Academic literature on the topic 'दर्शन'

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Journal articles on the topic "दर्शन"

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सोनी, राकेश. "शैवदर्शन भारतीय मेधा की चरमाभिव्यक्ति". Indiana Journal of Multidisciplinary Research 4, № 4 (2024): 4–14. https://doi.org/10.5281/zenodo.13348110.

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Abstract:
यदि विश्व में किसी ऐसे एक दर्शनशास्त्र की खोज की जाये जिसके आधार पर न केवल भारत के अपितु विश्व के समस्त दर्शनों की या तो तार्किक व्याख्या की जा सके या उन सभी दर्शनों का अपने भीतर अंतर्भाव कर सके। इतना ही नहीं उस दर्शन में ऐसी क्षमता हो की उसको आधार बनाकर भविष्य के नये दर्शनों को विकसित किए जाने की भरपूर संभावना हो तो निश्चित रूप से वह दर्शन शैवदर्शन ही हो सकता है। शैव दर्शन कई नामों से भी जाना जाता है जैसे - त्रिकदर्शन, कश्मीर शैवदर्शन, शैवाद्वैत दर्शन, प्रतिभिज्ञा दर्शन, आगम दर्शन, स्पंदन दर्शन, कुल दर्शन, क्रम दर्शन, त्रिपुर दर्शन, शाक्त दर्शन  आदि। वस्तुत: ये सभी नाम शैव दर्शन के ही वि
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Kumar Verma, Vijay. "शिक्षा व दर्शन: रविंद्रनाथ टैगोर के शिक्षा संबंधी विचारों की समकालीन प्रासंगिकता". RESEARCH EXPRESSION 6, № 9 (2023): 81–87. https://doi.org/10.61703/re10.

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Abstract:
शिक्षा व दर्शनः रविंद्रनाथ टैगोर के शिक्षा संबंधी विचारों की समकालीन प्रासंगिकता शैक्षिक दर्शन शिक्षा की एक व्यापक प्रणाली निमित्त करने में मदद करती है। समय के साथ शिक्षा पद्धति में विभिन्न परिवर्तन आए हैं। जहां एक ओर वर्तमान शिक्षा पद्धति नैतिक मूल्यों के संकट का सामना कर रही है, वहीं दूसरी ओर हम शैक्षिक संस्थान और उनके दैनिक कामकाज में शिक्षा द्वारा प्रस्तावित दार्शनिक आदर्शों के बीच के अंतराल को देख सकते हैं। इस समस्या के समाधान के लिए हमें भारतीय राजनीतिक चिंतन के इतिहास में जाना होगा जहां विभिन्न विचारक जैसे महात्मा गांधी, रविंद्रनाथ टैगोर, श्री अरबिंदो, स्वामी विवेकानंद और जवाहरलाल नेहरू
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डाॅ0, श्रीमती हीना परवीन. "गाँधी-दर्शन की प्रासंगिकता". International Journal of Research - Granthaalayah 6, № 5 (2018): 73–77. https://doi.org/10.5281/zenodo.1255233.

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Abstract:
गाँधी-दर्शन के आधार तत्व सत्य, अहिंसा और प्र ेम हैं और इसी आधार पर राजनीतिक, धार्मिक और आर्थिक विचारों की बेल फल-फूल रही है। यही तीन तत्व प्रकाश, जल और वायु की भँाति सम्पूर्ण  गाँधी-दर्शन को पोषित व पल्लवित कर रहे हैं। प्रस्तुत आलेख द्वारा हम वर्तमान समाज में गाँधी-दर्शन की अनिवार्यता तथा प्रासंगिकता अवलोकन करेंगे।
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सुजन, मण्डल शोधार्थी मध्य एशियाई अध्ययन केंद्र (संस्कृत) कश्मीर विश्वविद्यालय हजरतबल श्रीनगर जम्मू और कश्मीर. "सांख्यसम्मत कैवल्य में बुद्धि तत्त्व का भूमिका". Siddhanta's International Journal of Advanced Research in Arts & Humanities 2, № 2 (2024): 1–14. https://doi.org/10.5281/zenodo.14062554.

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Abstract:
भारतीय दर्शन सम्प्रदायों में महर्षि कपिल प्रणीत सांख्य दर्शन को आदि दर्शन माना गया है। इस दर्शन को भारतीय शोध समाज के साथ-साथ पाश्चात्य शोध समाज में भी अभूतपूर्ण समादर मिला है। भारतीय सभी आस्तिक और नास्तिक दर्शनों का परम लक्ष्य ही है मोक्ष प्राप्त करना। सांख्य दर्शन के अनुसार त्रिविध दुःखों से ऐकान्तिक व आत्यन्तिक परित्राण पाना ही मोक्ष तथा कैवल्य है। अतः भारतीय अन्य दर्शनों की न्याय यह दर्शन भी तत्त्वज्ञान से कैवल्य प्राप्त करने का वर्णन करता है। क्या बुद्धि किसी व्यक्ति को कैवल्य प्राप्त करने में मदद कर सकती है? अगर यह उसे कैवल्य प्राप्त करने में मदद कर सकती है, तो कैसे? इस शोध पत्र का उद्दे
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Yadav, Jayant Kumar. "Study of Sāṅkhya Philosophy in the Eleventh Canto of Śrīmad Bhāgavatam". RESEARCH REVIEW International Journal of Multidisciplinary 10, № 1 (2025): 281–84. https://doi.org/10.31305/rrijm.2025.v10.n1.033.

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Abstract:
Sāṅkhya philosophy is an āstika (orthodox) school of Indian philosophy. It is believed to have been founded by Kapila Muni and is considered one of the most ancient philosophical systems. References to Sāṅkhya philosophy are clearly visible in India's oldest religious scriptures. Another name for Sāṅkhya philosophy is "Sāṅkhya Pravachana." It is also known as Niriśvara Sāṅkhya (atheistic Sāṅkhya) since Maharshi Kapila did not establish the concept of God in his teachings. The most authentic and ancient text of Sāṅkhya philosophy is Īśvarakṛta’s "Sāṅkhya Kārika." Additionally, works such as "Sā
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लम्साल, तिलकप्रसाद. "भाषिक दर्शनका आधारभूत पक्ष र निहित अन्तरवस्तु {Fundamental aspects and inherent content of language philosophy}". Triyuga Academic Journal 3, № 1 (2024): 243–59. https://doi.org/10.3126/taj.v3i1.71985.

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Abstract:
जीवन, जगत्​सम्बन्धी मान्छेका कौतूहल, आश्चर्य, जिज्ञासा र तर्कका आधारमा निराकरणका उपायसमेत पत्ता लगाउने चिन्तन वा दृष्टिकोणका रूपमा दर्शनलाई लिइन्छ । दर्शनका विविध प्रकारमध्ये भाषिक दर्शनमा आधारित प्रस्तुत अनुसन्धानको उद्देश्य भाषिक दर्शनको अवधारणा स्पष्ट पार्दै तिनका विविध पक्ष र अन्तर्वस्तुको निरूपण गर्नु रहेको छ । भाषिक दर्शनका विविध पक्ष र विशेषता छन् भन्नु प्रस्तुत अनुसन्धानको दाबी हो । प्रस्तुत अनुसन्धान गुणात्मक ढाँचा, उत्तरआधुनिक दर्शन र व्याख्यावादी पद्धतिमा आधारित छ । यसका लागि पुस्तकालयीय कार्यमा आधारित भई द्वितीयक स्रोतका सामग्री सङ्कलन गरी तिनको वर्णनात्मक र तुलनात्मक अध्ययन विधिका
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अञ्जु та सुभाष चन्द्र. "सांख्य-योग दर्शन परिभाषा डेटाबेस एवं ऑनलाइन खोज". RESEARCH REVIEW International Journal of Multidisciplinary 03, № 11 (2018): 890–94. https://doi.org/10.5281/zenodo.1934632.

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Abstract:
ऑनलाइन सांख्य-योग दर्शन परिभाषा डेटाबेस विकास एक शोध के रूप में प्रारम्भ किया गया जिसका उद्देश्य हिंदी माध्यम से सांख्य-योग दर्शन परिभाषा डेटाबेस एवं खोज सिस्टम का विकास करना है । क्योंकि सांख्य-योग दर्शन परिभाषा के लिये कोई भी ऑनलाइन डेटाबेस अभी तक उपलब्ध नही है । जिससे प्रयोगकर्ता ऑनलाइन पारिभाषिक शब्दों को खोज सकें । अभी तक इस डेटाबेस में सांख्य दर्शन के कुल 100 तथा योग के कुल 295 तकनीकी शब्दों को शामिल किया गया हैं । इनमें वृद्धि भी की जा रही है । इनका संकलन सांख्य एवं योग दर्शन के मूल एवं भाष्य ग्रन्थों के आधार पर किया गया है । यह सिस्टम http://cl.sanskrit.du.ac.in/SankhyaYoga पर ऑनलाइन उ
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Bi. Ka., Janak. "पूर्वीय दर्शनमा भौतिकवाद". Journal of Rapti Babai Campus 5, № 1 (2025): 187–98. https://doi.org/10.3126/jrbc.v5i1.78478.

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Abstract:
पूर्वीय दर्शन भनेर खास गरेर भारतीय दर्शनहरूलाई नै प्रचारमा लिने गरिएको पाइन्छ । तर त्यसो नभएर एसिया र अरब क्षेत्रमा हुर्किएका समग्र दर्शनहरू नै पूर्वीय दर्शनभित्र पर्दछन् । पूर्वीय दर्शनअन्तर्गत पर्ने भौतिकवादी र द्वन्द्ववादी दृष्टिकोण राख्ने दर्शनहरू नै पूर्वीय दर्शन भित्रका भौतिकवादी दर्शनहरू हुन् । यो शोधलेख पूर्वीयदर्शनमा भौतिकवादसँग सम्बन्धित रहेको छ । खास गरेर पूर्वीय दर्शनहरूभित्र पर्ने दर्शनहरूमा भौतिकवादी दृष्टिकोणहरू कहाँ कहाँ छन् भनी खोजी गर्नु प्रस्तुत लेखको उद्देश्य रहेको छ । यो शोधलेख निगमन विधिमाआधारित छ । यसमा पूर्वीय दर्शनभित्र भौतिकवादको विषयमा प्रस्तुत गरिएको सन्दर्भसामग्रीक
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Abhishek. "सांख्य दर्शन के द्वैतवाद का दार्शनिक परीक्षण". Original source 19 (14 лютого 2018): 15–18. https://doi.org/10.5281/zenodo.10427137.

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Abstract:
मनुष्य एक विवेकशील प्राणी है। जब से भी सृष्टि क्रम में इसका प्रादुर्भाव हुआ है तब से निरन्तर चिन्तन के माध्यम से विकास को प्राप्त कर रहा है। प्राचीन समय में मनुष्य जगत के सभी कार्यों से विस्मृत था चाहे वो तारे का टूट के गिरना, नदी का बहना, हवा का चलना, आग का जलना, वृक्षों का होना इत्यादि। समस्त विश्व में अपनी चिन्तन प्रणाली के अनुसार जगत के मूल भूत तत्वों की खोज करने का प्रयास किया गया। भारतीय दर्शन ने भी अपने वैदिक व अवैदिक दर्शन प्रणाली के माध्यम से इसका समाधान प्रस्तुत किया। वैदिक दर्शन में सांख्य दर्शन का प्रकृति विकास एक ऐसा ही प्राचीनतम् उत्तर है। जो प्राचीन आचार्यों के गम्भीरता का बोध क
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उपाध्याय, धनकृष्ण. "पौरस्त्य चिन्तनमा न्याय दर्शन". Journal of Tikapur Multiple Campus 3, № 3 (2017): 88–95. http://dx.doi.org/10.3126/jotmc.v3i3.70104.

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Abstract:
पौरस्त्य चिन्तन परम्परामा दार्शनिक पक्षको पउल रहको छ । दशर्न भनेको संसारबारे प्रस्तुत दृष्टिकोण हो । बह्माण्डको उत्पत्ति ईश्वर, जीव, आत्मा आदिबारे दर्शनमा गहन रूपमा विश्लेषण गरिएको हुन्छ । पौरस्त्य दर्शन भन्नाले आर्यवर्तअन्तर्गत तपोवन र ऋषिमुनिको चिन्तन मननलाई बुझिन्छ । खास गरेर पौर स्त्य दार्शि नक चिन्तन मूलतः आध्यात्मिक नैतिक तथा धार्मिक पक्षमा आधारित रहको छ । यो आस्तिक रहे पनि चार्वाक दर्शन जस्तो पूणर्तः भौतिकवादी, अनीश्वरवादी र नास्तिक दर्शनको पनि उच्च स्थान रहेको पाइन्छ । खास गरेर षडदर्शनलाई पौरस्त्य वा पर्वूीय दशर्न मा महत्त्वपूर्ण स्थान रहको छ । यिनै षड्दर्शन अन्तर्गत पहिलो दर्शनका रूपम
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Books on the topic "दर्शन"

1

Jaina, Vijayalakshmī. संगीत-दर्शन. Rājasthānī Granthāgāra, 2002.

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जैन दर्शन का शैक्षिक मूल्य और प्रासंगिकता. Kamlesh Prakashan Mandir, 2017.

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3

दर्शनसार | Darshansar | darshansaar | दर्शन सार | Darshan sar | Darshan saar. Infinite Jainism, 2023.

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4

कैवल्य दर्शनम || Kaivalya darshanam hindi || the holy science hindi. Yss, 2007.

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