Academic literature on the topic 'हिंदी शिक्षण'

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Journal articles on the topic "हिंदी शिक्षण"

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चरनजीत, कौर. "आधुनिक परिवारो म ें रसोई उघान क े प ्रति अभिव ृत्तिया ं ज्ञान एवं व्यवहार का अध्ययन". International Journal of Research - GRANTHAALAYAH 3, № 9 (Special Edition) (2017): 1–4. https://doi.org/10.5281/zenodo.574867.

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Abstract:
भारत द ेश में वर्त मान म ें पर्या वरण प ्रद ूषण एक विकट समस्या हैं। जिसके स ुधार में गृह वाटिका का महत्वप ूर्ण योगदान हो सकता हैं। घनी वस्तियों तथा औद्योगिक क्षेत्रों म ें भी ग ृहवाटिका की विश् ेाष भ ूमिका ह ैं। यदि घर के सामन े पेड पौधे लग े हों तो घर के अंदर धूलमिट ्टी नहीं आती तथा स्वच्छ हवा का आवागमन बना रहता है। इसमें घर की रसोई से निकलन े वाले व्यर्थ पदार्थो का उपयोग खाद के रूप में किया जा सकता ह ै। यह एक छोटी उत्पादन इकाई के रूप में भी हो सकती ह ै। इन्ही तत्थ्यों का े ध्यान में रखकर गृहवाटिका एक प्रयोगशाला प्रतीत होती है, जहां व्यक्ति उद्यानषास्त्री न होत े हुए भी राष्ट ृ्र् ीय विकास एव
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हरीश, केशरवानी. "खेती के नये आयामः समझा ैता क ृषि". International Journal of Research - GRANTHAALAYAH 3, № 9 (Special Edition) (2017): 1–4. https://doi.org/10.5281/zenodo.883533.

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Abstract:
बढ ़ती जनसंख्या, बदलती जीवन शैली, कृषिगत उत्पादों का व्यवासायीकरण क े साथ साथ मौसमी परिवर्तनशीलता, उत्पादन प्रवृत्ति मे बदलाव और कृषिगत विषमता के परिणाम स्वरूप सबस े प्रमुख म ुददा कृषि के सुधार और विकास का ह ै। मानव अपन े विकास की चाहे जो सीमा निर्धारित कर ले पर ंत ु उसकी उदरप ूर्ति जमीन से उगे आनाज या उसके प्रसंस्करण स े ही होगी। कृषि के संदर्भ मे तमाम प्रकार के बदलावों क े परिणाम स्वरूप कृषि प ्रणाली मे भी बदलाव द ेखे जा सकत े हैं। साथ ही विश्व की जनसंख्या त ेजी के साथ बढ ़ रही ह ै तथा भारत के संदर्भ मे यह तथ्य है कि यह विश्व की द ूसरी सर्वाधिक जन ंख्या वाला द ेश है जा े 2030 तक यह चीन का े
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3

र, ंजना शर्मा (व्यास). "्राक ृतिक संसाधनों क े संरक्षण म ें समाज की भ ूमिका पर्यावरणीय चेतना और सामाजिक, औषधीय मूल्य". International Journal of Research - GRANTHAALAYAH 3, № 9 (Special Edition) (2017): 1–3. https://doi.org/10.5281/zenodo.883545.

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Abstract:
विश्व प्रकृति निधि भारत का हमेशा ही यह उद ्द ेश्य रहा है कि हम प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण क े साथ दीर्घकालिक तथा न्याय संगत विकास करन े में सहभागी बन ें।1 जब तक हमार े पर्यावरण में बाह्य पदार्थ आकर मिलत े ह ैं संद ृषण होता ह ै। प ्रारम्भ में यह अल्प मात्रा में हा ेता है, जिससे एक स्तर तक मन ुष्य को कोई हानि नहीं पहुँचती तब तक यह संद ूषण की श्रेणी मे ं, ल ेकिन जैस े ही इस सीमा का उल्ल ंघन होता है तो यह द ूषण संद ूषण न रहकर प ्रद ूषण बन जाता है। हिन्द ू धर्म ग्रन्थ ‘‘वाराह पुराण’’ में लिखा है कि वृक्षो ं के उपकार पाँच महायज्ञ है ं। व े ग्रहस्थों को ईंधन पथिका ें को छाया तथा विश्राम, पक्षिया ें
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आभा, दीक्षित. "'अक्षय उर्जा' का उपयोग आर्थिक विकास और पर्यावरण विकास दोना ें क े लिए आवष्यक". International Journal of Research - GRANTHAALAYAH 3, № 9 (special Edition) (2017): 1–5. https://doi.org/10.5281/zenodo.580642.

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Abstract:
आधारभ ूत संरचना क े बिना र्कोइ भी अर्थव्यवस्था विकसित नही हो सकती ह ै। उर्जा एक महत्वप ूर्ण आधारभूत संरचना ह ै, जा े विकास का े गति प्रदान करता है, क्योकि सभी क्षेत्रों कृषि, उद्या ेग, परिवहन आदि में उर्जा संसाधनों की आवष्यकता पड ़ती ह ै। यहाॅ तक कि किसी द ेश क े आर्थिक विकास का अन ुमान उस द ेश में उर्जा-संसाधनों की प ्रति व्यक्ति खपत से लगाया जाता ह ै आ ैर माना जाता ह ै कि जिस द ेष में उर्जा की प्रति व्यक्ति खपत जितनी अधिक होगी उस द ेष म ें प ्रति व्यक्ति आय भी उतनी ही अधिक होगी । भारत में विश्व की 16 प ्रतिषत जनसंख्या निवास करती है। ल ेकिन यहाॅ पर कुल विश्व खपत की 1.5 प ्रतिशत उर्जा ही खर्च
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तिवारी, रोली, та चित्रल ेखा वमा. "व्हाट्सएप पर साझा की जाने वाली शैक्षणिक जानकारियो की प्रकृति का अध्ययन". Mind and Society 9, № 03-04 (2020): 23–30. http://dx.doi.org/10.56011/mind-mri-93-4-20213.

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Abstract:
प्रस्त ुत अध्ययन म ें ”व्हाट ्सएप पर साझा की जान े वाली श ैक्षणिक जानकारिया े ं की प्रक ृति का अध्ययन छात्राध्यापका ें क े विश ेष स ंदर्भ म ें” किया गया। क ुल 200 छात्राध्यापकों (100 प ुरूष छात्राध्यापक ए ंव 100 महिला छात्राध्यापिकाआ े ं) का चयन सा ेद्द ेश्य न्यादश र् विधि द्वारा किया गया। शा ेध उपकरण क े रूप में आकड ़ें संग ्रहण करने क े लिय े स्मा र्टफोन म ें प्रय ुक्त व्हाट ्सएप म ैस े ंजर क े माध्यम स े स्क्रीनशा ॅट, छवि (इम ेज) प्रक्रिया का े लिया गया। सा ंख्यिकी विश्ल ेषण ह ेत ु प्रतिशत द्वारा परिकल्पनाओ ं की साथ र्कता की जा ंच की गयी। निष्कष र् म े ं यह पाया गया कि छात्राध्यापका े ं द्व
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राकेश, कवच े. किरण बड ेरिया आलोक गोयल. "''रेडिया ेधर्मी प्रदूषण का बढ ़ता दायरा'' मानव क े लिए अभिषाप". International Journal of Research - GRANTHAALAYAH 3, № 9 (Special Edition) (2017): 1–3. https://doi.org/10.5281/zenodo.883000.

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Abstract:
पर्यावरण प्रद ूषण एक ए ेसी सामयिक समस्या है जिसमें मानव सहित जैव जगत ् क े लिए जीवन की कठिनाईया ँ बढ ़ती जा रही हैं। पर्यावरण के तत्त्वो ं में गुणात्मक ह ्रास के कारण जीवनदायी तत्त्व यथा वायु, जल, मृदा, वनस्पति आदि के न ैसर्गिक गुण ह्रसमान होत े जा रहे हैं जिससे प्रकृति और जीवों का आपसी सम्बन्ध बिगड ़ता जा रहा ह ै। यह सर्व ज्ञात है कि पर्यावरण प्रद ूषण आध ुनिकता की द ेन है। वैसे प्रद ूषण की घटना प्राचीनकाल में भी हा ेती रही ह ै लेकिन प्रकृति इसका निवारण करन े में सक्षम थी, जिससे इसका प्रकोप उतना भयंकर नहीं था, जितना आज है। च ूँकि आज प ्रद ूषण की मात्रा प ्रकृति की सहनसीमा को लाँघ गई ह ै फलतः इ
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क, ुमक ुम भारद्वाज. "''किशनगढ़ श्©ली का पर्यावरण-प्रकृति चित्र्ाण की सांस्कृतिक परम्परा''". International Journal of Research - GRANTHAALAYAH 3, № 9 (Special Edition) (2017): 1–3. https://doi.org/10.5281/zenodo.882061.

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Abstract:
‘‘राजस्थान की किशनगढ ़ श्©ली के चित्र्ा प्रकृति क¨ संरक्षित करके पर्यावरण जागरुकता क¨ आज के परिव ेश में प्रदर्शित करत े हैं। चित्र्ा¨ ं में वनस्पति, जल, वायु तीन¨ं पर्यावरणीय घटक प्रचुर मात्र्ाा में चित्र्ाित ह ैं। पर्यावरण में प्रकृति चित्र्ाण के साथ अध्यात्म दर्शन की सांस्कृतिक परम्परा क¨ ज¨ड ़ा गया ह ै। हरियालीमय सुरम्य वातावरण चित्र्ा¨ं मंे प्रकृति चित्र्ाण की सांस्कृतिक थाती पर्यावरण प्रद ूषित ह¨न े से बचान े का सन्द ेश जन-जन तक पहुँचाती प्रतीत ह¨ती है, ज¨ एक सकारात्मक प्रयास है। पर्यावरण का तात्पर्य समस्त ब्रह्माण्ड के न ैतिक एव ं जैविक व्यवस्था से ह ै, जिसके अंतर्गत समस्त जीवधारी ह¨त े
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वन्दना, अग्निहोत्री. "नदिया ें म ें प्रद ूषण और हम". International Journal of Research - GRANTHAALAYAH 3, № 9 (Special Edition) (2017): 1–4. https://doi.org/10.5281/zenodo.883519.

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Abstract:
जल को बचाए रखना सभी की चिन्ता का विषय ह ै, व ैज्ञानिक राजन ेता, ब ुद्धिजीवी, रचनाकार सभी की चिन्ता है, जल कैस े बचे ? द ुनियाँ को अर्थात पृथ्वी को वृक्षों को, जंगलो को, पहाड ़ों को, हवा को, पानी को बचाना है। पानी का े बचाया जाना बह ुत जरूरी ह ै। पृथ्वी बच सकती ह ै, वृक्ष ज ंगल, पहाड ़ और मन ुष्य, पषु, पक्षी सब बच सकत े ह ै, यदि पानी को बचा लिया गया और पानी प ृथ्वी पर है ही कितना? पृथ्वी पर उपलब्ध सार े पानी का 97ण्4ः पानी सम ुद ्र का खारा जल है, जो पीन े लायक नही ह ै, 1ण्8ः जल ध ु्रवा ें पर बर्फ के रूप म ें विद्यमान है और पीन े लायक मीठा पानी क ेवल 0ण्8ः ह ै जो निर ंतर प्रद ूषित हा ेता जा रहा
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वीणा, अत्र े. "पर्यावरण प्रदूषण का मानव स्वास्थ्य पर बढ़ता दुष्प्रभाव: एक अध्ययन". International Journal of Research - GRANTHAALAYAH 3, № 9 (Special Edition) (2017): 1–3. https://doi.org/10.5281/zenodo.803454.

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Abstract:
पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य का अत्यंत घनिष्ठ सम्बन्ध है। आज औद्योगीकरण के दौर मे ं पर्यावरण ही द ूषित है तो स्वच्छ भोजन पानी एव ं वायु की कल्पना क ैसे ही जा सकती है। इसके फलस्वरूप मन ुष्य में अन ेक रोगा े ं का जन्म होता है। पर्यावरण क े म ुख्य तत्व भूमि, जल, वायु, वनस्पति एवं प्राणी सम ूह है। जल एव ं स्वास्थ्य: कल कारखाना ें का द ूषित जल नदी नालों म ें मिलकर अत्यधिक जल प्रद ूषित करता ह ै। प्रद ूषित जल पीन े से त्वचा रा ेग, पोलियो, पीलिया, टाईफाईड, बुखार, प ेचिस, अतिसार, कृमि ल ेप्टा ेस्पाईस, कंेसर, द ंतक्षय, फ्लूओरोसिस, गर्भपात, मंद विकास जैसी बीमारियों का े जन्म द ेत े हैं। प ेयजल में क्लोराइड
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मिश्रा, आ. ंनद म. ुर्ति, प्रीति मिश्रा та शारदा द ेवा ंगन. "भतरा जनजाति में जन्म संस्कार का मानवशास्त्रीय अध्ययन". Mind and Society 9, № 03-04 (2020): 39–43. http://dx.doi.org/10.56011/mind-mri-93-4-20215.

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Abstract:
स ंस्कार शब्द का अर्थ ह ै श ुद्धिकरण। जीवात्मा जब एक शरीर का े त्याग कर द ुसर े शरीर म ें जन्म ल ेता है ता े उसक े प ुर्व जन्म क े प ्रभाव उसक े साथ जात े ह ैं। स ंस्कारा े क े दा े रूप हा ेत े ह ैं - एक आंतरिक रूप आ ैर द ूसरा बाह्य रूप। बाह ्य रूप का नाम रीतिरिवाज ह ै जा े आंतरिक रूप की रक्षा करता है। स ंस्कार का अभिप्राय उन धार्मि क क ृत्या ें स े ह ै जा े किसी व्यक्ति का े अपन े सम ुदाय का प ुर्ण रूप स े योग्य सदस्य बनान े क े उदद ्ेश्य स े उसक े शरीर मन मस्तिष्क का े पवित्र करन े क े लिए किए जात े ह ै। सभी समाज क े अपन े विश ेष रीतिविाज हा ेत े ह ै, जिसक े कारण इनकी अपनी विश ेष पहचान ह ै,
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Book chapters on the topic "हिंदी शिक्षण"

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"Vartamaan Samay Mai Digitalicaran ka Prabhav." In Educational Transformation in Digital ERA, edited by Narender Kumar. NIILM University, 2024. https://doi.org/10.70388/niilmub/241208.

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Abstract:
िडिजटलीकरण या 'िडिजटाइजेशन' (Digitization) कसी भी कार क सूचना को या कसी भी कार के दतावेज को िडिजटल प म सुरित रखने क या है। आज के आधुिनक समय म इसका महव बत अिधक है यक हम कसी भी कार क सूचना या डाटा को हाड फॉमट म रखना हो तो बत यादा समय तथा कागज आद बबाद होता है। इसी से बचने के िलए अपने सभी कार के दतावेज जैसे- अपने िशा सबधी प, फोटो, कपनी आद के सभी दतावेज आद को अपने िडिजटल मशीन या कयूटर म संिहत करके रखते ह, िजससे हमारा डाटा यादा सुरित रहता है और उसे ा करना बत ही आसान होता है।
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