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Journal articles on the topic 'वास्तुकला'

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नारायण, अवध. "प्रारंभिक भारतीय वास्तुकला और उसकी विशेषताएँ". International Journal of Social Science and Education Research 6, № 2 (2024): 467–73. https://doi.org/10.33545/26649845.2024.v6.i2f.265.

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रामेश्वरी, कुमारी 1. परमेश्वरी 2. "जोधपुर और आसपास के क्षेत्रों में कला, संस्कृति और इतिहास का संगम". International Educational Applied Research Journal 09, № 05 (2025): 35–56. https://doi.org/10.5281/zenodo.15390151.

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Abstract:
यह समीक्षा पत्र जोधपुर, राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और कला परंपराओं की व्यापक चर्चा करता है। जोधपुर, जिसे ‘ब्लू सिटी’ के नाम से भी जाना जाता है, राजस्थान का एक प्रमुख ऐतिहासिक और सांस्कृतिक केंद्र है। इस शहर का इतिहास और वास्तुकला राजपूतों के गौरव और उनकी कला के अद्वितीय योगदान से भरा हुआ है। जोधपुर के शाही किलों, महलों, और हावेलियों की वास्तुकला ने न केवल राज्य की ऐतिहासिकता को परिभाषित किया है, बल्कि यह भारतीय और मुग़ल वास्तुकला के संगम का प्रतीक भी है। मेहरानगढ़ किला, उम्मेद भवन पैलेस, और जसवंत थड़ा जैसे स्थापत्य उदाहरण जोधपुर के ऐतिहासिक महत्व को दर्शाते हैं। पत्र में ज
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सुप्रिया, सृष्टि. "बिहार में पर्यटन क्षेत्र में भविष्य का विकल्प – इस्कॉन (ISKCON)". Journal of Research and Development 14, № 23 (2022): 51–55. https://doi.org/10.5281/zenodo.7546456.

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Abstract:
<strong>सारांश</strong><strong>:-</strong>प्रस्तुत शोध आलेख में पर्यटन की महत्वता को समझते हुए बिहार में पर्यटक के लिए नए अवसरों की खोज का अध्ययन किया गया है साथ ही बिहार में धार्मिक स्थल की वास्तुकला को परिभाषित करने का एक प्रयास किया गया है । बिहार हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म, सिख धर्म और इस्लाम जैसे विभिन्न धर्मों के सबसे पवित्र स्थानों में से एक है। कई पर्यटक अपनी तीर्थ यात्रा करने के लिए बिहार की यात्रा करते है। दरभंगा जैसे छोटे जिले मैं पर्याप्त समृद्धि होने के बावजूद भी राष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन के क्षेत्र में इसे अनदेखा किया जाता आ रहा है, यहां उचित अवसर प्राप्त नहीं है। इसका प्रमु
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सुप्रिया, सृष्टि, та प्रसाद सिंह रघुबर. "बिहार में पर्यटन क्षेत्र में भविष्य का विकल्प – इस्कॉन (ISKCON)". Journal of Research and Development 14, № 23 (2022): 51–55. https://doi.org/10.5281/zenodo.7546469.

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Abstract:
<strong>सारांश</strong><strong>:-</strong>प्रस्तुत शोध आलेख में पर्यटन की महत्वता को समझते हुए बिहार में पर्यटक के लिए नए अवसरों की खोज का अध्ययन किया गया है साथ ही बिहार में धार्मिक स्थल की वास्तुकला को परिभाषित करने का एक प्रयास किया गया है । बिहार हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म, सिख धर्म और इस्लाम जैसे विभिन्न धर्मों के सबसे पवित्र स्थानों में से एक है। कई पर्यटक अपनी तीर्थ यात्रा करने के लिए बिहार की यात्रा करते है। दरभंगा जैसे छोटे जिले मैं पर्याप्त समृद्धि होने के बावजूद भी राष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन के क्षेत्र में इसे अनदेखा किया जाता आ रहा है, यहां उचित अवसर प्राप्त नहीं है। इसका प्रमु
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परमेश्वरी та कुमारी रामेश्वरी. "राजस्थान की ऐतिहासिक धरोहर: जोधपुर और उसके आसपास के क्षेत्रों की सांस्कृतिक यात्रा". International Educational Scientific Research Journal 11, № 5 (2025): 53–57. https://doi.org/10.5281/zenodo.15388880.

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Abstract:
<strong>इस शोध का उद्देश्य राजस्थान की ऐतिहासिक धरोहर, विशेष रूप से जोधपुर और उसके आसपास के क्षेत्रों की सांस्कृतिक यात्रा पर आधारित महत्वपूर्ण पहलुओं का विश्लेषण करना है। जोधपुर, जो "सूर्य नगरी" और "नीली नगरी" के नाम से प्रसिद्ध है, अपनी वास्तुकला, किलों, महलों, मंदिरों और सांस्कृतिक धरोहर के कारण एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल बन चुका है। इस शहर का ऐतिहासिक महत्व राव जोधा द्वारा 1459 में स्थापित किए गए मेहरानगढ़ किले से जुड़ा हुआ है, जो जोधपुर का प्रमुख आकर्षण है।</strong> <strong>राजस्थान की वास्तुकला में राजपूत और मुग़ल शैलियों का अद्भुत संगम देखने को मिलता है, जिसे जोधपुर के प्रमुख स्थलों जैसे
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Kakkar, Shruti. "NATURE OF AESTHETIC CLASSICAL THINKING IN SECULAR SANSKRIT LITERATURE." International Journal of Research -GRANTHAALAYAH 7, no. 11 (2019): 268–73. http://dx.doi.org/10.29121/granthaalayah.v7.i11.2019.3751.

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Abstract:
English: The Ramayana and the Mahabharata are considered epics, which are two representative texts of the advanced tradition of Indian literature. Their study gives the knowledge of the state of art prevailing at that time. By the time of "Ramayana" and "Mahabharata", there had been substantial development of painting, sculpture and architecture.&#x0D; Hindi: रामायण और महाभारत को महाकाव्य माना जाता है जो भारतीय साहित्य की उन्नत परम्परा के दो प्रतिनिधि ग्रन्थ हैं। इनके अध्ययन से उस समय प्रचलित कला की स्थिति का ज्ञान होता है। ''रामायण'' और ''महाभारत'' काल तक चित्रकला, मूर्तिकला व वास्तुकला का पर
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Bhusal, Bhishm Kumar. "समाजशास्त्रीय आलोकमा मूर्त सम्पदाहरू". Samaj Anweshan समाज अन्वेषण 3, № 1 (2025): 104–12. https://doi.org/10.3126/anweshan.v3i1.81968.

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Abstract:
पुरातत्त्व, जीवाश्म विज्ञान, ऐतिहासिकता, वास्तुकला, धार्मिक, सौन्दर्य अथवा अन्य सांस्कृतिक महत्त्व भएका भौतिक वस्तु, कलाकृति तथा पुरातात्त्विक स्थानहरूलाई मूर्त सम्पदा भनिन्छ जसमा स्मारक, भवनहरू र स्थलहरू पर्छन् । यस्ता सम्पदाहरूले समुदायको पहिचान, इतिहास, सांस्कृतिक मूल्य तथा विरासत बोकेका हुन्छन्, जसलाई समुदायले अपनत्वका साथ आÇनो गौरवका रूपले लिएको हुन्छ । अमूर्त सम्पदाहरूको समाजशास्त्रीय अध्ययन गर्दा नृवंशविज्ञानको अध्ययन, ऐतिहासिक शोध, मौखिक इतिहास, सादृश्य र अन्तर्विषयक दृष्टिकोण लगायतका दृष्टकोणबाट अध्ययन गर्न सकिन्छ । यस दृष्टिकोणबाट हेर्दा सम्पदाहरूसँग कसरी समाज जोडिएको हुन्छ र समाजले
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डाॅं., अर्चना षर्मा. "वैष्वीकरण का चित्रकला पर प्रभाव". International Journal of Research - GRANTHAALAYAH Composition of Colours, December,2014 (2017): 1–2. https://doi.org/10.5281/zenodo.890555.

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Abstract:
किसी भी देष के विकास में कला का महत्वपुर्ण या ेगदान होता ह ै। कला को सा ेन्दर्य अथवा समृद्वि को साकार करने का माध्यम माना गया ह ै। वास्तुकला, मूर्ति कला, चित्रकला तथा संगीत का े ललित कला के अन्तर्गत माना गया ह ै। चित्रकला हो या कविता दोना े ही मनुष्य की आंतरिक भावनाओं को व्यक्त करने का एक माध्यम ह ै। चित्रकला में आज ऐसा संभव ह ै कि रंग का अर्थ न निकले फिर भी वह सीधे मन तक पहुॅच कर रसानुभूति करा सकता ह ै। कला का े सत्य की अनुभूति की अनुक्रति कहा गया ह ै। चित्रा े में रूपो के संया ेजन से नेत्रा े का े तृप्ति मिलती ह ै। आ ंखो के माध्यम से दर्ष क के मन में विभिन्न भावो से रसा ेदे्रक होता ह ै।
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श्रुति, कक्कर. "लौकिक संस्कृत साहित्य में सौन्दर्य शास्त्रीय चिन्तन का स्वरूप". International Journal of Research - Granthaalayah 7, № 11(SE) (2019): 268–73. https://doi.org/10.5281/zenodo.3592644.

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Abstract:
रामायण में कला के लिए &#39;&#39;शिल्प&#39;&#39; शब्द का प्रयोग हुआ है तथा उसका अर्थ ललित कलाओं से लिया गया है। इस समय कला को अत्यन्त पवित्र स्थान प्राप्त था वह केवल मनोरंजन के साधन के रूप में प्रयुक्त नहीं होती थी। बालकाण्ड के छठे सर्ग में वाल्मिकी ने अयोध्या के नागरिकों का जो वर्णन किया है उससे पता चल जाता है कि वह कितने सुसंस्कृत, कलाभिज्ञ, सौन्दर्यप्रिय एवं सहृदय नर-नारी थे।उस समय के इस कला प्रवण सौन्दर्य-प्रिय समाज के प्रभाव से राम भी अछूते नहीं रह गये थे क्योंकि एक प्रसंग में महामुनि ने राम को वैहारिकाणां शिल्पानां ज्ञाता कहा है अर्थात्&zwnj; राम को मनोरंजन के प्रयोग में आने वाली संगीत, व
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दाहाल Dahal, कमला Kamala. "कर्णाली प्रदेशको मध्यकालीन खसराज्य र विद्याको अवस्था Karnali Pradeshko Madhyakalin Khasrajya ra Biddhyako Awastha". Tribhuvan University Journal 29, № 1 (2016): 249–58. http://dx.doi.org/10.3126/tuj.v29i1.25993.

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Abstract:
कर्णाली प्रदेशमा खस मल्लहरूले तीनसय वर्षजतिको समय शासन गर्दा सो क्षेत्रले नेपालको इतिहासमा महत्वपूर्ण स्थान हासिल गरेको थियो । त्यस युगमा उक्तक्षेत्रमा कला, वास्तुकला, भाषा साहित्य तथा धर्म संस्कृति एवं राजनीतिका क्षेत्रमा महत्वपूर्ण उपलब्धिहरू पनि हासिल भएका थिए । भोटको पश्चिमी प्रदेश गुँगेदेखि लिएर कुमाउँ गढवालका साथै तत्कालीन काठमाडौँ उपत्यका जस्तो शक्तिशाली राज्यसँग समेत टक्कर लिएर बसेको यस राज्यले विविध क्षेत्रमा निकै उन्नति गरेको थियो । कर्णाली प्रदेशमा सो समयमा विद्याको उन्नति पनि निकै नै भएको थियो । सो क्षेत्रका शासकहरू आफै शिक्षित थिए । राजाहरूले समेत केही पुस्तकहरू तयार पारेका थिए ।
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Sharma, Krishna Kant, and Aanchal. "Historical survey of main temples of Garhmukteshwar tehsil." RESEARCH REVIEW International Journal of Multidisciplinary 7, no. 5 (2022): 162–75. http://dx.doi.org/10.31305/rrijm.2022.v07.i05.024.

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Abstract:
Garhmukteshwar is a very ancient city and tehsil located in Hapur district of Uttar Pradesh state of India. It is said that this place was a part of the ancient city Hastinapur, the capital of the Kauravas. Due to its proximity to Delhi, Garhmukteshwar has always been a victim of invaders, due to which the ancient temples located here were destroyed and the architecture of those that remain is influenced by Mughal architecture. For centuries, religion has had a prominent place in the life of the people of India. There has been nothing like religion and for the sake of religious rituals, it was
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वज्राचार्य Bajracharya, वज्रमुनि Bajramuni. "नेवाः संस्कारमा चित्रकलाको प्रयोग". DMC Journal 7, № 6 (2022): 75–84. http://dx.doi.org/10.3126/dmcj.v7i6.57692.

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Abstract:
नेपालमण्डलका बासिन्दा नेवारहरुले जीवनलाई आलंकारिक बनाउन जीवनमा अपनाउँदै आइरहेको हरेक संस्कृति र संस्कारका कर्महरुमा मूर्तिकला, वास्तुकला, संगितकला, चित्रकलाको प्रयोग भइरहेको छ। चित्रकला सौन्दर्यको प्रतीक मात्र नभै मानवको अन्तरहृदयको भाव पोख्ने माध्यम पनि हो । त्यसैले कलाको माध्यमबाट मानव सभ्यताको पहिचान हुन्छ । कलाको माध्यमबाट संस्कृतिको जन्म हुन्छ । संस्कृतिले कलालाई जीवन्त बनाउँछ । कला र संस्कृति शरीर र प्राण जस्तै अन्योन्याश्रित सम्बन्ध छ । संस्कृतिको विस्तृत रुप संस्कार हो । यस लेखमा नेवारहरुले जन्मदेखि मृत्युसम्मका संस्कार कर्महरुमा के कस्ता चित्रहरु प्रयोग गरेका छन् ? ती चित्रहरु किन कुन
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कायस्थ Kayastha, बलराम Balaram. "शमसुद्दिनको आक्रमण र नेपालको कला संस्कृतिमा परेको प्रभाव". HISAN: Journal of History Association of Nepal 9, № 1 (2023): 97–102. http://dx.doi.org/10.3126/hisan.v9i1.64108.

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Abstract:
प्राचीनकालदेखि नै नेपाल उपत्यका आर्थिक रुपमा सम्पन्न थियो । आर्थिक सम्पन्नताकै पृष्ठभूमिमा यहाँ अनेक आश्चर्यलाग्दा कला, संस्कृतिको विकास भए । थोरै श्रम गरेर धेरै उत्पादन हुने भएकाले यहाँका बासिन्दालाई खान लाउनको कुनै चिन्ता थिएन । फुर्सदका समयमा यिनले एकातिर विविध किसिमका चाडपर्व, जात्राउत्सवहरू, भोजभतेर, नाचगान आदिद्वारा रमाइलो गर्न जाने भने अर्कोतिर शिल्पका हरेक विधा (धातुकला, काष्ठकला, प्रस्तरमूर्तिकला, चित्रकला, मृण्मयकला, वास्तुकला आदि) मा सिद्धहस्त कलाकारिताको ज्ञान पनि हासिल गर्न सफल भए । धार्मिक पृष्ठभूमिमा आधारित यी मौलिक कला संस्कृति सम्पदा सारा संसारका लागि बेजोड र अनुपम थिए/अझै छ ।
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ज्योति. "मुगल सम्राट शाहजहाँ के काल में कला और स्थापत्य कला का स्वरूप". RECENT RESEARCHES IN SOCIAL SCIENCES & HUMANITIES 11, № 4 (2024): 76–78. https://doi.org/10.5281/zenodo.14840942.

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Abstract:
मानव ने इन चट्टानों, गुफाओं व कन्दराओं में कला निर्मिति की जिनके अवशेष आज भी मानव के इतिहास में सुरक्षित हैपरन्तु समय के साथ मानव का विकास हुआ सभ्यता आगे बढ़ती गयी और त्यों-त्यों कला का रूप भी निखरता चला गया।धीरे-धीरे सामान्यजनों के निवास स्थानों से उठकर इसका विस्तार अनेक रूपों में होने लगा इसलिए यह कलाओं में विशेषस्थान रखती है। भारत के स्थापत्य कला में एक नया दौर 1526 से शुरू हुआ। उसने एक हिन्दू-मुस्लिम मिश्रित शैली केरूप में विकास पाया जिसमें भारतीय वास्तु के तत्व पूर्णतया घुल-मिल गये थे। जिसमें भारतीय व ईरानी शैलियों कासमन्वय हुआ और जिसे मुगल काल के नाम से जाना गया। शाहजहाँ का काल मुगल स्था
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Kumhar, Hira Lal. "नाट्य कला में दृश्य कला का योगदान". ShodhKosh: Journal of Visual and Performing Arts 5, ICETDA24 (2024): 410–14. http://dx.doi.org/10.29121/shodhkosh.v5.iicetda24.2024.1497.

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Abstract:
तकनीक के पूर्ण ज्ञान और निरन्तर अभ्यास के बिना कला में कुशलता प्राप्त नही की जा सकती। इसलिए कला को ज्ञान भी माना जाता है। कला के द्वारा भावों या विचारों का सम्प्रेषण किया जाता है अतः कला प्रकार की भाषा अथवा अभिव्यक्ति है। जिस प्रकार भाषा के द्वारा हम अपने विचारों अभिव्यक्ति करते और दूसरों तक पहुँचाते हैं उसी भाँति कलाकृतियों के द्वारा भी सम्प्रेषित करते हैं कला एक प्रकार भावपूर्ण भाषा है, जो किसी विशेष मानसिक स्थिति को जगाने में सहायक होती है। जिस प्रकार मूर्तिकला, चित्रकला, वास्तुकला, संगीत या नाटक कला आदि के अपने-अपने अलग साधन है। जिन्हें ‘माध्यम‘ कहते हैं।1 नाटक कला हमारे देश में अत्त्यंत प
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Sharma, Archana. "IMPACT OF GLOBALIZATION ON PAINTING." International Journal of Research -GRANTHAALAYAH 2, no. 3SE (2014): 1–2. http://dx.doi.org/10.29121/granthaalayah.v2.i3se.2014.3642.

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Abstract:
Art plays an important role in the development of any country. Art is considered a medium for realizing beauty or prosperity. Architecture, sculpture, painting and music have been considered under fine arts. Both painting or poetry is a means of expressing the inner feelings of man. Today in painting, it is possible that even if color does not make sense, it can reach the mind directly and make you feel happy. Art is said to be a response to the realization of truth. By combining Rupo in pictures, the eyes get satiety. Through the eyes, there is a cook in different minds in the mind of the aud
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Rani, Archana. "UNIQUE CAVES OF THE JAIN TRADITION: UDAYAGIRI AND KHANDAGIRI." ShodhKosh: Journal of Visual and Performing Arts 1, no. 1 (2020): 1–7. http://dx.doi.org/10.29121/shodhkosh.v1.i1.2020.3.

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Abstract:
English: Udayagiri and Khandagiri caves are located near Bhubaneswar in Odisha, Madhya Pradesh. These two caves are located on two hills about two hundred meters in front of each other. His ancient name was Kumaragiri. Here, the Jain monks who came out for nirvana used to come and do penance. Some of the caves here are natural and some are human built. Inscriptions, engraved statues, etc. in the caves indicate that it was the main pilgrimage center of Jainism in ancient times. There are eighteen caves in Udayagiri and fifteen in Khandagiri, with beautiful carvings of architecture including ani
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रिजाल Rijal, रवीन्द्र Rabindra. "लिच्छविकालिन विद्वत परम्परा". HISAN: Journal of History Association of Nepal 10, № 1 (2024): 198–207. https://doi.org/10.3126/hisan.v10i1.74925.

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Abstract:
विद्वानहरूले आपूसित भएको विद्वत् भाव वा विशेष ज्ञानलाई प्रदर्शन गर्ने रीतिलाई विद्वत् परम्परा भनिन्छ । लिच्छविकालिन सौन्दर्यताले विद्वत् परम्परा बुझ्न र वर्तमानलाई अभ्यस्त गराउन गुण धर्मको काम गर्दछ । सत्य प्राप्त गर्नु ज्ञानको मूल ध्येय हो । ज्ञान प्रशारण, समाजिक सेवा, मानवकल्याण, गुठी व्यवस्था, कर प्रणाली , इश्वरीय शक्ति, स्वशासन, तहगत राज्य संरचना, नारी स्वतन्त्रता आदि लिच्छविकालिन समाजको प्रमुख दार्शनिक एवं सैद्धान्तिक पक्ष हुन् । लिच्छविकालिन विद्वत् परम्परा यिनै दर्शन र सिद्धान्त वरपर घुमेको छ । लिच्छविकालिन समाजको संरचनात्मक रुप अर्थात तत्कालीन समाजले सृजना गरेको सामाजिक मान्यता, चलित म
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Rao, Vibha. "Contribution of Science in Gupta dynasty." RESEARCH REVIEW International Journal of Multidisciplinary 6, no. 11 (2021): 55–58. http://dx.doi.org/10.31305/rrijm.2021.v06.i11.009.

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Abstract:
The Gupta dynasty is considered the climax period of science and technology in ancient Indian history. During this period, there was unprecedented progress in various branches of science (physics, chemistry, medicine and biology and metallurgy etc.), which are proving useful in modern society as well. The Gupta dynasty has also made an important contribution in mathematics, astrology, in the field of astronomy, metallurgy and technology, the Gupta dynasty is maintaining its own identity. The invention of zero, the value of pi, the use of metal in medicine and surgery are the unforgettable gift
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Saraswat, Ritu, and Kaushalya Arora. "A sociological study of the working conditions of marble workers (with reference to Kishangarh area of Ajmer district)." RESEARCH REVIEW International Journal of Multidisciplinary 7, no. 11 (2022): 62–73. http://dx.doi.org/10.31305/rrijm.2022.v07.i11.011.

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Abstract:
Looking at the Taj Mahal among the seven wonders of the world, we find that Rajasthan is the main area of production of the white marble from which the Taj Mahal is made. Kishangarh area of Ajmer district in Rajasthan which is famous all over the world. Here, when the chisels of the craftsmen fall on the marble, then the beauty contained in the stone appears with all its splendor. Marble is in high demand not only in the country but also in foreign countries. Despite the absence of marble mines in the Kishangarh region, the work of cutting polishing here also encourages architecture, architect
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प्रा., संपत ब्रम्हांडे. "पुणे जिल्ह्यातील आदिवासी कातकरी समाज व संस्कृती". International Journal of Advance and Applied Research 3, № 5 (2022): 189–92. https://doi.org/10.5281/zenodo.7402865.

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Abstract:
कातकरी हे सह्याद्रीच्या दर्याखोर्यात &nbsp;राहणारे आदिवासी लोक आहेत. कातकरी या शब्दावरून लक्षात येते की पूर्वी खैराच्या झाडापासून कात करण्याच्या व्यवसायात गुंतलेले होते म्हणून त्यांना कातकरी म्हणतात त्यांना कातोडी, काथोडी किंवा कातवडी असेही संबोधले जाते.हे शब्दही त्यांच्या कात बनवण्याच्या उद्योगावरून आलेले आहेत. ब्रिटिषांच्या राज्यात जंगले सरकारी मालकीची झाल्यापासून हा व्यवसाय हळूहळू कमी झाला आणि कातकऱ्यांचे त्यातून उच्चाटन झाले.त्यानंतर बरीच वर्षे ते जंगली झाडांपासून कोळसा बनवण्याच्या व्यवसायात गुंतलेले होते. 1985 नंतर या व्यवसायावरही बंदी आली.सध्या वीटभटटी हे त्यांच्या उपजिविकेचे मुख्य साधन
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श्री., पाटील किरण सुर्यकांत. "भारतातील काही ऐतिहासिक वास्तूंचे महत्व व त्यांच्या संवर्धनाचे उपाय". International Journal of Advance and Applied Research 3, № 9 (2022): 17–18. https://doi.org/10.5281/zenodo.7500402.

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Abstract:
&lsquo;History can be defined as the study of the whole series of past events connected with a particular person or thing.&rsquo; अशा गतानुभवांचे पुन्नरज्जीवन म्हणजे इतिहास होय. भारत हा विविधतेने नटलेला देश आहे. भारताची खरी ओळख ही भारताच्या सुवर्ण इतिहासाने होते. भारताचा इतिहास हा भारतातील विविध वास्तुचा परिचय करून देतात. &nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp; &ldquo;ठायीं ठायीं पांडवलेणी सह्याद्री पोटीं किल्ले सत्तावीस बांधिले सह्याद्रीपाठीं ॥ तोरणगडचां प्रतापगढ्या पन्हाळगडचाही लढवय्या झुंजार डोंगरी तुंच सख्या तूच सख्या पाही । सिंधुदुर्ग हा विजयदुर्ग हा ही अंजनवेल
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डॉ., मीनाक्षी राणा. "लोक कलाओं के संदर्भ में उत्तराखंड के मुखौटा नृत्य". Siddhanta's International Journal of Advanced Research in Arts & Humanities 2, № 5 (2025): 51–61. https://doi.org/10.5281/zenodo.15493967.

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Abstract:
&lsquo;उत्तराखंड&rsquo; &lsquo;देवभूमि&rsquo; के नाम से प्रसिद्ध है, जिसका अर्थ है &lsquo;देवताओं की भूमि&rsquo;। हिमालय क्षेत्र की वह भूमि जहां देवताओं ने निवास किया, ऋषि-मुनियों ने तप किया, देव नदी गंगा का इस भूमि में अवतरण हुआ, शुद्ध व शांत प्रकृति जो पग-पग में अपना सौन्दर्य बिखेरे दिखाई देती है, &nbsp;अटल समाधिस्थ पर्वत जो विश्व शांति एवं विश्व कल्याण हेतु तपरत प्रतीत होते &nbsp;हैं। &nbsp;स्वाभाविक ही है कि उस भूमि के निवासी भी प्रकृति सदृश &nbsp;सरल व शांत चित्त होंगे। यह स्वाभाविक सी बात&nbsp; है कि किसी शांत, निर्जन &nbsp;क्षेत्र में व्यक्ति जब अपने निकट किसी अन्य को अपनी व्यथा-कथा&nbs
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आचार्य Acharya, महेश कुमार Mahesh Kumar. "कीर्तिपुर शहरको किल्ला एवं ढोकाहरू: उत्पत्ति, इतिहास र संस्कृति {Fort and Gates Of Kirtipur City: Origin, History and Culture}". Nepalese Culture 15, № 1 (2022): 67–86. http://dx.doi.org/10.3126/nc.v15i1.48543.

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Abstract:
पर्खालले घेरिएकाे मानव बस्ती किल्ला हाे र यस्ता किल्लाभित्र प्रवेश गर्नका लागि बनाइएका प्रवेशद्वारहरू ढाेका हुन् । तसर्थ कीर्तिपुर मध्यकालीन किल्लाबन्द शहर हाे । नेपालकाे एकीकरणकाे समयमा काठमाडाैं भ्रमण गर्ने एच्.ए. अेाल्डफिल्डले याे शहरका किल्ला र ढाेकाहरूकाे जीर्णताकाे चर्चा गरेका छन् । यी किल्ला र ढाेका सुरूमा सामरिक महत्वका कारणले बनाइएका थिए । तर विस्तारै यी ढाेकासँग कीर्तिपुरवासीका विभिन्न सांस्कृतिक अ।स्था र विश्वासहरू जाेडिंदै गए । मध्यकालीन नेपाल र खासगरी कीर्तिपुरमा विशेष ढाेका संस्कृतिकाे विकास हुन पुग्याे । कीर्तिपुर शहरकाे किल्ला र ढाेकाहरूकाे एैतिहासिकता के हाे? यस किल्लामा कति ढ
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Dixit, Pooja, and Poonam. "Intellectual and Scientific Awareness in the Gupta Era: A Historical Review of the Golden Age." RESEARCH REVIEW International Journal of Multidisciplinary 10, no. 4 (2025): 285–91. https://doi.org/10.31305/rrijm.2025.v10.n4.031.

Full text
Abstract:
The Gupta Empire (circa 320–550 CE) is regarded as the Golden Age of Indian history. This era witnessed not only political and cultural prosperity but also remarkable advancements in intellectual and scientific awareness. During this period, tremendous progress was made in art, literature, mathematics, astronomy, Ayurveda, philosophy, and architecture. Gupta scholars not only preserved classical knowledge but also enriched it with new dimensions. Aryabhata made significant contributions in mathematics and astronomy, including Earth's rotation, the heliocentric solar system concept, trigonometr
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पंच, संगिता. "चण्डीभगवती मन्दिर परिसरका कलाकृतिहरु". Nepalese Culture 17, № 1 (2024): 157–72. http://dx.doi.org/10.3126/nc.v17i1.64419.

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Abstract:
प्रस्तुत लेख भक्तपुर क्वाछें टोलको चण्डीभगवती मन्दिर परिसरका कलाकृतिका बारेमा साँस्कृतिक प्रत्यक्षवाद अवधारणा अनुसार तयार पारिएको हो । यो लेख खोजमूलक रुपमा प्रत्यक्ष स्थलगत अवलोकन गरेर तयार गरिएको छ । भक्तपुरको प्रसिद्ध ङातापोल, भैरवमन्दिर र तिलमाधव नारायण मन्दिरबाट करिब १५० मिटर पूर्व क्वाछेंमा एक तहको तल्ले (प्यागोडा) शैलीको चण्डी भगवती मन्दिर रहेको छ । यो मूर्ति नेपालका प्रख्यात भगवतीका अन्य मूर्तिभन्दा पृथक, दुर्लभ र प्राचिन देखिन्छ । चण्डी भगवतीको हातमा रहेको तिनवटा त्रिशुलहरुले महिषासुर लगायत चण्ड र मुण्डलाई पनि छात्तीमा प्रहार गरेर बध गरेका चित्रण गरिएको छ । यो विशेषता नेपालका अन्य दुर्
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Tripathi, Harish. "Art and Culture in the Maurya Empire – Study of Stupas, Paintings, and Literature." RESEARCH HUB International Multidisciplinary Research Journal 10, no. 3 (2023): 13–19. http://dx.doi.org/10.53573/rhimrj.2023.v10n03.003.

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Abstract:
In this research paper, I have presented the study of art and culture – stupa, painting, and literature in the Mauryan Empire. The Maurya Empire (322 BCE – 185 BCE) was an important dynasty in Indian history. During the time of this empire, art and culture also progressed towards unprecedented progress. The Mauryan Empire made significant contributions in the fields of stupas, painting and literature. Based on ancient Indian literature, the construction of stupas was of particular importance during the time of the Maurya Empire. The Stupa was established as a place of worship and was recognize
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Prajapati, Srijana. "नालाको मध्यकालीन नेवाः बस्ती संरचना". Nepalese Culture 18 (7 травня 2025): 109–21. https://doi.org/10.3126/nc.v18i1.78293.

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Abstract:
नाला बनेपा नगरपालिकाअन्तर्गत पर्ने महत्वपूर्ण ऐतिहासिक एवम् सांस्कृतिक नगरी हो । को ३ र ४ वडाअन्तर्गत पर्दछ । लिच्छविकालमा यसको नाम नालाङ्गग्राम थियो । यहाँ लिच्छवि तथा मध्यकालदेखिका मूर्त तथा अमूर्त सांस्कृतिक सम्पदाहरू मनग्य पाइन्छन् । मल्लकालमा राखिएका अभिलेख यस क्षेत्रमा पाइन्छन् । तापनि परिसरमा रहेका लिच्छविकालीन अभिलेख र थुप्रै उत्तर लिच्छवि र पूर्व मध्यकालीन मूर्तिहरूले यो क्षेत्र प्राचीन हुनसक्ने अनुमान गर्न सकिन्छ । नाला करुणामय अर्थात् सृष्टिकान्तलोकेश्वरको स्थापनाको इतिहास पाइँदैन । तर वि.सं. २०३५ को तस्बिरमा यो परम्परागत मल्लकालीन शैलीको बनावट देखिन्थ्यो । हाल पुनःनिर्माण भइसकेकोले
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Dalip, Kumar. "प्राचीन भारत में विहार". International Journal of Research - Granthaalayah 5, № 7 (2017): 110–15. https://doi.org/10.5281/zenodo.835425.

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Abstract:
बौद्ध भिक्षुओं के निवास स्थान को विहार कहा जाता है विहार के अन्दर एक बड़ा मण्डप होता था, उसमें तीन या चार छोटी कोठरियां खोदी जाती थी, सामने की दीवार में प्रवेश के लिए एक द्वार होता था और उसके सामने स्तम्भों पर आश्रित एक बरामदा रहता था । भीतरी मण्डप की कोठरिया चौकोर होती थी, जिनमें बौद्ध भिक्षु निवास करते थे, एक भिक्षु के लिए कोठरी बनी होती थी,1 दो भिक्षुओं के लिए द्विगर्भ और तीन भिक्षुओं के लिए त्रिगर्भ शालाएं बनाई जाती थी । जहां पर बहुत से भिक्षु निवास करते थे उनको संधाराम कहा जाता था । विहार की कोठरियां छोटे आकार की होती थी । इनका आकार 9ग्9 फूट होता था । इन कोठरियों में एक तरफ भिक्षुओं के सो
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प्रा., डॉ. वाघाये भुवनेश्वरी मिताराम. "हडप्पा संस्कृतीचा आधुनिक भारतावर परिणाम". International Journal of Advance and Applied Research 6, № 14 (2025): 136–40. https://doi.org/10.5281/zenodo.15063374.

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Abstract:
<strong>सारांश &ndash; </strong> हडप्पा संस्कृती भारतीय उपखंडातील पहिली सुव्यवस्थित नागरी संस्कृती मानली जाते, ज्याचा काळ इ. स.पूर्व २८००&nbsp; ते २५००&nbsp; दरम्यान होता. हडप्पा संस्कृतीचा प्रारंभ इ. सन. पूर्व ३५०० पर्यन असू शकतो. सिंधू नदीच्या खोऱ्यात वसलेली हि संस्कृती शहरी रचना, स्थापत्यकला, व्यापार, अर्थव्यवस्था,लेखन&nbsp;&nbsp; प्रणाली,&nbsp; धर्म सामाजिक संरचना,व शेती या क्षेत्रात&nbsp; अंत्यत&nbsp; प्रगत&nbsp; होती.आधुनिक भारतीय समाज,नागरी जीवन,आणि तंत्रज्ञानावर या प्राचीन संस्कृतीचा ठसा उमटलेला दिसून येतो.हडप्पा संस्कृतीतील शहरे अत्यंत नियोजनबद्ध होती. यातील&nbsp; प्रमुख&nbsp; वैशिष्ट
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Bunkar, Suman. "Linguistic and Cultural Study of Jaipur District." RESEARCH HUB International Multidisciplinary Research Journal 12, no. 3 (2025): 103–7. https://doi.org/10.53573/rhimrj.2025.v12n3.014.

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Abstract:
Famous as the Paris of the East and the Pink City, Jaipur holds the honor of being the capital of Rajasthan. Renowned worldwide for its city planning, the quadrilateral-shaped Jaipur was constructed in accordance with the principles described in ancient architectural texts. This city, which preserves a unique historical and cultural heritage, stands as an exceptional example of modernity. Originally named Jaynagar after Maharaja Sawai Jai Singh II, the city of Jaipur was founded by him on 18th November, 1727 AD. The chief architect and city planner of this quadrilateral city was the renowned a
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डॉ.रमाकांत, शिवाजीराव शांतलवार. "पट्टदकल येथील मंदिर वास्तुकला एक अभ्यास". 30 серпня 2022. https://doi.org/10.5281/zenodo.7109655.

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Abstract:
<strong>प्रस्तावाना &ndash;</strong> &nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp; &nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp; दक्षिण भारतात वैभवाच्या शिखरावर असलेल्या चालुक्य् राजांची बदामी ही राजधानी चालुक्यांनी दक्षिण भारतावर इ.स.540 ते इ.स.757 पर्यंत राज्य्र केले. भारतात अनेक ठिकाणी वेगवेगळया रंगाचे व प्रकाराचे खडक आढळतात. दक्षिण भारतात ज्या प्रबळ हिंदु राजसत्ता होऊन गेल्या त्यातलीच एक चालुक्य् राजसत्ता, पुलकेशी पहिला पुलकेशी दुसरा, विजयदित्य् कीर्तीवर्मन असे कर्तबगार राजे या घराण्यात होऊन गेले. त्यांनी मोठया प्रमाणात राज्यविस्तार केलेल्या दिसतो.
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डॉ.रमाकांत, शिवाजीराव शांतलवार. "पट्टदकल येथील मंदिर वास्तुकला एक अभ्यास". 30 серпня 2022. https://doi.org/10.5281/zenodo.7109967.

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Abstract:
<strong>प्रस्तावाना &ndash;</strong> &nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp; &nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp; दक्षिण भारतात वैभवाच्या शिखरावर असलेल्या चालुक्य् राजांची बदामी ही राजधानी चालुक्यांनी दक्षिण भारतावर इ.स.540 ते इ.स.757 पर्यंत राज्य्र केले. भारतात अनेक ठिकाणी वेगवेगळया रंगाचे व प्रकाराचे खडक आढळतात. दक्षिण भारतात ज्या प्रबळ हिंदु राजसत्ता होऊन गेल्या त्यातलीच एक चालुक्य् राजसत्ता, पुलकेशी पहिला पुलकेशी दुसरा, विजयदित्य् कीर्तीवर्मन असे कर्तबगार राजे या घराण्यात होऊन गेले. त्यांनी मोठया प्रमाणात राज्यविस्तार केलेल्या दिसतो.
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पलक, जगदीश व्यास, та संजय परिहार डॉ. "वडोदरा शहर के शाही महल और वास्तुकला". 7 червня 2025. https://doi.org/10.5281/zenodo.14866786.

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Abstract:
<em>वडोदरा</em><em>, जिसे महलों का शहर कहा जाता है, अपने भव्य और ऐतिहासिक महलों के लिए प्रसिद्ध है। इन महलों की स्थापत्य कला और इतिहास पर गहन शोध किया गया है। शहर में लगभग 10 प्रमुख महल मौजूद हैं, जो इन्डो-सारसेनिक, मराठा, मूरीश, स्कॉटिश और यूरोपीय वास्तुकला शैली के अद्वितीय उदाहरण हैं।</em> <em>शहर का सबसे पुराना राजमहल</em><em>, जिसे आज भद्र कचहरी के नाम से जाना जाता है, मुगल शासनकाल के नवाब शेरखान बॉबी का निवास स्थान था। यह महल शेरखान और उनके सलाहकार दला वाघजी पटेल की दोस्ती और बाद की दुश्मनी का साक्षी रहा। मराठाओं के आक्रमण के दौरान, पिलाजीराव और दामजीराव गायकवाड़ ने इसी महल में ठहराव किया
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चन्द्राकर, डॉ अंकिता. "भारतीय ज्ञान प्रणाली और प्रौद्योगिकी". Gurukul International Multidisciplinary Research Journal, 20 грудня 2024. https://doi.org/10.69758/gimrj/2412iv02v12p0020.

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Abstract:
भारतीय ज्ञान प्रणाली एक समृद्ध और विविधतापूर्ण परंपरा है, जो प्राचीन काल से लेकर आज तक विभिन्न क्षेत्रों में योगदान करती रही है। यह प्रणाली वेदों, उपनिषदों, पुराणों, और अन्य प्राचीन ग्रंथों पर आधारित है, जिसमें ज्ञान का अधिग्रहण तात्त्विकता, अनुभव, और ध्यान के माध्यम से होता है। भारतीय ज्ञान प्रणाली में विज्ञान, गणित, आयुर्वेद, खगोलशास्त्र, और वास्तुकला जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर गहरा ध्यान दिया गया है। प्राचीन भारतीय गणितज्ञों ने शून्य और दशमलव प्रणाली का विकास किया, जो आधुनिक गणित के आधार हैं। आयुर्वेद, जो शारीरिक, मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य के संतुलन पर आधारित है, आज भी एक महत्वपूर्ण चिकि
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काफ्ले Kafle, अरुणकुमार Arunkumar. "अमरनारायण मन्दिरको कला तथा वास्तुकला {Art & Architecture of Amarnarayan Temple}". Voice of Culture, 28 листопада 2022, 39–50. http://dx.doi.org/10.3126/voc.v9i1.49875.

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Abstract:
दुनियाँमा भाषा, धर्म, संस्कृति, परम्परा, कला वास्तुकलाका क्षेत्रमा नेपालप्रसिद्ध मुलुक हो । यहाँ प्राचीनकालदेखि नै विभिन्न किसिमका कला तथा वास्तुकलाका संरचनाहरु निर्माण हुँदै आएको इतिहास छ । राजप्रसाद, मठ,मन्दिर, विहार, चैत्य, स्तुपा, पार्टी, पौवा, ढुङ्गेधारा जस्ता वास्तुकलाका नमुनाहरु नेपालमा प्राचीन कालदेखि नै निर्माण हुँदै आएका छन् । मानगृह, कैशाशकुट रभद्राधिवास जस्ता भब्य महलहरु यहाँ निर्माण गरिएका थिए । तर ती संरचनाआज हामी समक्ष छैनन् । पछिल्लो कालमा काठमाडौ उपत्यकाभित्र मात्र होइन, बाहिर पनि यस्ता वास्तु संरचनाहरु निर्माण गरिए । पनौतीको इन्द्रेश्वर महादेव, देवपाटनको पशुपतिनाथ, चाँगुको चा
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-, स्वाति, та निरूपमा सिंह -. "छतरियों ने सहेजी है भिवानी की भव्यता :- एक झलक". International Journal For Multidisciplinary Research 5, № 3 (2023). http://dx.doi.org/10.36948/ijfmr.2023.v05i03.3512.

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Abstract:
भिवानी का इतिहास विभिन्न राजवंशों से जुड़ा हुआ है | विभिन्न शासकों द्वारा यहाँ प्राचीन मंदिरों, किलों, मकबरों और छतरियों के रूप में अपनी यादें संजोई हैं| उस समय की कलात्मक धरोहर आज भी यहाँ जीवंत संपदन सी आभासित होती है| यहाँ वास्तुकला में मुगल-राजपूति प्रभाव स्पष्ट है| जो तत्कालीन प्रभुत्व और वर्चस्व का परिचाय है| यह स्थल अपने व्यापारिक महत्व से भी अहम रहा है| जिसके फलस्वरूप यहाँ कलात्मक अवधारणाएं भी उसी अनुरूप फलित रहीं| व्यपारियों ने अपनी शानौ-शौकत में चार चांद लगवाने के लिए छतरियों में भित्ति चित्रों का निर्माण करवाया था| परन्तु उस दौर में इनकी वास्तविकता/ भव्यता की कल्पना करना ही अपने आप म
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यादव, सोनू, та सुशील कुमार सिंह. "भारतीय स्थापत्य कला एवं नवीन इंडो-गोथिक शैलीगत परिवर्तन". Anthology The Research 9, № 3 (2024). https://doi.org/10.5281/zenodo.12703091.

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Abstract:
This paper has been published in Peer-reviewed International Journal "Anthology The Research"&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp; URL : https://www.socialresearchfoundation.com/new/publish-journal.php?editID=9167 Publisher : Social Research Foundation, Kanpur (SRF International)&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp; Abstract : &nbsp;इंडो&nbsp;सारसैनिक&nbsp;स्थापत्य&nbsp;इतिहास&nbsp;ही&nbsp;इंडो&nbsp;गोथिक,&nbsp;मुगल&nbsp;गोथिक,&nbsp;नव&nbsp;मुगल, 19वीं&nbsp;शताब्दी&nbsp;के&nbsp
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Kumar Rathia, Mukesh, та Arun Kumar. "सिंघनपुर के शैलचित्र का कंवर जनजातीय मिथक के साथ संबंध". International Journal of Reviews and Research in Social Sciences, 27 грудня 2024, 259–62. https://doi.org/10.52711/2454-2687.2024.00043.

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Abstract:
रायगढ-बिलासपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर जिला मुख्यालय रायगढ़ से पश्चिम में लगभग 20 किमी की दूरी पर सिंघनपुर स्थित है। छत्तीसगढ़ में सर्वप्रथम बंगाल नागपुर रेल्वे के डिस्ट्रिक्ट इंजीनियर सी डब्ल्यू एंडरसन जिनका पूरा नाम क्लेरेंस विलियम एंडरसन था ने सिंघनपुर के शैलचित्रों की खोज सन 1910 में की थी। इस खोज की सूचना उन्होंने प्रसिद्ध ब्रिटिश विद्वान, कलाकार, कला समीक्षक इतिहासकार, पुरातत्वविद पर्सी ब्राउन जो भारतीय वास्तुकला और कला के लेखक के रुप में जाने जाते थे को दी। पर्सी ब्राउन ने हेरिटेज ऑफ इंडिया सीरीज में प्रकाशित इंडियन पेंटिंग नामक अपनी प्रसिद्ध पुस्तक के 1917 में मुद्रित प्रथम संस्करण में इसक
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Daan, Ishwar, та Pallavi Prasad. "भारतीय उपमहाद्वीप में बौद्ध धर्म: इतिहास और पुरात्तत्व के सन्दर्भ में विश्लेषण". ShodhKosh: Journal of Visual and Performing Arts 3, № 2 (2022). http://dx.doi.org/10.29121/shodhkosh.v3.i2.2022.2464.

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Abstract:
यह लेख भारत में बौद्ध धर्म के प्रारंभिक विकास की पड़ताल करता है, जिसमें प्राचीन स्तंभों, स्तूपों और मूर्तियों सहित पुरातात्विक अध्ययन पर विशेष जोर दिया गया है। सिद्धार्थ गौतम या बुद्ध द्वारा स्थापित बौद्ध धर्म, छठी शताब्दी ईसा पूर्व में उभरा और तेजी से पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैल गया। यह लेख इसकी सफलता के पीछे के कारकों की जांच करता है, जैसे विभिन्न सांस्कृतिक संदर्भों के लिए इसकी अनुकूलनशीलता, शाही संरक्षण की महत्वपूर्ण भूमिका - विशेष रूप से सम्राट अशोक द्वार और मठवासी समुदायों की स्थापना। स्तूपों और अन्य पुरातात्विक परिसरों के निर्माण ने भी धर्म के विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसक
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Kadari, Dr Zenamabibi Amumiya. "जूनागढ़ में जल भंडारण की विभिन्न प्रणालियाँ- ऐतिहासिक अध्ययन". Towards Excellence, 31 грудня 2022, 1227–32. http://dx.doi.org/10.37867/te1404111.

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Abstract:
प्राचीन भारत में जल भंडारण की विभिन्न प्रणालियाँ मौजूद थीं। जल भंडारण के लिए प्राचीन वास्तुकला का सबसे सरल रूप भूजल के लिए सीढ़ी रहित ऊर्ध्वाधर संरचना है, जिसके लिए संस्कृत शब्द 'कुपा' का उपयोग किया जाता है। जिससे हिंदी में 'कुआँ' और गुजराती में 'कुवो' शब्द बना। जल संचयन के दूसरे रूप के लिए संस्कृत और गुजराती - कुंड दोनों में एक ही शब्द का प्रयोग किया जाता है। अधिकांश तालाब मंदिर से जुड़े हुए थे या मंदिर परिसर में बने थे। तालाब जल संग्रहण का तीसरा रूप है जिसे संस्कृत में 'तड़ग' या 'तड़क' के नाम से जाना जाता है। इसमें कृत्रिम बांधों (चेक डैम से प्रेरित होकर) द्वारा पानी को रोक लिया जाता है और न
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घर्ती Ghartee, दुर्गाबहादुर Durgabahadur. "लोकवार्ताको अध्ययनक्षेत्र {The Area of Folklore Studies}". Vangmaya वाङ्मय, 8 серпня 2022, 31–40. http://dx.doi.org/10.3126/vangmaya.v18i1.47084.

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Abstract:
बलम लोकवार्ता अहिले अध्ययनको एउटा महत्वपूर्ण विषयका रूपमा स्थापित भएको छ । यसको क्षेत्रअन्तर्गत लोकमा परम्परागत एवं मौखिक रूपमा प्रचलित कला, सिप र ज्ञानका यावत् कुराहरू पर्दछन् । लोकवार्ताको क्षेत्रलाई कतिपयले लोकसाहित्यमा मात्र सीमित गर्न खोजे पनि अहिले यो लोकसाहित्यका साथै लोकमानस, लोकसंस्कृति, लोककला, परम्परागत ज्ञान र सिपका सबै कुरा समेटिने विषय बनेको छ । त्यसैले यसका विषय विविध प्रकारका देखिन्छन् । लोकवार्ताका विषय, माध्यम र विधि भिन्न हुने भए पनि तिनका साझा विशेषताका आधारमा लोकवार्ताको वर्गीकरण गर्न सकिन्छ । यस विषयमा सङ्क्षेपमा वर्णन गरिएको पाइने भए पनि विस्तृत र गहन अध्ययन हुन सकेको पा
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Singh, Sanjana, та Jyoti Khande. "अम्बेडकर चिंतन में न्याय और समानता की प्रासंगिकता". ShodhKosh: Journal of Visual and Performing Arts 5, № 5 (2024). https://doi.org/10.29121/shodhkosh.v5.i5.2024.4473.

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Abstract:
भारतीय संविधान के मुख्य वास्तुकार अंबेडकर, एक अग्रणी विचारक और समाज सुधारक थे जिनकी दृष्टि न्याय और समानता पर केंद्रित थी। उनका दर्शन जाति-आधारित भेदभाव के उनके व्यक्तिगत अनुभवों, राजनीतिक दर्शन, संवैधानिकता, सामाजिक न्याय और विद्वानों के साथ उनके संपर्क से गहराई से प्रभावित था। समकालीन समाज में जहाँ सामाजिक और आर्थिक असमानताएँ कानूनी सुरक्षा उपायों के बावजूद बनी रहती हैं, वहाँ अंबेडकर के विचार अत्यधिक प्रासंगिक हैं। अम्बेडकर दर्शन के मूल में यह विचार है कि न्याय सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक होना चाहिए। उनका मानना था कि राजनीतिक लोकतंत्र, तब तक अधूरा है, जब तक कि सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र द्वा
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