Academic literature on the topic 'समानता'

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Journal articles on the topic "समानता"

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Tiwari, Dr Pooja. "Gender Equality: A Burning Question." International Journal for Research in Applied Science and Engineering Technology 12, no. 12 (2024): 1597–98. https://doi.org/10.22214/ijraset.2024.66088.

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Abstract:
लœिगक समानता ,एक मौिलक मानव अिधकार होनेके अलावा ,शांितपूणŊसमाजो ंको Ůाɑ करनेके िलए आवʴक है,िजससेपूणŊ मानव Ɨमता और सतत िवकास हो | लœिगक समानता अथाŊत एक ऐसा िवʷ जहाँकोई भी ʩİƅ अपनी लœिगक पहचान के कारण डर मŐन रहेया िहंसा का सामना न करना पड़े|लœिगक समानता मŐसमान अिधकार ,समान अवसर ,सʃान तथा िबना िकसी डर के अपनी पहचान ज़ािहर करनेकी छू ट आिद शािमल हœ| लœिगक समानता पर ŵी चतरिसंह मेहता Ȫारा Ůकािशत लेख “ मानव िवकास और मिहलाएं ‘ʼमŐिलखा हैकी िवʷ मŐलगभग आधी आबादी मिहलाओंकी हैपर उɎŐपुŜषो ंके समान अवसर Ůाɑ नही हœ,यह कटुसȑ हैकी मिहलो ंको पुŜषो ंसेअिधक काम करना पड़ता हैिकȶुउनके कायŘ की कोई कीमत ही नही आंकी जाती ह
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2

प्रा., डॉ. विशाखा डेरे. "शाश्वत विकास एक समाजशास्त्रीय अध्ययन". International Journal of Advance and Applied Research S6, № 2 (2025): 383–86. https://doi.org/10.5281/zenodo.15560816.

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Abstract:
शाश्वत विकास हा  लोकांच्या गरजा पूर्ण करण्याचा एक मार्ग आहे. आपल्याकडील अनेक नैसर्गिक संसाधने संपुष्टात येत असल्याने त्यांचा सुज्ञपणे वापर करणे ही आपली   सामाजिक जबाबदारी आहे नैसर्गिक संसाधनाचा उपयोग करताना आपल्या येणाऱ्या भावी पिढ्यांसाठी त्या शिल्लक राहिला पाहिजे हा विचार करणे सुद्धा आवश्यक आहे. तसेच निसर्गाचा समतोल बिघडणार नाही अशा प्रकारे संसाधनांचा वापर करणे आहे. सामाजिक समानता: शाश्वत विकासाचा आणखी एक महत्त्वाचा पैलू म्हणजे आर्थिक लाभ समाजात अधिकता समान रीतीने वितरित करण्याची आवश्यकता आहे. सध्याच्या युगात, अपारंपरिक संसाधने जलद गतीने वापरली जात आहेत ज्यामुळे ही संसाधने धोक
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शर्मा, अभिषेक, та अन्नू शर्मा. "समावेशी वर्ग में शिक्षा समता और समानता भीमराव रामजी अंबेडकर का दृष्टिकोण". Shodh Sari-An International Multidisciplinary Journal 02, № 03 (2023): 350–57. http://dx.doi.org/10.59231/sari7611.

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Abstract:
डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर का समावेशी वर्ग में शिक्षा, समता और समानता का दर्शन भारत के सामाजिक आर्थिक पुनर्निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है। आजादी के बाद के दशकों में हम विभिन्न विधानों और सरकारी संस्थानों के माध्यम से पहुंच और समानता के मुद्दों में व्यस्त रहे हैं इन में अम्बेडकर ने शिक्षा, शैक्षिक संस्थान, जाति, धर्म, स्त्री आदि मामलों पर प्रकाश डाला । अंबेडकर का मानना हैं की समता और समानता यह हर इंसान की जरूरत ही नहीं यह सभी का अधिकार है । जो खुलकर और बेबाकी से बाबा साहब (बी. आर. अम्बेडकर ने समाज को बताया। बी. आर. अम्बेडकर ने समाज के उन सभी वर्गों को समावेशी कहा, जिनका समाज के अन्य वर्गों द्वारा क
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डॉ., घन आनंद लक्ष्मीकांत. "महिला आणि लिंग समानता धोरण". International Journal of Advance and Applied Research 4, № 25 (2023): 12–14. https://doi.org/10.5281/zenodo.8242472.

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Abstract:
प्राचीन काळापासून पितृसत्ताक वर्चस्वामुळे प्राचीन  महिलांमध्ये भेदभाव केला जात आहे. प्राचीन काळापासून महिलांकडे पाहण्याचा दृष्टीकोन दुरययम असून जगात पुनरुत्पादक हक्क, कामगार, शिक्षण आणि आरोग्याशी संबंधित कायदे, महिलांवर अत्याचार आणि शोषण करण्यासाठी आजही उपयोगात आणले जात आहेत. समान हक्काचे कायदे असलेल्या देशातही कायदे असूनही वास्तविकता अशी आहे की पुरुषांना उच्च पातळीवरील आर्थिक व्यवस्थेमध्ये सहज प्रवेश घेता येतो. शिवाय त्यांचे राजकारण आणि सांस्कृतिक जगतात फार मोठ्या प्रमाणात प्रतिनिधित्व होत.आजही महिलांना समानतेची वागणूक देण्यासंदर्भात कायदे होवूनही प्रत्यक्षात त्याची अमंलबजावणी होत असताना
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डॉ., रश्मी बी.वी. "लैंगिक समानता और सोशल मीडिया". International Journal of Advance and Applied Research 4, № 31 (2023): 18–20. https://doi.org/10.5281/zenodo.8365621.

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Abstract:
भारत में स्त्रीयों की स्थिति कभी भी सम्मानजनक नहीं रहीं । अपने और व्यक्तिगत प्रयासों से अवश्य किचन से बाहर भी एक दुनिया बना ली हैं, पर वहाँ भी वह स्वतंत्र नहीं हैं, क्यॊंकि हमारी मानसीकता नहीं रही । जिन महिलाओं को सोशल मीडिया का साथ मिला है वह यौनिकता और सेक्सुयलिटी से अधिक अस्मिता और अधिकार की बातें करें तो बेहतर है । क्योंकि जैसे ही हम बौद्धिक समाज में प्रवेश करके अपनी एक सम्मानित छवि का निर्माण करने में सफल हो जाते हैं । हमारी जिम्मेदारी उन महिलाओं के प्रति बढ़ जाती है  जो आज भी सोशल मीडिया इसमें बहुत बडी़ भूमिका निभा सकता है । इस समाज को बनाए रखने के लिए पुरुषों ने जिस सामन्ती मानसिकत
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डॉ.सचिन, एस. जयस्वाल. "स्त्री-पुरुष समानता आणि शाश्वत विकास: एक संशोधन अभ्यास". International Journal of Advance and Applied Research S6, № 18 (2025): 100–105. https://doi.org/10.5281/zenodo.15240934.

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Abstract:
मानव समाजाच्या प्रगतीसाठी समानता आणि शाश्वत विकास या दोन घटकांना अनन्यसाधारण महत्त्व आहे. स्त्री पुरुष समानतेचा अर्थ पुरुष आणि स्त्रिया यांच्यात समतोल राखण्याचा प्रयत्न नव्हे, तर समाजातील प्रत्येक पुरुषाला योग्य हक्क, संधी आणि आदर मिळावा, हे सुनिश्चित करणे होय. लैंगिक समानतेच्या चर्चेमध्ये अनेकदा महिलांच्या अधिकारांवर भर दिला जातो, पण पुरुषांशी संबंधित विशिष्ट सामाजिक, मानसिक आणि भावनिक प्रश्नांनाही तितकेच महत्त्व द्यायला हवे.
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संतोष, कुमार सिंह. "आर्थिक परिप्रेक्ष्य में महिला सशक्तिकरण". RECENT RESEARCHES IN SOCIAL SCIENCES & HUMANITIES (ISSN 2348–3318) 9, № 4 (Oct.-Nov.-Dec. 2022) (2022): 65–71. https://doi.org/10.5281/zenodo.7541217.

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Abstract:
हमारे देष की अर्थव्यवस्था में आधी आबादी के समान रूप से भाग न लेने के कारण उत्पादकता लाभ के मामले में हम बहुत कुछ खो रहे हैं। हमारे देष की आधी आबादी नवाचार और उद्यमषीलता के लाभ से वंचित है और गैर-पारिश्रमिक, कम उत्पादक और गैर-आर्थिक गतिविधियों तक सीमित है तो ऐसे में हमारा देष विकास के नए सोपान की ओर कैसे अग्रसर होगा? आर्थिक क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बदलने के साथ-साथ अपनी पितृसत्तात्मक मानसिकता में भी परिवर्तन लाने की आवष्यकता है तभी जाकर आर्थिक क्षेत्र में महिलाएँ पूर्ण क्षमता का सही इस्तेमाल कर सकती हैं। समकालीन परिदृष्य में भारतीय अर्थव्यवस्था ने लैंगिक स्तर पर असमानताओं को जन्म दिया है
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डॉ., प्रदीपशा. ढोले. "महिलांचे सशक्तिकरण आणि राजकीय सहभाग". International Journal of Advance and Applied Research S6, № 18 (2025): 328–30. https://doi.org/10.5281/zenodo.15250966.

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Abstract:
पृथ्वीवरील अर्धी लोकसंख्या म्हणजे स्त्रीवर्ग. या स्त्री वर्गाचे सर्वांगीण जीवनमान सुधारणे व त्यांना सक्षम करणे म्हणजे महिला सशक्तिकरण होय.महिला सशक्तिकरण केवळ एक शब्द नाही तर तो एक विचार आहे.जो महिलांच्या विकासावर,समाजाच्या प्रगतीवर आधारित आहे.सामाजिक समानता, आर्थिक स्वावलंबन, राजकीय सहभाग,शिक्षण आणि आरोग्य या क्षेत्रात स्त्रीची प्रगती घडवून आणणे हा सशक्तिकरणामागे मुख्य उद्देश आहे.कारण पुरुष आणि स्त्रियांमध्ये समानता निर्माण करणे त्यांना समान संधी मिळवून देणे आणि समाजातील अनिष्ट रूढी व परंपरांवर मात करणे, स्त्रीला आर्थिक दृष्ट्या सक्षम करणे, तिला शिक्षण आणि रोजगाराच्या संधी उपलब्ध करून देणे,ति
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शर्मा, आस्था. "उज्बेकिस्तान व भारत के सामाजिक परंपराएँ : समानता की भावना". Oriental Renaissance: Innovative, educational, natural and social sciences 4, № 22 (2024): 84–90. https://doi.org/10.5281/zenodo.13765645.

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Abstract:
उज़्बेकिस्तान मध्य एशियाई देशों में से एक है,&nbsp;<strong>जिसकी राजधानी ताशकंद है</strong>,&nbsp;<strong>जो अरल सागर की सीमा से लगा हुआ है</strong>।&nbsp;उज़्बेकिस्तान का क्षेत्र मैदानी इलाकों और पहाड़ी इलाकों का एक संयोजन है।&nbsp;भारत के साथ उज़्बेकिस्तान के संबंध सौहार्दपूर्ण रहे हैं तथा इन दोनों देशों के सांस्कृतिक संबंध प्राचीनकाल से ही चले आ रहे हैं। इन्हीं सांस्कृतिक संबंधों की झलक इतिहास में भी दिखाई देती है।भारत और उज़्बेकिस्तान के बीच ऐतिहासिक रूप से बहुत सी समानताएँ हैं, जैसे:पाली और संस्कृत साहित्य में कंबोज के नाम से वर्तमान उज्बेकिस्तान के कुछ हिस्सों का अक्सर उल्लेख मिलता है।प्
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Sengar, Mansi, та Suruchi Bhatia. "जेंडर इक्वालिटी :विकास की पहली कड़ी". ज्ञान गरिमा सिंधु 69 (31 січня 2021): 131–39. https://doi.org/10.5281/zenodo.6043376.

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Abstract:
यह लेख लैंगिक समानता के बारे में बात करता है और सभी जेंडर के लिए समानता का अभ्यास करने के महत्व को समझाने की कोशिश करता है। (This article talks about gender equality and tries to explain the importance of practicing equality for all genders.)
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More sources

Books on the topic "समानता"

1

प्रहरी, समाजवादी. समाजवादी संवाद. समाजवादी प्रहरी, 2021.

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Book chapters on the topic "समानता"

1

अर्याल, कुन्दन. "भ्रष्टाचारविरुद्धका कार्टुन र प्रतीकको विविधता". У भ्रष्टाचार र मिडिया: काण्ड, पात्र, प्रवृत्ति र विश्लेषण. सेन्टर फर मिडिया रिसर्च - नेपाल, 2024. http://dx.doi.org/10.62657/cmr10214g.

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Abstract:
भ्रष्टाचार लगायत समाजमा देखा पर्ने गलत प्रवृत्ति र आचारमाथि खबरदारी गर्ने, जनचेतना जगाउने, सुधारको सन्देश प्रवाह गर्ने काम कार्टुनले गर्दै आएको छ । नीतिगत भ्रष्टाचार, पदको दुरुपयोग र आर्थिक लेनदेनका विषयलाई केन्द्रमा राखेर बनाइएका कार्टुनहरूमा घुसखोरी, शिक्षामा हुने भ्रष्टाचार, प्राकृतिक स्रोतको दोहन, स्वास्थ्य क्षेत्रका विकृति, कृषिका समस्या, न्यायालयका विसङ्गतिजस्ता विषयलाई कार्टुनमार्फत जोड दिइएको छ ।
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"Hindi Bhasha Scientific and Technological Development." In Educational Transformation in Digital ERA, edited by Suman Devi. NIILM University, 2024. https://doi.org/10.70388/niilmub/241204.

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Abstract:
आज हिंदी विश्व पटेल पर प्रथम भाषा बनने का दवा रखती है जिसका प्रमुख कारण तकनीकी विकास सूचना प्रौद्योगिकी की पत्राचार मीडिया अनुवाद वह जनसंपर्क के कारण हिंदी भाषा का बढ़ता प्रचार एवं प्रसार आज हिंदी के प्रसार व प्रचार का प्रमुख कारण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की सामर्थ व शक्तिशाली भाषा के रूप में हिंदी का विकास होता स्वरूप है आदि जननी संस्कृत भाषा निरोध श्रीत हिंदी भाषा की राजभाषा संपर्क भाषा तथा अनेक बोलियां वह अप बलियो के मध्य अंतर संबंधों के कारण समन्वय आत्मक भाषा है हिंदी साहित्य में हृदय की भाषा है कुछ वर्षों पूर्व हिंदी भाषा में परिभाषित शब्दावली वह संस्कृत के साहित्य का अभाव था परंतु कुछ स्
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