Academic literature on the topic 'धार्मिक'

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Journal articles on the topic "धार्मिक"

1

दूबे, आनन्द कुमार, та एन के तिवारी*. "अयोध्या का धार्मिक इतिहास". Humanities and Development 17, № 2 (2022): 118–21. http://dx.doi.org/10.61410/had.v17i2.82.

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Abstract:
अयोध्या पुरी का वर्णन विभिन्न धार्मिक ग्रन्थों में धर्म नगरी के रूप में किया गया है। परम्पूज्य गोस्वामी तुलसीदास जी से लेकर महाकवि कालीदास जी द्वारा अयोध्या के महात्म्य का विवेचन किया गया है। हिन्दू धर्म ग्रन्थों के साथ-साथ जैन, बौद्व आदि धर्म ग्रन्थों में अयोध्या की प्राचीनता एवं महत्ता का उल्लेख प्राप्त होता है। वेदो में इस नगरी को दिव्य तथा अलौकिक रूप में दर्शाया गया है प्रभू श्रीराम की जन्म स्थली के साथ-साथ अयोध्या का सम्बन्ध जन मानस के भाव से गहराई से जुड़ा हुआ है।
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2

., दलजीत, та उपमा वर्मा*. "शुंग कालीन धार्मिक जीवन". Humanities and Development 17, № 2 (2022): 33–37. http://dx.doi.org/10.61410/had.v17i2.65.

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Abstract:
शुंग राजाओं का शासन काल वैदिक या ब्राह्मण धर्म के पुनर्जागरण का काल माना जाता है। मौर्य काल की समाप्ति और शुंग वंश की स्थापना के साथ ही सर्वप्रथम राजनीतिक परिवर्तन के साथ ही धार्मिक परिवर्तन हुआ। पाणिनि ने शुंगों को भारद्वाज गोत्र का ब्राह्मण बतलाया है। डॉ. के. पी. जायसवाल भी इस मत से सहमत हैं।1 उनके अनुसार शुंग ब्राह्मण थे और धार्मिक जगत में उनका प्रभुत्व अधिक था। इस काल में ब्राह्मण धर्म को राजकीय संरक्षण मिलने से वैदिक धर्म एवं यज्ञों की प्रभुता स्थापित हो गयी। ब्राह्मण धर्म के अनुसार देवी-देवताओं की उपासना शुंग शासन काल में बड़ी दृढ़ता के साथ किया जाने लगा। ब्राह्मण को वैदिक धर्म का विशेषज्ञ
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3

Thapa, Laxmi. "असमानताबाट धार्मिक रूपान्तरण तर्फः सामाजिक विभेदले पारेको प्रभाव". Samaj Anweshan समाज अन्वेषण 3, № 1 (2025): 152–59. https://doi.org/10.3126/anweshan.v3i1.81976.

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Abstract:
मानव मात्रले पृथ्वीमा आपूmलाई जीवित राख्नका लागि अर्थोपार्जन गर्नुपर्दछ । मानिसले बाँच्नका लागि गरिने गतिविधिलाई नै जीविकोपार्जन भन्छन् । यसका लागि श्रम गर्न स्रोत, साधन, पुँजी र रोजगारीका अवसरहरूको आवश्यकता पर्दछ । ती आवश्यक तŒवहरूमा हुने असमान वितरण र असमान पहुँचको सामाजिक अवस्थालाई असमानता भनिन्छ । यो असमानताको सामाजिक अवस्थाले मानिसको व्यक्तिगत र सामुदायिक पहिचानमा सामाजिक, आर्थिक तथा मनोवैज्ञानिक ढङ्गले बहुयामिक प्रभाव पारेको हुन्छ । यो अनुसन्धानात्मक लेख सामाजिक असमानता र यसको बहुआयामिक प्रभावहरूमध्ये धार्मिक आस्था परिवर्तनमा असमानताले केकस्तो प्रभाव पारेको हुन्छ भन्ने कुरामा केन्द्रित र
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4

मिश्र, शिवम, та विजय कुमार अग्रवाल*. "अयोध्या पर्यटन को नया आयाम दे सकता है नगर के प्राचीनतम ऐतिहासिक स्थलों एवं कुण्डों का जीर्णोंद्धार". Humanities and Development 17, № 1 (2022): 30–34. http://dx.doi.org/10.61410/had.v17i1.36.

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Abstract:
वर्तमान समय में अयोध्या नगरी जिस प्रकार से देशी एवं विदेशी पर्यटकों को अपनी ओर आर्किषत कर रही है। उसके अवलोकन से धार्मिक पर्यटन को एक नई ऊँचाई मिलती दिख रही है। भारत के उत्तर प्रदेश में उपस्थित अयोध्या जनपद जिस प्रकार से अपनी ऐतिहासिक एवं धार्मिकता को स्वयं में समेटे हुये है वह देश के लिए अत्यन्त गौरवान्वित करने वाली बात है।
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5

Dr., Ankush Shinde, Mahendra Bhimrao Kasabe Mr. та Sudhakar Bhaurao Kambale Mr. "सोलापूर जिल्यामधील मोहोळ तालुक्यातील वडवळ येथील नागनाथ मंदिराचा एक धार्मिक पर्यटन स्थळ म्हणून अभ्यास". International Journal of Advance and Applied Research 4, № 8 (2023): 122–26. https://doi.org/10.5281/zenodo.7800520.

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Abstract:
प्राचीन काळी भारतीय समाजात पर्यटन अस्तित्वात होते. भारतात सिंधु संस्कृतीपासुन व्यापार, धर्म, संस्कृती, तत्वज्ञान इ. अनेक कारणांनी पर्यटन झाले आहे. मौर्य कालखंडात मॅगेस्थेनिस हा प्रवासी भारतात आला. सम्राट अशोकाने बौध्द भिक्खुंना भारतातील विविध भागात आणि भारताच्या शेजारील देशात बौध्द धर्माच्या प्रसारासाठी पाठविले होते. भारतीय धर्म, संस्कृती, शिक्षण, कला, यांच्या अभ्यासासाठी अनेक परकिय पर्यटकांनी भारतात प्रवास केला त्यामध्ये हुएन त्संग, इत्सिंग अल्बेरुनी इ. ची नावे सांगता येतील. भारतीय पर्यटनात प्राचीन काळापासुन धार्मिक पर्यटनाला अनन्यसाधरण महत्त्व आहे. कारण धार्मिक स्थळांना भेटी दिल्याने आत्मिकश
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अपर्णा, श्रीवास्तव. "डुग्गर भित्तिचित्रों का धार्मिक स्वरूप". International Journal of Research - Granthaalayah 5, № 12 (2017): 135–40. https://doi.org/10.5281/zenodo.1133824.

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Abstract:
कला का प्रधान लक्ष्य सौन्दर्य की अनुभूति है। कलाओं में सौन्दर्यानुभूति की सृजनात्मक अभिव्यक्ति की उत्पत्ति मानव सभ्यता के आदि काल से ही धार्मिक आध्यात्मिक कलाकृतियों की रचना के कारण सम्भव हुई है। धर्म एवं कला दोनों ही मानवीय जीवन को व्यवस्थित एवं संगतिपूर्ण बनाते हैं तथा मानवीय जीवन के महान सत्य को प्रस्तुत करती है। कला तथा धर्म ने एक दूसरे के निहितार्थ प्रेरणा का कार्य किया है। कला की धार्मिक अभिप्यक्ति के सन्दर्भ में जम्मू की डुग्गर संस्कृति का विशेष महत्व है जहाँ कला ने धार्मिक अभिव्यक्ति के प्रकटन हेतु विविध स्वरूपों का विकास किया, जिनमें से भित्ति चित्रण प्रमुख है। डुग्गर संस्कृति के भित्
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Dr., Ankush Shankar Shinde, та Sumitrabai Shankar Rathod Mrs. "उस्मानाबाद जिल्यातील उमरगा तालुक्यातील उमरगा शहरातील हेमाडपंथीय श्री महादेव मंदीर या धार्मिक पर्यटन स्थळाचा एक भौगोलिक अभ्यास". International Journal of Advance and Applied Research 4, № 8 (2023): 127–30. https://doi.org/10.5281/zenodo.7800525.

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Abstract:
प्राचीन काळी भारतीय समाजात पर्यटन अस्तित्वात होते. भारतात सिंधु संस्कृतीपासुन व्यापार, धर्म, संस्कृती, तत्वज्ञान इ. अनेक कारणांनी पर्यटन झाले आहे. मौर्य कालखंडात मॅगेस्थेनिस हा प्रवासी भारतात आला. सम्राट अशोकाने बौध्द भिक्खुंना भारतातील विविध भागात आणि भारताच्या शेजारील देशात बौध्द धर्माच्या प्रसारासाठी पाठविले होते. भारतीय धर्म, संस्कृती, शिक्षण, कला, यांच्या अभ्यासासाठी अनेक परकिय पर्यटकांनी भारतात प्रवास केला त्यामध्ये हुएन त्संग, इत्सिंग अल्बेरुनी इ. ची नावे सांगता येतील. भारतीय पर्यटनात प्राचीन काळापासुन धार्मिक पर्यटनाला अनन्यसाधरण महत्त्व आहे. कारण धार्मिक स्थळांना भेटी दिल्याने आत्मिक
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DOLMA, FULCHUNG. "लाहौल के हिन्दू धार्मिक गीत". Swar Sindhu 4, № 2 (2016): 29–36. http://dx.doi.org/10.33913/ss.v04i02a05.

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उलक Ulak, विश्व Bishwa. "पनौती एक धार्मिक पर्यटकीय गन्तव्य". HISAN: Journal of History Association of Nepal 9, № 1 (2023): 118–24. http://dx.doi.org/10.3126/hisan.v9i1.64111.

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Abstract:
वि.सं.२०४६ को राजनीतिक परिवर्तन पश्चात वि.सं.२०५३ सालमा नगरपालिकामा पुनर्गठित पनौती गाउँ विकास समितिमा खोपासी, सुन्थान आदिलाई जोडेर बनाइएकोमा अर्को वि.सं.२०६३ को राजनीतिक परिवर्तन पछाडि वि.सं.२०७३ सालमा पुःन संरचित नगरपालिकामा कुशादेवी, याले, बिहावर, कलाती, भूमिडाँडा, बल्थली आदि जोडियो । १२ वडामा विभाजित यो नगरपालिकाको भू–धरातल लडकेश्वर गल्ली करिव १६०० मिटरदेखि फुलचोकीको टुप्पा करिव २८०० मिटरसम्म रहेको छ । नेपालको राजधानी काठमाडौंबाट ३२ किलोमिटरको दुरिले जोडिएको पःलाती दे (पनौती सहर) बागमती प्रदेशको पनौती नगरपालिका भित्र पर्दछ । रोसी उपत्यका भित्र रहेका तीन नगरपालिकाहरूमध्ये क्षेत्रफलको आधारमा
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Kandel, Ram Prasad. "वीरेन्द्रनगर नगरपालिकाका धार्मिक स्थाननामको अध्ययन". Spectrum of Humanities and Social Sciences 1, № 1 (2025): 195–204. https://doi.org/10.3126/shss.v1i1.79855.

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