Academic literature on the topic 'और स्वास्थ्य।'

Create a spot-on reference in APA, MLA, Chicago, Harvard, and other styles

Select a source type:

Consult the lists of relevant articles, books, theses, conference reports, and other scholarly sources on the topic 'और स्वास्थ्य।.'

Next to every source in the list of references, there is an 'Add to bibliography' button. Press on it, and we will generate automatically the bibliographic reference to the chosen work in the citation style you need: APA, MLA, Harvard, Chicago, Vancouver, etc.

You can also download the full text of the academic publication as pdf and read online its abstract whenever available in the metadata.

Journal articles on the topic "और स्वास्थ्य।"

1

श्रीमती, मनीषा शर्मा. "स ंगीत म ें नवाचार का माध्यम स ंस्कृत भाषा". International Journal of Research - GRANTHAALAYAH Innovation in Music & Dance, January,2015 (2017): 1–3. https://doi.org/10.5281/zenodo.885863.

Full text
Abstract:
मानव सभ्यता के साथ-साथ कलाओं का विकास हुआ है । व ैदिक युग क े अ ंतिम कालखण्ड तक संगीत संब ंधी का ेई स्वतंत्र ग्र ंथ उपलब्ध नही ं ह ै तथापि संगीत कला के संबंध में उल्लेख स्थान पर अवश्य प ्राप्त होते ह ैं । ऋग्वेद में गीत, वाद्य आ ैर नृत्य तीना ें क े संब ंध में अन ेक उल्लेख पाये जाते ह ै ं। ऋग्वेद में गीत क े लिए गीर, गातु, गाथा, गायत्र तथा गीति जैसे शब्दों का प ्रयोग किया जाता था । यह सभी तत्कालीन गीत प्रकार थ े और इनका आधार छन्द आ ैर गायन श ैली थी । गीत तथा उसकी धुन के लिए ‘साम‘ संज्ञा भी रही । साम धुन या स्वरावली क े लिए पर्या यवाची शब्द रहा ह ै। यह तत्कालीन जनसंगीत क े अ ंतर्गत गायी जाने वा
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
2

प, ्रो. विनीता वर्मा. "वैश्वीकरण के युग में स ंचार साधना ें क े माध्यमा ें स े भारतीय संगीत की बढ़ती लोकप्रियता". International Journal of Research - GRANTHAALAYAH Innovation in Music & Dance, January,2015 (2017): 1–3. https://doi.org/10.5281/zenodo.887002.

Full text
Abstract:
‘‘आ ना े भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः।’’ अर्था त् - ‘हे परम प ्रकाशक परमात्मा सद्विचार सभी दिशाओं में आयें। हमारे पूर्वज कितने दूर दृष्टा थ े, यह इस बात का द्योतक ह ै कि, जिस व ैश्वीकरण के महत्व का े शेष विश्व के लोग आज समझ पाये ह ैं, उसे हमारे मनीषिया ें ने बह ुत पहते ही निर्धा रित कर ‘‘वसुधैव कुटुम्बकम्’’ की अवधारणा का े हमारी संस्कृति का आधार बनाया। वर्तमान समय में सम्पूर्ण विश्व में ह ुए तकनीकी विकास एवं संचार क्रान्ति के कारण समस्त विश्व ही एक ग्राम के समान ह ै, क्या ेंकि संचार साधनों ने इसे इतना जोड़ दिया ह ै कि प ूरी दुनिया ही चंद कदमा ें एव ं कुछ घ ंटा ें की दूरी में सिमट र्गइ ह ै और वि
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
3

ख ुट, डिश्वर नाथ. "बस्तर का नलवंश एक ऐतिहासिक पुनरावलोकन". Mind and Society 9, № 03-04 (2020): 47–52. http://dx.doi.org/10.56011/mind-mri-93-4-20217.

Full text
Abstract:
सभ्यता का विकास पाषाण काल स े प ्रार ंभ हा ेता ह ै। इस काल म ें बस्तर म े रहन े वाल े मानव भी पत्थर क े न ुकील े आ ैजार बनाकर नदी नाल े आ ैर ग ुफाआ ें म ें रहत े थ े। इसका प ्रमाण इन्द ्रावती आ ैर नार ंगी नदी के किनार े उपलब्ध उपकरणों स े हा ेता है। व ैदिक युग म ें बस्तर दक्षिणापथ म ें शामिल था। रामायण काल म ें दण्डकारण्य का े उल्ल ेख मिलता ह ै। मा ैर्य व ंश क े महान शासक अशा ेक न े कलि ंग (उड ़ीसा) पर आक्रमण किया था, इस य ुद्ध म ें दण्डकारण्य क े स ैनिका ें न े कलि ंग का साथ दिया था। कलि ंग विजय क े बाद भी दण्डकारण्य का राज्य अशा ेक प ्राप्त नही ं कर सका। वाकाटक शासक रूद ्रस ेन प ्रथम क े समय
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
4

डा, ॅ. नीरज राव. "स ंगीत क े प्रचार-प्रसार म ें स ंचार साधना ें की भ ूमिका". International Journal of Research - GRANTHAALAYAH Innovation in Music & Dance, January,2015 (2017): 1. https://doi.org/10.5281/zenodo.886994.

Full text
Abstract:
मनुष्य को आदिकाल से ही संगीत मना ेरंजन एव ं आमोद-प्रमोद का साधन रहा ह ै। आदिकाल से ही मानव ने अपने मना ेरंजन क े साधन क े लिये विभिन्न प्रकार क े प ्रया ेग किये जैसे-जैसे मानव अपनी सभ्यता का विकास करता गया व ैसे-व ैसे उसकी समझ आ ैर सूझ-बूझ ने नृत्य, गायन आ ैर वादन की ओर आकर्षि त किया। मानव ने सभ्यता और संस्कृति को समझकर अपने का े प ्रकृति क े साथ तालमेल करते ह ुए संगीत का े सीखा। हमारे पा ैराणिक ग्रंथों में भी इस बात का उल्लेख ह ै कि माँ पार्वती की गायन मुद्रा को देखकर भगवान षंकर ने क्रमषः पाँच राग हिंडा ेल, दीपक, श्री, मेघ, का ैषिक आदि रागों की रचना की एवं संगीत की उत्पत्ति भगवान षिव क े ताण्
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
5

शिल्पा, मसूरकर. "स ंगीत म ें नवाचार फ्यूज ़न म्यूजिक". International Journal of Research - GRANTHAALAYAH Innovation in Music & Dance, January,2015 (2017): 1–3. https://doi.org/10.5281/zenodo.885869.

Full text
Abstract:
भारत देश कला व संस्कृति का प ्रतीक माना जाता ह ै। भारतीय संगीत हमारे भारत की अमूल्य धरा ेहर क े रूप में अति प ्राचीन काल से ही सर्वोच्च स्थान पर विद्यमान है। सृष्टि की उत्पत्ति के साथ ही संगीत भी अस्तित्व में आया होगा, ऐसा माना गया ह ै, परंतु देखा जाये तो प ्रकृति क े रोम-रोम में ही संगीत बसता है, नदियों की बहती धारा, कल-कल की ध्वनि, हवा की सन्-सन् ध्वनि, पत्तों से टकराती हवा की ध्वनि व पत्तों पर गिरती बारिश के बूंदों क े टप्-टप् की ध्वनि, पक्षियों की चहचहाट आदि में संगीत को देखा, सुना, समझा व महसूस भी किया जा सकता ह ै। संगीत ही धर्म, अर्थ , काम और मोक्ष का एकमात्र साधन है। भारत में पिछले र्कइ
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
6

वर्षा, अग ्रवाल. "राग रागिनी और पर्यावरण का परस्पर सम्बन्ध". International Journal of Research - GRANTHAALAYAH 3, № 9 (Special Edition) (2017): 1–4. https://doi.org/10.5281/zenodo.883521.

Full text
Abstract:
मन आ ैर उससे जुड ़ा मस्तिष्क जिस प्रकार हमार े भौगोलिक पर्यावरण को द ेखकर उस पर आसक्त होता ह ै और शरीर को अच्छे स्वच्छ पर्या वरण का साथ मानव मन को सुख शान्ति की ओर ले जाता है। भारतीय संगीत में विभिन्न राग-रागनिया ें का ध्यान पर्या वरण के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध है। ए ेसा सर्वविदित है कि एक अच्छा सा ेच, अच्छ े विचार, अच्छा स ंगीत आदि सभी अच्छे पर्या वरण का निर्मा ण करत े हैं। नदी का बहना, वायु का प ्रवाहमान होना, व ृक्षों की सांय-सांय सभी एक स ुखद संगीत ध्वनि का निर्माण करत े हैं जा े अला ैकिक है, सार्वभा ैमिक ह ै। परन्त ु हमारे सामव ेद में ऊँ का उच्चारण, मंत्रा ें का उच्चारण उद ्दात, अन ुद ्दात, स्
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
7

डा, ॅ. प. ्रेमलता तिवारी. "स ंगीत चिकित्सा -एक नवाचार". International Journal of Research - GRANTHAALAYAH Innovation in Music & Dance, January,2015 (2017): 1–3. https://doi.org/10.5281/zenodo.886095.

Full text
Abstract:
यह संगीत स्वर लहरियांे क े मध्यम से कानो ं में उतरकर दिल में जगह बनाता ह ै। बूंदांे का टपकना, पत्ता े ं का सरसराना, लहरांे का लहराना, प ंछियांे का कलरव करना संगीत ही तो ह ै इस बात से इ ंकार नहीं किया जा सकता कि जब कोई कर्ण पि ्रय संगीत की लहरियाँ गूंजती ह ै तो हदय में न क ेवल कंपन हा ेता है,बल्कि स ंगीत रंगा े ं में घ ुलमिलकर मन का े अमृतमय कर देता ह ै। आ ेशो ने कहा था कि जीवन में एक ही चीज बचानी चाहिए और वह ह ै आत्मा और उसका संगीत क्या ेकि मस्तिष्क आ ैर हृदय संगीत की धरातल पर ही खडे़ हा ेकर एक दूसरे मे लीन हो जाते ह ै ं। कितने तर्क ,कितने विश्वास,कितनी परिभाषाएँ, कितने मत,कितने सिद्धांत लेकिन
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
8

डा, ॅ. अल्पनारानी गाँधी. "चिकित्सा क े क्ष ेत्र म ें स ंगीत का प्रया ेग: एक स ंक्षिप्तावलोकन". International Journal of Research - GRANTHAALAYAH Innovation in Music & Dance, January,2015 (2017): 1–3. https://doi.org/10.5281/zenodo.887025.

Full text
Abstract:
संगीत एक ऐसी कला ह ै जिससे न क ेवल चेतन अपितु जड़ भी प्रभावित होता ह ै। संगीत क ेवल आनंदानुभूति ही नहीं देता वरन् मनुष्य या प ्राणी की मानसिक स्थितिया ें की भी सूचक होता ह ै आ ैर हमारे मना ेभावों का े भी प ्रभावित करता ह ै। संगीत म ें स्वर व गति (लय) का समाव ेश हमारी आत्मा को प ्रभावित करता ह ै। मानवीय क्रियाए ं भी गत्यात्मक होती ह ैं दोनों म ें सादृश्यता होने क े कारण ही राग रागनियाँ हमारी आत्मा और शरीर को प ्रभावित करती ह ैं। राग और लय की शक्ति इनकी नियमितता क े कारण ही आती ह ै। यह मनुष्य का स्वभावगत व्यवहार ह ै कि असंतुलन में संतुलन, अव्यवस्था में व्यवस्था आ ैर असामंजस्य में सामंजस्य लाने क
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
9

डा, ॅ. साधना चा ैहान. "आ ंतरिक एव ं बाह ्य सज्जा में र ंग स ंयोजन". International Journal of Research - GRANTHAALAYAH Composition of Colours, December,2014 (2017): 1–2. https://doi.org/10.5281/zenodo.890365.

Full text
Abstract:
रंग हमारे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा ह ै, जितनी ख ुबसुरत हमारी यह रंगीन दुनिया है, उतनी ही विलक्षण इन रंगा े की दुनिया ह ै। बचपन में हमे सिर्फ तीन प्राथमिक रंगा े के नाम सिखाये जाते है:- पीला, नीला और लाल, परन्तु सच तो यह है कि, किसी संख्या में रंगा े को सीमित नही कर सकते। रंगा े की का ेई गिनती नही होती, क्या ेंकि इस दुनिया में असंख्य रंग ह ै। इसका कारण यह ह ै कि किन्ही भी दो रंगा े का े मिलाकर हम एक तीसरे रंग का निर्माण कर सकते ह ै आ ैर उन दो रंगा े की मात्रा में फ ेरबदल करके हम अनेक हल्के आ ैर गहरे रंगा े का निर्मा ण कर सकते ह ै। इस तरह हम अलग अलग सामंजस्य (ब्वउइपदंजपवदे) से असंख्य रंगा े का न
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
10

सुरभि, त्रिपाठी. "''चित्रकला म ें र ंग'' (प्रागैतिहासिक काल स े वर्तमान काल तक के परिपेक्ष्य में)". International Journal of Research - GRANTHAALAYAH Composition of Colours, December,2014 (2017): 1–3. https://doi.org/10.5281/zenodo.890519.

Full text
Abstract:
सुख-दुःख, उत्तेजना, भय, विश्राम, उल्लास आदि का पर्या य ही रंग ह ै। रंग प्रकृति के कण-कण में व्याप्त ह ै। घरा क े प ्रत्येक रंग का अपना एक सौदंर्य व नैसर्गिक गुण होता ह ै, परन्तु उसे किस प ्रकार प ्रयुक्त किया जाय यह कलाकार की क ुशलता एवं दक्षता पर निर्भर करता ह ै, एक प ्रकार से रंग ही मनुष्य की प ्रव ृत्ति की अभिव्यक्ति हैं, जिसे कलाकार अपने अनुभव के साथ प ्रस्तुत करता है। रंगा ें क े प ्रति मनुष्य का आकर्ष ण स्वाभाविक ही नहीं वरन् जन्मजात ह ै, इस प ्रकार रंग व्यक्ति विशेष की कलाक ृति का सबसे महत्वपूर्ण व सार्थ क तत्व ह ै। रंग व्यक्ति विश ेष की अभिव्यक्ति भी ह ै। हिन्दू धर्म में वर्ण (रंग) का
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
More sources

Book chapters on the topic "और स्वास्थ्य।"

1

"Vartamaan Samay Mai Digitalicaran ka Prabhav." In Educational Transformation in Digital ERA, edited by Narender Kumar. NIILM University, 2024. https://doi.org/10.70388/niilmub/241208.

Full text
Abstract:
िडिजटलीकरण या 'िडिजटाइजेशन' (Digitization) कसी भी कार क सूचना को या कसी भी कार के दतावेज को िडिजटल प म सुरित रखने क या है। आज के आधुिनक समय म इसका महव बत अिधक है यक हम कसी भी कार क सूचना या डाटा को हाड फॉमट म रखना हो तो बत यादा समय तथा कागज आद बबाद होता है। इसी से बचने के िलए अपने सभी कार के दतावेज जैसे- अपने िशा सबधी प, फोटो, कपनी आद के सभी दतावेज आद को अपने िडिजटल मशीन या कयूटर म संिहत करके रखते ह, िजससे हमारा डाटा यादा सुरित रहता है और उसे ा करना बत ही आसान होता है।
APA, Harvard, Vancouver, ISO, and other styles
We offer discounts on all premium plans for authors whose works are included in thematic literature selections. Contact us to get a unique promo code!