Academic literature on the topic 'समाज'

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Journal articles on the topic "समाज"

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राठोड, मीना, та रमेशभाई बनकर. "जीवनी और महिला लेखनः छूटे पन्नो की उड़ान – एक समीक्षा". VIDYA - A JOURNAL OF GUJARAT UNIVERSITY 2, № 2 (2023): 6–9. http://dx.doi.org/10.47413/vidya.v2i2.198.

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Abstract:
दलित साहित्य मनुष्य को मनुष्य के रुप में देखता है। जिसे हम दलित मनोवैज्ञानिक मुक्ति का साहित्य कहते है। हशिये के बहार पडा भारतीय दलित समाज आज आत्मसम्मान तथा बहिस्कृत जिंदगी से मुक्ति पाने का संघर्ष एवं अपने आत्मसम्मान की पहचान की लडाई लड़ रहा है। शोषण के प्रति विद्रोह भाव जगाना ही साहित्य कर्मियों का कर्तव्य है। दलित साहित्य का उद्देश्य दलित समाज में जागृति पैदा करके उनमें स्वाभिमान भरना है। वे चाहते है कि संपूर्ण समाज व्यवस्था को नष्ट करके समान समाज व्यवस्था का निर्माण हो, नवीन समाज व्यवस्था निर्मित हो वहाँ हरेक व्यक्ति को समान अधिकार मिले।
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Kalpana Luitel. "मानुषी कविताको लैङ्गिक अध्ययन". Journal of Development Review 8, № 1 (2023): 43–51. http://dx.doi.org/10.3126/jdr.v8i1.57140.

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Abstract:
प्रगतिवादी साहित्यकार पारिजातद्वारा रचित मानुषी कविता मूलतः लैङ्गिक समानताका दृष्टिले नारीवादी मान्यतामारचना भएको पाइन्छ । प्रस्तुत मानुषी कवितामा नेपाली समाजमा विद्यमान लैङ्गिक भेदभाव र शोषण रहेको तथा पुरुषलेमहिलालाई कोसौं पछाडि पारेको तथ्य विभिन्न उदाहरणका साथ प्रस्तुत गरिएको छ । प्रस्तुत कवितामा लैङ्गिक शोषणर भेदभावको अन्त्य गरी समानतामूलक उन्नत समाज निर्माण गर्नुपर्ने उद्देश्य राखेको पाइन्छ । सभ्यताको प्रारम्भमा नारी शक्तिशाली थिए । तापनि पुरुषलाई नारीले अवसर दिएर अगाडि बढाएको दृष्टान्त दिँदै अहिले नेपाली नारीको अवस्था धेरै पछाडि रहेको देखाउन पारिजात सफल भएकी छन्। जबसम्म नारी र पुरुष दुवै
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विवेक, आत्रेय. "मुंशी प्रेमचंद के साहित्य में नारी व्यथा". International Educational Applied Research Journal 09, № 05 (2025): 236–41. https://doi.org/10.5281/zenodo.15593908.

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Abstract:
प्रस्तावना :- कहते है 'साहित्य समाज का दर्पण होता है। किसी भी समाज, संस्कृति या राष्ट्र का प्रतिबिंब उस समाज, संस्कृति या राष्ट्र के साहित्य में देखा जा सकता है। इसी दर्पण को समाज के समक्ष प्रस्तुत करने हेतु हिंदी साहित्य में अनेक साहित्यकार हुए। इन सबमें मुंशी प्रेमचंद जी अग्रणीय भूमिका में नजर आते हैं। समाज के हर वर्ग को आधार बनाकर इन्होने अपनी रचनाएं लिखी । किसान, जवान, दलित, आदिवासी, नारी इत्यादि हर वर्ग की समस्याओं को छूने का प्रयास मुंशी प्रेमचंद जी ने अपनी कलम के माध्यम से किया।     नारी संवेदनशीलता भी मुशीं प्रेमचंद जी की रचनाओं का आधार रही है। समाज में स्त्री को पुरुष के समा
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रीतू रानी та डॉ. निरुपमा हर्षवर्धन. "कमलेश्वर के उपन्यासों में नारी के संघर्ष की दिशाएँ". Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education 21, № 2 (2024): 37–38. http://dx.doi.org/10.29070/zbg0n777.

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Abstract:
कमलेश्वर के उपन्यासों में नारी के संघर्ष की यथार्थ दिशाओं का चित्रण प्राप्त होता है। कमलेश्वर के उपन्यासों में ग्रामीण, कस्बाई तथा महानगरीय नारी के विविध रूपों के साथ विभिन्न संघर्ष की दशाओं का चित्रण हुआ है। उन्होंने नारी को भारतीय आदर्श नारी की प्रतिभा से मुक्त कर यथार्थ की पृष्ठभूमि पर उतारा है। निम्न वर्ग से लेकर उच्च, मध्यवर्ग तक की महिलाओं के पारिवारिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनैतिक जीवन का वास्तविक चित्रण कमलेश्वर ने नारी के संघर्ष को दर्शाते हुए किया है। कमलेश्वर ने नारी को घर से लेकर समाज तक अपने अस्तित्व एवं सम्मान के लिए सदैव संघर्ष करने वाली स्त्री कहा है। कमलेश्वर का कहन
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श्रीवास्तव, मेघा, та नीतू मौर्य. "महिला सशक्तिकरण पर महात्मा गांधी के विचारों पर एक अध्ययन". Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education 22, № 01 (2025): 261–67. https://doi.org/10.29070/j8hcz910.

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Abstract:
महात्मा गांधी का महिला सशक्तिकरण के प्रति दृष्टिकोण उनके संपूर्ण समाज सुधार और स्वतंत्रता संग्राम के प्रयासों का एक अभिन्न हिस्सा था। उनका मानना था कि महिलाओं को समान अधिकार, स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता प्रदान किए बिना समाज का नैतिक और आध्यात्मिक उत्थान संभव नहीं है। इस अध्ययन में गांधीजी के विचारों का विश्लेषण कर उनके दृष्टिकोण की प्रासंगिकता का मूल्यांकन किया गया है।
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डा, ॅ.श ुचि गुप्ता. "स ंगीत एवं समाज". International Journal of Research - GRANTHAALAYAH Innovation in Music & Dance, January,2015 (2017): 1–2. https://doi.org/10.5281/zenodo.886083.

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Abstract:
संगीत ग्रन्थ ‘स्वर मेल कलानिधि‘ में वर्णित प ्रस्तुत श्लोक सृष्टि में संगीत कला की अनन्तता का े दर्शाता ह ै। भारतीय समाज में संगीत उस समय से व्याप्त ह ै जब समाज पूर्ण रूप से विकसित भी नहीं ह ुए थे। मानव कल्याण हेतु ज्ञान की देवी माँ सरस्वती ने नारद जी के माध्यम से इस देवी कला को भूला ेक में भेजा था। तभी से संगीत एवं समाज रूपी अविरल धाराए ं एक-दूसरे से आश्रय पाते हुए निरन्तर समान गति से बह रही ह ै। समाज व्यक्ति क े लिए एक अनिवार्य एवं आधारभूत ढांचा ह ै जिसके आश्रय में वह अपने आचार-विचार, रीति-रिवाज, संस्कार, मान्यताएं एवं परम्परराए ं आदि सांझा करता ह ै, प ्रतिदान स्वरूप समाज व्यक्ति को सुरक्षात
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प्रा., कविता तुकाराम चानकने. "२१ वीं सदी के हिंदी काव्य में चित्रित हाशिए का समाज". International Journal of Humanities, Social Science, Business Management & Commerce 08, № 01 (2024): 138–43. https://doi.org/10.5281/zenodo.10483888.

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Abstract:
२१ वीं सदीं में भारत को सार्वभौमिक राष्ट्र बनाने के लिए हमें गरीबीं, भूख, युद्ध, सामाजिक - आर्थिक विषमता के प्रश्न पर गंभीरता से विचार करने की जरुरत है। प्राचीन काल से वर्तमान काल की कविताओं में समाज द्वारा प्रताड़ित, पूंजीपतियों द्वारा शोषित तथा भूमंडलीकरण से प्रभावित एक ऐसा जनसमुदाय जिसे हाशिए का समाज कहा जाता है, मूल केंदीय विषय बना है। दलित समाज और हाशिए में मुलभुत अंतर केवल इतना है कि, कृषि - कर्मियों और नौकरों के साथ अस्पृश्यता का बर्ताव नहीं किया जाता।'' संस्कृत, मराठी, हिंदी, अंग्रेजी भाषा कोई भी हो, उस भाषा में लिखी गई कविताएँ उस समाज की आत्मपीड़ा, शोषण, वेदना को अभिव्यक्त करती है। का
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डॉ., सुधा जैन. "भारतीय कला में सूर्य की प्रतीकात्मक प्रस्तुतिदृ 'स्वस्तिक'". International Journal of Advance Research in Multidisciplinary 2, № 3 (2024): 178–81. https://doi.org/10.5281/zenodo.12803689.

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Abstract:
आपका अनुभव सूर्य के महत्व को भारतीय संस्कृति में व्यापक रूप से समझाने वाला है, और इसे संस्कृति और धर्म के संगम में एक अद्वितीय प्रतीक माना गया है। सूर्य की पूजा और सूर्य के प्रति आदर की यह व्याख्या बहुत गहरी है, और यह अच्छे ढंग से दिखाती है कि इसका कैसे सम्बंध है भारतीय समाज, धर्म और संस्कृति के विभिन्न पहलुओं से। धर्म-मतों की विविधता के बावजूद, सूर्य के प्रति अध्यात्मिकता और आदर एक समान हैं, जो भारतीय समाज के एकता और समाहितता को प्रदर्शित करता है। इसमें भारतीय संस्कृति के स्वाभाविक और सांस्कृतिक विकास का संवाहक भाव दिखाया गया है, जो भारतीय समाज के अद्वितीय रूप के साथ जुड़ा है।
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जाधव, विनोद विठ्ठलराव. "आदिवासी स्त्री जीवन". SCHOLARLY RESEARCH JOURNAL FOR INTERDISCIPLINARY STUDIES 8, № 65 (2021): 15095–99. http://dx.doi.org/10.21922/srjis.v8i65.1353.

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Abstract:
जगातील सर्वच देशात कमी अधिक प्रमाणात आदिवासी समाज आढळून येतो. जगाच्या तूलनेत भारतातील आदिवासींची लोकसंख्या लक्षणिय आहे. डोंगर, द-या खो-यामध्ये राहणारा हा समाज प्रगत समाजापासून अलिप्त आहे. भारताच्या चौफेर दिशांनी आदिवासी विखूरलेला आहे. त्यांना वेगवेगळ्या नावानी संबोधले जाते. ठक्कर बाप्पा यानी ‘मुळ निवासी’ डॉ.धूर्ये यांनी ‘मागासलेले हिंदु’ एलविन यांनी ‘गिरीजन’ तर भारतीय राज्यघटनेत ‘अनुसूचित जमाती’ असा उल्लेख आहे. गिलीन व गिलीन यांच्यामते, “एका विशिष्ठ भूप्रदेशात राहणारा, समान बोलीभाषा बोलणारा व समान सांस्कृतीक जीवन जगणारा पण अक्षरओळख नसलेल्या व्यक्तिच्या समुच्चयाला आदिवासी असे म्हणतात.” आदिवासी
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., चन्द्रशेखर. "उच्चतर माध्यमिक स्तर के हिन्दी माध्यम के ग्रामीण व शहरी छात्र-छात्रों के मध्य समायजन क्षमता का तुलनात्मक अध्ययन". International Journal of Science and Social Science Research 1, № 2 (2023): 194–98. https://doi.org/10.5281/zenodo.13379675.

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Abstract:
शिक्षा किसी भी देश या समाज के वर्तमान क¨ विकसित और भविष्य को  उज्जवल बनाने की आधारशिला ह¨ती है। शिक्षा के माध्यम से ही छात्र-छात्राओं व देश व समाज के सर्वांगीण विकास करते हुए उसकी संस्कृति का संरक्षण अ©र सभ्यता क¨ आगे बढ़ाया जाता है। एवं शिक्षा ही समाज कें सुख-समृद्धि लाने का कार्य करती है। चार्वाक दर्शन के अनुसार भी शिक्षा वह है ज¨ मनुष्य क¨ सुखपूर्वक जीवन जीने य¨ग्य बनाती है।प्ल्¨ट¨ के शब्दों  में ‘‘शिक्षा से अभिप्राय उस प्रशिक्षण से है ज¨ अच्छी आदतों  के द्वारा बच्चों  में अच्छी नैतिकता का विकास करती है।’’
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More sources

Dissertations / Theses on the topic "समाज"

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Sukla, शुक्ल Ravi Sankar रवि शंकर. "Samkaleen hindi upanyas mein adivasi jeevan ka swaroop aur vishleshan समकालीन हिंदी उपन्यास में आदिवासी जीवन का स्वरुप और विश्लेषण". Thesis, University of North Bengal, 2019. http://ir.nbu.ac.in/handle/123456789/4046.

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Lepcha, लेप्चा Dup Tshering डपछिरिङ. "Nepali ra lepcha ukhan tukka evam bagdharako tulanatmak adhyayan नेपाली र लेप्चा उखान टुक्का एवं बग्धाराको तुलनात्मक अध्ययन". Thesis, University of North Bengal, 2017. http://ir.nbu.ac.in/handle/123456789/2721.

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Books on the topic "समाज"

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आचार्य, उज्ज्वल. मिडिया र सूचना साक्षरता: प्रशिक्षक स्रोत पुस्तिका. सेन्टर फर मिडिया रिसर्च - नेपाल, 2023. http://dx.doi.org/10.62657/cmr10211.

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Abstract:
तथ्यमा आधारित सूचना तथा समाचारले सही जनमत निर्माण गर्न सहयोग पुर्या‍उँछ भने मिथ्या तथा गलत सूचनाले वास्तविकतालाई ओझेलमा पारी समाज तथा राष्ट्रलाई गलत दिशातर्फ डोर्या‍उँछ । पछिल्लो समय मिडिया परिदृश्यमा देखा परेको रूपान्तरणसँगै सोसल मिडिया, अनलाइन प्लेटफर्म र डिजिटल सामग्रीको उपलब्धता व्यापक भएको छ । जसकाकारण सिकाइ र सञ्चारका हिसाबले अवसरसँगै भरपर्दो सूचनाका स्रोतहरूको पहिचान, पूर्वाग्रहको पहिचान र मिडिया सन्देशको प्रभाव बुझ्न चुनौती थपिएका छन् । आजको डिजिटल र सूचना प्रविधिको दु्रत विकासको परिप्रेक्ष्यमा मिडिया तथा सूचना साक्षरताबारे जानकारी हुनु अपरिहार्य छ । यो मिडिया र सूचना साक्षरता प्रशिक्ष
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प्रहरी, समाजवादी. समाजवादी संवाद. समाजवादी प्रहरी, 2021.

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Book chapters on the topic "समाज"

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श्रेष्ठ, तेजमान. "नेपालमा भ्रष्टाचार नियन्त्रण: कानुनी व्यवस्था र अभ्यास". У भ्रष्टाचार र मिडिया: काण्ड, पात्र, प्रवृत्ति र विश्लेषण. सेन्टर फर मिडिया रिसर्च - नेपाल, 2024. http://dx.doi.org/10.62657/cmr10214h.

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Abstract:
समाज जति विकसित र सुसंस्कृत हुँदै गइरहेको छ, उति नै सुशासनको प्रत्याभूति पनि चुनौतीपूर्ण बन्दै गइरहेको छ । आर्थिक रूपमा कम विकसित राज्यहरूमा भ्रष्टाचार एउटा जटिल समस्याको रूपमा रहेको छ । नेपालमा पनि भ्रष्टाचारले देशको राष्ट्रिय अर्थतन्त्रलाई नकारात्मक प्रभाव पारेको छ ।
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श्रीमती ऋतु गुर्जर, डॉ. लवली भाटी. "समकालीन समाज में विवाह विच्छेद के प्रभावों का एक समाजशास्त्रीय अध्ययन." In GLOBAL DIMENSIONS OF MULTIDISCIPLINARY RESEARCH. LUMINUS INTERNATIONAL PUBLISHERS, 2020. https://doi.org/10.25215/8198963413.35.

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"Hindi Bhasha Scientific and Technological Development." In Educational Transformation in Digital ERA, edited by Suman Devi. NIILM University, 2024. https://doi.org/10.70388/niilmub/241204.

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Abstract:
आज हिंदी विश्व पटेल पर प्रथम भाषा बनने का दवा रखती है जिसका प्रमुख कारण तकनीकी विकास सूचना प्रौद्योगिकी की पत्राचार मीडिया अनुवाद वह जनसंपर्क के कारण हिंदी भाषा का बढ़ता प्रचार एवं प्रसार आज हिंदी के प्रसार व प्रचार का प्रमुख कारण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की सामर्थ व शक्तिशाली भाषा के रूप में हिंदी का विकास होता स्वरूप है आदि जननी संस्कृत भाषा निरोध श्रीत हिंदी भाषा की राजभाषा संपर्क भाषा तथा अनेक बोलियां वह अप बलियो के मध्य अंतर संबंधों के कारण समन्वय आत्मक भाषा है हिंदी साहित्य में हृदय की भाषा है कुछ वर्षों पूर्व हिंदी भाषा में परिभाषित शब्दावली वह संस्कृत के साहित्य का अभाव था परंतु कुछ स्
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Conference papers on the topic "समाज"

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गित्ते, प्रा डॉ सुर्यकांत हरिश्चंद्र. "समाज जागृतीचे प्रभावी माध्यमे : चित्रपट पटकथा लेखन". У Two Day National Interdisciplinary Conference on Script Writing. SK Publisher, 2024. https://doi.org/10.61165/sk.publisher.script.writing.2024.51.

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Reports on the topic "समाज"

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Chand, Obindra Bahadur, Katie Moore та Stephen Thompson. ध्यान दिनुपर्ने मुख्य कुराहारु : दक्षिण तथा दक्षिणपूर्वी एसिया र बाहिरका देशहरूमा अपाङ्गता भएका व्यक्तिहरुलाई समावेश गर्ने मानवीय तथा आपतकालीन उद्दार कार्य. Institute of Development Studies, 2024. http://dx.doi.org/10.19088/sshap.2024.001.

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Abstract:
अपाङ्गता भएका व्यक्तिहरुले धेरै स्थानहरूमा विभिन्न प्रकारका र जटिल किसिमका वातावरणीय, सामाजिक र संरचनात्मक बाधाहरू सामना गरेका हुन्छन्। यस्ता बाधाहरूले गर्दा ती अपाङ्गता भएका व्यक्तिहरुलाई मानवीय र अन्य आपतकालीन उद्दार गर्ने समयमा असमान हानि, तिरस्कार उपेक्षा र बहिष्कार गरिन सक्छ।1–3 विशेष गरी नेपाल र अन्य दक्षिण तथा दक्षिणपूर्वी एसियाली राष्ट्रहरूसहित न्यून र मध्यम आय भएका देशहरू (LMIC हरू) मा यस्तो अवस्था स्पष्ट रूपमा देखिन्छ।4 अपाङ्गता भएका व्यक्तिहरुमा आफ्नो आवश्यकताको सीमित जागरूकता, सामाजिक लाञ्छना र पहुँच हुन गाह्रो पूर्वाधारले गर्दा आपतकालीन अवस्थामा उनीहरूले सामना गर्ने चुनौतीहरू अझै
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Bhatt, Mihir R., Shilpi Srivastava, Megan Schmidt-Sane та Lyla Mehta. भारत की जानलेवा दूसरी कोविद-19 लहर: प्रभावों का सम्बोधन और भविष्य की लहरों के खिलाफ मुस्तैदी - एक चिंतन ! Institute of Development Studies (IDS), 2021. http://dx.doi.org/10.19088/sshap.2022.008.

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Abstract:
भारत में फ़रवरी 2021 से अनगिनत जानों की हानि हुई है जिसने कोविड-19 द्वारा हुए सामाजिक और आर्थिक प्रलय को बढ़ा दिया है । देश भर में तीव्र गति से बढ़ते संक्रमित मामलों ने बुनियादी स्वास्थ्य ढाँचे को हिला दिया है, जिससे आम आदमी अस्पताल में बिस्तर, आवश्यक दवाइयों और ऑक्सिजन के लिए हाथ पांव मरने के लिए मजबूर हो गया । मई 2021 तक शहरों में संक्रमण का प्रभाव कम होना शुरू हुआ। हालाँकि गाँवों में दूसरी लहर का प्रकोप जारी है । आज़ादी के बाद देश सबसे बड़ी और बुरी मानवीय तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट का साक्षी बना है, जबकि क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर लगातार फैलते हुए कोविड-19 प्रकारों के विविध परिणाम होंगे
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Chand, Obindra, Katie Moore та Stephen Thompson. प्रमुख विचार: दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया आदि में विकलांगता-समावेशी मानवतावादी कार्रवाई और आपातकालीन गतिविधियाँ. Institute of Development Studies, 2023. http://dx.doi.org/10.19088/sshap.2023.027.

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Abstract:
विकलांग लोगों को पर्यावरणीय, सामाजिक और संरचनात्मक दिक्कतों और समस्याओं का विभिन्न जटिल संदर्भों और विविध रूपों में सामना करना पड़ता है। मानवीय और अन्य आपातकालीन प्रतिक्रियाओं के दौरान इन बाधाओं के कारण उन्हें अत्यधिक नुकसान भी उठाना पड़ता है तथा उन्हें उपेक्षित और बहिष्कृत भी किया जाता है।1–3 यह स्थिति विशेष रूप से नेपाल और अन्य दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों सहित निम्न और मध्यम आय वाले देशों (low- and middle-income countries) में सामने आई है।4 विकलांग लोगों की जरूरतों, सामाजिक सोच और दुर्गम बुनियादी ढाँचे के बारे में सीमित जागरूकता आपातकालीन स्थितियों में उनके सामने आने वाली चुनौतियों म
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