Academic literature on the topic 'शासनकाल'

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Journal articles on the topic "शासनकाल"

1

यादव, अजय. "छत्रपति शिवाजी के शासनकाल में मराठा साम्राज्य की प्रशासनिक संरचना का अध्ययन". International Journal of Advance and Applied Research 12, № 2 (2024): 310–13. https://doi.org/10.5281/zenodo.14671526.

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Abstract:
<strong>सारांश :</strong> &nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp; आधुनिक भारतीय इतिहास में छत्रपति शिवाजी के शासनकाल का प्रशासनिक और रणनीतिक दृष्टिकोण से विशेष महत्व है। मराठा साम्राज्य की स्थापना के साथ छत्रपति शिवाजी महाराज ने एक कुशल, सुसंगठित और पारदर्शी प्रशासनिक व्यवस्था भी स्थापित की। मराठा प्रशासनिक संरचना में मुख्य रुप से आठ घटक हैं जिन्हें &lsquo;अष्ट-प्रधान&rsquo; कहा जाता है। शिवाजी के शासनकाल में विकसित इस प्रशासनिक प्रणाली ने न केवल उनके समय में बल्कि उनके उत्तराधिकारियों के शासनकाल में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आधुनिक प्रशासन में मराठा प्रशासनिक प्रणाली की प्रासंगिकता और प्रभावशी
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2

Adhikari, Achyut. "लिच्छवि राजनैतिक व्यवस्था : एक विवेचना". Journal of Development Review 8, № 1 (2023): 159–66. http://dx.doi.org/10.3126/jdr.v8i1.57148.

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Abstract:
नेपालको इतिहास प्रामाणिक रूपमा लिच्छविकालमा मानदेवको समयबाट नै सुरु हुन पुगेको देखिन्छ । पहिलोचोटि नेपालको इतिहासको बारेमा थुप्रै विवरणहरू मानदेवको समयमा प्राप्त हुन गयो । बाहिरबाट प्रवेश गरेको मानिएको लिच्छवि वंशले किरातकालमा प्रवेश गरी नेपाल खाल्डोमा वि.सं. ९३७ सम्म भोग गर्न सकेको देखिन्छ । इस्वी संवत् २०५ को आसपासतिर किरात शासनलाई भङ्ग गरी स्वतन्त्र लिच्छवि शासन सञ्चालन गर्न लिच्छविहरू सफल भएको चर्चा इतिहास शिरोमणि बाबुराम आचार्यको लेखनबाट प्राप्त हुन आएको पाइन्छ । मानदेवको समयदेखि लिच्छविकालीन इतिहास बढी स्पष्ट र प्रामाणिक हुन पुगेको देखिन्छ । मानदेव अघिका ऐतिहासिक प्रमाणहरू प्रष्ट रूपमा प
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3

अधिकारी Adhikari, सुरेश Suresh. "राजनीति र प्रशासनबिचको अन्तरसम्बन्धः सैद्धान्तिक पक्ष र नेपालको सन्दर्भ". Prashasan: Nepalese Journal of Public Administration 53, № 1 (2022): 149–55. http://dx.doi.org/10.3126/prashasan.v53i1.46323.

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Abstract:
राजनीति र प्रशासन दुवै शासन व्यवस्थाका अभिन्न अङ्ग हुन । राजनीति जनमतबाट शासनमा स्थापित हुन्छ भने प्रशासन प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षा प्रणालीबाट । राजनीति मूलत: विधि निर्माण तथा नीति निर्माणमा संलग्न हुने हो, प्रशासन चाहिँ तर्जुमा गरेका विधि र नीतिको कार्यान्वयनमा क्रियाशील हुनुपर्दछ । यो सैद्धान्तिक मान्यतामा पनि आजभोलि केही परिवर्तन देखापरेको छ । राजनीति पनि नीति कार्यन्वयनबाट निरपेक्ष बस्न सक्दैन किनकी शासनको प्रभावकारिता यसैमा देखिन्छ । प्रशासनले पनि नीति निर्माण प्रक्रियामा सहभागी हुनै पर्दछ । जे भए पनि शासनलाई जनमुखी तथा परिणाममूलक बनाउन दुवै क्षेत्रले योगदान गर्नुपर्ने हुन्छ । आपसी अहम् र
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कुमारी, प्रेमलता. "उत्तर बिहार में ब्रिटिश शासनकाल में नहर और सिंचाई व्यवस्था का प्रभाव: एक ऐतिहासिक विश्लेषण". International Journal of History 7, № 5 (2025): 180–83. https://doi.org/10.22271/27069109.2025.v7.i5c.419.

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5

गौतम, अनुराग. "पुस्तक समीक्षा:- (अर्थकथानक : ऐतिहासिक घटनाओं का जीवंत वर्णन)". Anthology The Research 8, № 10 (2024): H 111 — H 112. https://doi.org/10.5281/zenodo.11109396.

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Abstract:
This book review has been published in Peer-reviewed International Journal "Anthology The Research"&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp; URL : https://www.socialresearchfoundation.com/new/publish-journal.php?editID=8976 Publisher : Social Research Foundation, Kanpur (SRF International)&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp; Abstract : &nbsp;सत्रहवीं शताब्दी के गंगा के मैदान की ऐतिहासिक घटनाओं का सजीव वर्णन जैन व्यापारी बनारसीदास ने ग्रंथ&nbsp;&lsquo;अर्धकथानक&rsquo;&nbsp;में किया
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प्रताप, दान. "तिब्बत लामा परंपरा और इसका राजनीतिक परिप्रेक्ष्य". Indian Journal of Modern Research and Reviews 3, № 2 (2025): 51–58. https://doi.org/10.5281/zenodo.14912105.

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Abstract:
तिब्बत में बौद्ध धर्म की स्थापना 7 वीं सदी में राजा सोंग्त्सेन गम्पो के शासनकाल में हुई। 8वीं सदी में गुरु पद्मसंभव ने तांत्रिक बौद्ध धर्म की नींव रखी<em>, </em>जिससे लामा परंपरा का विकास हुआ। 15वीं सदी में जे चोंखापा द्वारा स्थापित गेलुग पंथ ने दलाई लामा की संस्था को मजबूत किया।<em> </em>तिब्बत की लामा परंपरा न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है<em>, </em>बल्कि यह तिब्बत की सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था में भी गहरा प्रभाव रखती है। इस शोध पत्र का उद्देश्य लामा परंपरा के उद्भव<em>, </em>विकास<em>, </em>धार्मिक-सामाजिक प्रभाव<em>, </em>और तिब्बत-चीन संघर्ष में इसकी भूमिका का वि
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डॉ., (श्रीमती) आशा खरे. "संगीत के प्रचार प्रसार में संचार साधनों की भूममका". International Journal of Research – Granthaalayah Innovation in Music & Dance, January,2015 (2017): 1–4. https://doi.org/10.5281/zenodo.884612.

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Abstract:
जममनी के सप्रुवसद्ध विद्वान हीगल नेसंगीत को लवलत कला की श्रेणी मेंरखा है। भारतीय संगीत को चारों िेदों का सार कहा गया है। भारत मेंसंगीत की सगणु उपासना हुई है, उसेिीणा िावदनी के रूप मेंसाकार पजूा गया है। सा विद्या या विमक्तु येसंगीत ही है। िैवदक काल मेंसंगीत की बागडोर ब्राह्मणों केहाथ मेंथी। इस काल मेंसंगीत धावममक िातािरण मेंपनपा। समद्रुगप्तु स्ियं िीणा िादक थे। इस काल मेंसंगीत का विकास राजाश्रय मेंहोनेलगा थाA शास्त्रीय ि लोक संगीत का प्रचार भी हुआ। संस्कृत के महाकवि एिं नाटककार कावलदास एिं भास नेइस काल मेंमहत्िपणूम ग्रंथ वलखे। गप्तुकाल केपश्चात राजपतूों का शासन रहा । भारतीय संगीत जो एकता के सत्
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8

Tripathi, Harish. "History of the Delhi Sultanate: Its Establishment, Influence, and Fall." RESEARCH REVIEW International Journal of Multidisciplinary 8, no. 5 (2023): 166–71. http://dx.doi.org/10.31305/rrijm.2023.v08.n05.022.

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Abstract:
The Delhi Sultanate is a historical region representing Muslim rule between the 13th and 16th centuries. This sultanate was located in the territory of South Asia and became important due to the reasons of its establishment, influence and decline. The reason for its establishment and expansion was the invasion of Islamic sultans in northern India, who came here to propagate their power and religion. The Delhi Sultanate was established in 1206 AD by an invader named Muhammad Ghori. After him, his descendants established various sultanates to maintain their power. The most prominent of these sul
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., राजबीर, та डॉ दिवाकर त्रिपाठी. "भारतीय इतिहास लेखन की विभिन्न अवधारणाओं का समीक्षात्मक अध्ययन". Humanities and Development 18, № 1 (2018): 47–51. http://dx.doi.org/10.61410/had.v18i1.109.

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Abstract:
भारत में विदेशियों की शासन सत्ता स्थापित हो जाने के पश्चात् अठारहवीं सदी में कई यूरोपीय विद्वानों की रूचि भारतीय इतिहास एवं संस्श्ति की ओर दिखाई देती है इनमें विलियम जोन्स, मैक्समूलर, जेम्स प्रिसेप, कोलबु्रक प्रमुख है। भारत में साम्राज्यवादी इतिहास लेखन के श्ष्टिकोण के पीछे ब्रिटिश साम्राज्य की सुरक्षा एवं स्थायित्व की भावना प्रबल रूप से विद्यमान थी। औपनिवेशिक साम्राज्यवादी विचारधारा के इतिहासकारो में जेम्स मिल, एल्फिंसटन, आर. कूपलैण्ड, पर्सिवल स्पीयर आदि विद्वानों के नाम प्रमुखता से लिये जाते हैं। साम्राज्यवादी इतिहास लेखन के प्रतिक्रिया स्वरूप भारतीय विद्वानों ने राष्ट्रवादी इतिहास लेखन का श
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Ojha, Devendra Nath Ojha. "History and culture reflected in the inscriptions engraved on the sculptures of Nalanda (नालन्दा की मूर्तियों पर उत्कीर्ण अभिलेखों में प्रतिबिम्बित इतिहास एवं संस्कृति)". Chintan 34(VII) (1 червня 2019): 78–85. https://doi.org/10.5281/zenodo.10973140.

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Abstract:
सारांश: नालन्दा तथा उसके आसपास के क्षेत्रों से मूर्तियों पर उत्कीर्ण लगभग नौ अभिलेख प्राप्त होते है। आदित्यसेन के काल की सूर्य मूर्ति पर उत्कीर्ण लेख में उस मूर्ति को नालन्दा के महाविहार में स्थापित करने की बात कही गयी है। पाल शासक देवपाल के राज्यवर्ष में संकल्पित मूर्ति पर उत्कीर्ण लेख से ज्ञात होता है कि साखा नामक स्त्री ने इस मूर्ति को नालन्दा में स्थापित करवाया था। देवपाल के 35वें राज्यवर्ष में तारादेवी की मूर्ति पर उत्कीर्ण लेख से ज्ञात होता है कि नालन्दा के महान भिक्षु मंजुश्रीदेव के परमभक्त तथा शिष्य गंगाधर ने इस मूर्ति को स्थापित किया था। देवपाल के शासनकाल के एक अतैथिक संकल्पित स्त्री
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