Academic literature on the topic 'शिल्प'

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Journal articles on the topic "शिल्प"

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डा, ॅ. रजनी भारती. "कला एवं व्यवसाय एक विश्ल ेषणात्मक अध्ययन (आर्थिक परिप्रेक्ष्य में)". International Journal of Research - GRANTHAALAYAH Composition of Colours, December,2014 (2017): 1–3. https://doi.org/10.5281/zenodo.889269.

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Abstract:
भारत में कला एव ं व्यवसाय का क्षेत्र अत्यंत व्यापक ह ै। जिसका गा ैरव कभी दर पीढ़ी चलते ह ुए अपना अस्तित्व बरकरार रखे ह ुए ह ै। शिल्पकारों एवं कारीगरों की पहचान व्यक्तिगत नहीं अपितु शिल्पगत तथा कलात्मक रूप में होती ह ै। देश में कला एवं शिल्प क े विविध स्वरूप ह ै ं। आजकल कला विषयों में चित्रकला, मूर्तिकला, संगीत, नृत्य इत्यादि मुख्य कलायें प ्रचलित हैं। इसके अतिरिक्त शिलप क े विषय में जैसे - लकड ़ी का काम, चमड़े का काम, कताई-बुनाई, बागवानी, मिट्टी क े बर्तन बनाने का काम, कालीन बनाना, चर्टाइ बनाना, खिलौने बनाना, सिलाई, बुर्नाइ , कर्ढ़ाइ , लोहे का काम, टीन का काम इत्यादि। व्यवसाय की दृष्टि से आज क
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खापर्ड े, स. ुधा, та च. ेतन राम पट ेल. "कांकेर में रियासत कालीन जनजातीय समाज की परम्परागत लोक शिल्प कला का ऐतिहासिक महत्व". Mind and Society 9, № 03-04 (2020): 53–56. http://dx.doi.org/10.56011/mind-mri-93-4-20218.

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Abstract:
वर्त मान स्वरुप म ें सामाजिक स ंरचना एव ं ला ेक शिल्प कला म ें का ंक ेर रियासत कालीन य ुग म ें जनजातीय समाज की आर्थि क स ंरचना म ें ला ेक शिल्प कला एव ं शिल्प व्यवसाय म ें जनजातीया ें की वास्तविक भ ूमिका का एव ं शिल्प कला का उद ्भव व जन्म स े ज ुड ़ी क ुछ किवद ंतिया ें का े प ्रस्त ुत करन े का छा ेटा सा प ्रयास किया गया ह ै। इस शा ेध पत्र क े माध्यम स े शिल्पकला म ें रियासती जनजातीया ें की प ्रम ुख भ ूमिका व हर शिल्पकला किस प ्रकार इनकी समाजिकता एव ं स ंस्क ृति की परिचायक ह ै एव ं अपन े भावा ें का े बिना कह े सरलता स े कला क े माध्यम स े वर्ण न करना ज ैस े इन अब ुझमाडि ़या ें की विरासतीय कला ह
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पहाडी Pahadi, ढुण्डिराज Dhundiraj. "‘यात्रा लामा बगरको’ कृतिमा नियात्रा शिल्प". Patan Pragya 13, № 1 (2024): 123–32. http://dx.doi.org/10.3126/pragya.v13i1.71189.

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Abstract:
प्रस्तुत अध्ययन नियात्राकार कुलचन्द्र कोइरालाद्वारा रचित ‘यात्रा लामा बगरको’ शीर्षकको नियात्रा कृतिमा प्रयुक्त विषयवस्तु र त्यसलाई आस्वाद्य बनाउने प्रस्तुतीकरण पद्धतिको विमर्शसँग सम्बन्धित छ । यसमा नियात्रा सिद्धान्तलाई आधार बनाएर विवेच्य नियात्रा कृतिको सघन अध्ययनबाट प्राप्त तथ्यलाई विश्लेषण गर्दै नियात्राको अन्तर्वस्तुलाई सुन्दर बनाउने शिल्पपद्धतिको वस्तुनिष्ठ अनुशीलन गरिएको छ । नियात्राको समीक्षा गर्दा मूलतः निजात्मकता, आलङ्कारिकता, विषयवस्तुगत प्रवृत्ति र भाषाशैलीलाई प्रमुख मानदण्ड बनाइएको छ । नियात्राको विषयवस्तुमा प्रतिबिम्बित तत्कालीन नेपाल चीन बिचको मैत्रीसम्बन्ध, हिमाली भेगका दोलखा, स
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Singh, Satyavir. "Language and Craft of Kamleshwar's Stories." RESEARCH REVIEW International Journal of Multidisciplinary 7, no. 5 (2022): 176–80. http://dx.doi.org/10.31305/rrijm.2022.v07.i05.025.

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Abstract:
Kamleshwar's stories were created keeping in mind the classical framework of storytelling art. Apart from those standards, they are constantly moving forward establishing some new standards of the modern era. Kamleshwar is considered a very alert and progressive storyteller. All the points of the language and craft of his stories are discussed. In which they stand up to the test with success. Kamleshwar is considered the most popular face of the post-independence Hindi story genre. He was a creator of multifaceted literature. In this way, Kamleshwar proves to be a successful storyteller on the
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सी., पी. व्यास. "पर्ण चित्रकलेचे साधक - श्रीधर रामचंद्र कुलकर्णी". Journal of Research & Development 17, № 1 (2025): 256–59. https://doi.org/10.5281/zenodo.14965148.

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Abstract:
<strong><em>सारांश:-</em></strong> <em>सौंदर्याचे रसात्मक ग्रहण म्हणजे कला.&nbsp; कलेचे खरे मोल कलावंत जाणतात व रसिकच तिला पारखू शकतात. कलेची विविध रूपे व विविध दालने आहेत. जगातील कलाविष्कारात वेरूळ- अजिंठा इत्यादी गुफांतील शिल्पे रंगकाम अत्यंत प्रसिद्ध. तसेच ब क ते ही क आ- वेगळे महत्त्व ठेवणारी कला ठरते. नियतीने काही मोजक्या हातांना व बोटांनाच अशा कुंचल्यांचा स्पर्श दिलेला आहे की त्यातून एक अप्रतिम व अनुपपमेय अशी कला अविष्कृत होते.&nbsp; कलेचा चित्रकार हा प्रकार तसा जुनाच.&nbsp; प्राचीन गुफातून 15000 वर्षांपूर्वी पासून चित्रकला असल्याची उदाहरणे. दिस तर दीड हजार वर्ष व त्यापेक्षाही जुने बेजोड
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Dr., Shailendra Kumar gutam. "प्राचीन भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी का विकास". International Educational Applied Research Journal 08, № 09 (2024): 4–7. https://doi.org/10.5281/zenodo.13826120.

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Abstract:
प्राचीन भारत में विभिन्न विज्ञान की शाखाओं जैसे गणित, ज्योतिष, कृषि, रसायन, वास्तु विज्ञान, भू-विद्या, चिकित्सा विज्ञान, प्राणी वनस्पित विज्ञान, धातु शिल्प आदि का महत्वपूर्ण विकास हुआ । जो आधुनिक विज्ञान के विकास में मजबूत आधार का कार्य करता है।
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Bharti, Rajni. "ART AND BUSINESS AN ANALYTICAL STUDY (IN ECONOMIC PERSPECTIVE)." International Journal of Research -GRANTHAALAYAH 2, no. 3SE (2014): 1–3. http://dx.doi.org/10.29121/granthaalayah.v2.i3se.2014.3608.

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Abstract:
The field of art and business is very wide in India. Whose pride is keeping its existence going on from generation to generation. Craftsmen and artisans are identified not as individual but as artistic and artistic. There are various forms of arts and crafts in the country. Nowadays the main arts in art subjects are painting, sculpture, music, dance etc. In addition to the subject of shilp such as - woodwork, leatherwork, spinning-weaving, gardening, pottery-making, carpeting, mat-making, toy-making, sewing, weaving, embroidery, ironwork, tin Work etc. Today is the simplest use of art from a b
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आटेड़िया, संजय. "उमराव सिंह जाटव कृत 'थमेगा नहीं विद्रोह उपन्यास में शिल्प". HARIDRA 1, № 01 (2021): 36–37. http://dx.doi.org/10.54903/haridra.v1i01.7806.

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Abstract:
'थमेगा नहीं विद्रोह उपन्यास ग्रामीण परिवेश को लेकर लिखा गया सामाजिक उपन्यास है। इसमें दलितों के जीवन चरित्रों के माध्यम से भारत की दलित समस्या को बताया गया है। शिल्प की दृष्टि से उपन्यास में उत्तरप्रदेश के गांवों एवं कस्बों में बोली जाने वाली ठेठ बोलियों का भरपूर प्रयोग संवाद में मिलता है। उपन्यास के कथानक में भाशा-शैली की विविधता है।
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अधिकारी Adhikari, सीता Sita. "प्रयोगशीलताका आधारमा आमाको आँगन महाकाव्यको विश्लेषण {Analysis of Mother's Yard Epic on the basis of usability}". Chaturbhujeshwar Academic Journal 1, № 1 (2023): 121–38. http://dx.doi.org/10.3126/caj.v1i1.63298.

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Abstract:
परम्परागत महाकाव्यहरू भन्दा फरक ढङ्गले काव्यको प्रस्तुती भएकाले महाकाव्यलाई प्रयोगशीलता अर्थात प्रयोगवादका सन्दर्भमा समीक्षा गर्नु उपयुक्त ठानिएको छ । यस प्रसङ्गमा उक्त कृतिको समीक्षात्मक अध्ययन गर्ने प्रयास गरिएको छ। महाकाव्यकार डा. नवीनबन्धु पहाडीद्वारा रचित ‘आमाको आँगन’ महाकाव्यमा प्रयोग गरिएको नवीन शिल्प शैलीहरूको बारेमा विश्लेषण गर्नु यस अनुसन्धानात्मक लेखको समस्या हो । काव्यमा प्रयोग गरिएका नवीन शिल्प, शैली र प्रस्तुतीले महाकाव्यलाई प्रयोगशील बनाउन सहयोग गरेको छ जातीय द्वन्द्व, वैमनस्यताले थिलो थिलो भएर देशमा बस्न नसकी परदेश लागेकाहरु देश तथा आमाको निश्वार्थ सेवामा सदा तल्लिन भएर लाग्नुप
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त्रिष्टुप, चंसौलिया. "शमशेर बहादुर सिंह के रचना संसार में युगबोध और शिल्प का समन्वय". International Educational Applied Research Journal 09, № 05 (2025): 27–34. https://doi.org/10.5281/zenodo.15384210.

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Abstract:
युगबोध और शिल्प का गहरा अंतः संबंध हुआ करता है। इस बात से हम सभी परिचित हैं, कि युगबोध ही साहित्य और कलाओं विशेषकर कविता का उत्स होती है। साहित्य और युगबोध एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं, इसलिए युगबोध साहित्य का परिणाम भी होता है। कोई भी साहित्यिक रचना समाज में ही पल्लवित एवं पुष्पित होती है। समाज, संस्कृति और परिवेश से प्राप्त कच्चे माल की भाँति प्राप्त संपदा को एक सर्जक रचनाकार अपनी रचनात्मक प्रतिभा से आकृ ति प्रदान कर साहित्य के कोष की वृद्धि करने में अपना योगदान देता है। किसी रचनाकार की सृजन शक्ति, मानो जीवन का बीजभाव होती है, जो सृजनात्मकता की प्रक्रिया के कारण फलित होती है। समकालीन कविता
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Reports on the topic "शिल्प"

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Bhatt, Mihir R., Shilpi Srivastava, Megan Schmidt-Sane та Lyla Mehta. भारत की जानलेवा दूसरी कोविद-19 लहर: प्रभावों का सम्बोधन और भविष्य की लहरों के खिलाफ मुस्तैदी - एक चिंतन ! Institute of Development Studies (IDS), 2021. http://dx.doi.org/10.19088/sshap.2022.008.

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Abstract:
भारत में फ़रवरी 2021 से अनगिनत जानों की हानि हुई है जिसने कोविड-19 द्वारा हुए सामाजिक और आर्थिक प्रलय को बढ़ा दिया है । देश भर में तीव्र गति से बढ़ते संक्रमित मामलों ने बुनियादी स्वास्थ्य ढाँचे को हिला दिया है, जिससे आम आदमी अस्पताल में बिस्तर, आवश्यक दवाइयों और ऑक्सिजन के लिए हाथ पांव मरने के लिए मजबूर हो गया । मई 2021 तक शहरों में संक्रमण का प्रभाव कम होना शुरू हुआ। हालाँकि गाँवों में दूसरी लहर का प्रकोप जारी है । आज़ादी के बाद देश सबसे बड़ी और बुरी मानवीय तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट का साक्षी बना है, जबकि क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर लगातार फैलते हुए कोविड-19 प्रकारों के विविध परिणाम होंगे
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