविध
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प्रा., बारकू मास्कर शिंगाडे. "हिन्दी भाषा साहित्य और स्वामी दयानंद सरस्वती के विचार". International Journal of Advance and Applied Research S6, № 7 (2025): 342–49. https://doi.org/10.5281/zenodo.14792890.

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Abstract:
<em>प्राचीन काल से हि हिन्दी साहित्य में समाजभिमूख विचार की भावना किसी न किसी रूप में विद्यमान रही है। आदिकाल के अधिकांश साहित्यकारों ने समाजभिमूख विचार की भावना से प्रभावित होकर राष्ट्रीय संबंधीत रचनाएं लिखी हैं। समाज का राष्ट्र से बहुत गहरा और सीधा संबंध है तथा साहित्य का समाज और राष्ट्र से सीधा संबंध हैं। वैदिक साहित्य से ही समाजभिमूख विचार की भावना के स्रोत विद्यमान रहे हैं। रामायण</em><em>, महाभारत आदि महाकाव्यों में भी समाजभिमूख विचार की भावना विद्यमान है। हिंदी साहित्य के इतिहास में तो आदिकाल से लेकर आधुनिक काल तक का अधिक मात्रा में साहित्य समाजभिमूख विचार की भावना से अंकित किया गया है।
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Raila, Sudip. "समाज तथा राष्ट्र निर्माणमा पत्रकारको भूमिका". Ganeshman Darpan 8, № 1 (2023): 150–57. http://dx.doi.org/10.3126/gd.v8i1.57342.

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Abstract:
नेपाल पत्रकार महासंघमा आबद्ध करिब पन्ध्र हजारभन्दा बढी पत्रकारहरुमध्ये आधाभन्दा बढीलाई पत्रकारिताको मूल मन्त्रबारे अनविज्ञ रहेको पाइन्छ । कतिपयले त आफ्नो कर्म र मुख्य आयश्रोत पत्रकारिताबाट नभई अन्य विविध श्रोत रहेको पाइन्छ । यसो हुनुमा जो पत्रकार भनिन्छ उसले पत्रकारिताको धर्म निर्वाह गरेकोे पाइदैन । पत्रकार हुँ भनेर अनेकौ नामले राजनीति, दलाली र सौदाबाजी गरेर हिड्ने व्यक्तिहरुलाई पत्रकार भन्नु परेको छ । यस्ता कयौँ उदाहरणहरु च्याउँसरी विकास भएका मिडयाको परिचयपत्र भिरेर हिड्नेहरुलाई लिन सकिन्छ । पत्रकारको जोड समाचार, विचारलाई सत्य, तथ्य र वस्तुनिष्ठ भइ मिडियाबाट उपलब्ध गराउनु भन्ने हुन्छ । तर कति
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सौ., प्रतिभा विश्वनाथ पांचाळ, та ए. एच. कदम डॉ. "भारतातील नैसर्गिक आपत्ती व्यवस्थापन". International Journal of Advance and Applied Research 4, № 12 (2023): 118–23. https://doi.org/10.5281/zenodo.7824570.

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Abstract:
आपत्ती म्हणजे नैसर्गिक संकट होय. संकट राष्ट्रीय विकासात अडथळे निर्माण करतात पर्यावरण आणि मानवी जीवन विस्कळीत करुन आमुलाग्र बदल मानवी जीवन शैलीत घडवुन आणतात परंतु संकट म्हणजे आपत्ती टाळता येते त्याचबरोबर तिचे निवारणही करता येते यासाठी योग्य दिशा आणि मार्गदर्शनाची आवश्यकता असते. त्यामुळे राष्ट्र समाज आणि वैयक्तिक विकासही साधला जातो आपत्ती आणि तिचे व्यवस्थापन म्हणजे निवारण करण्याची आवश्यकता सर्वांनाच वाटु लागली आहे. यासाठी राष्ट्रीय आणि आंतरराश्ट्रीय स्तरावही प्रयत्न सुरु झाले. तसेच शासन, प्रशासन,वृत्तसंस्था हयासारख्या संस्था प्रयत्न करु लागल्या आहेत.यामुळेच ही संकल्पना व्यवस्थित समजावुन घेणे आवश
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कु0, डोली, та सिंह वीरेंद्र. "भारतीय राष्ट्रवाद का भारतीयकरणः एक विष्लेषण". RECENT RESEARCHES IN SOCIAL SCIENCES & HUMANITIES (ISSN 2348–3318) 9, № 3 (2022): 42–45. https://doi.org/10.5281/zenodo.7362760.

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Abstract:
भारत के राष्ट्रवादी प्रवृत्तियों के संदर्भ में एक विचार यह भी है कि भारत विविधताओं का देश है। जिसके लिए नितांत आवश्यक हो जाता है कि संपूर्ण देश की मानवीय मनोवैज्ञानिक भावनाओं को राष्ट्र के प्रति समर्पित करके रखना क्योंकि भूमंडलीकरण के दौर में जहां संसाधनों पर पहुंच गैर गतिविधि या दुश्मन देशों की पहुंच आसान हो रही है। वही सूचना प्रौद्योगिकी व तकनीकी माध्यम से किसी भी देश की सुरक्षा को चुनौती देना बेहद सरल हो रहा है, जैसे साइबर क्राइम या सोशल मीडिया के माध्यम से आंतरिक सुरक्षा को चुनौती। इसी संदर्भ में देश के राष्ट्रीय करण की प्रवृत्ति के आधार पर नीति निर्माण की प्रक्रियाओं के लिए प्रस्तुत अनुसं
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आचार्य, विष्णु प्रसाद. "विश्वव्यापीकरण र राष्ट्रिय सुरक्षाका चुनौतीहरू". Unity Journal 2 (3 серпня 2021): 331–43. http://dx.doi.org/10.3126/unityj.v2i0.38848.

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Abstract:
विश्वव्यापीकरणले वस्तु, सेवा, पुँजी, प्रविधि, सूचना, सीमा विहीन स्वतन्त्रता तथा सुरक्षालाई समेत अन्तर्राष्ट्रियकरण गरेको छ । परम्परागत राज्य केन्द्रित सुरक्षाबाट मानवीय सुरक्षा केन्द्रित अवधारणामा यसको रूपान्तरण भएको छ । विश्वव्यापीकरण सँगै अन्तर्सम्बन्धित सूचना–प्रविधि, आर्थिक खुलापन, सङ्गठित अपराध, सम्पत्ति–शुद्धीकरण, आतङ्कवादी गतिविधि, श्रम–आप्रवासन, बढ्दो व्यापार–घाटा, साइबर–आतङ्क, जलवायु परिवर्तन र वातावरणीय असन्तुलन, मानव सिर्जित विपद जस्ता विभिन्न कारणले कुनै पनि मुलुकको राष्ट्रिय सुरक्षामा चुनौती थपिएको छ । यस्ता चुनौतीले अल्पविकसित तथा विकासोन्मुख राष्ट्रहरूको राष्ट्रिय क्षमतामा ह्रास
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सुषील, चन्द्र बहुगुणा, та लोहनी अरविन्द. "भारत में षिक्षा का विकास क्रम:1947 से राष्ट्रीय षिक्षा नीति 2020 तक". Recent Educational & Psychological Researches (ISSN: 2278-5949) 12, № 01 (Jan.-Feb.Mar.) (2023): 74–77. https://doi.org/10.5281/zenodo.7932270.

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Abstract:
स्वतंत्रता प्राप्त करने के पष्चात भारतीय षिक्षा प्रणाली के पुनर्गठन करने तथा षिक्षा के अवसरों का विस्तार करने की आवश्यकता महसूस की जा रही थी, जिस हेतु भारतीय षिक्षाषास्त्री, दार्षनिकों, समाज सुधारकों एवं राजनेताओं द्वारा राष्ट्रोपयोगी षिक्षा प्रणाली की देष में लागू करने पर जोर दिया। जिसके चलते विभिन्न षिक्षा आयोगों-विष्वविद्यालय षिक्षा आयोग (1948-49), माध्यमिक षिक्षा आयोग (1952-53), विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (1953-56), राष्ट्रीय षैक्षिक अनुसंधान एवं प्राषिक्षण परिषद् (1961), राष्ट्रीय षिक्षा आयोग (1964-66), राष्ट्रीय षिक्षा नीति (1986), कार्यन्वयन कार्यक्रम (1992), राष्ट्रीय षिक्षक षिक्षा परिष
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अत्रि, बजरंग लाल. "पुराणों में भारतवर्ष की राष्ट्रीयता एवं भौगोलिक सीमाएं". Dev Sanskriti Interdisciplinary International Journal 4 (31 липня 2014): 32–37. http://dx.doi.org/10.36018/dsiij.v4i0.42.

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Abstract:
भारत के अनेकों आधुनिक इतिहासकारों में यह भ्रम फैला हुआ है कि ब्रिटिश सरकार ने ही भारत को एक राष्ट्र के रूप में एकीकरण किया है तथा भारत: एक निर्माणाधीन राष्ट्र है। किन्तु पुराणों और अन्य संस्कृत ग्रन्थों में प्राचीनकाल से ही भारत राष्ट्र और इसकी राष्ट्रीयता का वर्णन किया गया है। विभिन्न पुराणों में न केवल भारतवर्ष नाम की व्याख्या ही की गई है बल्कि इसकी अस्मिता, सांस्कृतिक प्रभाव और भौगोलिक सीमाओं का भी वर्णन किया गया है। विभिन्न पुराणों मंे भुवनकोश अर्थात् प्राचीन विश्व की भौगोलिक स्थिति का वर्णन करते हुए भारतवर्ष की भोगौलिक सीमा, इसकी सांस्कृतिक विरासत, विभिन्न भाषाओं, परम्पराओं, प्रान्तरों वा
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Ajit. "A study on India’s permanent Seat in UNSC: Prospects and Challenges." RESEARCH REVIEW International Journal of Multidisciplinary 7, no. 9 (2022): 81–86. http://dx.doi.org/10.31305/rrijm.2022.v07.i09.012.

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Abstract:
In 1945, the United Nations founded the Security Council to ensure global stability, protect civilians, and foster goodwill among nations. After 76 years, the original 51 member nations of the UNSC have been joined by 193. The UNSC does not adequately reflect the developing countries and its demands, hence reforms are urgently needed in light of the shifting global dynamics. Due to the current veto power that is shared among the five permanent members of the UN Security Council (China, the United States, the United Kingdom, Russia, and France), the council is prejudiced and unrepresentative in
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KC, Dhruba. "वैदेशिक रोजगारी : समृद्धिको सपना कि सामाजिक सङ्कट". Samaj Anweshan समाज अन्वेषण 3, № 1 (2025): 75–83. https://doi.org/10.3126/anweshan.v3i1.81961.

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Abstract:
नेपालजस्तो विकासोन्मुख राष्ट्रका लागि वैदेशिक रोजगारी आर्थिक उन्नतिको महत्त्वपूर्ण आधार बनेको छ । राष्ट्रका लाखौँ युवा श्रमको खोजीमा खाडी मुलुकहरू मलेसिया, दक्षिण कोरिया, जापानलगायतका देशहरूमा गएका छन् । विदेशी मुद्राको निरन्तर आप्रवाहले राष्ट्रिय अर्थतन्त्रमा टेवा पुर्याउनुका साथै व्यक्तिगत र पारिवारिक जीवनमा आमूल परिवर्तन ल्याएको पाइन्छ । यस लेखको उद्देश्य वैदेशिक रोजगारीले निम्त्याएको आर्थिक समृद्धि र सामाजिक सङ्कटबिचको सम्बन्धका बारेमा समीक्षात्मक अध्ययन गर्नु हो । अनुसन्धानमा गुणात्मकपद्धति अपनाएर सरकारी तथा अन्तर्राष्ट्रिय संस्थाहरूको तथ्याङ्क, विद्यमान अनुसन्धानहरू र सन्दर्भ ग्रन्थहरू अ
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चौहान, तपस्या. "राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और उच्च शिक्षा". Shodh Sari-An International Multidisciplinary Journal 03, № 04 (2024): 326–30. http://dx.doi.org/10.59231/sari7766.

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Abstract:
जन्म के पश्चात् से ही बालक के सीखने की प्रक्रिया आरम्भ हो जाती है। वह औपचारिक व अनौपचारिक दोनों प्रकार से शिक्षा ग्रहण कर अपने जीवन के निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु निरन्तर परिश्रम करता है। निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु औपचारिक शिक्षा महत्वपूर्ण मार्गदर्शक की भूमिका का निर्वहन करती है। शिक्षा द्वारा ही छात्र के व्यक्तित्त्व का विकास तथा उसकी प्रतिभा में निखार आता है। वह विद्यालय में प्रवेश लेकर बाल्यकाल से ही विविध विषयों का ज्ञान अर्जन करता है। यह विषय उसके बौद्धिक विकास के साथ उसकी क्षमताओं में वृद्धि करते हैं। छात्र के भीतर नैतिक मूल्यों को पुष्ट करते हुए जीवन मूल्यों तथा सा
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सिद्दीका, आयशा. "Keshav Shatakam : Ek Samikshatmak Addhyayan / केशवशतकम्: एक समीक्षात्मक अध्ययन". HARIDRA 2, № 07 (2021): 03–07. http://dx.doi.org/10.54903/haridra.v2i07.7763.

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Abstract:
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के संस्थापक डॉ॰ केशव बलिराम हेडगेवार के हृदय में आरंभ काल से ही देश के प्रति स्वाभिमान और देशभक्ति की भावना जाज्ज्वल्यमान रही है। उन्होंने भारत को पराधीनता से मुक्ति दिलाने के लिए विभिन्न तत्कालीन आन्दोलनों में भाग लिया और जेल यात्रा भी की। इन आन्दोलनों में भाग लेकर उन्हें यह अनुभव हुआ कि इसप्रकार स्वाधीनता नहीं प्राप्त की जा सकती। मुक्त एवं समृद्धशाली राष्ट्र के निर्माण के लिए हिन्दू समाज को संगठित होना होगा। अपने इसी विचार के परिणामस्वरूप उन्होंने ”राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ“ की स्थापना की। प्रस्तुत शोध-पत्र के माध्यम से महान देशभक्त हेडगेवार जी के स्वतंत्रता सम्बन्धी
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Singh Tomar, Diwakar. "CARBON TRADING AND CARBON CREDITS HELP IN CLIMATE CHANGE PROBLEM SOLVING." International Journal of Research -GRANTHAALAYAH 3, no. 9SE (2015): 1–2. http://dx.doi.org/10.29121/granthaalayah.v3.i9se.2015.3224.

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Abstract:
Climate change remains the most burning environmental problem at the present time. Green houses are the most responsible for climate change. Green house gases include gases such as carbon dioxide, methane, nitrous oxide, ozone. Carbon dioxide is the most dangerous in this. The more developed the country, the greater its participation in carbon emissions.According to a report by the World Resource Institute, India, despite being the fourth largest carbon emitting nation in the world, is far behind the top three carbon emission nations in per capita carbon emissions.Top 05 nations producing gree
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अधिकारी, अच्युत. "कर्णाली प्रदेशको खस मल्ल राज्यको ऐतिहासिक विवेचना". Journal of Development Review 7, № 1 (2022): 47–57. http://dx.doi.org/10.3126/jdr.v7i1.67016.

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Abstract:
पूर्वमध्यकालको नेपालको इतिहासमा पश्चिम नेपालको कर्णाली प्रदेशमा एउटा राज्य जन्मियो, हुर्कियो र समाप्त भयो । यतिखेर नेपालमा धेरै राज्यहरू अस्तित्वमा आईसकेका थिएनन् । त्यति टाढा जन्मिएको यो राज्यले नेपाल खाल्डोको विशाल र बलियो राज्यलाई आफू अन्तर्गत्को करहद राज्य समेत बनाउन सक्यो जुन ऐतिहासिक दृष्टिकोणले ज्यादै महत्वपूर्ण घटना हो । त्यति विकट स्थानमा रहेको एउटा सानो राज्यले नेपाल खाल्डोको जगलाई मज्जासँग हल्लाउने काम मात्रै गरेन खारी प्रदेश अथवा खसान क्षेत्रको गौरवलाई समेत पुनरभाषित र पुनर्जिवित गर्न सक्यो । पश्चिमी खस मल्ल राज्यको सबैभन्दा ठूलो र प्रमुख योगदान भाषा सम्बन्धी थियो । खस कुरा वा सिंज
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मरासिनी, गोविन्द. "विपद्मा नागरिकहरूको साथी नेपाली सेना". Unity Journal 5, № 1 (2024): 393–410. http://dx.doi.org/10.3126/unityj.v5i1.63199.

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Abstract:
राष्ट्रकै गौरवशाली संगठनमध्ये सबैभन्दा पुरानो संस्था हो, नेपाली सेना । स्थापनाकालदेखि नै नेपाली सेनाले नेपाल र नेपाली जनताको रक्षार्थ अतुलनीय योगदान पुर्‍याउँदै आएको छ । परिवर्तनका विभिन्न समयमा लोकतन्त्रको पक्षमा उभिएको सेना पटक–पटक लोकतन्त्रको रक्षाका लागि लड्यो भने भविष्यमा पनि लडिरहने दृढ संकल्पसाथ अगाडि बढिरहेको छ । देश र जनताका लागि आइपर्ने सुरक्षा–चुनौतीलाई सम्बोधन गर्नका लागि सक्षम र तयारी अवस्थामा सदैव नेपाली सेना रहेको छ । सेनाले राष्ट्र र जनतालाई हुने वाहृय आक्रमणबाट रक्षा मात्र नभई आन्तरिक सुरक्षा, राष्ट्रिय विकास, अन्तराष्ट्रिय स्तरमा शान्तिस्थापनामा र नेपालीहरूका हरेक आपत् विपद्म
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बहादुरे, मोनाली यशवंत. "गांधीजींच्या स्वप्नातील भारत". Journal of Research & Development 17, № 3 (2025): 154–56. https://doi.org/10.5281/zenodo.15294733.

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Abstract:
<strong><em>गोषवारा:</em></strong> <em>मोहन ते महात्मा बनण्याच्या यशस्वी प्रवास करणारे मोहनदास करमचंद गांधी आपल्या सर्व जनसामान्यना परिचित. आश्चर्य असे की, सात दशके लोटली तरी. गांधी आणि त्यांचे विचार अजुनही जिवंत असल्याचे जाणवते. तसेच गांधींचे विचारचं 'जिवंत आहेत' असे नाही तर त्या विचारांचा जगभर प्रचार व प्रसार होतांना दृष्टीस येते. महात्मा गांधी यांनी सत्य, अहिंसा व शांततेच्या मार्गाचा वापर करून सर्व सामान्य जनतेला एकत्र जोडून जनतेमध्ये राष्ट्रभावना व एकात्मतेची भावना निर्माण करण्यास सहकार्य केले. महात्मा गांधींना केवळ राष्ट्रपिता म्हणून चालणार नाही तर गांधीजींचे जीवनमूल्ये समजून ती आचरणात आण
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चव्हाण, मनोज उकंडराव. "राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराजांचा गोवंश सुधार: एक राजधर्म". International Journal of Advance and Applied Research S6, № 18 (2025): 189–93. https://doi.org/10.5281/zenodo.15245326.

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Abstract:
<em>१</em><em>) शाश्वत विकासासाठी मानव्यशास्त्र, वाणिज्य व विज्ञानातील नाविन्यपूर्ण संशोधन या विषयांतर्गत एक दिवशीय राष्ट्रीय परिषद स्वागतार्ह आहे.</em> <em>२</em><em>) राष्ट्र- राज्य किंवा त्या त्या विद्यार्थो,संशोधक,शिक्षक,संस्था-महाविद्यालय व विद्यापीठासाठी संशोधन महत्त्वाचेआहे.</em> <em>३</em><em>) प्रस्तुत विषयावर संशोधन करणे बौद्धिक तसेच सर्वांगीण घटकाला चालणा देण्यासाठी अनुकूल असेच आहे.</em> <em>४</em><em>) राष्ट्रीय परिषदांच्या माध्यमातून निवडलेल्या विषयावर,त्यादृष्टीने केलेले संशोधन &ndash; शोधनिबंध राष्ट्रविकासाला चालणा देणारा आहे.</em> <em>५</em><em>) प्रस्तुत शोधनिबंधात 'शाश्वत विक
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प्रा., डॉ. सोनवणे जी. एन. "राष्ट्रपिता म. गांधी : राष्ट्र निर्माणातील भूमिका". उदयगिरी - बहुभाषिक इतिहास संशोधन पत्रिका 01, № 04 (2023): 544–48. https://doi.org/10.5281/zenodo.10137515.

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Abstract:
म.गांधी हे आज जागतिक स्तरावरील आदर्श व्यक्तिमत्व म्हणून ओळखले जातात. त्यांच्या शांतता, सत्य, अहिंसा या मार्गावर जग मार्गक्रमण करीत आहे. भारताच्या दृष्टीने ही अत्यंत अभिमानाची बाब आहे. त्यांच्या विचारधारेमध्ये केवळ राष्ट्र आणि राष्ट्र निर्माणाचाच संदेश मिळतो. आदर्श राष्ट्र, आदर्श समाज निर्माण करण्यासाठी ग्राम राज्याची कल्पना सांगितलेली सर्वश्रुत आहे. ग्रामव्यवस्था उत्तमप्रकारे ठेऊन स्वयंपूर्ण अर्थव्यवस्था प्रत्येक खेड्यात निर्माण झाली तरच संपूर्ण समाज आदर्श समाज होऊ शकेल, अशी त्यांची धारणा होती. महात्मा गांधीजी आदर्श समाजाच्या क्लपनेला रामराज्य म्हणून संबोधले. त्यालाच&nbsp;'ग्रामराज्य', 'आदर्श
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जायसवाल, अमित कुमार, та मयानन्द उपाध्याय. "भारतीय समाज में महिला सशक्तिकरण एवं आरक्षण नीति". International Journal of Science and Social Science Research 1, № 2 (2023): 171–74. https://doi.org/10.5281/zenodo.13379467.

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Abstract:
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज को पूर्ण विकसित बनाने में स्त्री एवं पुरुष दोनों का योगदान होता है। स्त्री एवं पुरुष जीवन-रूपी रथ के दो पहिए हैं। दोनों के सहयोग के बिना व्यक्ति, समाज एवं राष्ट्र का विकास सम्भव नहीं है किन्तु आज भारतीय समाज में जब हम महिला सशक्तिकरण के विषय में सोचते है तो इस पुरुष प्रधान समाज में स्त्री को द्वितीय श्रेणी में रखने की मानसिकता दिखाई देती है। जहाँ तक स्त्री एवं पुरूष का प्रश्न है दोनों ही एक दूसरे के पूरक होते हैं, अतः स्त्री शिक्षा समाज को सही दिशा देने के लिए उतनी ही आवश्यक है जितना पुरुष की शिक्षा। एक शिक्षित पुरुष केवल स्वयं शिक्षित होता है जबकि एक स्त्री द
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कनिका та प्रवीन फोजिया. "संयुक्त राष्ट्र संगठन विकास एवं उदय". RECENT RESEARCHES IN SOCIAL SCIENCES & HUMANITIES (ISSN 2348–3318) 10, № 2 (2023): 32–38. https://doi.org/10.5281/zenodo.8151592.

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Abstract:
संयुक्त राष्ट्र संघ एक अंतराष्ट्रीय संगठन है, प्रथम व द्वितीय विश्व युद्ध के उपरांत बनाए गए इस संगठन का उद्देश्य विश्व शांति बनाए रखना था। इसके अतिरिक्ति यह संगठन जन-कल्याण, ऐतिहासिक धरोहर संरक्षण, पर्यावरण सुरक्षा व आतंकवाद जैसे बङे मुद्दों पर भी कार्य करता है। इस संघ का अपना चार्टर है, जिसके अनुसार यह कार्य करता है एंव इसके 6 अंग है। संयुक्त राष्ट्र संघ एक सफल अंतर्राष्ट्रीय संगठन भी कहलाता है। इसमें शामिल होने वाले देशों की संख्या 193 है, व 2011 अंतिम देश जो इसमे शामिल हुआ में दक्षिण सुडान था।
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काळबांडे, प्रा.डॉ.सचिन रामराव. "महिला सक्षमीकरणासाठी आंतरराष्ट्रीय धोरण". International Journal of Advance and Applied Research 5, № 35 (2024): 193–95. https://doi.org/10.5281/zenodo.13859479.

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Abstract:
&nbsp; &nbsp; सारांश &ndash;&nbsp;&nbsp;महिला सक्षमीकरण काळाची महत्वपुर्ण गरज बनली आहे.जगातील विकसीत राष्ट्र अमेरिका व इंग्लंडने महिलांना सन १९२० साली मतदानाचा अधिकार दिला होता. तर विकसनशिल राष्ट्र भारताने सन १९५०, कुवैत राष्ट्राने सन २००५ साली महिलांना मतदानाचा अधिकार दिला.आंतरराष्ट्रीय स्तरावर आयोजीत महिला सम्मेलनातुन स्पष्ट झाले की जगातील एकुण लोकसंख्ये पैकी ५० % महिला आहेत.या महिलांच्या नावावर केवळ १% संपत्ती आहे. जापान, फ्रान्स राष्ट्राच्या संसदेत केवळ ७ % तर इंग्लंडच्या संसदेत केवळ १८ %महिला संसदेत आहे. यापेक्षा अविकसीत राष्ट्रांत महिलाची अवस्था अतीशय बिकट असुन आजही मागासलेली आहे. त्यासा
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रासवे, दिनकर सुदामराव. "स्वामी दयानंदांचा राष्ट्रवाद". International Journal of Advance and Applied Research S6, № 7 (2025): 142–44. https://doi.org/10.5281/zenodo.14784834.

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Abstract:
&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp; आधुनिक काळात राष्ट्र या संकल्पनेला विशेष महत्त्व प्राप्त झाले आहे. या संकल्पनेत प्रामुख्याने भूप्रदेश, भाषा, संस्कृती, लोकसमुह हे घटक महत्त्वाचे असतात. या सर्व गोष्&zwj;टी भारतात असूनही खऱ्या अर्थाने भारतीय राष्ट्र निर्माण होऊ शकले नाही. छोटी-छोटी राज्ये निर्माण होऊन आपसात लढत राहिली. याचा फायदा वेगवेगळ्या परकीय सत्तांनी येवून भारतावर राज्य केले आणि भारताला गुलामगिरीत जखडून टाकले. एकोणिसाव्या शतकात भारतात जनजागृती निर्माण झाली आणि अनेक समाजसुधारकांनी स्वातंत्र्यसेनानींनी या ऱ्हासाची कारणे शोधण्याचा व ती दूर करून बलशाली राष्ट्र
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फुके, प्रा.डॉ. वृषाली लक्ष्मीकांत. "संयुक्त राष्ट्र संघटनेच्या शांती मोहिमा आणि भारत". International Journal of Advance and Applied Research 6, № 25(D) (2025): 22–26. https://doi.org/10.5281/zenodo.15332243.

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Abstract:
<strong>सारांश:</strong> इ.स.1941 मध्ये इंग्लंडमधील सेंट जेम्स राजवाड्यात झालेल्या घोषणेपासून ते 1945 च्या संफ्रान्सीस्को परिषदेपर्यंत ज्या अनेक बैठका ,चर्चा आणि द्वितीय महायुद्धाच्या काळातील घटना घडामोडी &nbsp;यातून एक संघटना आकारास आली ती म्हणजे संयुक्त राष्ट्र संघटना.अर्थातच UNO , जिची स्थापना 24 ऑक्टोबर 1945 रोजी आंतरराष्ट्रीय शांतता आणि सुरक्षिततेच्या उदात्त हेतूने करण्यात आली .इस 1920 मध्ये स्थापन झालेला राष्ट्रसंघ अपयशी का झाला याची कारणे शोधून त्यात सुधारणा करतच राष्ट्रसंघा ची दोष उनिवा दूर करून संयुक्त राष्ट्र संघटनेने एका नव्या कार्याला सुरुवात केली. नवीन विशरचनेत अमेरिका आणि रशिया य
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कावळे, प्रा सुमेध अ. "राष्ट्र उन्नती मध्ये कर्तव्यसिद्ध महिलांचे योगदान". SK International Journal of Multidisciplinary Research Hub 11, № 12 (2024): 438–43. https://doi.org/10.61165/sk.publisher.v11i12.85.

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द्विवेदी, डॉ आभा. "वैदिक साहित्य में राष्ट्र की अवधारणा". International Journal of Sanskrit Research 11, № 2 (2025): 99–104. https://doi.org/10.22271/23947519.2025.v11.i2b.2593.

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सिंहल, डॉ श्रीमति विनय. "वेदों में विकसित राष्ट्र की अवधारणा". International Journal of Sanskrit Research 7, № 1 (2021): 461–64. https://doi.org/10.22271/23947519.2021.v7.i1h.2565.

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डॉ.हिमालया, एस. सकट. "उच्चतर शिक्षा में उत्प्रेरित अनुसंधान". International Journal of Advance and Applied Research 4, № 9 (2023): 32–33. https://doi.org/10.5281/zenodo.7867078.

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Abstract:
प्राचीन सभ्यता से लेकर आधुनिक सभ्यता तथा समाज मे अपनी बौद्धिक संपदा को आधार बनाकर विज्ञान, भाषा तथा संस्कृति के क्षेत्र में आमूल परिवर्तन और प्रगति हुई हैl दुनिया भर की सभ्यता को परिष्कृत तथा उन्नत बनाया हैI समाज शाश्वत रखने मे ज्ञान सृजन तथा अनुसंधान एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता आया हैI समाज का विकास ही देश को नैतिक ऊचाइयों तक ले जाता हैI &nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp; भारत देश की बात की जाए तो भारतीय शिक्षा प्रणाली किसी उन्नत राष्ट्र की शिक्षा नीती से कम नही हैI ग्रीस, चीन, मिस्त्र मेसोपोटेमिया जैसी समुद्री सभ्यता के राष्ट्र आधुनिक सभ्यता के उत्तम उदाहरण
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Kant, Neelam. "Nuclear Proliferation in the World: Problems and Solutions." RESEARCH HUB International Multidisciplinary Research Journal 9, no. 12 (2022): 14–17. http://dx.doi.org/10.53573/rhimrj.2022.v09i12.002.

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Abstract:
This year, the tenth international conference to review the Nuclear Non-Proliferation Treaty was held at the United Nations Headquarters. No consensus could be reached on any issue. India also did not take any positive stand on nuclear non-proliferation. Today it is necessary that India should pay more attention to the international nuclear discussion and reconsider its own civil and military nuclear programs. NPT was signed in 1968 and came into force in the year 1970. Currently 191 nation states are its members, its review meeting is held every five years by the party country. Its tenth revi
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अधिकारी Adhikari, द्वारिका Dwarika कुमारी Kumari. "नागरिकमैत्री नेपाली सेना Nagarikmaitri Nepali Sena". Unity Journal 1 (2 лютого 2020): 185–90. http://dx.doi.org/10.3126/unityj.v1i0.36069.

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Abstract:
स्त्री–पुरुष सबैलाई समेटिएको नागरिक देशका जनतार रक्षक हुन् । स्वतन्त्र सार्वभौम राष्ट्र भएकाले नेपालीनागरिकहरुको इज्जत र सम्मान संसारभरि यथावत्कायम रहेको छ । जुनसुकै युद्धमा होस् वा अन्य देशभक्तिका क्षेत्रमा होस्, नारी र पुरुषहरु गैरसैनिकभए पनि राष्ट्रको रक्षाका निम्ति बलिवेदीमा चढेकाछन् । उनीहरुको साहस र हिम्मतलाई इतिहासलेस्वर्ण अक्षरले लेखेको छ । सैनिक परिवारको आश्रित परिवारलाई मात्रै लिइयो भने नागरिक र सैनिक सम्बन्धअपूरो हुन्छ । नेपालको इतिहासको कालखण्डलाईपल्टाएर हेर्ने हो भने, नागरिक र सैनिक सम्बन्ध नङर मासु जस्तै जोडिएको छ । हरेक युद्धका मोर्चा तथा लोककल्याणकारी कार्यहरुमा नागरिकहरुले सेन
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खरेल Kahrel, अश्वस्थामा Ashwasthama भक्त Bhakta. "राष्ट्रहितमा सामरिक महत्वको सान्दर्भिकता Rashtrahitma Samarik Mahatwako Sanharbhikata". Unity Journal 1 (2 лютого 2020): 165–70. http://dx.doi.org/10.3126/unityj.v1i0.35995.

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Abstract:
नेपाल प्रकृतिले भरिपूर्ण सामरिक महŒवको राष्ट्र हो । भू–परिवेष्ठित देश भए पनि सामरिक महŒवका दृष्टिलेनेपाल संसारकै उत्कृष्ट स्थल हो । सामरिक महत्वको राष्ट्र हुनाले नै अङ्ग्रेज तथा तिब्बतका सेनाहरुनागरिक समेतको सहयोगमा नेपाली सेनाबाट पराजितभएर फर्किनु परेको इतिहास सुनौला अक्षरले लेखिएका छन् । चाहे इष्ट इण्डिया कम्पनीले होस् वा चाहेतिब्बतले होस्, नेपालमाथि आक्रमण गर्दा सामरिकमहŒवले साथ दिएको थियो । छरिएका राज्यहरुलाई आधुनिक नेपालमा गाभ्न पनि सामरिक क्षेत्रले साथदिएको थियो । नेपालको अन्तर्राष्ट्रिय सीमा रक्षामा पनिसामरिक स्थलको साथ र सहयोग अतुलनीय रहेको छ ।
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