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Journal articles on the topic 'विश्वसनीयता'

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खनाल Khanal, राजेन्द्र Rajendra, та सिद्धिबहादर Siddhi Bahadur महर्जन Maharjan. "स्नातकोत्तर तहको परीक्षण प्रक्रियामा विश्वसनीयता र वैधता". Sampreshan सम्प्रेषण 8 (31 грудня 2024): 53–60. https://doi.org/10.3126/sampreshan.v8i1.75218.

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Abstract:
यस लेखमा त्रिभुवन विश्वविद्यालय शिक्षाशास्त्र सङ्काय स्नातकोत्तर तहको सेमेस्टर प्रणालीमा आधारित परीक्षण प्रक्रियाको विश्वसनीयता तथा वैधताप्रति शिक्षक तथा शिक्षार्थीको दृष्टिकोणलाई प्रस्तुत गरिएको छ । क्षेत्रीय सर्वेक्षण विधिमा आधारित भई मतावलीलाई तथ्य सङ्कलनको साधन बनाइएको यस अध्ययनमा यादृच्छिक नमुना छनोट प्रक्रिया अवलम्बन गरिएको छ । यसमा शिक्षाशास्त्र, स्नातकोत्तर तहमा अध्ययनरत १२० जना शिक्षार्थी तथा उक्त तहमा अध्यापनरत ४० जना शिक्षकलाई नमुनाका रूपमा लिई उनीहरूको अभिमतको विश्लेषण गरिएको छ । सेमेस्टरको परीक्षा प्रणाली विश्वसनीय छ भन्ने कथनमा शिक्षक तथा शिक्षार्थीको समष्टिमा ३८.१ प्रतिशत सकारात
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Khanal, Rajendra. "आन्तरिक मूल्याङ्कनमा परीक्षणका प्रमुख गुणप्रति सरोकारवालाको दृष्टिकोण Aantarik Mulyankanma Parikshyanka Pramukh Gunprati Sarokarwalako Dristikon". Curriculum Development Journal 29, № 43 (2021): 249–61. http://dx.doi.org/10.3126/cdj.v29i43.41059.

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Abstract:
त्रिभुवन विश्वविद्यालय शिक्षाशास्त्र स्नातकोत्तर तहको सेमेस्टर प्रणालीको आन्तरिक मूल्याङ्कनको विश्वसनीयता तथा वैधताप्रति सरोकारवालाको दृष्टिकोणलाई यस लेखमा प्रस्तुत गरिएको छ । यो लेख क्षेत्रीय सर्वेक्षण विधिमा आधारित छ भने यसमा उद्देश्यमूलक नमुना छनोट प्रक्रिया अपनाइएको छ । यसमा शिक्षाशास्त्र, स्नातकोत्तर तहमा अध्ययनरत १०० जना विद्यार्थी तथा उक्त तहमा अध्यापनरत २५ जना शिक्षकलाई नमुनाका रूपमा लिई उनीहरूको अभिमतको विश्लेषण गरिएको छ । आन्तरिक मूल्याङ्कनबाट प्राप्त भएको अङ्क विश्वसनीय छ भन्ने कथनमा ४२ प्रतिशत शिक्षार्थी र ४८ प्रतिशत शिक्षक मात्र सकारात्मक देखिएकाले सन्तुष्टिको स्तर कमजोर रहेको देख
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डा., योगेश कुमार गुप्ता. "भारत में टेलीविजन समाचार चैनलों की प्रभावशीलता (चयनित चैनलों का तुलनात्मक अध्ययन)". International Journal of Research - Granthaalayah 5, № 7 (2017): 79–91. https://doi.org/10.5281/zenodo.827210.

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Abstract:
भारत में आज भी समाचार चैनलों की जनता मंे विश्वसनीयता बनी हुई है। इस शोध के माध्यम से समाचार चैनलों के प्रस्तुतिकरण के अंदाज का पता चलता है। समाचार चैनलों के बीच चल रही घमासान प्रतिस्पर्धा में सबसे आगे कौनसा समाचार चैनल है, का भी पता किया गया है। यह शोध टेलीविजन मीडिया से संबंधित पहलुओं की अज्ञानता के निवारण में प्रभावी भूमिका निभा सकता है। आज टेलीविजन ही संचार का सबसे प्रभावी माध्यम है। टेलीविजन मीडिया लोगों को न्याय दिलाने में, विभिन्न अनछुए पहलुओं से पर्दा हटाने में सहायक सिद्ध हो सकता है। वहीं इस शोध की कुछ सीमाएं भी रही हैं जैसे- इस शोध में केवल जयपुर शहर को ही अध्ययन के लिए चुना गया है। ज
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Shekhar, Pathak, та Shraddha Soni Dr. "भारतीय और ईरानी शिक्षकों की अपने विश्वविद्यालय शैक्षिक वातावरण के प्रति धारणा का आकलन करना।". International Journal of Advance Research in Multidisciplinary 2, № 1 (2024): 380–85. https://doi.org/10.5281/zenodo.14050180.

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Abstract:
इस अध्ययन के उपकरणों में तीन पैमाने शामिल थे: 1-शारीरिक शिक्षा पर्यावरण सर्वेक्षण (हिल और हल्बर्ट, 2007) 2- पाठ्यक्रम अनुभव प्रश्नावली (सीईक्यू), (राम्सडेन, 1991) 3-संकाय संतुष्टि प्रश्नावली (सेराफिन, 1991) वैधता और विश्वसनीयता की गणना के बाद वितरित और विश्लेषण किया गया। परिणामों ने संकेत दिया: 1- भारतीय और ईरानी छात्रों की शैक्षिक वातावरण की धारणा के बीच महत्वपूर्ण अंतर है 2- भारतीय और ईरानी छात्रों की संतुष्टि के बीच महत्वपूर्ण अंतर 5- भारतीय और ईरानी छात्रों की शैक्षिक वातावरण की धारणा और उनकी संतुष्टि के बीच महत्वपूर्ण संबंध है।
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Mahesh, Kumar Mishra. "भारत में हिन्दी भाषा की डबिंग ने खोले हैं विश्व सिनेमा कारोबार के नये आयाम". Vishwa Hindi Patrika 13 (12 грудня 2021): 175–79. https://doi.org/10.5281/zenodo.10499882.

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Abstract:
संचार में प्रेषक और प्राप्तकर्ता के बीच किसी भी तरह के भाषायी अवरोध को डबिंग समाप्त कर देती है। यही वजह है कि कला और मनोरंजन का सशक्त माध्यम सिनेमा कम लागत से हुई डबिंग से दर्शक और फिल्म का ऐसा जोड़ सम्भव हो पाता है जिससे करोड़ों रूपये का सफल व्यवसाय बनता है। तकनीकि के सरल और उन्नत होने से सिनेमा डबिंग में लगातार जीवतंता और विश्वसनीयता प्रदान की जा रही है और यही वजह है कि भारतीय में वैश्विक फिल्म प्रदर्शन के लिए हिन्दी डबिंग अति आवश्यक की श्रेणी में विद्यमान हो गयी है।
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पाण्डेय, शैलेन्द्र, та मंजू सोलंकी. "भारतीय राजनीति में राजनैतिक दलों के समक्ष चुनौतीयां". Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education 20, № 4 (2023): 819–24. https://doi.org/10.29070/c5cep810.

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Abstract:
भारतीय राजनीति में राजनैतिक दलों को वर्तमान समय में अनेक जटिल और बहुआयामी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। ये चुनौतियाँ लोकतांत्रिक संस्थाओं की विश्वसनीयता को प्रभावित करती हैं, चुनावी प्रक्रिया, आंतरिक लोकतंत्र, विचारधारात्मक स्पष्टता, वित्तीय पारदर्शिता, और क्षेत्रीय संतुलन जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं को भी प्रभावित करती हैं। दलों के बीच बढ़ती व्यक्तिवादिता, विचारधारा की अस्पष्टता, और गठबंधन राजनीति की अनिश्चितता भी लोकतांत्रिक प्रणाली को जटिल बनाती है। साथ ही, मतदाताओं की बढ़ती अपेक्षाएं, सामाजिक मीडिया का प्रभाव, और जातीय व धार्मिक ध्रुवीकरण ने राजनैतिक दलों के समक्ष नई रणनीतियाँ विकसित करने
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Miss Madhulika Tiwari та Dr. Satish Kumar Garg. "फ्लाई ऐश ईंट निर्माण की समीक्षा". Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education 21, № 1 (2024): 44–48. http://dx.doi.org/10.29070/tkexe737.

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Abstract:
फ्लाई ऐश ईंटें निर्माण क्षेत्र में मिट्टी की पकी ईंटों के विकल्प हैं। फ्लाई ऐश की ईंटें फ्लाई ऐश, चूना, जिप्सम, बालू और पानी से बनाई जाती हैं। इनका व्यापक रूप से सभी भवन निर्माण संबंधी गतिविधियों में उपयोग किया जा सकता है, जैसा कि सामान्य जली हुई मिट्टी की ईंटों के समान होता है। फ्लाई ऐश ईंटें सामान्य मिट्टी की ईंटों की तुलना में वजन में हल्की और मजबूत होती हैं। फ्लाई ऐश ब्रिक्स अपने टिकाऊपन, कंप्रेसिव स्ट्रेंथ और विश्वसनीयता, कम लागत और आसान उपलब्धता के कारण एक प्रमुख भूमिका निभाती हैं। नतीजतन, फ्लाई ऐश ईंटें गंभीर अपक्षय क्रियाओं का सामना कर सकती हैं और लगभग सभी सामान्य रासायनिक हमलों के लिए
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गिरी Giri, राजेन्द्र Rajendra. "‘शत्रु’ कथामा समाख्यानात्मकता [Narrativeness in the 'Enemy' story]". BMC Journal of Scientific Research 5, № 1 (2022): 193–99. http://dx.doi.org/10.3126/bmcjsr.v5i1.50694.

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Abstract:
प्रस्तुत लेख समाख्यानशास्त्रीय विश्लेषणसँग सम्बन्धित छ । यो समाख्यानशास्त्र आख्यानको नवीन मान्यता हो । यसले सङ्कथनलाई केन्द्रमा राखेर विषय, श्रोता, पात्र र समग्र संरचनाका बिचमा विश्लेषण गर्दछ । यसमा समाख्याताको कथासम्बद्धता, पात्रसम्बद्धता, समयसम्बद्धता, विश्वसनीयता र स्वप्रस्तुतिका आधारमा पहिचान गरी निष्कर्ष निकाल्ने प्रयास भएको छ । यस कथामा घटना, पात्रका कार्य र पात्रको मनस्थितिको वर्णन भएको छ । समाख्याताले कथाको प्रमुख पात्रका बारेमा सम्बोधितलाई जानकारी दिएको पाइन्छ । पात्रको शारीरिक, सामाजिक, आर्थिक तथा मानसिक अवस्था वर्णन गर्नाका लागि वर्णनात्मक समाख्यान विधि प्रयोग गरिनुका साथै मुख्य पात
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बोहरा Bohara, गणेशबहादुर Ganeshbahadur. "बहुभाषिक कक्षामा भाषिक परीक्षण तथा मूल्याङ्कन {Linguistic Testing and Assessment in the Multilingual Classroom}". AMC Multidisciplinary Research Journal 3, № 1 (2022): 46–52. http://dx.doi.org/10.3126/amrj.v3i1.55886.

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Abstract:
प्रस्तुत लेख बहुभाषिक कक्षामा भाषिक परीक्षण र मूल्याङ्कनलाई कसरी प्रभावकारी बनाउन सकिन्छ भन्ने कुरामा केन्द्रित रहेको छ । दुईभन्दा बढी भाषा बोल्ने विद्यार्थीको उपस्थिति भएको कक्षाकोठा बहुभाषिक कक्षा हो । बहुभाषाको प्रयोगले शिक्षण सिकाइमा सहजता हुनुका साथै सिकारुको सिकाइ दर पनि बढ्ने हुनाले वर्तमान समयमा बहुभाषी शिक्षणको प्रचलन बढ्दै गएको पाइन्छ । बहुभाषिक कक्षामा भाषिक परीक्षण तथा मूल्याङ्कन सम्पन्न गर्नका लागि पाठ्यक्रमका उद्देश्य, परीक्षणीय विषय, भाषिक सिपको छनोट, भाषिक एक निष्ठता, योजनाबद्ध परीक्षण, विश्वसनीयता र वैधता आदि कुरामा ध्यान दिनुपर्ने हुन्छ । बहुभाषिक कक्षामा परीक्षण तथा मूल्याङ्
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जोशी Joshi, हेमा Hema. "नेपालमा लोपोन्मुख भाषाहरूको स्थिति {Status of Endangered Languages ​​in Nepal}". Sudurpaschim Spectrum 1, № 1 (2023): 209–29. http://dx.doi.org/10.3126/sudurpaschim.v1i1.63468.

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Abstract:
प्रस्तुत आलेख नेपालका लोपोन्मुख भाषाहरूको स्थितिबारे अध्ययनमा केन्द्रित छ । वि.सं. २०७८ को जनगणना अनुसार नेपालमा १२४ भाषाहरू प्रयोग व्यवहारमा रहेको तथ्याङ्क पाइन्छ । नेपालमा भाषाहरूबारे व्यवस्थित सर्वेक्षण नहुँदा भाषाहरूको स्थिति र सङ्ख्याहरूमा विश्वसनीयता नभए पनि यी तथ्याङ्कहरूमा नेपालमा २७ भन्दा बढी भाषाहरूका वक्ता सङ्ख्या कम देखिनुले धेरै भाषाहरू अपक्षयको स्थितिमा रहेको प्रष्ट हुन्छ । गैररैथाने भाषाहरूलाई समावेश नगर्ने हो भने पनि २१ जति भाषाहरू अत्यन्त लोपोन्मुख (मृतप्रायः) अवस्थामा रहेका छन् । लेख तयार पार्ने सन्दर्भमा मूलतः पुस्तकालयको उपयोग गरी सङ्कल्न गरिएका प्राथमिक र द्वितीयक स्रोतका
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Biml та Poonam. "उच्च माध्यमिक विद्यालयों में अध्यनरत कला, विज्ञान व वाणिज्य संकाय के छात्र-छात्राओं में पर्यावरण मूल्य का तुलनात्मक अध्ययन". Recent Educational and Psychological Researches 13, № 2 (Apr.-May-Jun.-2024) (2024): 31–35. https://doi.org/10.5281/zenodo.13320696.

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Abstract:
विश्व आज पर्यावरणीय समस्याओं से जूझ रहा है। पर्यावरण प्रदूषण, स्वच्छ पेयजल, अतिवृष्टि, सूखा आदि समस्याएं बढ़तीजा रही हैं, लेकिन इन सभी समस्याओं का समाधान पर्यावरण संतुलन में है और इस संतुलन के लिए लोगों में पर्यावरणीयमूल्यों और उचित पर्यावरणीय व्यवहार के विकास की आवश्यकता है। जनसंख्या राष्ट्र से ही प्राप्त की जा सकती है। इसउद्देश्य के लिए, छात्रों को पर्यावरण की बुनियादी अवधारणाओं और पर्यावरणीय मुद्दों का ज्ञान बहुत महत्वपूर्ण है। प्राकृतिकसंसाधनों के महत्व एवं आवश्यकताओं के साथ-साथ उनके संरक्षण एवं प्रबंधन के प्रति जागरूकता के बिना विद्यार्थियों मेंपर्यावरणीय मूल्यों का विकास संभव नहीं है। छा
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फूएल, श्यामप्रसाद. "निर्वाचनमा नागरिक दायित्व". Interdisciplinary Research in Education 8, № 1 (2023): 13–21. http://dx.doi.org/10.3126/ire.v8i1.56722.

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Abstract:
प्रस्तुत लेख निर्वाचनप्रति नागरिक सहभागिता अभिवृद्धिका आधारहरूको खोजी गर्नुसँग सम्बन्धित छ । मतदानले निर्वाचित प्रतिनिधिलाई दायित्व बोध र सचेत गराउँदछ । लोकतन्त्रलाई जीवन्त र गतिशील बनाउने काममा आवधिक निर्वाचनको अहम् भूमिका रहन्छ । लोकतन्त्रको आधारका रूपमा रहेको निर्वाचनमा व्यापक जनसमर्थन र सहभागिताको खाँचो पर्दछ । लोकतन्त्रको अस्तित्व एवम् निर्वाचनको सार्थकता जनसहभागितामा अडेको हुनाले नागरिक सहभागिताको आधारलाई पहिचान गर्दै थप अभिवृद्धिका उपायहरूको खोजी गर्नु यस लेखको मूल उद्देश्य हो । गुणात्मक प्रकृतिको यस लेखमा द्वितीयक सामग्रीको अध्ययन विश्लेषण गर्दै निष्कर्षमा पुग्ने कोसिस गरिएको छ । यो ले
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भट्टराई, रेगिना. "बहुभाषिक कक्षामा भाषिक परीक्षण तथा मूल्याङ्कन". Damak Campus Journal 13, № 1 (2024): 141–50. https://doi.org/10.3126/dcj.v13i1.74599.

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Abstract:
प्रस्तुत लेख बहुभाषिक कक्षामा भाषिक परीक्षण तथा मूल्याङ्कन कसरी प्रभावकारी बनाउन सकिन्छ भन्ने कुराकोसैद्धान्तिक चर्चामा केन्द्रित रहेको छ । यस लेखमा मूलतः बहुभाषिक कक्षाको परिचय र आवश्यकता, भाषिक परीक्षण तथा मूल्याङ्कनको परिचय तथा प्रयोजन, परीक्षण र मूल्याङ्कनका सिद्धान्तहरू, भाषिक परीक्षणका उपाय र साधनहरू तथा परीक्षण प्रक्रिया र शिक्षकको भूमिका आदिका बारेमा स्पष्ट पार्ने प्रयास गरिएको छ । लेखलाई गुणात्मक ढाँचामा संरचित गरिएको छ । यसका लागि सैद्धान्तिक किसिमका पुस्तकहरूलाई आधार बनाइएको छ । यस लेख निर्माणका लागि आवश्यक सामग्री सङ्कलन पुस्तकालय पद्धतिबाट विभिन्न सन्दर्भ कृतिका सहायताले गरिएको छ
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खनाल, राजेन्द्र. "कक्षा १२ को नेपाली विषयमा आधारित स्तरीकृत प्रश्न निर्माण प्रक्रिया". JMC Research Journal 10, № 01 (2021): 86–96. http://dx.doi.org/10.3126/jmcrj.v10i01.51304.

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Abstract:
यस लेखमा नेपाली विषयसँग सम्बद्ध स्तरीय परीक्षणका गुण, तिनको निर्माण प्रक्रिया तथा प्रश्नका उदाहरणसहित सैद्धान्तिक ज्ञान एवम् प्रयोगात्मक सिपसम्बन्धी धारणा प्रस्तुत गरिएको छ । यस लेखमा मूल्याङ्कनको परिचयात्मक पक्षसहित भाषिक मूल्याङ्कनका आधारभूत मान्यता, विशिष्टीकरण तालिका र त्यसको सान्दर्भिकता प्रस्तुत गरिएको छ । त्यस्तै, ब्लुम्सको शैक्षणिक क्षेत्रको तहगत वर्गीकरण एवम् नयाँ वर्गीकरणअनुसार ज्ञान, बोध, प्रयोग तथा उच्च दक्षतासँग सम्बद्ध प्रश्नहरू निर्माण गरी सोदाहरण चिनाइएको छ । परीक्षणको स्तरीकरणका लागि पूर्व परीक्षणसँग सम्बद्ध सबै प्रक्रिया, प्रश्नको विश्लेषण तथा प्रश्नको मानकीकरण र अन्तिमीकरणका
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Raila, Sudip. "समाज तथा राष्ट्र निर्माणमा पत्रकारको भूमिका". Ganeshman Darpan 8, № 1 (2023): 150–57. http://dx.doi.org/10.3126/gd.v8i1.57342.

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Abstract:
नेपाल पत्रकार महासंघमा आबद्ध करिब पन्ध्र हजारभन्दा बढी पत्रकारहरुमध्ये आधाभन्दा बढीलाई पत्रकारिताको मूल मन्त्रबारे अनविज्ञ रहेको पाइन्छ । कतिपयले त आफ्नो कर्म र मुख्य आयश्रोत पत्रकारिताबाट नभई अन्य विविध श्रोत रहेको पाइन्छ । यसो हुनुमा जो पत्रकार भनिन्छ उसले पत्रकारिताको धर्म निर्वाह गरेकोे पाइदैन । पत्रकार हुँ भनेर अनेकौ नामले राजनीति, दलाली र सौदाबाजी गरेर हिड्ने व्यक्तिहरुलाई पत्रकार भन्नु परेको छ । यस्ता कयौँ उदाहरणहरु च्याउँसरी विकास भएका मिडयाको परिचयपत्र भिरेर हिड्नेहरुलाई लिन सकिन्छ । पत्रकारको जोड समाचार, विचारलाई सत्य, तथ्य र वस्तुनिष्ठ भइ मिडियाबाट उपलब्ध गराउनु भन्ने हुन्छ । तर कति
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शोधार्थी, शोधार्थी. "दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जोन में माल परिवहन एवं परिचालन से प्राप्त आय का विश्लेषणात्मक अध्ययन". International Scientific Journal of Engineering and Management 04, № 06 (2025): 1–9. https://doi.org/10.55041/isjem04616.

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Abstract:
शोध सारांश : यह शोध दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे ज़ोन में माल परिवहन एवं परिचालन से उत्पन्न आय के विश्लेषणात्मक अध्ययन पर केंद्रित है, जिसका उद्देश्य रेलवे की राजस्व संरचना में इस क्षेत्र की भूमिका, समस्याएँ, अवसर एवं नीति परिवर्तनों के प्रभावों का समग्र मूल्यांकन करना है। अनुसंधान में मिश्र विधि का उपयोग किया गया, जिसमें संरचित प्रश्नावली द्वारा 600 उत्तरदाताओं से प्राथमिक आंकड़े एकत्र किए गए तथा द्वितीयक आंकड़े रेलवे बोर्ड की रिपोर्टों, नीति दस्तावेजों, शोध पत्रिकाओं एवं अन्य प्रासंगिक स्रोतों से लिए गए। आंकड़ों के विश्लेषण हेतु आवृत्ति वितरण, प्रतिशत विश्लेषण, सहसंबंध प्रत्यावर्ती विश्लेषण , घटक
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YADAV, PUSHPENDRA. "शिक्षा में बढ़ता आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित भाषा माँडल चैटजीपीटी का प्रयोग संभावनाएँ और चुनौतियाँ (Growing use of artificial intelligence-based language model ChatGPT in education: possibilities and challenges)". Bhartiya Adhunik Shiksha, NCERT 44, № 1 (2025): 41–52. https://doi.org/10.5281/zenodo.15347552.

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Abstract:
कृत्रिम बुद्धिमत्ता या आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस (ए.आई.)आधारित प्रौद्योगिकी का विकास पिछले लगभग एक दशक में इतनी तेजी से हुआ है कि आज के समय में यह किसी न किसी रूप में हमारे जीवन का हिस्सा बन चुकी है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 और नीति आयोग ने शिक्षा में ए.आई. के समुचित समावेशन करने के लिए कई प्रावधान किये हैं। उच्च प्राथमिक स्तर, स्नातक और परास्नातक स्तर पर ए.आई. को एक विषय के रूप में मान्यता इसके बढ़ते महत्त्व को दर्शाता है। चैटबोट एक प्रकार का ए.आई. आधारित भाषा मॉडल होता है जिसे मनुष्यों से बातचीत करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। पिछले दशकों में कई प्रकार के चैटबोट विकसित किये जा चुके हैं ज
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Ajit. "A study on India’s permanent Seat in UNSC: Prospects and Challenges." RESEARCH REVIEW International Journal of Multidisciplinary 7, no. 9 (2022): 81–86. http://dx.doi.org/10.31305/rrijm.2022.v07.i09.012.

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Abstract:
In 1945, the United Nations founded the Security Council to ensure global stability, protect civilians, and foster goodwill among nations. After 76 years, the original 51 member nations of the UNSC have been joined by 193. The UNSC does not adequately reflect the developing countries and its demands, hence reforms are urgently needed in light of the shifting global dynamics. Due to the current veto power that is shared among the five permanent members of the UN Security Council (China, the United States, the United Kingdom, Russia, and France), the council is prejudiced and unrepresentative in
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गैरे Gairhe, शंकरप्रसाद Shankarprasad. "टिमुरको झोल कथासङ्ग्रहमा परिवेश चित्रण {Environmental Illustration in the Collection of Stories, Timurko Jhol}". Pragyan 6, № 1 (2023): 21–30. http://dx.doi.org/10.3126/pragyan.v6i1.54692.

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Abstract:
प्रस्तुत लेख विश्वप्रेम अधिकारीको ‘टिमुरको झोल’ कथासङ्ग्रहमा समाविष्ट कथाहरूमा प्रयुक्त परिवेशको अध्ययनमा केन्द्रित छ । परिवेश चित्रण सम्बन्धी अवस्थाको अध्ययन यस अध्ययनको प्रमुख शोध्य समस्या हो । कथा सिर्जनामा परिवेशको विशेष महत्त्व रहन्छ । कथानकको विकास र पात्रहरूको गतिशीलताका साथै कथामा जीवन्तता, विश्वसनीयता, युगजनीनता जस्ता वैशिष्ट्य कायम गर्न परिवेशको अहम् भूमिका रहन्छ । तसर्थ यस शोधलेखमा परिवेश चित्रण र विश्लेषण सम्बन्धी नवीनतम सैद्धान्तिक धारणाका पक्षहरू काल, समय, अवस्थाहरूको अध्ययन सैद्धान्तिक रूपमा गर्नुका साथै ’टिमुरको झोल’ कथासङ्ग्रहमा केकस्तो परिवेश चित्रण पाइन्छ भन्ने समस्यामूलक प्
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डॉ., अम्बुजेश कुमार मिश्र. "लोकतंत्र को सशक्त बनाने में चुनावी सुधारों की भूमिका". Siddhanta's International Journal of Advanced Research in Arts & Humanities 2, № 5 (2025): 51–67. https://doi.org/10.5281/zenodo.15471553.

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Abstract:
भारतीय लोकतंत्र की सफलता का सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ इसकी चुनाव प्रणाली है। स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के बिना लोकतंत्र केवल एक औपचारिक व्यवस्था बनकर रह जाता है। लेकिन भारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण देश में चुनाव प्रक्रिया को पारदर्शी, समावेशी और उत्तरदायी बनाए रखने के लिए निरंतर सुधार आवश्यक हैं। इस संदर्भ में चुनावी सुधार केवल तात्कालिक तकनीकी बदलाव नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक सशक्तिकरण की दिशा में एक दूरगामी प्रक्रिया हैं। पिछले कुछ दशकों में भारत में अनेक महत्वपूर्ण चुनावी सुधार लागू किए गए हैं, जिनमें इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM), वोटर वेरीफायबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT), मतदाता पहचान पत्र, उ
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खनाल Khanal, राजेन्द्र Rajendra. "स्नातकोत्तर तहमा विद्यार्थी उपस्थिति र सहभागिताको मूल्याङकन प्रक्रियाप्रति सरोकारवालाको दृष्टिकोण {Evaluation process for student attendance and participation in post-graduate level The concern's point of view}". Journal of TESON 3, № 1 (2023): 101–13. http://dx.doi.org/10.3126/jteson.v3i1.51776.

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Abstract:
यस लेखमा त्रिभुवन विश्वविद्यालय शिक्षाशास्त्र स्नातकोत्तर तहको सेमेस्टर प्रणालीको आन्तरिक मूल्याङकनमा उपस्थिति र सहभागिताको अङकनप्रति शिक्षार्थी तथा शिक्षकको दृष्टिकोणलाई प्रस्तुत गरिएको छ । यसमा क्षेत्रीय सर्वेक्षण विधि उपयोग गरिएको छ भने सुविधाजनक नमुना छनोट प्रक्रियाबाट तथ्य सङकलन गरिएको छ । यसका लागि शिक्षाशास्त्र सङकाय स्नातकोत्तर तहमा अध्यापनरत २५ जना शिक्षक तथा उक्त तहमा अध्ययनरत १०० जना विद्यार्थीलाई नमुनाका रूपमा लिई उनीहरूबाट प्राप्त अभिमतको विश्लेषण गरिएको छ । यस अध्ययनबाट पाठयक्रमको प्रावधान अनुरूपको विद्यार्थीहरूको उपस्थिति बापतको अङक वितरण प्रक्रिया एवम त्यसको विश्वसनीयता राम्रो
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Kumar Gupta, Yogesh. "Effectiveness of television news channels in India (comparative study of selected channels)." International Journal of Research -GRANTHAALAYAH 5, no. 7 (2017): 79–91. http://dx.doi.org/10.29121/granthaalayah.v5.i7.2017.2109.

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Abstract:
Even today, news channels in India remain credible to the public. Through this research, the style of presentation of news channels is revealed. Which news channel is at the forefront of the fierce competition between news channels, has also been explored. This research can play an effective role in the prevention of ignorance of aspects related to television media. Today, television is the most effective medium of communication. Television media can help people in getting justice, removing the veil from various untouched aspects. At the same time, there have been some limitations of this rese
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डॉ., सरतापे हनुमंत भारत. "प्राचीन खानदेशातील ताम्रपट : एक चिकित्सक अभ्यास". International Journal of Advance and Applied Research 4, № 22 (2023): 48–49. https://doi.org/10.5281/zenodo.8146325.

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Abstract:
इतिहासाच्या अभ्यासासाठी व लेखनासाठी विविध प्रकारची साधने वापरली जातात. वाङमयीन साधने, पुरातत्वीय साधने, कोरीव लेख, नाणी आणि ताम्रपट इ. ताम्रपट हे इतिहासाचे अत्यंत महत्त्वाचे व विश्वसनीय साधन म्हणून उपयुक्त आहे. ताम्रपटाद्वारे त्या-त्या काळचा खरा, वास्तववादी इतिहास मांडता येतो. प्राचीन खानदेशामध्ये सुध्दा अनेक ताम्रपट मिळाले आहेत. त्यावरुन खानदेशचा वैभवशाली इतिहास आपल्याला अभ्यासता येतो. प्रस्तुत शोध निबंधामध्ये प्राचीन खानदेशातील ताम्रपटाचा चिकित्सक अभ्यास केलेला आहे. त्यामुळे प्राथमिक व दुय्यम साधनांचा उपयोग केलेला आहे.
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गिरी Giri, शान्तिमाया Shantimaya. "उत्तरवर्ती नेपाली कथामा प्रयुक्त भाषाशैली {The style of language used in later Nepali stories}". Mega Journal 2, № 1 (2023): 109–27. http://dx.doi.org/10.3126/tmj.v2i1.53230.

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Abstract:
प्रस्तुत लेखमा कथामा निहित कथाकलाको सौन्दर्य प्रस्फुटित गर्ने क्रममा कथाकारको केकस्तो भाषिक अभिव्यक्ति कौशलको प्रयोग भएको छ भन्ने विषयमा केन्द्रित भई कथामा प्रकट भएको भाषाबारे अध्ययन गरिएको छ । उत्तरवर्ती नेपाली कथामा प्रयुक्त भाषाले कथामा अभिव्यक्त घटना, विचार लगायतका विभिन्न कुरा बुझाउन के कत्तिको सामथ्र्य राख्दछ भन्ने जिज्ञासाको शमनतर्फ यो अध्ययन केन्द्रित छ । विभिन्न विद्वान् हरूले कथा सिद्धान्तअन्तर्गतव्यक्त गरेका भाषासम्बन्धी सैद्धान्तिक ज्ञानलाई आधार मानेर उत्तरवर्ती नेपाली कथामा अभिव्यक्त भाषाको अध्ययन विश्लेषण गरिएको छ। प्रस्तुत लेखमा उत्तरवर्ती नेपाली कथामा प्रयुक्त भाषाले कथा बोधगम्
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राकेश, कुमार और एकता रानी. "डेयरी पशुओं में खनिज मिश्रण का महत्व". Trends In Agriculture Science 2, № 2 (2023): 91–94. https://doi.org/10.5281/zenodo.7612936.

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Abstract:
मानव पोषण (दूध और मक्खन वसा), पौधों के पोषण (खेत की खाद) और ऊर्जा (बैल शक्ति) में उनके योगदान के संदर्भ में डेयरी उद्यम एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। डेयरी खेती ग्रामीण गरीबों के लिए आजीविका का एक विश्वसनीय स्रोत है क्योंकि इसमें लाभकारी स्वरोजगार और स्थायी आय प्रदान करने की क्षमता है। इसके अलावा, इसे न्यूनतम पूंजी निवेश और श्रम के साथ बनाए रखा जा सकता है। दुधारू पशुओं के चारे का पशुओं के प्रजनन और उत्पादन पर सीधा प्रभाव पड़ता है। इसलिए, दूध उत्पादन और पशु की उत्पादकता की पूरी क्षमता प्राप्त करने के लिए खनिज मिश्रण को जोड़ना आवश्यक हो जाता है।
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श्री, नानासाहेब दत्तात्रय वाघमोडे. "सोलापूर जिल्ह्यातील साक्षरतेचा चिकित्सक अभ्यास". 'Journal of Research & Development' 14, № 15 (2022): 42–45. https://doi.org/10.5281/zenodo.7309523.

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Abstract:
<strong>सारांश</strong>: भारत देशातील राष्ट्रीय साक्षरता अभियानानुसार,जर एखाद्या व्यक्तीला त्याचे नाव वाचता आणि लिहिता येत असेल तर तो साक्षर आहे असे संबोधले जाते. लोकसंख्येतील साक्षरतेची कमी पातळी सामाजिक आणि आर्थिक विकास आणि राजकीय शक्तीच्या मार्गावर अडसर बनून राहते. निरक्षरता ही कोणत्याही देशातील विकासाला हानिकारक असते. विशेषत: समाजातील प्रौढांमध्ये तंत्रज्ञान सामाजिक विकासामध्ये साक्षरता ही महत्वाची भूमिका बजावते. साक्षरता हे लोकसंख्येचे गुणात्मक गुणधर्म आहे जे एखाद्या क्षेत्राच्या सामाजिक-आर्थिक विकासाचा एक विश्वसनीय निर्देशांक आहे (Chandana, R.C. and Sidhu, M.S.1980)<em>. </em>अभ्यास क्षे
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प्रा., डॉ. अनंत मरकाळे. "संत ज्ञानेश्वनरांच्या साहित्यातील वैज्ञानिक दृष्टिकोन". International Journal of Advance and Applied Research S6, № 12B (2025): 189–92. https://doi.org/10.5281/zenodo.14909958.

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Abstract:
&lsquo;&lsquo;दिसते तसे नसते, म्हणून जग फसते&rsquo;&rsquo; ही म्हण प्रसिद्ध आहे आणि ही म्हण &lsquo;&lsquo;दिसणे&rsquo;&rsquo; ह्या डोळयाच्या कार्याच्या बाबतीतच नव्हे ,तर जीवनाच्या प्रत्येक अंगामधील काही घटनांच्या&nbsp; बाबतीत खरी असल्याचे आपल्याला अनेकदा आढळुन येते. &nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp; दिसणे, ऐकणे, अनुभवणे इत्यादींमधूनच आपल्याला काही एक माहिती मिळते. त्यातून होणारे &lsquo;&lsquo;ज्ञान&rsquo;&rsquo; हे यथार्थ आहे की, &lsquo;&lsquo;अयथार्थ&rsquo;&rsquo; याचा शोध मानव फार वर्षापुर्वीपासून घेत आला आहे. असा शोध घेण्यासाठी मानवाने अनेक पद्धतीचा उपयोग के
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पुन Pun, टेकबहादुर Tekbahadur. "नेपालका मगर जातिको परिचयात्मक अध्ययन {An Introductory Study of the Magar Caste of Nepal}". Kaladarpan कलादर्पण 4, № 1 (2024): 54–62. http://dx.doi.org/10.3126/kaladarpan.v4i1.62825.

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Abstract:
प्रस्तुत शोध पत्रमा नेपालका मगर जातिका सम्बन्धमा परिचयात्मक अध्ययन गरिएको छ । यस अध्ययनको उद्देश्य मगर जातिको परिचय दिनुका साथै उनीहरुका पहिचानका विषयमा व्याख्या÷विवेचना र विश्लेषण गर्नु रहेको छ । जस अन्र्तगत मगर जातिको परिचय दिइएको छ । मगर नामाकरण कसरी रहन गयो ? मगरका पूर्वज पुर्खाहरु को थिए ? मगर मगराँत बिचको सम्बन्धमा के कस्तो रहेको छ ? मगरका बसोबास क्षेत्रहरु कहाँ पर्दछन् ? यीनै विषयहरुमा केन्द्रीत रहेर अध्ययन विश्लेषण गरिएको छ । यस अध्ययनबाट मगर जातिका सम्बन्धमा जानकारी लिन चाहने शोध अध्ययन कर्ताका लागि फाइदाजनक हुनेछ । यस अध्ययनमा प्रथम तथा द्वितीय सहायक स्रोत–सामग्रीहरुलाई आधार मानिएको
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आचार्य, ओमप्रकाश. "अनुसन्धानमा पूर्वकार्यको पुनरावलोकन पद्धति". DEPAN 6, № 1 (2025): 130–35. https://doi.org/10.3126/depan.v6i1.75503.

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Abstract:
अनुसन्धान कार्यमा पूर्वकार्यको पुनरावलोकन अपरिहार्य हुन्छ । पूर्वकार्यले अनुसन्धानको सैद्धान्तिक र अवधारणात्मक खाका तयारीमा मद्दत गर्दछ । अनुसन्धान कार्यलाई पुनरावृत्ति हुनबाट समेत रोक्छ । पूर्वकार्यको पुनरावलोकन गर्दा ध्यानदिनुपर्ने केही सैद्धान्तिक तथा व्यावहारिक अभ्यासात्मक पक्षहरु छन् । त्यसलाई अवलम्बन गरि यो भने अध्ययन गर्न चाहेको विषय क्षेत्रका लागि यथेष्ठ मात्रामा सहयोग पुग्छ । अनुसन्धानको विषय क्षेत्र अनुसारका पूर्वकार्यको समीक्षा पुनरावलोकन हुने गर्दछ । सम्बद्ध विषय र क्षेत्रको व्यापक चर्चा सहित सार समेतको प्राप्ति हुन्छ । जसले गर्दा अनुसन्धान विश्वसनीय र वैध, तथ्यपरक वस्तुनिष्ठ हुन्छ
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Luitel, Gobinda Prasad. "'मातृत्व' कथामा समाख्यानात्मक सङ्केन्द्रण". Vangmaya वाङ्मय 20 (6 серпня 2024): 73–83. http://dx.doi.org/10.3126/vangmaya.v20i01.68201.

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Abstract:
‘मातृत्व’ कथाको समाख्यानात्मक सङ्केन्द्रण अध्ययनमा केन्द्रित यस लेखमा मुख्य रूपमा उक्त कथाका सङ्केन्द्रक, सङ्केन्द्रित विषय एवम् सङ्केन्द्रित विचारको मूल्याङ्कन गरिएको छ । समाख्यानात्मक सङ्केन्द्रण आख्यानबाट अभिमुख सूचनालाई समाख्याता वा पात्रको संज्ञानबाट प्रस्तुत गर्ने विशिष्ट व्यवस्था हो । यस लेखमा समाख्यानात्मक सङ्केन्द्रणको यही सैद्धान्तिक मान्यताका आधारमा ‘मातृत्व’ कथामा पाइने सङ्केन्द्रण व्यवस्थाको विश्लेषण गरिएको छ । यसका लागि प्राथमिक सामग्री छनौट गर्दा सोद्देश्य नमुना पद्धतिको प्रयोग गरिएको छ । पाठविश्लेषणमा आधारित भई शब्द र वाक्यको विश्लेषण गरी अर्थनिर्धारण गरिएकाले सामग्री विश्लेषणम
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बरई, त्रिभुवन. "भुन्टीको भविष्य कथामा सीमान्तीयता". Bhairahawa Campus Journal 6, № 1-2 (2023): 138–52. http://dx.doi.org/10.3126/bhairahawacj.v6i1-2.65179.

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Abstract:
प्रस्तुत लेखमा मनु ब्राजाकीद्वारा अभिलिखित ‘भुन्टीको भविष्य’ कथाको सीमान्तीय अध्ययनको सिद्धान्तको केन्द्रीयतामा विश्लेषण गरिएको छ । उनको प्रस्तुत कथामा सीमान्तीयताका केकस्ता अभिलक्षणहरूको प्रयोग गरिएको छ भन्ने अभीष्टको परिपूर्ति गर्नाका निम्ति यो अध्ययन गरिएको हो । सीमान्तीय अध्ययनको सैद्धान्तिक पर्याधारलाई आधार मानी प्राथमिक एवम् द्वितीयक स्रोतका सामग्रीको उपयोग गरी निगमनात्मक, गुणात्मक र पाठविश्लेषणात्मक शोधविधि अपनाई यस लेखलाई परिपाकमा पु¥याइएको छ । सीमान्तीय अध्ययनका सीमान्त पात्रको भूमिका, सीमान्त पात्रका सीमान्तसूचक अभिलक्षण, प्रतिनिधित्वको सन्दर्भ, अभिव्यक्तिगत (बोलीगत) अवस्था, लेखकीय द
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Poudyal, Eknarayan. "टुवरा उपन्यासमा सीमान्तीयता". Bharatpur Pragya: Journal of Multidisciplinary Studies 3 (11 березня 2025): 52–62. https://doi.org/10.3126/bpjms.v3i01.76242.

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Abstract:
प्रस्तुत लेखमा मनोज थारूद्वारा लिखित टुवरा उपन्यासको सीमान्तीय समालोचनाका आधारमा अध्ययन गरिएको छ । सीमान्तीय समालोचना भन्नाले देशको मूलधारदेखि बाहिर रहेका विभिन्न जाति, वर्ग, वर्ण, क्षेत्र आदिको आर्थिक, सामाजिक, शैक्षिक, राजनीतिक आदि पक्ष अध्ययन गर्ने समालोचनाको सिद्धान्त भन्ने बुझिन्छ । प्रस्तुत उपन्यासमा थारूजातिसँग सम्बन्धित विभिन्न किसिमका समस्याको चित्रण गरिएको छ । त्यसैले यो अध्ययन थारूजाति के कस्ता कारणले कुन कुन क्षेत्रमा पछि परेको छ भन्ने मुख्य समस्या र यसको समाधान खोज्नमा केन्द्रित छ । यसमा टुवरा उपन्यास प्राथमिक सामग्रीका रूपमा रहेको छ भने सीमान्तीय समालोचनाका बारेमा उल्लेख गरिएका प
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Dr., Akhilesh Kumar Sharma Shastri. "Vanchiton shoshiton ka Dukh Dard Bayan Karati Premchand Ki Kahaniyan." Aksharwarta XIII, no. VIII (2017): 48–50. https://doi.org/10.5281/zenodo.15605406.

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Abstract:
प्रेमचन्द जी की कहानियों में सामाजिक जड़ता, जातिवादी व्यवस्था, असमानता और उत्पीड़न के विरुद्ध विद्रोह का मुखर स्वर सुनाई दिखाई ही नहीं पड़ता, बल्कि पाठक की आत्मा को झकझोकर रख देता है। कहानियाँ चिरकाल से मनुष्य को आकर्षित करती रही हैं। इनमें वह स्वयं को सहज महसूस करता है। मनुष्य के सुख-दुख, आशा-निराशाएं, अन्तर्भाव एवं आकांक्षाएं उसे स्वाभाविक रूप से इसे स्पर्श करती हैं। प्रेमचन्द जी की कहानियों में दलितों के सभी पक्षों को अभिव्यक्त किया गया है। वे दलित समस्या पर साहित्य सृजन करने वाले सशक्त कहानीकार रहे हैं। 'ठाकुर का कुंआ, 'पूस की रात', 'कफन', 'सद्गति', 'सवा सेर गहूँ', 'मन्दिर', 'दूध का दाम' आ
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Nepal, Jagat. "नेपाली संसद र संसदीय पत्रकारिताका आठ दशक". Historical Journal 14, № 2 (2023): 110–17. http://dx.doi.org/10.3126/hj.v14i2.59068.

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Abstract:
प्रस्तुत अनुसन्धानात्मक लेख नेपालमा राणाकालदेखि शुरु भएको संसदीय अभ्यास र जनप्रतिनिधिहरुको सर्वोच्च संस्था संसदको गरिमा वढाउन प्रेसले पु¥याउदै आएको योगदानका बिषयमा केन्द्रीत छ । राणा शासनको अन्तिम कालखण्डबाट मुलुकमा संसदीय अभ्यास आरम्भ भएदेखि नै नेपाली मिडियाले यसका कामकारवाहीबारे जनतालाई सुसूचित गर्ने भूमिका खेल्दै आएको छ । नागरिक अधिकार, प्रजातन्त्र र प्रेस स्वतन्त्रता नभएको, गोरखापत्र वाहेक अरु मिडिया नरहेको, शासकको हुकुम नै कानून सरह हुने भएकाले राणाकालमा संसद नाम मात्रको संस्था थियो । २००७ सालको क्रान्तिबाट राणा शासन अन्त्य भएर मुलुकमा प्रजातन्त्र स्थापना भएपछि प्रेसमैत्री वातावरण वन्यो ।
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Sunil, Kumar Rahi, та Anil Kumari Dr. "ग्रामीण क्षेत्र के बी. एड. प्रशिक्षुओं एवं शिक्षकों के शिक्षण के प्रति दृष्टिकोण के दोनों प्रकार के प्रशिक्षण के प्रभाव का अध्ययन करना". International Journal of Advance Research in Multidisciplinary 1, № 2 (2023): 593–97. https://doi.org/10.5281/zenodo.15087023.

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Abstract:
वर्तमान जांच बिहार के गया में बी.एड प्रशिक्षण कॉलेज में शिक्षक प्रशिक्षण के लिए सुधारात्मक उपायों पर पर्याप्त प्रकाश डालेगी। वर्तमान अध्ययन में भावी शिक्षकों की शिक्षण क्षमता और शिक्षण के प्रति दृष्टिकोण के संबंध में शिक्षक शिक्षा की दो प्रणालियों की तुलना की गई है। इस अध्ययन में डेटा संग्रह के लिए आरसी देवा द्वारा मान्य और विश्वसनीय उपकरण यानी शिक्षक रेटिंग स्केल (टीआरएस स्केल) और एसपी अहलूवालिया द्वारा शिक्षक दृष्टिकोण सूची (टीएआई) का उपयोग किया गया है। इकाइयों के चयन के लिए व्यवस्थित नमूनाकरण तकनीक से डेटा एकत्र किया गया था। शोधकर्ता ने प्रत्येक दूरस्थ और औपचारिक संस्थान के 75 बी.एड. प्रशिक
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नेपाल, शक्तिराज. "अनुसन्धानात्मक लेखन र भाषाशिक्षणका बिच सम्बन्ध". Sotang, Yearly Peer Reviewed Journal 4, № 4 (2022): 89–111. http://dx.doi.org/10.3126/sotang.v4i4.57085.

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Abstract:
स्तरीय लेखाइ सिपको विकास गर्ने उद्देश्यले भाषाशिक्षणमा विभिन्न खालका लेखाइका अभ्यास गरिन्छ । उक्त लेखाइ सिपका गतिविधिहरूमध्ये अनुसन्धानात्मक लेखाइलाई लेखाइ सिपको उत्तरवर्ती चरणको क्रियाकलापका रूपमा लिइएको छ । यस लेखमा अनुसन्धानात्मक लेखन र भाषाशिक्षण बिचको सम्बन्धलाई मुख्य विषय बनाइएको छ । अनुसन्धानको पाराडाइम वा दर्शनअन्तर्गत व्याख्यानवाद नमुना वा आयाम (क्ष्लतभचउचभतष्खष्कm उबचबमष्नmक) मा आधारित यस लेखमा अनुसन्धानको गुणात्मक पद्धतिलाई अपनाइएको छ । गुणात्मक पद्धतिअन्तर्गत वर्णनात्मक र विश्लेषणात्मक ढाँचाको केन्द्रमा रहेर द्वितीयक सामग्रीका लिखित दस्तावेजका स्रोतबाट सामग्री सङ्कलन गरी विश्लेषणात
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चौलागाईं Chaulagai, प्रेमप्रसाद Prem Prasad. "अनुसन्धानमा प्रमाता, प्रमेय, प्रमाण र प्रमा". Vaikharivani 1, № 2 (2024): 35–46. http://dx.doi.org/10.3126/vaikharivani.v1i2.69852.

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Abstract:
प्रस्तुत लेख पूर्वीय दर्शनका मान्यतामा आधारित भएर अनुसन्धान र यसका अङ्गहरू प्रमाता, प्रमेय, प्रमाण र प्रमेयको भूमिका र तिनका बिचको सम्बन्धको निरूपणमा केन्द्रित छ । गुणात्मक प्रकृतिको यस लेखमा वर्णनात्मक, व्याख्यात्मक र आवश्यक स्थलमा तुलनात्मक विधिको उपयोग गरी अनुसन्धानको स्वरूप र प्रक्रियाको व्याख्या गर्नुका साथै यसका अङ्गका रूपमा रहेका प्रमाता, प्रेमय, प्रमाण र प्रमाको वैशिष्ट्यको निरूपण गरिएको छ । पूर्वीय दर्शनले अनुसन्धानप्रक्रियाको समग्र रूपरेखालाई प्रमाता, प्रमेय, प्रमाण र प्रमा गरी चारओटा अङ्गका माध्यमबाट प्रस्तुत गरेको छ । यी चार अङ्गमध्ये प्रमाताले शोधार्थी, प्रमेयले शोध्य विषय, प्रमाण
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डॉ., अरविंद कुमार, та देवेन्द्र कुमार पाण्डेय डॉ. "सोशल मीडिया और उसके प्रभाव को समझना". International Journal of Contemporary Research in Multidisciplinary 3, № 5 (2024): 207–9. https://doi.org/10.5281/zenodo.13997555.

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Abstract:
"इंटरनेट एक दोहरी धार वाली तलवार है, जो समाज को एक ओर जोड़ती है और दूसरी ओर तोड़ती भी है। यह एक ऐसा माध्यम है जहां अच्छाई और बुराई दोनों को समान रूप से प्रसारित किया जा सकता है, और जिसके परिणामस्वरूप वैश्विक स्तर पर इसके प्रभाव को देखना शुरू कर रहे हैं।" &nbsp;भारत ने हाल के वर्षों में मास मीडिया और सोशल मीडिया के क्षेत्र में अभूतपूर्व वृद्धि देखी है, जिससे मीडिया की भूमिका वर्तमान परिदृश्य में अत्यधिक महत्वपूर्ण हो गई है। सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के विकास ने टेलीविजन, इंटरनेट, सोशल मीडिया और प्रिंट मीडिया जैसे कई समाचार और सूचना स्रोतों की उपलब्धता और पहुंच को बढ़ाया है । मीडिया न केवल संद
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किरण, शहाजी वऱ्हाडे. "सातारा जिल्ह्यातील 3 शिललेखातून दिसणारा सातारा भागातील धार्मिक व सांस्कृतिक इतिहास". International Journal of Advance and Applied Research 3, № 5 (2022): 247–49. https://doi.org/10.5281/zenodo.7403094.

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Abstract:
प्राचीन भारताचा इतिहास अभ्यासताना लिपीशास्त्र (Epigraphy) हा प्राथमिक अथवा विश्वसनीय पुरावा म्हणून अतिशय महत्त्वाचा मानला जातो. पुरातत्त्वशास्त्र किंवा इतिहास याचा आत्मा म्हणून लिपीशास्त्रास महत्त्व दिले जाते. कोणत्याही भू-भागाचा किंवा त्या भू-भागातील मानव समुहाचा अभ्यास करण्यासाठी त्यांचा भुतकाळ जाणून घेण्यासाठी लिपीशास्त्राची मदत घ्यावी लागते. लिपीशास्त्रामुळे त्यांच्या बौध्दीक क्षमता व ज्यांची प्रगतीचा अभ्यास करता येतो. साक्षरता ही ज्ञानाची ओळख पटवून देते, असे म्हणावयास हरकत नाही आणि ही साक्षरता भाषालिपी यांच्या माध्यमातूनच समोर येते. प्राचीन कालखंडामध्ये मानवाने वस्ती करण्यास सुरुवात केली.
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Sharma, Pradeep Kumar, and Sangharsh Mishra. "Historical Analysis of Science Communication through infographic in India." RESEARCH REVIEW International Journal of Multidisciplinary 10, no. 6 (2025): 318–26. https://doi.org/10.31305/rrijm.2025.v10.n6.036.

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Abstract:
Science communication plays a vital role in bridging the gap between scientific research and the general public, enhancing the decision-making process among people through understanding, dissemination, and participation. Among the various communication tools and techniques currently available, infographics have emerged as an effective medium for presenting complex scientific information in a simple, accessible, engaging, and impactful manner. Infographics visually present key information in a condensed format using attractive designs, enabling them to effectively connect with diverse audiences
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बरई Barai, त्रिभुवन Tribhuvan. "एक पैसा कथामा सीमान्तीयता {Subalternity in Ek Paisa Story}". Bikasko Nimti Shiksha (विकासको निम्ति शिक्षा) 27, № 1 (2024): 49–64. http://dx.doi.org/10.3126/bns.v27i1.66447.

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Abstract:
समतामूलक समाज स्थापनाको अवधारणा र सीमान्त समुदायको केन्द्रीयतामा आधारित साहित्यिक कृतिको मूल्याङ्कन गर्ने सैद्धान्तिक पर्याधार नै सीमान्तीयता हो । यसै सिद्धान्तका आधारमा भवानी भिक्षुको ‘एक पैसा’ कथाको विश्लेषण यस लेखमा गरिएको छ । सोद्देश्यमूलक नमुना छनोट विधिका आधारमा यस अध्ययनका निम्ति प्रस्तुत कथाको छनोट गरिएको छ । सीमान्तीय अध्ययनको सैद्धान्तिक पर्याधार, प्राथमिक एवम् द्वितीयक स्तरको सामग्री एवम् गुणात्मक र पाठविश्लेषणात्मक अनुसन्धान पद्धतिको उपयोग गरी यस लेखलाई पूर्ण बनाइएको छ । सीमान्त पात्र पहिचानका अभिलक्षणहरूको लैङ्गिकता, जातीयता, वर्गीयता एवम् पारिवारिक, सामाजिक र आर्थिक अवस्था, सीमान
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आचार्य Acharya, लक्ष्मीप्रसाद Laxmi Prasad. "नेपाली भाषा सिकाइमा कक्षा अन्तरक्रियाका प्रवृत्ति {Trends for Classroom Interaction in Nepali Language Learning}". Bikasko Nimti Shiksha (विकासको निम्ति शिक्षा) 26, № 1 (2022): 27–46. http://dx.doi.org/10.3126/bns.v26i1.61444.

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Abstract:
प्रस्तुत अध्ययन नेपाली भाषा शिक्षणमा कक्षा अन्तरक्रियाको प्रयोगमा आधारित छ । अध्ययनमा माध्यमिक तहमा नेपाली विषयको शिक्षणमा प्रयोग गरिएका अन्तरक्रियाका ढाँचा तथा प्रवृत्तिहरूको पहिचान गरी तिनको उपयुक्तताको विश्लेषण गर्ने उद्देश्य राखिएको छ । कक्षा अवलोकन र गहन अन्तर्वार्ताको माध्यमबाट सङ्कलित तथ्याङ्कलाई फ्लेन्डरको कक्षा अन्तरक्रिया विश्लेषण श्रेणी पद्धति र भिगोत्स्कीको सामाजिक सांस्कृतिक सिद्धान्तका आधारमा विश्लेषण गरिएको छ । प्रस्तुत अध्ययनमा गुणात्मक निष्कर्षका लागि आंशिक रूपमा तथ्याङ्कशास्त्रीय आँकडाहरू पनि प्रयोग भएका छन् । तथ्याङ्कको विश्लेषण गर्दा नेपाली भाषा सिकाइका क्रममा विभिन्न ढाँचा
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दुबे, अभिषेक, та नीता सिंह. "सतत और व्यापक मूल्यांकनः एक बुनियादी समझ". SCHOLARLY RESEARCH JOURNAL FOR HUMANITY SCIENCE AND ENGLISH LANGUAGE 9, № 47 (2021): 11578–82. http://dx.doi.org/10.21922/srjhsel.v9i47.7700.

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Abstract:
शिक्षा बच्चों के सर्वांगीण विकास का आधार होने के कारण प्रारम्भिक स्तर पर एक सार्वभौमिक आवश्यकता है। हमारे राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में शिक्षा का लक्ष्य बच्चों के लिये ऐसी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करना है, जिससे बच्चों में प्रजातांत्रिक मूल्यांे व व्यवहारों के प्रति कटिबद्धता, सामाजिक, आर्थिक, लैंगिक व अन्य आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशीलता तथा सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक प्रक्रियाओं में भाग लेने की क्षमता उत्पन्न हो। ‘‘निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009’’ ने शिक्षा को एक ऐसी सतत गतिशील प्रक्रिया के रूप में देखा है, जो बच्चों को गरिमामय जिन्दगी उपलब्ध कराती है और जहाँ बच्च
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मिश्रा, अपर्णा, та सुनील कुमार जोशी. "सामाजिक कौशल परीक्षण का निर्माण". Gurukul International Multidisciplinary Research Journal, 30 вересня 2024. http://dx.doi.org/10.69758/gimrj/2409iii07v12p0012.

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Abstract:
यह शोध पत्र प्राथमिक कक्षा के विद्यार्थियों के लिए सामाजिक कौशल मापनी के निर्माण और उसके मूल्यांकन पर आधारित है। सामाजिक कौशल, जैसे देखभाल, सहभाजन, तदनुभूति, आत्म-संयम, और सामाजिक व्यवहार, जीवन में सफलता और समाज के साथ समायोजन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इस शोध का उद्देश्य प्राथमिक कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए एक उपयुक्त सामाजिक कौशल परीक्षण का विकास करना था। इसके लिए 42 पदों की एक मापनी का निर्माण किया गया, जो 5 प्रमुख सामाजिक व्यवहार घटकों को मापती है। इस मापनी को 185 विद्यार्थियों पर प्रशासित किया गया और परिणामस्वरूप यह पाया गया कि परीक्षण विश्वसनीय और वैध है। यह उपकरण प्राथमिक कक्षा क
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खनाल Khanal, राजेन्द्र Rajendra. "शिक्षार्थीको सक्षमता विकास र पृष्ठपोषणमा आन्तरिक मूल्यांकनको भूमिका{The Role of Internal Assessment in Developing and Nurturing Learner Competencies}". Mangal Research Journal, 31 грудня 2020, 84–95. http://dx.doi.org/10.3126/mrj.v1i01.52099.

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Abstract:
यस लेखमा त्रिभुवन विश्वविद्यालय शिक्षाशास्त्र, स्नातकोत्तर तहको सेमेस्टर प्रणालीको आन्तरिक मूल्याङ्कनको विश्वसनीयता तथा वैधताप्रति सरोकारवालाको दृष्टिकोणलाई प्रस्तुत गरिएको छ । यसमा क्षेत्रीय सर्वेक्षण विधि उपयोग गरिएको छ भने उद्देश्यमूलक नमुना छनोट प्रक्रिया अपनाइएको छ । शिक्षाशास्त्र सङ्काय स्नातकोत्तर तहमा अध्यापनरत २५ जना शिक्षक तथा उक्त तहमा अध्ययनरत १०० जना विद्यार्थीलाई नमुनाका रूपमा लिई उनीहरूबाट प्राप्त अभिमतको विश्लेषण गरिएको छ । यस अध्ययनबाट विद्यार्थीहरूमा शैक्षणिक सक्षमता विकासमा आन्तरिक मूल्याङ्कनको उच्च महत्वो रहेको निचोड प्राप्त भएको छ । उक्त कथनमा शिक्षकको ८४ प्रतिशत र शिक्षार
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Kamlesh, Verma. "पेरियार: ब्राह्मणवाद की नींव हिला देने वाले शख्सियत". Ambedkar in India, February, 2018 (1 лютого 2018). https://doi.org/10.5281/zenodo.7011258.

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Abstract:
यह प्रमोद रंजन द्वारा संपादित किताब &#39;पेरियार के प्रतिनिधि विचार&#39; की समीक्षा है। समीक्षा में कहा गया है कि&nbsp;एक ऐसी किताबों की जरूरत महसूस की जा रही है, जो रामासामी नायकर &lsquo;पेरियार&rsquo; के मूल विचारों से हिंदी समाज को परिचित कराए। इस दिशा में एक महत्वपूर्ण किताब, &lsquo;पेरियार के प्रतिनिधि विचार&rsquo; के रूप में सामने आई है। पुस्तक का संपादन प्रमोद रंजन ने किया है। बहुजन वैचारिकी से जुड़े &lsquo;द मार्जिनलाइज्ड प्रकाशन&rsquo; ने इसका प्रकाशन किया है। इस किताब में पेरियार के प्रतिनिधि लेखों को भी संकलित किया गया है। संकलन करते समय यह ध्यान में रखा गया है कि विविध विषयों पर उन
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सिंह गुरुपंच, कुबेर. "ग्रामीण कृषि जैव विविधता पर्यावरण पर्यटन और सतत संसाधन प्रबंधन विकास की सामाजिक आर्थिक चुनौतियाँ और संभावनाए". International Journal of Advances in Social Sciences, 27 грудня 2024, 233–38. https://doi.org/10.52711/2454-2679.2024.00038.

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Abstract:
वर्तमान अध्ययन का उद्देश्य ग्रामीण कृषि, जैव विविधता, पर्यावरण, पर्यटन और टिकाऊ संसाधन प्रबंधन विकास की सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों और संभावनाओं का विश्लेषण करना है। यह द्वितीयक आंकड़ों पर आधारित है। ऊर्जा की आंतरिक कमी, पर्यावरण की अनिश्चित प्रकृति और दुनिया के कई क्षेत्रों में बढ़ती मानवजनित और पशु आबादी के बढ़ते तनाव के कारण प्राकृतिक संसाधनों का कुशल उपयोग प्राप्त करना डेवलपर्स, प्रशासकों और नीति-निर्माताओं के लिए एक चिंता का विषय है। प्राकृतिक संसाधन किसी भी आर्थिक विकास की आधारशिला प्रतीत होते हैं। परिसंपत्तियों और पर्यावरणीय समस्याओं के संबंध में चिंताएं और चिंताएं अंतर-क्षेत्रीय हैं, लेकिन क
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-, ब्रिज मोहन सिंह, та सुमन कुमारी -. "माध्यमिक शिक्षा में मूल्यांकन पद्धतियों का छात्रों के शिक्षा पर प्रभाव: एक तुलनात्मक अध्ययन". International Journal For Multidisciplinary Research 6, № 1 (2024). http://dx.doi.org/10.36948/ijfmr.2024.v06i01.14023.

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Abstract:
संक्षेप यह शोध पत्र उन विभिन्न मूल्यांकन विधियों के प्रभाव का अध्ययन करता है जो उच्चतर शिक्षा सेटिंग में छात्रों के शिक्षा पर पड़ते हैं। तुलनात्मक विश्लेषण के एक उपाय के माध्यम से, अध्ययन विभिन्न मूल्यांकन तकनीकों के प्रभावकारिता का मूल्यांकन करता है, जिनमें पारंपरिक परीक्षाएँ, प्रदर्शन-आधारित मूल्यांकन, पोर्टफोलियो, और प्रोजेक्ट-आधारित मूल्यांकन शामिल हैं। इसका उद्देश्य प्रत्येक विधि के साथ हाई स्कूल शिक्षा संदर्भ में, उनकी मजबूतियों, कमजोरियों, और उपयुक्तता की पहचान करना है, जबकि छात्रों के संगठन, प्रेरणा, और शैक्षिक उत्कृष्टता पर उनका प्रभाव भी देखा जाता है। यह शोध एक व्यापक साहित्य समीक्षा
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उपाध्याय Upadhyaya, धनकृष्ण Dhankrishna. "कर्णाली प्रदेशका चाडपर्व, संस्कृति र भाषाका शाब्दिक विशेषता {Literal features of festivals, culture and language of Karnali Province}". Journal of Tikapur Multiple Campus, 14 липня 2022, 201–15. http://dx.doi.org/10.3126/jotmc.v5i1.46651.

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Abstract:
नेपाली भाषाको उद्गमस्थल कर्णाली प्रदेश चाडपर्व, संस्कार र नेपाली भाषामा छुट्टै र मौलिक विशेषता रहेका छन् ।कर्णाली प्रदेशमा सामाजिक भाषिकाको अत्यधिक प्रभाव रहेको देखिन्छ । यहाँ नातासम्बन्धी र जातिगत आधारमा प्रयोगगरिने पद पदावलीको स्थानीय प्रयोगअनुसार स्तरीय नेपालीभन्दा भिन्न स्वरूपका देखिन्छन् । साथै अभिवादनात्मक शब्दर शब्दावलीको प्रयोग र विविधतासम्बन्धी पाटो छुट्टै रहेको पाइन्छ । कर्णाली संस्कृति र पर्वमा विशिष्ट शब्दहरू प्रयोगगरिन्छन् । यी विविध चाडपर्वले हिन्दु परम्परामा अपनाइने मान्यताभन्दा आप्mनै खाले मौलिकताको छुट्टै पाटो रहेको छ ।यिनै विविध पक्षमा विहङ्गम दृष्टिले अध्ययन तथा अनुसन्धान गर
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कुमार, मुरारी, та राम कुमार पाठक. "21 वीं सदी में मूल्‍य शिक्षा का तात्‍पर्य, महत्‍व, शिक्षकों की भूमिका, सूझाव एवं चूनौतियों।". ShodhKosh: Journal of Visual and Performing Arts 5, № 1 (2024). https://doi.org/10.29121/shodhkosh.v5.i1.2024.4700.

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Abstract:
मूल्य ज्ञान की वो पूँजी है जिसके आधार पर, भारतीय संस्कृति आधारित है। मूल्य मनुष्य के प्रत्येक चुनाव, निश्चय, निर्णय तथा कार्य में विद्यमान है। यह मानव अस्तित्व के लिए अति. आवश्यक है। यह एक ऐसी आचरण संहिता या सद्‌गुणों का समावेशन है जिसे अपनाकर व्यक्ति अपने व्यक्तित्व का विकास कर समाज में प्रभावशाली तथा विश्वसनीय बनकर उभरता है। मूल्य में मानव की धारणाएँ, विचार, विश्वास, मनोवृत्ति एवं आस्था आदि निहित होते है। मूल्यवान एवं मूल्यहीन होना ही प्रत्येक वस्तु की उपयोगिता एवं उपयोगहीनता को सिद्ध करता है। मूल्य के महत्व को प्रत्येक अवस्था में स्वीकार किया जाता है। मानव एक सामाजिक प्राणी है उसके मूल्य उन
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