Academic literature on the topic 'बीज संज्ञा'

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Journal articles on the topic "बीज संज्ञा"

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बी.एस., निगवाले. "''राजीव गाँधी जल प ्रबधंन मिषन का ग्रामीण क्षेत्रा ें म ें आर्थिक योगदान''". International Journal of Research - GRANTHAALAYAH 3, № 9 (Special Edition) (2017): 1–5. https://doi.org/10.5281/zenodo.803446.

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Abstract:
भारतीय क ृषि मानसून का ज ुआं ह ै और यह ज ुआं भारतीय अर्थ षास्त्र और भारतीय जनता सनातन काल स े अपन े कंध े पर रखे ह ुए षून्य में ताक रही ह ै। वस्त ु स्थिति यह है कि जल के अभाव मे भारतीय कृषि ही क्या भारत के उद्योग धंधें, कल-कारखान े, और समूची अर्थव्यवस्था ही ठप हो जाती ह ै। पानी के अभाव मे ं गहराता विद्युत संकट, स ूख े पड ़े खेत आ ैर ब ंद पड ़े कल-कारखानों न े एक ओर हमार े राष्ट ªीय उत्पाद को प ्रभावित किया है वहीं द ूसरी तरफ हमारा अंतर्राष्ट ªीय निर्यात भी गड ़बड ़ाया है। फलतः एक आ ेर विद ेषी मुद ्रा की कमी की आप ूर्ति और द ूसरी ओर वर्त मान समस्याओं से निपटन े के लिए भारी वित्तीय प ्रब ंधन। ”ज
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2

डा, ॅ. श्रीमती प्रतिभा श्रीवास्तव. "र ंग, स ेहत, सब्जियाँ - एक दृष्टिका ेण". International Journal of Research - GRANTHAALAYAH Composition of Colours, December,2014 (2017): 1–5. https://doi.org/10.5281/zenodo.890493.

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Abstract:
रंगा ें का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। इनके द्वारा हमें अपने चारों ओर की स्थितिया ें का ज्ञान होता ह ै आ ैर रंगा ें का प्रभाव ज्ञात हा ेता है। रंग मनुष्य की आँख में वर्णक्रम से मिलने पर छाया संब ंधी गतिविधियों से उत्पन्न होते ह ै। मूलरूप से इन्द्रधनुष क े सात रंगा ें का े ही रंगा ें का जनक माना जाता है। ये सात रंग लाल, नारंगी, पीला, हरा, आसमानी, नीला व ब ैंगनी ह ै। मानवीय गुण धर्म में आभासी बोध के अनुसार लाल, नीला व हरा रंग हा ेता है। रंगा ें स े विभिन्न प ्रकार से वस्तु प ्रकाष स्त्रोत एवं श्रेणियां इत्यादि आती ह ै। प ्रकाष स्त्रोता ें के भा ैतिक, गुणधर्म जैसे प्रकाष विलियन, समावेषन, परावर्
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3

मुक, ुन्द कुमार. "वस्त्र अलंकरण म ें र ंगा ें की पुरातन भ ूमिका". International Journal of Research - GRANTHAALAYAH Composition of Colours, December,2014 (2017): 1–2. https://doi.org/10.5281/zenodo.888816.

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Abstract:
रंग वस्त्र आकल्पन (अलंकरण) का मूलाधार है। वस्त्र्ा के अनुरूप रंग द्रव्य¨ ं ;कलमेद्ध का चयन आ ैर उनक े प्रय¨ग की तकनीक, कलाकार अथवा रंगरेज के निजी दृष्टिक¨ण एवं उनक े अनुभव पर आधारित ह¨ती है। रंग¨ ं का, व्यक्ति की मन¨भावनाअ¨ ं पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इन्हीं पहल ुअ¨ं का अध्ययन करके वस्त्र्ा¨ं क े विविध प्रकार क े अनुसार रंगद्रव्य का सफलताप ूर्वक प्रय¨ग किया जाता ह ै। वस्त्र्ा रंर्गाइ की कला अतिप्राचीन ह ै। भारतवर्ष में र्कइ ऐसे प्रमाण मिलते ह ैं जिनमें वस्त्र्ा ब ुर्नाइ एवं वस्त्र्ा-रंर्गाइ के विषय र्में इ सा प ूर्व एवं उत्तरार्ध में मनुष्य¨ ं क¨ ज्ञान था। वस्त्र्ा ब ुनाई अ©र रंर्गाइ के इतिहास
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डा, ॅ. स्मिता खानवलकर. "न ेतत्व, सहया ेग, प्रबन्धन एवं नवाचार में स ंगीत-एक रूपकालंकार". International Journal of Research - GRANTHAALAYAH Innovation in Music & Dance, January,2015 (2017): 1–3. https://doi.org/10.5281/zenodo.887006.

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Abstract:
सम्पूर्ण विष्व में विषेषकर पाष्चात्य देषा ें म ें अधिकांष कार्यकारी समूहा ें में उनक े कार्यनिष्पादन में सकारात्मक वृद्धि ह ेतु विभिन्न प्रकार का संगीत प्रयुक्त किया जाता ह ै। जिनमें गूगल, ओरॅकल, रोल्स रायस, सीमेन्स, लाॅरियाल, डचब ैंक, बीबीसी, नोकिया, सेन्डा ेज, मोर्ग न स्टेनले आदि र्कइ ं संस्थाना ें क े नाम प्रमुखता से लिये जा सकते ह ैं। ये सभी संस्थान अपने क्षेत्र में वर्चस्व स्थापित कर चुके है ं एव ं प्रबन्धन क े क्ष ेत्र का प्रत्येक व्यक्ति इनके नाम से अछूता नहीं ह ै। इन संस्थाना ें में उनके वरिष्ठ नेतृत्व का े प्रषिक्षित करने क े लिये उन्हंे प्रकारान्तर से (ब ैन्ड एव ं वाद्यवृन्द क े माध्
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डा, ॅ. साधना चा ैहान. "आ ंतरिक एव ं बाह ्य सज्जा में र ंग स ंयोजन". International Journal of Research - GRANTHAALAYAH Composition of Colours, December,2014 (2017): 1–2. https://doi.org/10.5281/zenodo.890365.

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Abstract:
रंग हमारे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा ह ै, जितनी ख ुबसुरत हमारी यह रंगीन दुनिया है, उतनी ही विलक्षण इन रंगा े की दुनिया ह ै। बचपन में हमे सिर्फ तीन प्राथमिक रंगा े के नाम सिखाये जाते है:- पीला, नीला और लाल, परन्तु सच तो यह है कि, किसी संख्या में रंगा े को सीमित नही कर सकते। रंगा े की का ेई गिनती नही होती, क्या ेंकि इस दुनिया में असंख्य रंग ह ै। इसका कारण यह ह ै कि किन्ही भी दो रंगा े का े मिलाकर हम एक तीसरे रंग का निर्माण कर सकते ह ै आ ैर उन दो रंगा े की मात्रा में फ ेरबदल करके हम अनेक हल्के आ ैर गहरे रंगा े का निर्मा ण कर सकते ह ै। इस तरह हम अलग अलग सामंजस्य (ब्वउइपदंजपवदे) से असंख्य रंगा े का न
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चा ैहान, ज. ुवान सि ंह. "प ्रवासी जनजातीय श्रमिका ें की प ्रवास स्थल पर काय र् एव ं दशाआ ें का समाज शास्त्रीय अध्ययन". Mind and Society 8, № 03-04 (2019): 38–44. http://dx.doi.org/10.56011/mind-mri-83-4-20196.

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Abstract:
भारत म ें प ्रवास की प ्रक्रिया काफी लम्ब े समय स े किसी न किसी व्यवसाय या रा ेजगार की प ्राप्ति ह ेत ु गतिशील रही ह ै आ ैर यह प ्रक्रिया आज भी ग ्रामीण जनजातीय सम ुदाय म ें गतिशील दिखाइ र् द े रही ं ह ै। प ्रवास की इस गतिशीलता का े रा ेकन े क े लिए क ेन्द ्र तथा राज्य सरकार न े मनर ेगा क े तहत ् प ्रधानम ंत्री सड ़क या ेजना, स्वण र् ग ्राम स्वरा ेजगार या ेजना ज ैसी सरकारी या ेजनाआ े ं का े लाग ू किया ह ै, ल ेकिन फिर ग ्रामीण जनजातीय ला ेगा े ं क े आथि र्क विकास म े ं उसका असर नही ं दिखाइ र् द े रहा ह ै। ग ्रामीण जनजातीय सम ुदाया ें म े ं निवास करन े वाल े अधिका ंश अशिक्षित हा ेन े क े कारण शा
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डा, ॅ. अर्चना रानी. "वर्ण-सौन्दर्य द्वारा दर्शक स े संवाद करती भारतीय कला". International Journal of Research - GRANTHAALAYAH Composition of Colours, December,2014 (2017): 1–4. https://doi.org/10.5281/zenodo.888762.

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Abstract:
कला और सौन्दर्य-ये दा े शब्द कला जगत में एक ज ैसे होते हुए भी बह ुत विस्तृत ह ैं। स्थूल तैार पर हम कला आ ैर सा ैन्दर्य में का ेई अन्तर नहीं कर पाते। सा ैन्दर्य एक मानसिक अवस्था ह ै आ ैर वह देश-काल से मर्या दित है। इस सा ैन्दर्य रूपी व ृक्ष की दो शाखायें ह ैं-एक प्रकृति तथा दूसरी कला। कलागत सौन्दर्य पर दा े दृष्टियों से विचार किया जा सकता है। पहली दृष्टि यह है जिसमें हम कलाकार को क ेन्द्र में रखकर विचार करते ह ै ं अर्थात् कलाकार की कल्पना में किस प ्रकार कोई कलाकृति आकार ग्रहण करती ह ै आ ैर वह किस रूप में दर्श कों क े सम्मुख प्रकट हा ेती ह ै। दूसरी दृष्टि में दर्श क का े क ेन्द्र में रखा जाता ह
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डा, ॅ. भारती जोशी विभागाध्यक्ष. "र ंगा ें का मना ेवैज्ञानिक प्रभाव एवं र ंग चिकित्सा". International Journal of Research - GRANTHAALAYAH Composition of Colours, December,2014 (2017): 1–3. https://doi.org/10.5281/zenodo.888766.

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Abstract:
रंग हमारे दिमाग और शरीर पर अत्यधिक प्रभाव डालता ह ै।सूर्य से प ्राप्त उर्जा रंगा ें में समाहित हा ेती ह ै।प ्रकृति का सा ैन्दर्य हर घण्टे, हर दिन, हर वर्ष परिवर्तित होता रहता ह ै। प ्रकृति का हर रंग प ्राणी का मित्र ह ै बस आवश्यकता ह ै धैर्यपूर्वक प्रकृति की मूक भाषा का े सीखने, समझने, आ ैर आत्मसात करने की । ख ुली जगह में देख ें, प ्रकृति ने कैसे रंगा ें का ताना बाना बुना ह ै रंगा ें क े एक शेड का े दूसरे श ेड से कितनी सुन्दरता क े साथ मिलाया ह ै । आसमान का नीलापन कितना शान्तिदायक है आ ैर कितने प ्रशस्त होने की भावना से ओत प ्रोत ह ै। प ृथ्वी की हरीतिमा कैसी शीतल और तुष्टि प ्रदायनी ह ै। सुर्य
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महाजन, अनुराधा बस्वराज. "हैदराबाद मुक्तीसंग्रामात मराठी वृत्तपत्रांची भूमिका". उदयगिरी - बहुभाषिक इतिहास संशोधन पत्रिका (Udayagiri Bahubhashik Itihas Sanshodhan Patrika - A Bimonthly, Refereed, & Peer Reviewed Journal of History) 01, № 04 (2023): 110–13. https://doi.org/10.5281/zenodo.8348495.

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Abstract:
<strong>हैदराबाद मुक्तीसंग्रामात मराठी वृत्तपत्रांची भूमिका</strong> महाजन अनुराधा बस्वराज संशोधन विद्यार्थी, महाराष्ट्र महाविद्यालय निलंगा जिल्हा: लातूर ४१३५२१ महाराष्ट्र, भारत <em>Corresponding author E-mail</em>: mahajananuradha424@gmail.com Received: 14 September, 2023 | Accepted: 15 September, 2023 | Published: 16 September, 2023 --------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------- <strong>महत्वाचे शब्द: </strong>निजाम सरकार, मुक्ती लढा, जनजागृती /लोकजागृती, स्वातंत्र्य सैनिक, निजामविजय, नागरिक-राजहंस
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