Academic literature on the topic 'साक्षात्कार'

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Journal articles on the topic "साक्षात्कार"

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यादव, अंजली, та एस एल गजपाल. "विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा मे शिक्षा की समस्या का एक अध्ययन: छत्तीसगढ़ राज्य के कबीरधाम जिले के विशेष सदंर्भ में". Journal of Ravishankar University (PART-A) 25, № 1 (2021): 10–14. http://dx.doi.org/10.52228/jrua.2019-25-1-2.

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Abstract:
प्रस्तूत शोध अध्ययन छत्तीसगढ़ राज्य के विषेष पिछड़ी जनजाति बैगा मे शिक्षा की समस्या पर आधारित है। अध्ययन कबीरधाम जिले के बोड़ला विकासखण्ड़ के 7 बैगा बाहुल्य ग्रामो पर केन्द्रित है। अध्ययन मे दैव निर्दषन के माध्यम से चयनित 277 बैगा परिवारो मे षिक्षा की समस्या को ज्ञात करने का प्रयास किया गया है। अध्ययन मे तथ्यो का संकलन हेतू साक्षात्कार अनुसूची उपकरण तथा मुख्य रूप से केन्दिªत साक्षात्कार तथा समूह साक्षात्कार प्रविधि के माध्यम से किया गया है। षोध अध्ययन से प्राप्त तथ्य यह दर्षाता है कि केन्द्र व राज्य सरकार के तमाम प्रयत्नों के बाद भी बैगा जनजाति मे शिक्षा की स्थिति चिंताजनक है । अध्ययन क्षेत्र मे ष
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डॉ., प्रीति शर्मा, та कुमार कामले मुकेश. "बैगा जनजाति महिलाओं का सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण (कबीरधाम जिले के बोड़ला ब्लॉक के अंतर्गत घुरसीपकरी ग्राम के विशेष संदर्भ में)". INTERNATIONAL EDUCATION AND RESEARCH JOURNAL - IERJ 11, № 2 (2025): 67–69. https://doi.org/10.5281/zenodo.15583714.

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Abstract:
प्रस्तुत शोध पत्र में शोधार्थी द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य के कबीरधाम जिले के बोड़ला जनपद पंचायत के अंतर्गत घुरसीपकरी ग्राम में निवासरत विशेष पिछड़ी जनजाति&nbsp;<strong>बैगाओं</strong>&nbsp;का सर्वेक्षण पद्धति से वैज्ञानिक अध्ययन कर उक्त गांव के&nbsp;<strong>बैगा</strong> महिलाओं के जीवन में पिछले 10 -15 वर्षों में हुऐे सामाजिक -आर्थिक बदलाव को जानने का प्रयास किया गया है । शोधार्थी द्वारा अपने अध्ययन के उद्वेष्य की पूर्ति हेतु अध्ययन प्रविधि के रूप में अवलोकन एव साक्षात्कार का प्रयोग कर साक्षात्कार अनुसूची को उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया है ।
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पौडेल, शिवराज. "सङ्गीतमा नादानुसन्धान". Journal of Fine Arts Campus 4, № 1 (2022): 37–45. http://dx.doi.org/10.3126/jfac.v4i1.51760.

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Abstract:
नादलाई साक्षात् ब्रह्मस्वरूप मानेको हुनाले सम्पूर्ण जगत नै नादको अधीनमा रहेको मानिन्छ । यहि नादको साधना वा माध्यमले ब्रह्म प्राप्ति अथवा अभिष्ट लक्ष्यको साक्षात्कार गर्नको लागि गरिने खोजलाई नादानुसन्धान भनिएको छ । सङ्गीतमा प्रयोग हुने ध्वनिलाई पनि नाद भनिएको छ । त्यसैले सङ्गीत सृजनाको आधार पनि नाद नै रहेको मान्न सकिन्छ । आहत र अनाहत गरी २ नादमा ब्रह्म साक्षात्कार गराउने नाद र लौकिक ख्याति प्राप्ति गराउने नादको उत्पत्ति, भेद, स्वरूप, लक्षण र महत्व लगायतका विषयमा स्पष्टता हासिल गर्नु नै यस अध्ययनको उद्देश्य रहेको छ । यसका लागि सङ्गीत एवं वैदिक वाङ्मयमा दिइएका तथ्य र प्रमाणहरूका आधारमा गुणात्मक व
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उपाध्याय, गोविन्दशरण. "वैदिक दर्शनमा आनन्द (सुख) को स्वरूप(Form of Ananda (happiness) in Vedic philosophy)". NUTA Journal 9, № 1-2 (2022): 133–38. http://dx.doi.org/10.3126/nutaj.v9i1-2.53854.

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Abstract:
सुख, खुसी तथा आनन्द – यी प्रचलित शब्द हुन् , सुखले भौतिक शरीरको, खुसीले मनको र आनन्दले आत्माका गुणहरूको प्रतिनिधित्व गर्छन् ः यो वैदिक बुझाइ हो । साधारण रूपमा सुन्दा र प्रयोग गर्दा पर्यायवाचीजस्ता प्रतीत भए पनि वैदिक ऋषिमुनि र आचार्यहरूले उपर्युक्त तिनै विषयवस्तुहरूलाई फरकफरक रूपमा साक्षात्कार गरेका छन् र साक्षात्कारका विधिहरू समेतको विशद चर्चापरिचर्चा गरेका छन् । उपनिषद्हरूले जीवनको प्राथमिक लक्ष्य सुखप्राप्ति, दोस्रो लक्ष्य सुख (रस) प्राप्ति र अन्तिम लक्ष्य नै आनन्द–प्राप्तिको बाटो तोकेका छन् । यो लक्ष्यलाई कसैले आनन्द, कसैले पूर्णता, कसैले मोक्ष, कसैले, मुक्ति, कसैले परमज्ञान, कसैले निर्वाण
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M', Hkqous'k dqekj. "विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा सेल फोन के माध्यम से ई-कॉमर्स के उपयोग पर: एक अध्ययन". International Journal of Advance and Applied Research 10, № 4 (2023): 462–67. https://doi.org/10.5281/zenodo.8052104.

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Abstract:
&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp; मोबाइल एप्लिकेशन में ई-कॉमर्स के उपयोग पैटर्न का पता लगाने के लिए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्रों के बीच एक अध्ययन किया गया था।&nbsp; अध्ययन के लिए डिज़ाइन किए गए अर्द्ध संरचित साक्षात्कार कार्यक्रम के साथ कुल 120 छात्रों का व्यक्तिगत रूप से साक्षात्कार किया गया।&nbsp; अध्ययन से पता चला कि अधिकांश उत्तरदाताओं (85%) ने एंड्रॉइड आधारित फोन को प्राथमिकता दी, जिसमें सेल फोन के माध्यम से ई-कॉमर्स ऐप्प के उपयोग का मुख्य उद्देश्य सेल फोन (78.3%) को रिचार्ज करने, टिकट
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सरिता, बोबड ़े. "बरली ग्रामीण महिला विकास संस्थान का पर्या वरण संरक्षण म ें योगदान का अध्ययन". International Journal of Research - GRANTHAALAYAH 3, № 9 (Special Edition) (2017): 1–3. https://doi.org/10.5281/zenodo.883022.

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Abstract:
मन ुष्य का जीवन पर्यावरण से प्रभावित होता ह ै। स्वस्थ एव ं स्वच्छ पर्यावरण मानव जीवन का आधार हैं । इसीलिए पर्यावरण का संरक्षण प ्रत्येक नागरिक का कत्र्त व्य ह ै। प्रस्त ुत एकल अध्ययन म ें एक समाजसेवी स ंस्था द्वारा अपन े महिला प्रषिक्षणार्थियों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक कर समाज में कार्य करन े के लिए प्रेरित किया जाता हैं। सौर ऊर्जा उपकरणों का निर्मा ण कर उनका घर ेलू एव ं व्यावसायिक उपयोग करना , जैविक खेती करना, एव ं पर्या वरण प ्रद ूषण का स्वाथ्य पर पडन े वाले प्रभावों से परिचित करवाकर पर्यावरण संरक्षण के प्रति संरक्षणात्मक प ्रवृति का विकास कराया जाता हैं। इस अध्ययन में उपकरण के रू
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Anjali, Prasad. "वर्तमान परिदृश्य में लैंगिक समानता एक समाजशास्त्रीय विश्लेषण". Recent Researches in Social Sciences & Humanities (ISSN: 2348 – 3318) 6, № 5 (Special Issue) (2019): 19–26. https://doi.org/10.5281/zenodo.6586118.

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Abstract:
भारत एक धर्म प्राण देश है जिसमें पुरुष प्रधान समाज व्यवस्था के कारण पितृसत्तात्मक व्यवस्था विद्यमान रही है और पुरुष प्रधान समाज होने के कारण सभी नियम रीति रिवाज कायदे कानून व्यवहार की विधियां आदि पुरुषों के हितों को ध्यान में रखकर बनाए जाते हैं कन्याओं का उम्र में ही विवाह कर देना और शिक्षा के मार्ग में उनके घरेलू कार्यों की उत्तरदायित्व की भावना डाल देना उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए घातक साबित होता है कम उम्र में ही विवाह हो जाने के उपरांत गर्भ धारण कर लेना और उसके उपरांत उसके स्वास्थ्य के प्रति अनभिज्ञता का प्रदर्शन हो, सहन करना पड़ता हैI महिलाओं की सुरक्षा, शिक्षा, आर्थिक सशक्तिक
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अनुष्टुप, चंसौलिया. "रघुवीर सहाय के काव्य में संवेदना की प्रासंगिकता". International Educational Applied Research Journal 09, № 05 (2025): 1–8. https://doi.org/10.5281/zenodo.15384097.

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Abstract:
मूल-संवेदना ही कविता की आत्मा होती है। यह उन व्यक्तिगत या समष्टिगत अनुभूतियों की अभिव्यक्ति है, जिन्हें आज के कवि महसूस करते हैं। इसका संबंध जीवन की उन यथार्थ स्थितियों से है जिनके भीतर साधारण से साधारण मनुष्य भी साँस लेता और उससे उत्पन्न समस्याओं का साक्षात्कार ही नहीं करता बल्कि उनसे जूझने के लिए विवश भी है। संवेदना का शाब्दिक अर्थ है हृदयानुभूति । अर्थात आंतरिक भाव को महसूस करना। इसी तरह मूल- संवेदना अर्थात संवेदना की गहराई को समझना उसे महसूस करते हुए अपने विचारों की अभिव्यक्ति देना । सभी कवि संवेदनशील होते हैं तभी तो वे उनकी गहराई को जानकर अपने शब्दों की अभिव्यक्ति देते हैं। उन्होंने अपने
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डा., योगेश कुमार गुप्ता. "भारत में टेलीविजन समाचार चैनलों की प्रभावशीलता (चयनित चैनलों का तुलनात्मक अध्ययन)". International Journal of Research - Granthaalayah 5, № 7 (2017): 79–91. https://doi.org/10.5281/zenodo.827210.

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Abstract:
भारत में आज भी समाचार चैनलों की जनता मंे विश्वसनीयता बनी हुई है। इस शोध के माध्यम से समाचार चैनलों के प्रस्तुतिकरण के अंदाज का पता चलता है। समाचार चैनलों के बीच चल रही घमासान प्रतिस्पर्धा में सबसे आगे कौनसा समाचार चैनल है, का भी पता किया गया है। यह शोध टेलीविजन मीडिया से संबंधित पहलुओं की अज्ञानता के निवारण में प्रभावी भूमिका निभा सकता है। आज टेलीविजन ही संचार का सबसे प्रभावी माध्यम है। टेलीविजन मीडिया लोगों को न्याय दिलाने में, विभिन्न अनछुए पहलुओं से पर्दा हटाने में सहायक सिद्ध हो सकता है। वहीं इस शोध की कुछ सीमाएं भी रही हैं जैसे- इस शोध में केवल जयपुर शहर को ही अध्ययन के लिए चुना गया है। ज
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श्रीवास्तव, वन्दना देवी. "कुसमायोजित वित्तविहीन माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों की समस्याएँ: कारण एवं निराकरण का एक अध्ययन". Humanities and Development 17, № 1 (2022): 109–12. http://dx.doi.org/10.61410/had.v17i1.55.

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Abstract:
वित्तविहीन माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों के समायोजन की समस्या का अध्ययन करने के लिए जनपद प्रतापगढ़ को लिया गया था। जनपद से मात्र 300 वित्तविहीन माध्यमिक शिक्षकों जिनमें 50% पुरूष तथा 50% महिला शिक्षिकाओं का चयन यादृच्छिक न्यादर्श प्रविधि द्वारा किया गया था। स्वनिर्मित साक्षात्कार सूची से आंकड़ों का संकलन किया और प्रतिशत मात्रा के आधार पर कुल समायोजन समस्या के 10 कारण पहचाने गए। उक्त कारण वेतन विसंगति, भौतिक सुविधाओं की कमी, कार्य के प्रति असन्तोष, हीन भावना, अभिभावकों का हस्तक्षेप, प्रशासनिक हस्तक्षेप, गृह कलह, सम्मान का अभाव, संसाधनों का अभाव, सरकारी तन्त्र की भेदभाव पूर्ण नीति थे।
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